व्हाट इज ए हिंट फिक्शन ?
यह इक ऐसी साहित्यिक अभिव्यक्ति ,प्रस्तुति है जो लेदेकर २५ लफ़्ज़ों तक सीमित रहती है लेकिन अपने लघु कलेवर में एक लम्बी कथा ,पेचीला प्रबंध काव्य /साहित्यिक कृति की ओरजैसे छिपा इशारा करती है .एक तरह से यह किसी लम्बी फिल्म(मेरा नाम जोकर ,संगम ) के ट्रेलर जैसी .लेकिन यह पाठक को सिर्फ इशारा करती है बताती कुछ नहीं है यह अति -अति -लघुतर कथा .सतसैया के दोहरे सी है यह "हिंट फिक्शन ".(सतसैया के दोहरे ,ज्यों नावक के तीर ,देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर .
यह कथा /कथानक न किसी ख़ास पृष्ठ भूमि की इत्तला देती है ,न किसी ख़ास चरित्र (अभिनेता )की ,उसके किरदार की .सब कुछ पाठक की कल्पना पर छोड़ दिया जाता है ।
बेशक सबसे बड़ा इशारा (कथा /कथानक )की ओर इस हिंट फिक्शन का शीर्षक ही होता है ।
शायद इसी लिए कहा गया है यदि कहानी का आरम्भ उसका प्रवेश द्वार है तो उसका शीषक उस प्रवेश द्वार पर लिखा स्वागतम है .शीर्षक ही हिंट फिक्शन का पाठक को ललचाता है वह सम्बद्ध बड़ी कथा को पढ़े बांचे .
रविवार, 27 मार्च 2011
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