सैलून्स और स्पाज़ से सेहत को कितने हैं खतरे ?
केराटिन हेयर ट्रीटमेंट लेने गई थी वह मोहतरमा लोसेंजिलीज़ के इक सैलून पर इस उम्मीद के साथ ,दो महीने तकजी हाँ दो महीने तक वह रेशमी -लट बालों की (सिल्की स्ट्रेट लोक्स)बनाए रख सकेंगी ।
दो घंटे तक उनकी आँखों में जलन होती रहेगी और गले में कफ़ की खिच- खिच(सॉर थ्रोट )लेकर लौटेंगी वह इसका उन्हें कोसों दूर तक अंदेशा न था ।
हेयर स्टाइल की माहिर ने उन्हें पहनने के लिए गोगिल्स नाहक नहीं दिए थे ,लेकिन आखों में होने वाली जलन ज़ारी रही थी ।
तब उन्हें और भी ज्यादा धक्का लगा जब पता चला ,ट्रीटमेंट में "फोर्मल -डिहाइड"भी स्तेमाल किया गया है .बकौल एन -वाय्रंमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी (ई. पी .ए .)यह रसायन इक विख्यात कार्सिनोजन है .कैंसर पैदा करने वाला रसायन है .,होमो -सेपियंस के लिए ।
पे -डी -क्युओर ट्ब्समें फंगस का डेरा रहता है (पाद सौंदर्य लेकिन किस कीमत पर ?).योर वेक्सर शुल्ड नोट डबल डिप).लेकिन सुनता कौन है ।?
हर रोज़ नए खतरे सैलून्स और स्पाज़ से पैदा हो रहें हैं लेकिन न उपभोक्ता का न सैलून मालिकों का और न ही नियामक संस्थाओं का बस चलता है ,कुछ कर सकें इन खतरों का वजन घटाने के लिए .इस श्रृंखला में इन्हीं खतरों की चर्चा होगी .(ज़ारी ...).
गुरुवार, 24 मार्च 2011
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