प्रोपेशिया और प्रोस्कार ट्रेड नेम से बिकने वाली दवा"फिना -स्टेराइड " जिसे दवा निगम मर्क बाज़ार में उतारता है गंजपन से निजात दिलवाने के नाम पर वह सिर पे बाल तो उगा देती है लेकिन बतौर अ -वांछित प्रभाव "लो लिबिडो ,"ओर्गेज़म (कामोत्तेजना के शीर्ष पर न पहुँच पाना ),लिगोथ्थान अभाव (इरेक्टाइल डिस -फंक्शन )का सबब बनती है और दवा बंद करने के बाद भी ये पार्श्व प्रभाव बने रहतें हैं यही लब्बो -लुआब है एक अध्ययन का जो "सेक्स्युअल मेडिसन "जर्नल में प्रकाशनाधीन है ।
बेशक दवा के लेविल पर इन पार्श्व प्रभावों की चेतावनी है इत्तला है लेकिन यह जानकारी भी सिर्फ यु .के .और स्वीडन के उपभोक्ताओं को मुहैया करवाई गई है अमरीकियों को नहीं ।
जबकि इन साइड इफेक्ट्स में मनो -वैज्ञानिक असर भी दवा के शामिल है ।
लेकिन इन्हें रिवार्सिबिल ही बतलाया गया है जबकि २१ -७६ साला मर्दों के एक हालिया सर्वे से पता चला है ,दवा बंद करने के तीन माह बाद भी ये पार्श्व प्रभाव बने रहतें हैं जिनमे शीर्ष से पहले स्खलन (प्री -मेच्युओर इजेक्युलेशन और इरेक्टाइल डिस -फंक्शन भी शामिल है .
और तीन माह तो न्यूनतम अवधि रही है इन लक्षणों के बने रहने की जबकि सर्वे में शरीक रहे कुछ लोगों के मामलेमे यह अवांछित प्रभाव ५-१० साल तक भी बने रहें हैं ।
जबकि ये तंदरुस्त लोग थे इनके साथ न कोई मेडिकल प्रोब्लम्स थीं (रोगों का इतिहास था )न कोई मनो -विकार आदि से ग्रस्त थे ये लोग .
अध्ययन में शरीक कुछ लोगों ने तो फिना -स्टेराइड लेदेकर चंद रोज़ ही आजमाई थी गंजपन से निजात के लिए इनमे से भी ९४ %को यौन संबंधों में अरुचि बनी रही (लो सेक्स्युअल डिजायर )९२ % को कामोत्तेजना में कमी महसूस हुई . ९२ %ने लिंगोथ्थान अभाव की शिकायत बतलाई ,६९ %को मैथुन के शिखर को छूने (क्लाइमेक्स ,ओर्गेज़म )में दिक्कत हुई ।
औसतन प्रतियोगियों ने २८ माह तक फिना -स्टेराइड ली थी .औसतन सेक्स्युअल प्रोब्लम्स की शिकायत इन्हें ४० माह तक बनी रही .जबकि इनमे से १०%दवा सिर्फ लेदेकर एक माह तक ही ली थी .
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