डायबिटीज़ को धीमी मौत इसलिए कहाजाता है क्योंकि इसमें रोग हो जाता है और व्यक्ति तत्काल प्रकट न होने वाले लक्षणों की वजह से इससे बेखबर ही बना रहता है ऐसे में ग्लूकोज़ का खून में बढाहुआ स्तर शरीर के अंदरूनी हिस्सों ,पर्मुख अंगों गुर्दों ,ह्रदय आदि को अन्दर -ही -अन्दर नुकसान पहुंचाता रहता है .इसलिए तीस साल की उम्र में पहला चेक अप होना ही चाहिए ।
क्योंकि यह एक जीवन शैली रोग है जो लगातार युवा लोगों को भी जो रात की पालियों में काम कर रहें हैं तथा जिनके काम के घंटे नियत हैं न सोने के ,लगातार अपनी चपेट में लेता जारहा है ।
अलबत्ता रोगी इस रोग के साथ सही जीवन शैली अपना कर तालमेल बिठाए रख सकता है एक सामान्य व्यक्ति की तरह ।
नियमित खानपान ,(परम्परा गत भारतीय शाकाहारी थाली ),व्यायाम ,योग और तनाव प्रबंधन रोग की मार से पेचीला पन से बचाए रख सकता है .दवा भी ज़रूरी होने पर नियमनिष्ठ होकर लेनी पडती है .अपनी नहीं चला सकते आप .क्या करना है आपको यह आपका पडोसी नहीं कोई और हमदर्द या परामर्शदाता ,निश्शुल्क डॉ नहीं ,दाय्बेटोलोजिस्ट ही जानता है .
बुधवार, 16 मार्च 2011
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1 टिप्पणी:
धन्यवाद भाई अच्छी जानकारी है
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