एनी नोटिसेबिल डिफ़रेंस बिटवीन मेन एंड वोमेन व्हेन इट कम्स टू मेरिज और डिवोर्स ?
अध्ययन से यह बेशक पुष्ट हुआ वे मर्द जिनका वैवाहिक जीवन सुख संतोष से भरा रहा जिन्हें विवाह रास आया वे लम्बी उम्र पा गये स्वस्थ भी रहे .
लेकिन वह मर्द जिनका वैवाहिक जीवन कलह पूर्ण रहा ,सम्बन्ध टूटा ,लौटके जिन्होंने फिर विवाह रचाया फिर जिनका तलाक हुआ ,वे इक दम से टूट गए .उनके असमय ही मरने का जोखिम एकदम से बढ़ गया ।
लेकिन औरतें जो इस प्रकार की असफल शादी से बाहर आग गईं ,फिर से संभल गईं ,ज़िन्दगी से जुड़ गईं .यहाँ तक की जो विधवा हो गईं वह भी इस हादसे को झेल गईं ,जीवन और जगत से फिर जुड़ गईं ,उन्होंने दोस्तों का भरोसा किया जबकि विधुर सोसल नेटवर्क के लिए बिछड़े जीवन साथी के विरह में कराहते रहे .तबाह हो गए .अपने को फिर लौटकर संभाल नहीं सके.उनके संबंधों का सामाजिक ताना बाना भी बिखर गया ।
कबीर याद आ रहें हैं जिन्होंने लिखा :
"मन फूला फूला फिरे ,जगत में झूंठा नाता रे ,
जब तक जीवे माता रोवे ,बहन रोये दस मासा रे ,
तेरह दिन तक तिरिया रोवे ,फेर करे घर वासा रे ।
बला की शक्ति है औरत में दुखों से पार जाने की ,गिरके संभलने की .यही लब्बोलुआब रहा इस अध्ययन का .
सोमवार, 21 मार्च 2011
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