इधर अमेरिका में एक स्कूल(एज -टाउनपब्लिक स्कूल ) का पेरेंट्स ने इसलिए घेराव किया है ,वहां एक ऐसे बच्चे की वजह से जिसे पीनट एलर्जी है स्कूल तमाम बच्चों पर उस एक बच्चे को सुरक्षित माहौल मुहैया करवाने के लिए बेकार के नियम कायदे थोप रहा है .
पेरेंट्स की दलील है इन सब कायदे कानूनों की पालना में बाकी बच्चों के अधिकार में कटौती हो रही है गैर अकादमिक बातों में समय भी बर्बाद हो रहा है .इन लोगों ने स्कूल से उस बच्चे को हठाने की मांग छेड़ दी है .देर सवेर ऐसी मांग अन्यत्र भी उठ सकती है ।
उधर बच्चे के माँ -बाप का कहना है बाकी बच्चों की तरह उनके बच्चे को भी स्कूल में पढने का हक़ हासिल है ।
अमरीकी डिस -एबिलितीज़ ला के तहत स्टुडेंट एलर्जी को हैंडीकैप में गिना जाता है ।
सवाल यह है क्या स्कूल के पास ऐसे और अन्य विकलांगताओं से ग्रस्त यथा एच आइवी ,आटिज्म आदि से ग्रस्त बच्चों के लिए अलग से कानूनन प्रबंध है ?
बच्चों को लंच बोक्स क्लास रूम से बाहर छोड़ने को कहा गया है ।
लंच के बाद हाथ धौ कर ही क्लास में आने के लिए कहा गया है ।
किसी ख़ास बिंदु ,बात ,मौके पर उन्हें माउथ रिंस करने के लिए भी कहा जाता है .
देखा जाए तो ये तमाम अच्छी ही आदतें हैं स्वास्थ्य विज्ञान की नजर में .लेकिन सवाल माँ -बाप की जिद और कायदे कानूनों प्रावधानों का है वह क्या कहतें हैं ।
इधर १९९७ -२००७ के बीच सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक़ १८ साल से नीचे के किशोर किशोरियों में १८% एलार्जीज़ के मामले बढ़ गएँ हैं .इनमे फ़ूड एलार्जीज़ भी हैं ।
हम एक बेहद सेनिताइज़्द समाज में चले आयें हैं जहां तरह तरह के ज़रासीमों (जर्म्स )से लड़ने का हमारा माद्दा (इम्युनिटी )कम हो रही है ।
मूंग फली तो हवाई ज़हाज़ में भी सर्व की जाती है .सौस में भी है .कैसे इसका विनियमन हो ?बेशक यह कुछ लोगों के लिए मौत का सामान है .डेंजरस एलार्जीज़ का सबब बनती है .
शुक्रवार, 25 मार्च 2011
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