व्हाट इज ए न्यूक्लीयर मेल्ट डाउन ?
एटमी भट्टी में ईंधन छड़ों के पिघलने को एटमी पिघलाव या न्यूक्लीयर मेल्ट डाउन कहा जाता है .अमूमन ताप रोधी केन्स के (ज़िरकोनियम केन्स )के अन्दर एटमी ईंधन के रूप में युरेनियम या फिर प्लूटोनियम की छड़ों को समायोजित किया जाता है ।
फिसाइल मेटीरियल के रूप में युरेनियम २३८ ,संवर्धित युरेनियम २३५ (जिसमे युरेनियम २३५ एटमों की संख्या ३% तक बढा डी जाती है संवर्धन टेक्नीक से )तथा प्लूटोनियम २३९ आदि का स्तेमाल किया जाता है ।
ब्रीडर रिएक्टर में युरेनियम २३८ रिएक्टर से प्लूटोनियम २३९ प्राप्त कर लिया जाता है ।
ए ब्रीडर रिएक्टर इज वन देत प्रोद्युसिज़ मोर फ्युएल देन इट कन्ज्युम्स .
प्रजनक एटमी भट्टी इक तरह का ईंधन खाती है दूसरी तरह का उगलती है ।
आम तौर पर ईंधन की छड़ों को जो नियंत्रित नाभिकीय श्रृंखला प्रक्रिया (कंट्रोल्ड न्यूक्लीयर चैन रिएक्शन )के तहत खासी गर्म हो जातीं हैं मेल्ट डाउन से बचाने के लिए शीतलन प्रणाली होती है ,कूलेंट्स रहतें हैं .जो फ़ालतू गर्मी को निकालते रहते हैं ।
जापान के फुकुशिमा में ११ मार्च के ज़लज़ले और उसके पीछे पीछे आई सुनामी ने इस शीतलन प्रणाली को ही नष्ट कर दिया .तमाम वाटर पम्पों को ठप्प कर दिया था . बाहर से बिजली लेकर जेन्रेतर्स की मदद से पम्पों को चालू ज़रूर किया गया लेकिन सुनामी ने इसे भी नष्ट कर दिया .वहां बोइलिंग वाटर रिएक्टर बाकायदा ज़िरकोनियम केन्स में था .सुराक्षा के पूरे इंतजाम थे .लेकिन सुरक्षा कभी निर्दोष नहीं रहती .प्रकृति के आगे सब इंतजामात धरे रह जातें हैं .
नतीजा ईंधन छड़े ज़रुरत से ज्यादा गर्मी खाकर पिघलने लगी .मेल्ट डाउन हो गया ।
तभी से रेडियो धर्मी विकिरण रिसाव की समस्या विकत से विकराल होती जा रही है .समुद्री जल में भी इक करोड़ बेक्रील रेडियो -विकिरण चला आया है .
व्हाट इज ए न्यूक्लीयर चैन रिएक्शन ?
ए न्यूक्लीयर चैन रिएक्शन इज वन इन व्हिच डी एनर्जी (न्युट -रोन )स्टार्टिंग दी न्यूक्लीयर रिएक्शन इज अवेलेबिल अट दी एंड ऑफ़ दी रिएक्शन .ऑन दी अवरेज १.६ न्युट -रोंस पर फिशन आर अवेलेबिल व्हिच कीप्स दी रिएक्शन गोइंग ,हेंस दी नेम चैन रिएक्शन .
रविवार, 27 मार्च 2011
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