बुधवार, 30 अप्रैल 2014

स्टडी: ब्लड सेल्स में वाई क्रोमोसोम की कमी घटाती है उम्र

स्टडी: ब्लड सेल्स में वाई क्रोमोसोम की कमी 

घटाती है उम्र


Y-Chromosome
देखना! Y क्रोमोसोम को न हो नुकसान 

अभी तक आपने वाई क्रोमोसोम की भूमिका को लिंग निर्धारण और स्पर्म के प्रॉडक्शन से जुड़ा सुना-देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ पुरुषों में पाए जाने वाले इस क्रोमोसोम का नाता जीवन की अवधि से भी है। 
आम तौर पर यह देखा गया है कि पुरुषों की जिंदगी महिलाओं की तुलना में कम होती है। लेकिन स्वीडन की उपसाला यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ब्लड में वाई क्रोमोसोम की कमी और छोटी जिंदगी के बीच संबंध ढूंढ निकाला है। साथ ही, इसका रिश्ता कैंसर जनित ऊंची मृत्यु दर से भी है। अगर आप कैंसर जनित रोगों से मौतों की तुलना करें तो महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की उम्र छोटी होती है। हालांकि अभी तक वह मेकेनिजम नहीं खोजा जा सका है, जो वाई (पुरुष) और एक्स (महिलाओं) क्रोमोसोम के बीच उम्र के फासले की वजह बता सके। 
यों तो सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में ताउम्र बदलाव होते रहते हैं, जिनका कैंसर और डायबीटीज जैसी बीमारियों से सीधा नाता है। स्टडी के दौरान 1600 वयस्क पुरुषों के ब्लड सैंपल से लिए गए डीएनए की जांच की गई। इसमें श्वेत रक्त कणिकाओं के अनुपात में वाई क्रोमोसोम को नुकसान के तौर पर सबसे आम जेनेटिक बदलाव देखने को मिला। इन पुरुषों पर कई साल की रिसर्च के बाद ही शोधकर्ता कम उम्र और वाई क्रोमोसोम में नुकसान के बीच रिश्ता स्थापित कर सके। 

उपसाला यूनिवर्सिटी के लार्स फोर्सबर्ग कहते हैं जिन पुरुषों की रक्त कणिकाओं में वाई क्रोमोसोम की कमी आनुपातिक रूप से बड़े पैमाने पर देखी गई, वे कम जिए। हालांकि मौत की वजह चाहे जो भी रही हो। हमने कैंसर से मरने के मामलों और वाई क्रोमोसोम में कमी के बीच भी नाता ढूंढ निकाला है। इसी यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनॉलजी में प्रोफेसर जैन डुमान्स्की कहते हैं कि हमने वाई क्रोमोसोम के बारे में सुना हो कि यह क्रोमोसोम बहुत छोटा, महत्वहीन और इसमें बहुत कम जिनेटिक इन्फर्मेशन होती है, लेकिन यह सच नहीं है। हमारे नतीजे दिखाते हैं कि ट्यूमर को दबाने में इसकी भूमिका है और यह भी पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कैंसर ज्यादा क्यों होता है। हमारा रिसर्च आगे चलकर पुरुषों में कैंसर होने की आशंका की भविष्यवाणी करने में अहम साबित हो सकता है। 
2008 के आंकड़ों को देखें तो एक दशक पहले की तुलना में पुरुष 4.6 वर्ष ज्यादा जीए और महिलाओं को देखें तो वह पुरुषों से भी 3 साल ज्यादा जीवित रहीं। जीवन प्रत्याशा देखें तो महिलाओं की औसत आयु 67.7 साल, वहीं पुरुषों की उम्र 64.6 वर्ष आंकी गई। 2002 के आंकड़ों की तुलना में महिलाओं की उम्र में जहां 2.5 वर्ष का इजाफा देखा गया, वहीं पुरुषों की उम्र में यह उछाल 1.8 वर्ष रहा।



Y chromosome loss may shorten lifespan and up cancer risk

Y chromosome loss may




 shorten lifespan and up 



cancer risk





मनुष्यों में पुरुष एक एक्स -वाई तथा महिला एक्स -एक्स 


गुणसूत्र लिए रहते हैं।लिंग भेद को परिभाषित करने वाले  


वाई -


गुणसूत्र   से ही हमारी जीवन -अवधि हमारी उम्र की नव्ज़ 


जुड़ी  है  . हमारी रक्त कोशाओं में वाई क्रोमोसोम्ज़ का ह्रास 


कई रोगों यथा कैंसर समूह के रोगों से जुड़ा है।उम्र के 


कमतर 


रह जाने से भी।  एक्स -एक्स 


जोड़े की वजह से ही महिलाओं की उम्र पुरुषों से थोड़ी ज्यादा 


रहती है। वाई -गुणसूत्र की तुलना में एक्स पर ज्यादा 


गुणसूत्र भले विराजमान हैं लेकिन वाई की भी अपनी 


ख़ास 


भूमिका रहती है इससे इंकार करना मुमकिन नहीं हैं।ट्यूमर 


का शमन करने की कूवत लिए है वाई -गुणसूत्र (वाई 


क्रोमोसोम ) दोनों 


ही गुणसूत्र सूचनाओं के आगार हैं। वाई का छीज़ना भविष्य 


में एक बायो -मारकर का काम कर सकता है रोगों के होने से 


पहले 


रोगों की इत्तला दे सकता है ऐसा साइंसदानों ने हालिया 


शोधों से पता लगाया है पढ़िए इसी आशय की यह रिपोर्ट 


शोध की खिड़की से :




The loss of the Y chromosome in blood cells may be linked to a shorter lifespan and higher  risk in men, according to a new study. 

The analysis of the Y chromosome could in the future become a useful bio-marker to predict men's risk of developing cancer, researchers said. 

Men have a shorter average lifespan than women and both the incidence and mortality in cancer is higher in men than in women, they said. 

However, the mechanisms and possible risk factors behind this sex-disparity are largely unknown. Alterations in  of normal cells accumulate throughout our lives and have been linked to diseases such as cancer and diabetes. 

The study, led by Uppsala University researchers, shows a correlation between a loss of the Y chromosome in blood cells and both a shorter life span and higher mortality from cancer in other organs. 

The international team of researchers analysed the DNA in blood samples from a group of more than 1,600 elderly men. 


They found that the most common genetic alteration was a loss of the Y chromosome in a proportion of the white blood cells. 

The group of men was studied for many years and the researchers could detect a correlation between the loss of the Y chromosome and shorter survival. 

"Men who had lost the Y chromosome in a large proportion of their blood cells had a lower survival, irrespective of cause of death. We could also detect a correlation between loss of the Y chromosome and risk of cancer mortality," said Lars Forsberg, researcher at the Department of Immunology, Genetics and Pathology, who led the study. 

The Y chromosome is only present in men and the genes contained on the Y chromosome have so far mostly been associated with sex determination and sperm production. 

"You have probably heard before that the Y chromosome is small, insignificant and contains very little genetic information. This is not true," said Jan Dumanski, professor at the Department of Immunology, Genetics and Pathology. 

"Our results indicate that the Y chromosome has a role in tumour suppression and they might explain why men get cancer more often than women. We believe that analyses of the Y chromosome could in the future become a useful general marker to predict the risk for men to develop cancer," said Dumanski. 

The study was published in the journal Nature Genetics.

  1. Business Standard ‎- 1 day ago
    The loss of the Y chromosome in blood cells may be linked to a shorter lifespan and higher cancer risk in men, according to a new study.

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

आरोग्य एवं विज्ञान समाचार

आरोग्य एवं विज्ञान समाचार

आरोग्य  एवं विज्ञान समाचार 

(१) कामोद्दीपक वियाग्रा की तरह कार्यकर सकता है तरबूज़ (watermelon )क्योंकि इसमें मौजूद सिट्रुलीन  एमिनो अम्ल वही काम कर सकता है जो एंजाइना के मरीज़ों में जीभ के नीचे रखी जाने वाली गोली करती है। धमनियों को चौड़ा कर देती है सिट्रुलीन । दरसल हमारा शरीर तंत्र सिट्रुलीन का इस्तेमाल आर्जिनिन (arginine )बनाने में करता है जो नाइट्रिक आक्साइड के उत्पादन को हवा देता है जो ब्लड वेसिल्स को रिलेक्स करता है। 



(२ )ऐसे व्यायाम जिनमें आप स्थिर ,अचल अडोल बने रहतें हैं (stability exercises )पेशियों और दिमाग के बीच सम्प्रेषण (communication या connectivity )को बढ़ाते हैं। त्रिभंगी श्रीकृष्ण इसीलिए इतने प्रवीण हैं। एक टांग पर खड़े रहना इनकी आदत में शुमार था। 

(3)Cheetah out, mite is fastest land animal

तिल  सी बित्ता भर की कुटकी या बरूथी दौड़ में चीते को मात दे देती है। यह     नन्ना सा  परजीवी प्रति सेकिण्ड  चीता से २० गुना तेज़ दौड़ लेता है एक सेकिण्ड में अपनी कद काठी (शरीर की लम्बाई )से ३२२ गुना ज्यादा दूरी तय कर लेता है यह पैरासाइट। अब तक यह रिकार्ड एक औस्ट्रेलियाई गोबरैला (australian tiger beetle )के नाम दर्ज़ था। अब इसका श्रेय दक्षिणी केलिफोर्नियाई कुटकी (mite )के नाम दर्ज़ हो गया है। 

Mite sets new record as world's fastest land animal


A Southern California mite far outpaces the Australian tiger beetle, the current record-holder for running speed as measured in body lengths per second. By this measure, the mite runs 20 times faster than a cheetah and the equivalent of a person running 1300 miles per hour. The discovery is exciting not only because it sets a new world record, but also for what it reveals about the physiology of movement and the physical limitations of living structures, the researcher says.

Move over, Australian tiger beetle. There's a new runner in town.
Although the mite Paratarsotomus macropalpis is no bigger than a sesame seed, it was recently recorded running at up to 322 body lengths per second, a measure of speed that reflects how quickly an animal moves relative to its body size. The previous record-holder, the Australian tiger beetle, tops out at 171 body lengths per second. By comparison, a cheetah running at 60 miles per hour attains only about 16 body lengths per second.

Extrapolated to the size of a human, the mite's speed is equivalent to a person running roughly 1300 miles per hour.

The California college student who spent a summer chasing down the remarkable mites says the discovery is exciting not only because it sets a new world record, but also for what it reveals about the physiology of movement and the physical limitations of living structures.
"It's so cool to discover something that's faster than anything else, and just to imagine, as a human, going that fast compared to your body length is really amazing," said Samuel Rubin, a junior and physics major at Pitzer College who led much of the fieldwork to document the mite's movements. "But beyond that, looking deeper into the physics of how they accomplish these speeds could help inspire revolutionary new designs for things like robots or biomimetic devices."
Rubin's advisor, Jonathan Wright, Ph.D., a professor of biology at Pomona College, became interested in the mites while studying the effect of muscle biochemistry on how quickly animals can move their legs. But it wasn't until Rubin and other students documented the mites' running speeds in their natural environment that the research team knew they had found a new world record.
Both relative speed and stride frequency increase as animals get smaller, and in theory, muscle physiology should at some point limit how fast a leg can move. "We were looking at the overarching question of whether there is an upper limit to the relative speed or stride frequency that can be achieved," said Wright. "When the values for mites are compared with data from other animals, they indicate that, if there is an upper limit, we haven't found it yet."
The mite is local to Southern California and is often found running along rocks or sidewalks. Although it was first identified in 1916, little is known about its habits or food sources.
The research team used high-speed cameras to record the mites' sprints in the laboratory and in their natural environment. "It was actually quite difficult to catch them, and when we were filming outside, you had to follow them incredibly quickly as the camera's field of view is only about 10 centimeters across," said Rubin.
The research team was also surprised to find the mites running on concrete up to 140 degrees Fahrenheit (60 degrees Celsius), a temperature significantly higher than the upper lethal temperature of most animals. "They're operating at temperatures that seem to preclude activities of any other animal group. We've seen them running where there were no other animals visibly active," said Wright.

The mites also are adept at stopping and changing directions extremely quickly, attributes the researchers are investigating further for potential insights that may be relevant to bioengineering applications.
Samuel Rubin presented the team's findings during the Experimental Biology 2014 meeting (http://www.experimentalbiology.org/) on Sunday, April 27, 2014.
This study was funded by the Howard Hughes Medical Institute Undergraduate Science Program.



ASHINGTON: Move over Usain Bolt, there's a new runner in town! A Southern California mite has set a new record as world's fastest land animal and the little creature can run 20 times faster than a cheetah and the equivalent of a person running 2,092km per hour, scientists say. 

The mite far outpaces the Australian tiger beetle, the current record-holder for running speed as measured in body lengths per second. The beetle runs 171 body lengths per second. Although the mite — Paratarsotomus macropalpis — is no bigger than a sesame seed, it was recorded 



  1. Times of India ‎- 4 hours ago
    Move over Usain Bolt, there's a new runner in town! A Southern California mite has set a new record as world's fastest land animaland the little ...