गुरुवार, 29 सितंबर 2011

HAPPY BIRTHDAY DEAR HEART

HAPPY BIRTHDAY DEAR HEART
Your heart has an age ,and this World Heart Day I decided to wish it a Happy Birthday।
दिल की सलामती के लिए कुछ छोटी छोटी बातें बड़े काम की सिद्ध हो सकतीं हैं :-
(१)शोपिंग से पहले घर से ही कुछ हलका फुलका स्वास्थ्यकर भोजन खाके निकलिए आम प्रवृत्ति है हम भारतीयों की शोपिंग के बाद बाज़ार में कुछ चाट पकौड़ी ,पानी पूरी गोलगप्पे खाने की ।
(२)पसंदीदा संगीत एक सक्षम तनाव -रोधी है .अच्छे संगीत के साथ आपका दिल भी मस्ती में झूमता गाता इतराता है .रोज़ सुनिए अपने दिल की थिरकन ।
(३)खाना पकाते वक्त खाना टेस्ट मत करिए .खाने के मेज पर अच्छी भूख लेकर जाइए .दिल से खाइए ।
(४)एक अंडे में २१० मिलीग्राम कोलेस्ट्रोल होता है .३०० मिलीग्राम से ज्यादा खुराकी कोलेस्ट्रोल दिल के लिए अच्छा नहीं है .(वैसे एग यलो यानी सन साइड ऑफ़ दी एग को लेकर विवाद है कुछ लोग इसे निकाल देते हैं ,खाते नहीं हैं ,कुछ खुराक के माहिर इसे सेहत के लिए अच्छा बताते हैं आप अपने माहिर की बात मानिए .हमारा ओर्थोपीडिशियाँ अस्थि रोग माहिर एक अंडा रोज़ खाने की सलाह देता है हृद विज्ञानी मनाही करता है ।).
(५)हृद सम्वाहिकीय रोग (कार्डियोवैस्क्युँलर डिजीज ) हर बरस १७.१ मिलियन लोगों की जान लेलेतें हैं ।
कसरत के लिए अवकाश युक्त सक्रिय जीवन शैली ,सेहत के माफिक खानपान ,सिगरेट शराब से परहेजी कमोबेश इन रोगों का निवाला बनने से रोके रख सकती है ।
(६)लाफ्टर शो ,हंसी मज़ाक से भरपूर मनोरंजक कार्यक्रम देखिए ,मनहूस ,तनाव रिसाते धारावाहिक दरकिनार करिए ।
Your heart has an age ,and this World Heart Day I decided to wish it a Happy Birthday।
Watch a comedy movie or a funny play because what tickles your funny bone also keeps your heart happy ।
(७)खाने पीने से ताल्लुक रखने वाली एक फ़ूड डायरी बनाइये देखिए आप आदतन बिना भूख के खा रहें हैं या भूख लगने पर ही खातें हैं .अपने दिल पर भी नजर रखिए .काबू रखिये ।
(८)जब भी आप सिगरेट सुलगातें हैं ढाई सौ खतरनाक रासायनिक यौगिक आप अन्दर लेतें हैं .जीवन को चुनिए धुयें को नहीं ।
(९)पूरा सोइए सात घंटा कमसे कम रोजाना .स्ट्रेस और टेंशन को गुड नाईट कहिये दिल को गुड मोर्निंग
(१०)ज़रुरत से ज्यादा एल्कोहल का सेवन खून में ट्राईग्लिस्राइद्स के स्तर को बढाता है .बिंज ड्रिंकिंग बिलकुल नहीं .बेहिसाब पीना खतरे में जीना ।
(११)नियमित व्यायाम आपके ब्लड प्रेशर को कम करके स्ट्रोक (ब्रेन अटेक )के खतरे को २० %कम करता है .अपने लिए न सही अपने दिल के लिए कसरत कीजिए दिल से ही दिमाग तक पहुंचता है खून का थक्का .दिल दुरुस्त तो दिमाग दुरुस्त ।
(१२)बस आधा घंटा तेज़ कदमी सप्ताह में चार बार कीजिए दिल की बीमारियों के खतरे को कम कीजिए .दिल औ दिमाग को जवान बनाये रहिये ।
(१३)योग है स्ट्रेस का पुख्ता ज़वाब .घंटा भर का योग दिल को आनंद से भर देता है चाहे फिर वह सहज अनुकरणीय राज योग हो जिसकी दीक्षा ब्र्हमाकुमारीज़ ईश्वरीय केंद्र देतें हैं या योग की कोई और शैली ।


Eating fish helps lower risk of strokes :Study

Eating
fish helps lower risk of strokes :स्टडी
एक अंतर -राष्ट्रीय स्तर पर संपन्न अध्ययन के विश्लेषण के मुताबिक़ उनलोगों के लिए ब्रेन अटेक (सेरिब्रोवैस्क्युलर एक्सीडेंट या स्ट्रोक )की संभावना घटकर थोड़ा सा कम ज़रूर हो जाती है जो हफ्ते में एकाधिक बार मच्छी खाया करते हैं ।
वजह बनतें हैं ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स (ओमेगा-३ वसीय अम्ल ) जो मच्छी में मौजूद होतें हैं ।
ब्लड प्रेशर और खून में घुली चर्बी कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करके ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स स्ट्रोक के खतरे के वजन को कम करतें हैं .
स्वीडन के कैरोलिंस्का संस्थान (Sweden's Karolinska Institutet)के साइंसदान Susanna Larsson and Nicola Orsini ने संपन्न किया है यह अध्ययन .


Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk

Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk
साइंसदानों के मुताबिक़ दिन का आगाज़ एक ग्लास संशाधित जूस से करना कोई अकलमंदी नहीं है सेहत के लिए यह उतना मुफीद है नहीं ।
ऑस्ट्रेलियाई साइंसदानों ने कोई २००० लोगों की रोजमर्रा की खुराक का अध्ययन कर पता लगाया है कि रोज़ -बा - रोज़ जो लोग जूस लेते हैं वह कैंसर से बचाव न करके कई किस्म के कैंसरों की वजह भी बन सकता है क्योंकि इसमें ज़रुरत से ज्यादा शक्कर मौजूद रहती है .
संशाधन की प्रक्रिया तमाम तरह के पोषक मान और सेहत को होने वाले लाभ को ही ले उडती है ।
पर्थ स्थित पश्चिम औस्ट्रेलिया में चिकित्सा शोध संस्थान ने तरह तरह के जूस फल और तरकारियों की कैंसर को मुल्तवी रखने में कारगरता की पड़ताल करने के लिए तकरीबन २०० ० लोगों की खुराक की पड़ताल की .इन सभी से एक प्रश्नावली भरवाई गई .
रिसर्चरों की टोली ने इन सभी पर दो साल तक नजर रखी ।
जहां एपिल्स ,अंकुरित अनाज ,ब्रोक्काली ,फूल गोभी नियमित खाने वालों के लिए के bowel cancerखतरे का वजन कम हुआ वहीँ फ्रूट जूस का ज्यादा सेवन करने वालों के लिए bowel cancer risk बढ़ गया .
पोषक तत्वों को नष्ट करती है चीनी यह अनेक बार पुष्ट हुआ है ।

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the aged

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the एजिड
अधुनातन कार्य स्थलों पर काम का दवाब युवा भीड़ की सेहत पर ज्यादा भारी पड़ रहा है बरक्स उनके उम्र दराज़ सहकर्मियों के .तीन हज़ार लोगों पर किए गए एक ब्रितानी सर्वे में जहां तीस साल से नीचे नीचे के युवाकर्मियों में से
दो तिहाई कर्मियों ने गत वर्ष औसतन एक सिक लीव कोल्ड्सऔर फ्ल्यू ,एलर्जीज़ और इनटोल्रेंसिज़ ,बढ़ते दवाब से आजिज़ आकर तालमेल न बिठाने के कारण लीं वहीँ उम्र दराज़५५ साल से भी ऊपर के लोगों ने इसी एवज आधे दिन से भी कम का टाइम आउट या छुट्टी पूरे साल में की .
यह बात भी सामने आई काम के दौरान रन डाउन फीलिंग,रोज़ बा रोज़ बढती थकान ,एवं द्विगुणित होता दवाब सिक लीव लेने की वजह युवा भीड़ के लिए ही बना न कि उनके उम्र दार साथियों के लिए ।
डेली मेल ने इस सर्वे की रिपोर्ट को छापा है .पता चला १८-२९ साला हरेक पांच में से एक युवा बढ़ते दवाब से तालमेल न बिठा पाने के चलते अस्वस्थता अवकाश (आकस्मिक अवकाश )लेने को मजबूर हुआ ,काम की टूटन कारण बनी ।
कब्ज़ और कार सिकनेस जैसी वजहों से भी तंग आकर यह वर्ग आकस्मिक अवकास लेते देखा गया ।
जबकी ५५साल से ऊपर के ८५%लोगों का कहना था जब तक वे बिस्तर ही नहीं पकड़ लेते वह सिक लीव लेने की बात दिमाग में भी नहीं लातें हैं ।
यह भी पता चला युवा भीड़ नियमित तौर पर कबाड़िया जंक फ़ूड तुरता बासा भोजन ले रही थी इनके दिन भर में पांच फल और तरकारी का सेवन करने की संभावना भी उम्र दराज़ लोगों से आधी ही पाई गई .

बुधवार, 28 सितंबर 2011

Eating fish helps lower risk of strokes :Study

Eating
fish helps lower risk of strokes :स्टडी
एक अंतर -राष्ट्रीय स्तर पर संपन्न अध्ययन के विश्लेषण के मुताबिक़ उनलोगों के लिए ब्रेन अटेक (सेरिब्रोवैस्क्युलर एक्सीडेंट या स्ट्रोक )की संभावना घटकर थोड़ा सा कम ज़रूर हो जाती है जो हफ्ते में एकाधिक बार मच्छी खाया करते हैं ।
वजह बनतें हैं ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स (ओमेगा-३ वसीय अम्ल ) जो मच्छी में मौजूद होतें हैं ।
ब्लड प्रेशर और खून में घुली चर्बी कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करके ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स स्ट्रोक के खतरे के वजन को कम करतें हैं .
स्वीडन के कैरोलिंस्का संस्थान (Sweden's Karolinska Institutet)के साइंसदान Susanna Larsson and Nicola Orsini ने संपन्न किया है यह अध्ययन .

बुधवार, २८ सितम्बर २०११

Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk

Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk
साइंसदानों के मुताबिक़ दिन का आगाज़ एक ग्लास संशाधित जूस से करना कोई अकलमंदी नहीं है सेहत के लिए यह उतना मुफीद है नहीं ।
ऑस्ट्रेलियाई साइंसदानों ने कोई २००० लोगों की रोजमर्रा की खुराक का अध्ययन कर पता लगाया है कि रोज़ -बा - रोज़ जो लोग जूस लेते हैं वह कैंसर से बचाव न करके कई किस्म के कैंसरों की वजह भी बन सकता है क्योंकि इसमें ज़रुरत से ज्यादा शक्कर मौजूद रहती है .
संशाधन की प्रक्रिया तमाम तरह के पोषक मान और सेहत को होने वाले लाभ को ही ले उडती है ।
पर्थ स्थित पश्चिम औस्ट्रेलिया में चिकित्सा शोध संस्थान ने तरह तरह के जूस फल और तरकारियों की कैंसर को मुल्तवी रखने में कारगरता की पड़ताल करने के लिए तकरीबन २०० ० लोगों की खुराक की पड़ताल की .इन सभी से एक प्रश्नावली भरवाई गई .
रिसर्चरों की टोली ने इन सभी पर दो साल तक नजर रखी ।
जहां एपिल्स ,अंकुरित अनाज ,ब्रोक्काली ,फूल गोभी नियमित खाने वालों के लिए के bowel cancerखतरे का वजन कम हुआ वहीँ फ्रूट जूस का ज्यादा सेवन करने वालों के लिए bowel cancer risk बढ़ गया .
पोषक तत्वों को नष्ट करती है चीनी यह अनेक बार पुष्ट हुआ है ।

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the aged

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the एजिड
अधुनातन कार्य स्थलों पर काम का दवाब युवा भीड़ की सेहत पर ज्यादा भारी पड़ रहा है बरक्स उनके उम्र दराज़ सहकर्मियों के .तीन हज़ार लोगों पर किए गए एक ब्रितानी सर्वे में जहां तीस साल से नीचे नीचे के युवाकर्मियों में से
दो तिहाई कर्मियों ने गत वर्ष औसतन एक सिक लीव कोल्ड्सऔर फ्ल्यू ,एलर्जीज़ और इनटोल्रेंसिज़ ,बढ़ते दवाब से आजिज़ आकर तालमेल न बिठाने के कारण लीं वहीँ उम्र दराज़५५ साल से भी ऊपर के लोगों ने इसी एवज आधे दिन से भी कम का टाइम आउट या छुट्टी पूरे साल में की .
यह बात भी सामने आई काम के दौरान रन डाउन फीलिंग,रोज़ बा रोज़ बढती थकान ,एवं द्विगुणित होता दवाब सिक लीव लेने की वजह युवा भीड़ के लिए ही बना न कि उनके उम्र दार साथियों के लिए ।
डेली मेल ने इस सर्वे की रिपोर्ट को छापा है .पता चला १८-२९ साला हरेक पांच में से एक युवा बढ़ते दवाब से तालमेल न बिठा पाने के चलते अस्वस्थता अवकाश (आकस्मिक अवकाश )लेने को मजबूर हुआ ,काम की टूटन कारण बनी ।
कब्ज़ और कार सिकनेस जैसी वजहों से भी तंग आकर यह वर्ग आकस्मिक अवकास लेते देखा गया ।
जबकी ५५साल से ऊपर के ८५%लोगों का कहना था जब तक वे बिस्तर ही नहीं पकड़ लेते वह सिक लीव लेने की बात दिमाग में भी नहीं लातें हैं ।
यह भी पता चला युवा भीड़ नियमित तौर पर कबाड़िया जंक फ़ूड तुरता बासा भोजन ले रही थी इनके दिन भर में पांच फल और तरकारी का सेवन करने की संभावना भी उम्र दराज़ लोगों से आधी ही पाई गई .

Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk

Skip fruit juice ,cut bowel cancer risk
साइंसदानों के मुताबिक़ दिन का आगाज़ एक ग्लास संशाधित जूस से करना कोई अकलमंदी नहीं है सेहत के लिए यह उतना मुफीद है नहीं ।
ऑस्ट्रेलियाई साइंसदानों ने कोई २००० लोगों की रोजमर्रा की खुराक का अध्ययन कर पता लगाया है कि रोज़ -बा - रोज़ जो लोग जूस लेते हैं वह कैंसर से बचाव न करके कई किस्म के कैंसरों की वजह भी बन सकता है क्योंकि इसमें ज़रुरत से ज्यादा शक्कर मौजूद रहती है .
संशाधन की प्रक्रिया तमाम तरह के पोषक मान और सेहत को होने वाले लाभ को ही ले उडती है ।
पर्थ स्थित पश्चिम औस्ट्रेलिया में चिकित्सा शोध संस्थान ने तरह तरह के जूस फल और तरकारियों की कैंसर को मुल्तवी रखने में कारगरता की पड़ताल करने के लिए तकरीबन २०० ० लोगों की खुराक की पड़ताल की .इन सभी से एक प्रश्नावली भरवाई गई .
रिसर्चरों की टोली ने इन सभी पर दो साल तक नजर रखी ।
जहां एपिल्स ,अंकुरित अनाज ,ब्रोक्काली ,फूल गोभी नियमित खाने वालों के लिए के bowel cancerखतरे का वजन कम हुआ वहीँ फ्रूट जूस का ज्यादा सेवन करने वालों के लिए bowel cancer risk बढ़ गया .
पोषक तत्वों को नष्ट करती है चीनी यह अनेक बार पुष्ट हुआ है ।

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the aged

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the एजिड
अधुनातन कार्य स्थलों पर काम का दवाब युवा भीड़ की सेहत पर ज्यादा भारी पड़ रहा है बरक्स उनके उम्र दराज़ सहकर्मियों के .तीन हज़ार लोगों पर किए गए एक ब्रितानी सर्वे में जहां तीस साल से नीचे नीचे के युवाकर्मियों में से
दो तिहाई कर्मियों ने गत वर्ष औसतन एक सिक लीव कोल्ड्सऔर फ्ल्यू ,एलर्जीज़ और इनटोल्रेंसिज़ ,बढ़ते दवाब से आजिज़ आकर तालमेल न बिठाने के कारण लीं वहीँ उम्र दराज़५५ साल से भी ऊपर के लोगों ने इसी एवज आधे दिन से भी कम का टाइम आउट या छुट्टी पूरे साल में की .
यह बात भी सामने आई काम के दौरान रन डाउन फीलिंग,रोज़ बा रोज़ बढती थकान ,एवं द्विगुणित होता दवाब सिक लीव लेने की वजह युवा भीड़ के लिए ही बना न कि उनके उम्र दार साथियों के लिए ।
डेली मेल ने इस सर्वे की रिपोर्ट को छापा है .पता चला १८-२९ साला हरेक पांच में से एक युवा बढ़ते दवाब से तालमेल न बिठा पाने के चलते अस्वस्थता अवकाश (आकस्मिक अवकाश )लेने को मजबूर हुआ ,काम की टूटन कारण बनी ।
कब्ज़ और कार सिकनेस जैसी वजहों से भी तंग आकर यह वर्ग आकस्मिक अवकास लेते देखा गया ।
जबकी ५५साल से ऊपर के ८५%लोगों का कहना था जब तक वे बिस्तर ही नहीं पकड़ लेते वह सिक लीव लेने की बात दिमाग में भी नहीं लातें हैं ।
यह भी पता चला युवा भीड़ नियमित तौर पर कबाड़िया जंक फ़ूड तुरता बासा भोजन ले रही थी इनके दिन भर में पांच फल और तरकारी का सेवन करने की संभावना भी उम्र दराज़ लोगों से आधी ही पाई गई .

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the aged

Work stress forcing youngsters to call in sick more than the एजिड
अधुनातन कार्य स्थलों पर काम का दवाब युवा भीड़ की सेहत पर ज्यादा भारी पड़ रहा है बरक्स उनके उम्र दराज़ सहकर्मियों के .तीन हज़ार लोगों पर किए गए एक ब्रितानी सर्वे में जहां तीस साल से नीचे नीचे के युवाकर्मियों में से
दो तिहाई कर्मियों ने गत वर्ष औसतन एक सिक लीव कोल्ड्सऔर फ्ल्यू ,एलर्जीज़ और इनटोल्रेंसिज़ ,बढ़ते दवाब से आजिज़ आकर तालमेल न बिठाने के कारण लीं वहीँ उम्र दराज़५५ साल से भी ऊपर के लोगों ने इसी एवज आधे दिन से भी कम का टाइम आउट या छुट्टी पूरे साल में की .
यह बात भी सामने आई काम के दौरान रन डाउन फीलिंग,रोज़ बा रोज़ बढती थकान ,एवं द्विगुणित होता दवाब सिक लीव लेने की वजह युवा भीड़ के लिए ही बना न कि उनके उम्र दार साथियों के लिए ।
डेली मेल ने इस सर्वे की रिपोर्ट को छापा है .पता चला १८-२९ साला हरेक पांच में से एक युवा बढ़ते दवाब से तालमेल न बिठा पाने के चलते अस्वस्थता अवकाश (आकस्मिक अवकाश )लेने को मजबूर हुआ ,काम की टूटन कारण बनी ।
कब्ज़ और कार सिकनेस जैसी वजहों से भी तंग आकर यह वर्ग आकस्मिक अवकास लेते देखा गया ।
जबकी ५५साल से ऊपर के ८५%लोगों का कहना था जब तक वे बिस्तर ही नहीं पकड़ लेते वह सिक लीव लेने की बात दिमाग में भी नहीं लातें हैं ।
यह भी पता चला युवा भीड़ नियमित तौर पर कबाड़िया जंक फ़ूड तुरता बासा भोजन ले रही थी इनके दिन भर में पांच फल और तरकारी का सेवन करने की संभावना भी उम्र दराज़ लोगों से आधी ही पाई गई .

FEW HEART TERMS


ON WORLD Heart Day TESTS FOR YOUR HEART

Sunday, September 27, 2011

ON WORLD Heart Day TESTS FOR YOUR HEART

ON WORLD Heart Day TESTS FOR YOUR heart
(१)अपना पारिवारिक चिकित्सा वृत्तांत जुटाइए जानिये किस को कब कौन सी दिल की बीमारी रही है ।
(२)अपना ब्लड प्रेशर चेक करवाइए ।
(३)लिपिड प्रोफाइल जानिये ।
(४)खून में शक्कर की पड़ताल करवाइए ।
(५)ई सी जी ,
(६) 2D Echo
(७)स्ट्रेस टेस्ट
(८)ब्लोकेड(खून की नालियों में रुकावट ,धमनी अवरोध ) का पता लगाने के लिए एन्जियोग्रेफ़ी .
ब्लड प्रेशर नम्बर्स :
नोर्मल ब्लड प्रेशर १२०/८० मिलीमीटर ऑफ़ मरकरी .
(120/80mmHg)कहलाता है .इसे बनाए रखने के लिए स्वस्थ जीवन शैली ज़रूरी है .
ऊपरी पाठ या अंक यहाँ सिस्टोलिक दाब कहलाता है .यह वह दाब है जो तब बनता है जब हमारा दिल रक्त पम्प करता उलीचता हुआ धडकता है ।
जब दो धडकनों के बीच दिल विश्राम करता है तब बनने वाला डायस्तोलिक दाब निचला अंक या पाठ कहलाता है ।

What is Pre-hypertension?
उत्तर है (१२०-१३९)/(८०-८९)mmHg

यानी जब ऊपरी पाठ १२० से लेकर १३९ तक हो और निचला पाठ ८०-८९ तक हो तब यह उच्च रक्त चाप से पूर्व की स्थिति है जो दिल के लिए रेड अलर्ट है .सावधानी न बरतने पर ,जीवन शैली न सुधारने पर दिल के लिए खतरे का वजन बढेगा और नतीजा होगा हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्त चाप .हाइपर का मतलब सामान्य से ऊपर रक्त चाप (इसका विलोम हाइपोटेंशन है यानी सामन्य से नीचे के स्तरों का रक्त दाब .)।
Hypertension has many stages
Stage 1 hypertension ?
(140-159)/(90-99)
इस स्थिति में यदि आपका ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं रहता है तब आपको एंटीहाइपरतेंसिव दवाओं की ज़रुरत पेश आयेगी .किसी माहिर से मिलना पड़ेगा ।
Stage 1 hypertension ?
(140-159)/(90-99)
Stage 2 Hypertension?
160 or even higher /100
यह एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है.डॉ के पास जाना ही पड़ेगा ,आगे क्या करना है वही फैसला करेगा ।
२४ घंटे में ब्लड प्रेशर ऊपर नीचे होता है सोते जागते विश्राम की स्थिति में यकसां नहीं रहता है .बच्चों के लिए इसका मान अलग होता है ।
Isolated systolic hypertension ?
५० साल से ज्यादा उम्र के लोगों में यह आम है उनका निचला पाठ सामान्य रह सकता है ऊपर वाला अंक बढा हुआ मिलता है .यानी सिस्टोलिक दाब ज्यादा रहता है लेकिन डायसिस्टोलिक अमूमन नोर्मल स्तर पर रहता है .
डॉ की मेज पर और डॉ को देखकर कुछ लोगों का ब्लड प्रेशर थोड़ा बढ़ जाता है इसे इसीलिए Whitecoat hypertension
कहतें हैं ।
PROFILING लिपिड
खून में घुली तमाम तरह की चर्बी (लिपिड )का लेखा जोखा एक पूर्व संकेत है एक संभावना की ओर इशारा है आप कहीं हार्ट अटेक या ब्रेन अटेक की जद में तो नहीं आजायेंगें .जीवन शैली दुरुस्त की जा सकती है इसे जानकार
यदि दिल की बीमारियों की विरासत परिवार में चली आई है तब यह वांछित है कि २७ -२८ साल की उम्र के होते ही साल में कमसे कम एक बार या स्थिति के अनुरूप दो बार भी लिपिड प्रोफाइल जांच करवानी चाहिए
लिपिड प्रोफाइल में शामिल रहतें हैं -
खून में घुली कुल चर्बी() टोटल कोलेस्ट्रोल ,()मित्रवत दिल के लिए अच्छी समझी जाने वाली हाईडेंसिटी लिपो -प्रोटीन यानी HDL- ()दिल का बेरी समझे जाने वाला 'लो डेंसिटी प्रोटीन कोलेस्ट्रोल' LDL - तथा ()ट्राई -ग्लिस्राइद्स
कई मर्तबा एच डी एल :कोलेस्ट्रोल अनुपात भी लिपिड प्रोफाइल में शामिल किया जाता है
कितना जोखिम है उम्र ,लिपिड प्रोफाइल के नतीजों के हिसाब से वह भी बतलाया जाता है .
एच डी एल का स्तर सामान्य से ऊपर तथा एल डी एल का कम स्तर अच्छा माना जाता है .घूमने फिरने कसरत करते रहने से एल डी एल ही एच डी एल में तबदील होने लगता है .सेहतमंद खुराक दिल के लिए जोखिम कम करती है
ब्लड सुगर लेविल्स :
जिन परिवारों में मधुमेह रोग चलता आया है ,मोटापा शाश्वत बना रहा है पीढ़ी दर पीढ़ी उनके लिए लाजिमी है :
(१)फास्टिंग (२)नास्ते के दो घंटा बाद पोस्ट पेरेंदियल ब्लड सुगर जांच जल्दी से जल्दी करवाई जाए ।
ज़रुरत के मुताबिक़ मधुमेह का माहिर डायबेतेलोजिस्त (१)ग्लूकोज़ टोलरेंस टेस्ट तथा GTT(२)Glycosylated haemoglobin लेवल भी करवा सकता है ।
सामान्य से ऊपर फास्टिंग और 'पी पी' लेवल डायबिटीज़ के पहले से चले आये होने की ओर इशारा है .
'जी टी टी 'का स्तर सामन्य से ऊपर आना भविष्य में डायबिटीज़ होने की संभावना की ओर इशारा है ।
HgA1C यानी ग्लाईकोसाइलेतिद हिमोग्लोबिन जांच पिछले तीन महीने के ब्लड ग्लूकोस स्तर का औसत देती है बतलाती है कैसा चल रहा है ब्लड ग्लूकोज़ स्तर ओर नियंत्रण .इसका मान छ :से ऊपर नहीं होना अच्छा माना जाता है .
FEW HEART टर्म्स
()एंजाइना :
दिल के दौरे की शुरुआत एक मामूली सीने से उठते दर्द से ही होती है जिसे अकसर गलती से गैस का बनना या अम्ल शूल (एसिडिटी )कह के दरकिनार कर दिया जाता है खासकर औरतों के मामले में
अकसर यह आवर्ती दर्द होता है जो दिल के किसी हिस्से को पूरे खून की आपूर्ति हो पाने की वजह से उठता है .ऐसा तब होता है जब हृदय को रक्त ले जाने वाली कोई धमनी संकरी ,अन्दर से खुरदरी और कठोर पड़के अवरुद्ध हो जाती है .
इस अवरोध की वजह बनती है- अथेरोस्कलेरोसिस
आम लक्षण है यह परिहृदयधमनी रोग (कोरोनरी आर्टरी डिजीज )का
सीने की हड्डी के नीचे होने वाला दर्द है एंजाइना है .कई मर्तबा यहाँ से उठके यह कन्धों कलाई ,जबड़े गर्दन या फिर कमर तक भी पहुच जाता है .ऊपरी अमाशय तक भी आजाता है .सीने के नीचे दवाब ,धुयें में फंसे होने का बोध भी कई मरीजों को इस स्थिति में होता है
एंजाइना फील्स लाइक प्रेसिंग ऑर स्क्विज़िंग पैन युज़ुअली इन दी चेस्ट अंडर दी ब्रेस्ट बोन ,बट सम टाइम्स इन दी शोल्डर्स ,आर्म्स ,नेक ,जोज़ ,बेक ऑर अपर एब्डोमन
मेहनत मशक्कत इसे हवा देती है .एग्ज़र्शन बिकम्स ट्रिगर .आराम करने ,जीभ के नीचे तजवीज़ किये गए फाइव ,डाई या फिर मोनोनाइट्रेट्स की गोली रखने से तुरता आराम भी जाता है जो बाज़ार में सोर्ब्रित्रेट ,आइसोर्दिल ,आइसोसोर्बाइड आदि नामों से उपलब्ध हैं .
What is the purpose of an angiography?
एंजाइना की वजह जानने के लिए यह प्रोसीज़र अपनाया जाता है .परिह्रिद्य धमनी /धमनियों में कहाँ कितना अवरोध है इसकी पूरी खबर देता है यह तरीका जिसे कैथ लैब (केथितराइज़ेशन लैब )में किया जाता है
बाएं निलय (लेफ्ट वेंत्रिकल्स )कैसे काम कर रहें हैं इसकी इत्तला भी इस प्राविधि से पता चलती है अवरोध की गंभीरता भी जिसे पर्सेंटेज(%)में अभिव्यक्त किया जाता है पता चल जाती है
एंजियोप्लास्टी करने करने का फैसला नतीजे आने पर ही लिया जाता है
इस प्रोसीज़र में एक अति महीन ट्यूब (केथितर )जघन प्रदेश (ग्रोइन )से या फिर बाजू से डालकर इसमें एक एक्स रे कंट्रास्ट डाईइंजेक्ट की जाती है .यह तमाम काम लोकल एनास्थिज़िया के तहत ही किया जाता है अलबत्ता जब डाई प्रवेश करती है तब सिर से पैर तक (नख शिख )बेहद गर्मी महसूस होती है कोई ३० सेकिंड तक
यही कंट्रास्ट डाई दिल और तमाम धमनियों का बढ़िया अंदरूनी एक्स रे हाज़िर करवाती है .
What is the procedure involved in an angioplasty?
जब धमनी अवरोध एक क्रांतिक सीमा को छूने लगता है तभी एनजीओप्लास्टी करने का फैसला मरीज़ की लिखित अनुमति लेकर किया जाता है .अलबत्ता एक से ज्यादा धमनियां बंद होने पर 'कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग की जाती है .मसलन ब्लोगिया वीरुभाई के मामले में एक धमनी १००%बंद थी ,दूसरी ९०%,जबकी तीसरी ७० %(बतला दें ७० फीसद यदि एक ही धमनी बंद हो तो दवाओं से गुज़ारा हो जाता है .एनजीओप्लास्टी की कोई ज़रुरत नहीं पडती है ।).
एनजीओप्लास्टी में मिकेनिकल तरीके से आंशिक या पूर्ण अवरुद्ध धमनी को खोल दिया जाता है
बस इस प्रोसीज़र में एक बाल पेन के रिफिल के आगे लगे एक स्प्रिंग सा अतिमहीन तार केथितर से सम्बद्ध कर दिया जाता है और इसे अवरोध तक पहुंचाया जाता है
इसी तार से बेलून केथितर को नत्थी करके अवरोध जहां से शुरु होता है वहां तक पहुंचा कर फुलाया जाता है और अवरोध हटाने के बाद इसे डीफ्लेट कर दिया जाता है इसका फुलाव संपन्न हो जाता है .
फुलाव और सिक्डाव.(दिफ्लेशन)की यह प्रक्रिया ही धमनी को खोलती है .बस प्लाक (चिकनाई रुपी अवरोध )के हट जाने पर रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है .

FEW HEART TERMS


What are stents ?
स्टेंट धातु की बनी एक ख़ास किस्म की जाली है बाल पेन के रिफिल के आगे लगी स्प्रिंग सी जिसे अवरुद्ध आर्टरी को एंजियोप्लास्टी से खोल देने के बाद वहीँ छोड़ दिया जाता है .
एक लाख रूपये तक कीमत होती है मामूली से मामूली स्टेंट की जो आजकल दवा से संसिक्त भी आरहें हैं
इसे अकसर एक बेलून पर माउंट किया जाता है ,जिसे फिर चुनिन्दा तौर पर दाबित किया जाता है प्रेस किया जाता है
इसका डिजाइन इस प्रकार तैयार किया जाता है कि यह बेलून को फुलाने पर खुल जाता है .तथा दिफ्लेट करने के बाद यह धमनी को फिर खुला ही रखता है .यह स्थाई तौर पर आर्टरी में ही पड़ा रहता है
दवा सने स्टेंट दोबारा धमनी को बंद होने से रोके रखने का भरोसा पैदा कर रहें हैं .बेशक इनकी कीमत थोड़ा सा ज्यादा है .अमूमन धमनी के दोबारा बंद होने की प्रवृत्ति रहती है इसलिए परम्परा गत स्टेंट कुछ अरसे बाद बंद हो जातें हैं
धमनी का अवरुद्ध होना स्टेनोसिस तथा दोबारा बंद होना कोशिकाओं की अवांछित वृद्धि के फलस्वरूप री-स्टेनोसिस कहलाता है
The intention of this time consuming process is to slow down the unwanted growth of cells (restenosis) which cause reblokages and allow the artery to heal.

रविवार, 25 सितंबर 2011

ON WORLD Heart Day TESTS FOR YOUR HEART

Sunday, September 27, 2011

ON WORLD Heart Day TESTS FOR YOUR HEART

ON WORLD Heart Day TESTS FOR YOUR heart
(१)अपना पारिवारिक चिकित्सा वृत्तांत जुटाइए जानिये किस को कब कौन सी दिल की बीमारी रही है ।
(२)अपना ब्लड प्रेशर चेक करवाइए ।
(३)लिपिड प्रोफाइल जानिये ।
(४)खून में शक्कर की पड़ताल करवाइए ।
(५)ई सी जी ,
(६) 2D Echo
(७)स्ट्रेस टेस्ट
(८)ब्लोकेड(खून की नालियों में रुकावट ,धमनी अवरोध ) का पता लगाने के लिए एन्जियोग्रेफ़ी .
ब्लड प्रेशर नम्बर्स :
नोर्मल ब्लड प्रेशर १२०/८० मिलीमीटर ऑफ़ मरकरी .
(120/80mmHg)कहलाता है .इसे बनाए रखने के लिए स्वस्थ जीवन शैली ज़रूरी है .
ऊपरी पाठ या अंक यहाँ सिस्टोलिक दाब कहलाता है .यह वह दाब है जो तब बनता है जब हमारा दिल रक्त पम्प करता उलीचता हुआ धडकता है ।
जब दो धडकनों के बीच दिल विश्राम करता है तब बनने वाला डायस्तोलिक दाब निचला अंक या पाठ कहलाता है ।

What is Pre-hypertension?
उत्तर है (१२०-१३९)/(८०-८९)mmHg

यानी जब ऊपरी पाठ १२० से लेकर १३९ तक हो और निचला पाठ ८०-८९ तक हो तब यह उच्च रक्त चाप से पूर्व की स्थिति है जो दिल के लिए रेड अलर्ट है .सावधानी न बरतने पर ,जीवन शैली न सुधारने पर दिल के लिए खतरे का वजन बढेगा और नतीजा होगा हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्त चाप .हाइपर का मतलब सामान्य से ऊपर रक्त चाप (इसका विलोम हाइपोटेंशन है यानी सामन्य से नीचे के स्तरों का रक्त दाब .)।
Hypertension has many stages
Stage 1 hypertension ?
(140-159)/(90-99)
इस स्थिति में यदि आपका ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं रहता है तब आपको एंटीहाइपरतेंसिव दवाओं की ज़रुरत पेश आयेगी .किसी माहिर से मिलना पड़ेगा ।
Stage 1 hypertension ?
(140-159)/(90-99)
Stage 2 Hypertension?
160 or even higher /100
यह एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है.डॉ के पास जाना ही पड़ेगा ,आगे क्या करना है वही फैसला करेगा ।
२४ घंटे में ब्लड प्रेशर ऊपर नीचे होता है सोते जागते विश्राम की स्थिति में यकसां नहीं रहता है .बच्चों के लिए इसका मान अलग होता है ।
Isolated systolic hypertension ?
५० साल से ज्यादा उम्र के लोगों में यह आम है उनका निचला पाठ सामान्य रह सकता है ऊपर वाला अंक बढा हुआ मिलता है .यानी सिस्टोलिक दाब ज्यादा रहता है लेकिन डायसिस्टोलिक अमूमन नोर्मल स्तर पर रहता है .
डॉ की मेज पर और डॉ को देखकर कुछ लोगों का ब्लड प्रेशर थोड़ा बढ़ जाता है इसे इसीलिए Whitecoat hypertension
कहतें हैं ।
PROFILING लिपिड
खून में घुली तमाम तरह की चर्बी (लिपिड )का लेखा जोखा एक पूर्व संकेत है एक संभावना की ओर इशारा है आप कहीं हार्ट अटेक या ब्रेन अटेक की जद में तो नहीं आजायेंगें .जीवन शैली दुरुस्त की जा सकती है इसे जानकार
यदि दिल की बीमारियों की विरासत परिवार में चली आई है तब यह वांछित है कि २७ -२८ साल की उम्र के होते ही साल में कमसे कम एक बार या स्थिति के अनुरूप दो बार भी लिपिड प्रोफाइल जांच करवानी चाहिए
लिपिड प्रोफाइल में शामिल रहतें हैं -
खून में घुली कुल चर्बी() टोटल कोलेस्ट्रोल ,()मित्रवत दिल के लिए अच्छी समझी जाने वाली हाईडेंसिटी लिपो -प्रोटीन यानी HDL- ()दिल का बेरी समझे जाने वाला 'लो डेंसिटी प्रोटीन कोलेस्ट्रोल' LDL - तथा ()ट्राई -ग्लिस्राइद्स
कई मर्तबा एच डी एल :कोलेस्ट्रोल अनुपात भी लिपिड प्रोफाइल में शामिल किया जाता है
कितना जोखिम है उम्र ,लिपिड प्रोफाइल के नतीजों के हिसाब से वह भी बतलाया जाता है .
एच डी एल का स्तर सामान्य से ऊपर तथा एल डी एल का कम स्तर अच्छा माना जाता है .घूमने फिरने कसरत करते रहने से एल डी एल ही एच डी एल में तबदील होने लगता है .सेहतमंद खुराक दिल के लिए जोखिम कम करती है
ब्लड सुगर लेविल्स :
जिन परिवारों में मधुमेह रोग चलता आया है ,मोटापा शाश्वत बना रहा है पीढ़ी दर पीढ़ी उनके लिए लाजिमी है :
(१)फास्टिंग (२)नास्ते के दो घंटा बाद पोस्ट पेरेंदियल ब्लड सुगर जांच जल्दी से जल्दी करवाई जाए ।
ज़रुरत के मुताबिक़ मधुमेह का माहिर डायबेतेलोजिस्त (१)ग्लूकोज़ टोलरेंस टेस्ट तथा GTT(२)Glycosylated haemoglobin लेवल भी करवा सकता है ।
सामान्य से ऊपर फास्टिंग और 'पी पी' लेवल डायबिटीज़ के पहले से चले आये होने की ओर इशारा है .
'जी टी टी 'का स्तर सामन्य से ऊपर आना भविष्य में डायबिटीज़ होने की संभावना की ओर इशारा है ।
HgA1C यानी ग्लाईकोसाइलेतिद हिमोग्लोबिन जांच पिछले तीन महीने के ब्लड ग्लूकोस स्तर का औसत देती है बतलाती है कैसा चल रहा है ब्लड ग्लूकोज़ स्तर ओर नियंत्रण .इसका मान छ :से ऊपर नहीं होना अच्छा माना जाता है .
FEW HEART टर्म्स
()एंजाइना :
दिल के दौरे की शुरुआत एक मामूली सीने से उठते दर्द से ही होती है जिसे अकसर गलती से गैस का बनना या अम्ल शूल (एसिडिटी )कह के दरकिनार कर दिया जाता है खासकर औरतों के मामले में
अकसर यह आवर्ती दर्द होता है जो दिल के किसी हिस्से को पूरे खून की आपूर्ति हो पाने की वजह से उठता है .ऐसा तब होता है जब हृदय को रक्त ले जाने वाली कोई धमनी संकरी ,अन्दर से खुरदरी और कठोर पड़के अवरुद्ध हो जाती है .
इस अवरोध की वजह बनती है- अथेरोस्कलेरोसिस
आम लक्षण है यह परिहृदयधमनी रोग (कोरोनरी आर्टरी डिजीज )का
सीने की हड्डी के नीचे होने वाला दर्द है एंजाइना है .कई मर्तबा यहाँ से उठके यह कन्धों कलाई ,जबड़े गर्दन या फिर कमर तक भी पहुच जाता है .ऊपरी अमाशय तक भी आजाता है .सीने के नीचे दवाब ,धुयें में फंसे होने का बोध भी कई मरीजों को इस स्थिति में होता है
एंजाइना फील्स लाइक प्रेसिंग ऑर स्क्विज़िंग पैन युज़ुअली इन दी चेस्ट अंडर दी ब्रेस्ट बोन ,बट सम टाइम्स इन दी शोल्डर्स ,आर्म्स ,नेक ,जोज़ ,बेक ऑर अपर एब्डोमन
मेहनत मशक्कत इसे हवा देती है .एग्ज़र्शन बिकम्स ट्रिगर .आराम करने ,जीभ के नीचे तजवीज़ किये गए फाइव ,डाई या फिर मोनोनाइट्रेट्स की गोली रखने से तुरता आराम भी जाता है जो बाज़ार में सोर्ब्रित्रेट ,आइसोर्दिल ,आइसोसोर्बाइड आदि नामों से उपलब्ध हैं .
What is the purpose of an angiography?
एंजाइना की वजह जानने के लिए यह प्रोसीज़र अपनाया जाता है .परिह्रिद्य धमनी /धमनियों में कहाँ कितना अवरोध है इसकी पूरी खबर देता है यह तरीका जिसे कैथ लैब (केथितराइज़ेशन लैब )में किया जाता है
बाएं निलय (लेफ्ट वेंत्रिकल्स )कैसे काम कर रहें हैं इसकी इत्तला भी इस प्राविधि से पता चलती है अवरोध की गंभीरता भी जिसे पर्सेंटेज(%)में अभिव्यक्त किया जाता है पता चल जाती है
एंजियोप्लास्टी करने करने का फैसला नतीजे आने पर ही लिया जाता है
इस प्रोसीज़र में एक अति महीन ट्यूब (केथितर )जघन प्रदेश (ग्रोइन )से या फिर बाजू से डालकर इसमें एक एक्स रे कंट्रास्ट डाईइंजेक्ट की जाती है .यह तमाम काम लोकल एनास्थिज़िया के तहत ही किया जाता है अलबत्ता जब डाई प्रवेश करती है तब सिर से पैर तक (नख शिख )बेहद गर्मी महसूस होती है कोई ३० सेकिंड तक
यही कंट्रास्ट डाई दिल और तमाम धमनियों का बढ़िया अंदरूनी एक्स रे हाज़िर करवाती है .
What is the procedure involved in an angioplasty?
जब धमनी अवरोध एक क्रांतिक सीमा को छूने लगता है तभी एनजीओप्लास्टी करने का फैसला मरीज़ की लिखित अनुमति लेकर किया जाता है .अलबत्ता एक से ज्यादा धमनियां बंद होने पर 'कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग की जाती है .मसलन ब्लोगिया वीरुभाई के मामले में एक धमनी १००%बंद थी ,दूसरी ९०%,जबकी तीसरी ७० %(बतला दें ७० फीसद यदि एक ही धमनी बंद हो तो दवाओं से गुज़ारा हो जाता है .एनजीओप्लास्टी की कोई ज़रुरत नहीं पडती है ।).
एनजीओप्लास्टी में मिकेनिकल तरीके से आंशिक या पूर्ण अवरुद्ध धमनी को खोल दिया जाता है
बस इस प्रोसीज़र में एक बाल पेन के रिफिल के आगे लगे एक स्प्रिंग सा अतिमहीन तार केथितर से सम्बद्ध कर दिया जाता है और इसे अवरोध तक पहुंचाया जाता है
इसी तार से बेलून केथितर को नत्थी करके अवरोध जहां से शुरु होता है वहां तक पहुंचा कर फुलाया जाता है और अवरोध हटाने के बाद इसे डीफ्लेट कर दिया जाता है इसका फुलाव संपन्न हो जाता है .
फुलाव और सिक्डाव.(दिफ्लेशन)की यह प्रक्रिया ही धमनी को खोलती है .बस प्लाक (चिकनाई रुपी अवरोध )के हट जाने पर रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है .

FEW HEART TERMS


What are stents ?
स्टेंट धातु की बनी एक ख़ास किस्म की जाली है बाल पेन के रिफिल के आगे लगी स्प्रिंग सी जिसे अवरुद्ध आर्टरी को एंजियोप्लास्टी से खोल देने के बाद वहीँ छोड़ दिया जाता है .
एक लाख रूपये तक कीमत होती है मामूली से मामूली स्टेंट की जो आजकल दवा से संसिक्त भी आरहें हैं
इसे अकसर एक बेलून पर माउंट किया जाता है ,जिसे फिर चुनिन्दा तौर पर दाबित किया जाता है प्रेस किया जाता है
इसका डिजाइन इस प्रकार तैयार किया जाता है कि यह बेलून को फुलाने पर खुल जाता है .तथा दिफ्लेट करने के बाद यह धमनी को फिर खुला ही रखता है .यह स्थाई तौर पर आर्टरी में ही पड़ा रहता है
दवा सने स्टेंट दोबारा धमनी को बंद होने से रोके रखने का भरोसा पैदा कर रहें हैं .बेशक इनकी कीमत थोड़ा सा ज्यादा है .अमूमन धमनी के दोबारा बंद होने की प्रवृत्ति रहती है इसलिए परम्परा गत स्टेंट कुछ अरसे बाद बंद हो जातें हैं
धमनी का अवरुद्ध होना स्टेनोसिस तथा दोबारा बंद होना कोशिकाओं की अवांछित वृद्धि के फलस्वरूप री-स्टेनोसिस कहलाता है
The intention of this time consuming process is to slow down the unwanted growth of cells (restenosis) which cause reblokages and allow the artery to heal.

How can I tell if I'm in perimenopause?

How can I tell if I'm in perimenopause?

रजो निवृत्ति से पहले दोनों अंडाशय उतना स्त्री हारमोन इस्ट्रोजन नहीं पम्प कर पातें हैं इसकी मात्रा घटती चली जाती है .साथ ही रजो -निवृत्ति पूर्व की यह अवधि जिस दरमियान हारमोनों में गिरावट दर्ज़ होती है अलग अलग औरतों में खासी जुदा होती है .कुछ में देर तक गिरावट का यह सिलसिला चलता हैतो कुछ में यह परिवर्तन अपेक्षाकृत जल्दी सम्पन्न हो जाता है .यही स्थिति पेरिमिनोपौज़ है .
कुछ औरतों में 'पेरी -मिनो -पॉज़'की यह अवधि सालों साल चलती है तो कुछ में इसके लक्षण इसके चंद महीने पूर्व तेज़ी से आई इस्ट्रोजन गिरावट के साथ ही चुक जातें हैं ।
इस दरमियान हॉट फ्लेशिज़ ,योनी का अन्दर से तरल मुक्त होकर सूख जाना महावारी का अनियमित होना ,मूत्र त्याग पर नियंत्रण का कमतर हो जाना ,यौन संबंधों में रूचि का घट जाना ,कष्टप्रद मैथुन (यौन मिलन ),ब्रेस्ट टेंडरनेस ,मूड स्विंग्स का होना आम बात है ।
कैसे जानिएगा पेरिमिनोपौज़ को ?
बहुत आसान है .हारमोन के स्तर की जांच करवाइए स्त्रीरोगों एवं प्रसूति विज्ञान की माहिर के कहे अनुसार ।
बेशक एकल रक्त परीक्षण से इस स्थिति का जल्दी से इल्म नहीं होगा ।
दोहराए जातें हैं ये तमाम परीक्षण महीनों तब जाकर आभास होता है इस्ट्रोजन के छीजने का ।
यदि इन स्टारों में ह्रास देखा जाता है और आपको लक्षणों से पैदा बे -चैनी रहती है तब इसका फैसला भी माहिर ही करेगा आपको हारमोन पुनर्स्थापन चिकित्सा माफिक आयेगी या नहीं .आपको इसकी ज़रुरत भी या नहीं ।
लेकिन यदि आप रजो -निवृत्ति जैसे लक्षणों से जूझ रहीं हैं लेकिन हारमोन का स्तर बदस्तूर ज़ारी है पूर्ववत ,उसमे गिरावट दर्ज़ नहीं हुई है तब आपका माहिर ओवेरियन सिस्ट्स के लिए भी पड़ताल कर सकता है ।कुछ और स्त्री समस्याओं की ओर भी उसका ध्यान जा सकता है .

शनिवार, 24 सितंबर 2011

How can I tell if I'm in perimenopause?

२५ सितम्बर २०११ :रजो निवृत्ति से पहले दोनों अंडाशय उतना स्त्री हारमोन इस्ट्रोजन नहीं पम्प कर पातें हैं इसकी मात्रा घटती चली जाती है .साथ ही रजो -निवृत्ति पूर्व की यह अवधि जिस दरमियान हारमोनों में गिरावट दर्ज़ होती है अलग अलग औरतों में खासी जुदा होती है .कुछ में देर तक गिरावट का यह सिलसिला चलता हैतो कुछ में यह परिवर्तन अपेक्षाकृत जल्दी सम्पन्न हो जाता है .यही स्थिति पेरिमिनोपौज़ है .
कुछ औरतों में 'पेरी -मिनो -पॉज़'की यह अवधि सालों साल चलती है तो कुछ में इसके लक्षण इसके चंद महीने पूर्व तेज़ी से आई इस्ट्रोजन गिरावट के साथ ही चुक जातें हैं ।
इस दरमियान हॉट फ्लेशिज़ ,योनी का अन्दर से तरल मुक्त होकर सूख जाना महावारी का अनियमित होना ,मूत्र त्याग पर नियंत्रण का कमतर हो जाना ,यौन संबंधों में रूचि का घट जाना ,कष्टप्रद मैथुन (यौन मिलन ),ब्रेस्ट टेंडरनेस ,मूड स्विंग्स का होना आम बात है ।
कैसे जानिएगा पेरिमिनोपौज़ को ?
बहुत आसान है .हारमोन के स्तर की जांच करवाइए स्त्रीरोगों एवं प्रसूति विज्ञान की माहिर के कहे अनुसार ।
बेशक एकल रक्त परीक्षण से इस स्थिति का जल्दी से इल्म नहीं होगा ।
दोहराए जातें हैं ये तमाम परीक्षण महीनों तब जाकर आभास होता है इस्ट्रोजन के छीजने का ।
यदि इन स्टारों में ह्रास देखा जाता है और आपको लक्षणों से पैदा बे -चैनी रहती है तब इसका फैसला भी माहिर ही करेगा आपको हारमोन पुनर्स्थापन चिकित्सा माफिक आयेगी या नहीं .आपको इसकी ज़रुरत भी या नहीं ।
लेकिन यदि आप रजो -निवृत्ति जैसे लक्षणों से जूझ रहीं हैं लेकिन हारमोन का स्तर बदस्तूर ज़ारी है पूर्ववत ,उसमे गिरावट दर्ज़ नहीं हुई है तब आपका माहिर ओवेरियन सिस्ट्स के लिए भी पड़ताल कर सकता है .कुछ और स्त्री समस्याओं की ओर भी उसका ध्यान जा सकता है .

Saturday, September 24, 2011

Nothing to celebrate on Girl Child Day

Nothing to celebrate on Girl Child Day
Childs Rights and You (CRY)संस्था के अनुसार भारत में संपन्न २०११ की जनगणना के मुताबिक़ हरेक १३ लड़कियों में से एक छ :साल की उम्र को पार नहीं कर पाती हैं .उत्तर भारत की स्थिति ज्यादा सोचनीय हैं जहां हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में स्त्री -पुरुष अनुपात ज्यादा विषम बना हुआ है ।
गौर तलब है Pre -Natal Diagnostic Techniques (PNDT) Act १९९४के लागू होने के बाद से आजतक ले देके १३ लोगों के खिलाफ ही मामले दर्ज़ हुए हैं अपराध के इस एक्ट के उल्लघन के .यह कहना है Resource Mobilisation and Volunteer एक्शन की निदेशक योगिता वर्मा सहगल का ।
दिल्ली और मुंबई के अति विकसित इलाके यथा दक्षिण दिल्ली और दक्षिण मुंबई में स्थिति भी खराब है ।
भारत के ३५ राज्यों और संघ शासित क्षेत्रो में से २८ में औरत मर्द अनुपात विषम बना हुआ है ।
हरियाणा की स्थिति रसातल को छू रही है जहां हरेक १००० लड़कों के पीछे सिर्फ ८३८ लडकियां ही अब रह गईं हैं ।
कनागत लगने को है कोई हमें इस अंतर -राष्ट्रीय कन्या दिवस के मूल में क्या नज़रिया रहा है यह समझाए ।
क्या कन्या भ्रूण ह्त्या और जन्म पूर्व चोरी छिपे लिंग निर्धारण महज़ एक अपराध है ?
या फिर पाप है ?पाप बोध है जिसका प्रायश्चित किया जाना चाहिए सामाजिक तौर पर ?
क्या भारत को आज़ादी उस गांधी ने दिलवाई थी जो बेरिस्टर था या उसने जो महात्मा हो गया था जिसने धर्म चेतना जगाई थी .और वर्तमान में वैसी ही धर्म चेतना ,भारत धर्मी समाज में अन्ना हजारे साहब ने पैदा कर दिखाई ।
कन्या भ्रूण का मामला भी इसी धर्म चेतना से जुड़ा है .अब कनागत लगने को हैं नौ दिनों तक विविध रूपा शिव -शक्तियों का आराधन पूजन वंदन चलेगा ।
महज़ एक दिन अंतर -राष्ट्रीय कन्या दिवस को हर साल २४ सितम्बर को मनाने से क्या हो जाने वाला है ?
यहाँ वेलेन्ताइन्स डे भी है तो ओनर किलिंग भी है .प्रेम पर पाबंदी बदस्तूर ज़ारी है तो लिविंग टुगेदर भी है .सब चलता प्रवृत्ति बदस्तूर ज़ारी है ।

Friday, September 23, 2011

On equinox today ,measure the earth

On equinox today ,measure the earth
आज २३ सितम्बर है .आज दिन और रात की अवधि बराबर रहेगी .आज दोपहर सूरज की छाया भू -मध्य रेखा के गिर्द नहीं पड़ेगी ।
It is autumnal equinox when the length of the day and night is nearly equal and the sun casts no shadow at noon along the equator ।
यह एक ऐसी घटना है जो साल में दो बार संपन्न होती है 'स्प्रिंग एक्युइनोक्स 'हर बरस २० मार्च को पड़ती है ।
२३ सितम्बर पृथ्वी की परिधि (पेरिमीटर ,सर्कम्फ्रेंस) नापने का एक नायाब मौक़ा प्रदान करता है ।
इस मौके पर 'एक गैर सरकारी संस्था 'स्पेस ने जो खगोल विज्ञान को जन जन तक पहुंचाने के अभियान में संलग्न है "प्रोजेक्ट परिधि "में शामिल होने के लिए आम जन खासकर स्कूल के बच्चों को बुलाया है .जंतर मंतर नै दिल्ली के प्रागण में।
'स्पेस 'के मुखिया सी .बी देवगन मानतें हैं विज्ञान ने हमें आच्छादित किया हुआ है ,आसपास की घटनाओं के प्रेक्षण में उसका प्रगटीकरण हो रहा है .विज्ञान का मतलब है करना और सीखना .सीखना और करना ,दोहराना ।
आज के दिन प्रोजेक्ट परिधि में शामिल सभी प्रेक्षक उन सभी स्थानों पर 'एंगिल ऑफ़ दी सन्स शेडो 'मापेंगे जो एक ही देशांतर पर पडतें हैं ।
देशांतर रेखाएं पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिण ध्रुवों को मिलानें वाली काल्पनिक रेखाओं को कहा जाता है .
इत्तेफाकन भारत में दिल्ली, भोपाल ,बेंगलुरु और कजाखिस्तान में अल्मा अटा एक ही देशान्तर पर हैं ।
अब यदि पृथ्वी गोल न होकर चपटी होती तब एक ही देशांतर रेखा पर पड़ने वाले तमाम स्थानों के लिए "सूरज का छाया कौड़ "एगिल ऑफ़ दी सन्स शेडो यकसां (समान ) ,एक जैसा रहता ।
But since the Earth is curved ,the shadow angle would vary according to the distance of the spot from the equator ।
यानी उस स्थान की भूमध्य रेखा से दूरी के अनुरूप ही यह कौड़तबदील होता है क्योंकि पृथ्वी घुमावदार है कर्वेचर लिए है .अलग अलग दूरियों के लिए इसका माप अलग अलग रहता है ।
जुदा स्थानों के लिए छाया कौड़ का अंतर ही परिधि मापन का आधार बनता है ।
But since the Earth is curved ,the shadow angle would vary according to the distance of the spot from the equator ।
यह प्रयोग भारत के अन्य स्थानों पर भी किया जाएगा सार्क के देश भी इसमें शिरकत करेंगे ,अल्मा अटा में भी यह एक्सपेरिमेंट संपन्न होगा ।
आखिरी गणना का आधार जुटाए गए आंकड़े ही बनेंगें .

Remember this :Kicking the butt boosts memory

Remember this :Kicking the butt boosts memory

STOP IT NOW :Smokers lose 1/3 of their every day memory
एक ब्रितानी अध्ययन के मुताबिक़ धूम्रपान करने वाले रोजाना की अपनी याददाश्त का एक तिहाई हिस्सा खो देते हैं .
अलबत्ता इस अध्ययन से प्राप्त एक अच्छी खबर यह है कि इस लत को छोड़ देने पर धीरे धीरे खोई हुई याददाश्त लौटने लगती है .आखिरकार याददाश्त का स्तर वही हासिल हो जाता है जो एक गैर धूम्रपानी का होता है .नुकसान की भरपाई हो रहती है ।
नोर्थाम्ब्रिया विश्वविद्यालय के रिसर्चरों का यह एक महत्वपूर्ण अन्वेषण समझा जा रहा है .अध्ययन के लिए ७० से भी ज्यादा लोगों को नियुक्त किया गया जिनकी उम्र १८-२५ साल तक थी .इन्होनें यूनिवर्सिटी कैम्पस के एक टूर में शिरकत की थी .
प्रतिभागियों को कुछ बातें याद करने स्मृति में लाने के लिए कहा गया जिनमें अलग अलग समयों पर संपन्न कुछ कामों के अलावा छात्र परिषद् में सुनवाए गए कुछ म्यूजिकल एक्ट्स भी शामिल थे .रियल वर्ल्ड मेमोरी टेस्ट्स भी इन कामों में शामिल किये गए थे ।
स्मोकर्स का प्रदर्शन बहुत कम दर्जे का रहा .केवल ५९%बातें ही ये लोग अपनी स्मृति में वापस ला सके .बेशक जिन लोगों ने धूम्रपान को अलविदा कह दिया था उनका प्रदर्शन सुधर कर ७४ %बातें याददाश्त में लौटा के ले आने का रहा .
जिन लोगों ने कभी धूम्रपान किया ही नहीं था उनका प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा .८१ %टास्क्स ये दोबारा याद कर सके ।
विश्वविद्यालय के 'ड्रग एंड एल्कोहल रिसर्च ग्रुप के मुखिया डॉ .टॉम हेफर्नन अध्ययन के नतीजों को धूम्रपान छुड़ाई अभियानों के लिए बहुत एहम मानते हैं ।
रोज़ मर्रा के बोध सम्बन्धी ज्ञान ,संज्ञानात्मक कार्यों पर धूम्रपान का क्या असर पड़ता है कैसे स्मोकिंग "पर्सपेक्टिव मेमोरी "को असर ग्रस्त करती है इसकी जानकारी दुनिया भर में लाखों लाख लोगों तक पहुंचे यह बहुत ज़रूरी है ।
पहली मर्तबा इस बात की पड़ताल की गई है ,धूम्रपान छोड़ना याददाश्त को कैसे और कितना प्रभावित करता है .करता भी है या नहीं ।
बेशक धूम्रपान छोड़ने का शरीर पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ता है .यह जानकारी पहले भी थी लेकिन बोध सम्बन्धी सीख भी बढती है यह एक नया खुलासा हुआ है .

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

Nothing to celebrate on Girl Child डे

Nothing to celebrate on Girl Child डे
Childs Rights and You (CRY)संस्था के अनुसार भारत में संपन्न २०११ की जनगणना के मुताबिक़ हरेक १३ लड़कियों में से एक :साल की उम्र को पार नहीं कर पाती हैं .उत्तर भारत की स्थिति ज्यादा सोचनीय हैं जहां हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में स्त्री -पुरुष अनुपात ज्यादा विषम बना हुआ है
गौर तलब है Pre -Natal Diagnostic Techniques (PNDT) Act १९९४के लागू होने के बाद से आजतक ले देके १३ लोगों के खिलाफ ही मामले दर्ज़ हुए हैं अपराध के इस एक्ट के उल्लघन के .यह कहना है Resource Mobilisation and Volunteer एक्शन की निदेशक योगिता वर्मा सहगल का
दिल्ली और मुंबई के अति विकसित इलाके यथा दक्षिण दिल्ली और दक्षिण मुंबई में स्थिति भी खराब है
भारत के ३५ राज्यों और संघ शासित क्षेत्रो में से २८ में औरत मर्द अनुपात विषम बना हुआ है
हरियाणा की स्थिति रसातल को छू रही है जहां हरेक १००० लड़कों के पीछे सिर्फ ८३८ लडकियां ही अब रह गईं हैं
कनागत लगने को है कोई हमें इस अंतर -राष्ट्रीय कन्या दिवस के मूल में क्या नज़रिया रहा है यह समझाए
क्या कन्या भ्रूण ह्त्या और जन्म पूर्व चोरी छिपे लिंग निर्धारण महज़ एक अपराध है ?
या फिर पाप है ?पाप बोध है जिसका प्रायश्चित किया जाना चाहिए सामाजिक तौर पर ?
क्या भारत को आज़ादी उस गांधी ने दिलवाई थी जो बेरिस्टर था या उसने जो महात्मा हो गया था जिसने धर्म चेतना जगाई थी .और वर्तमान में वैसी ही धर्म चेतना ,भारत धर्मी समाज में अन्ना हजारे साहब ने पैदा कर दिखाई
कन्या भ्रूण का मामला भी इसी धर्म चेतना से जुड़ा है .अब कनागत लगने को हैं नौ दिनों तक विविध रूपा शिव -शक्तियों का आराधन पूजन वंदन चलेगा
महज़ एक दिन अंतर -राष्ट्रीय कन्या दिवस को हर साल २४ सितम्बर को मनाने से क्या हो जाने वाला है ?
यहाँ वेलेन्ताइन्स डे भी है तो ओनर किलिंग भी है .प्रेम पर पाबंदी बदस्तूर ज़ारी है तो लिविंग टुगेदर भी है .सब चलता प्रवृत्ति बदस्तूर ज़ारी है

Friday, September 23, 2011

On equinox today ,measure the earth

On equinox today ,measure the earth
आज २३ सितम्बर है .आज दिन और रात की अवधि बराबर रहेगी .आज दोपहर सूरज की छाया भू -मध्य रेखा के गिर्द नहीं पड़ेगी ।
It is autumnal equinox when the length of the day and night is nearly equal and the sun casts no shadow at noon along the equator ।
यह एक ऐसी घटना है जो साल में दो बार संपन्न होती है 'स्प्रिंग एक्युइनोक्स 'हर बरस २० मार्च को पड़ती है ।
२३ सितम्बर पृथ्वी की परिधि (पेरिमीटर ,सर्कम्फ्रेंस) नापने का एक नायाब मौक़ा प्रदान करता है ।
इस मौके पर 'एक गैर सरकारी संस्था 'स्पेस ने जो खगोल विज्ञान को जन जन तक पहुंचाने के अभियान में संलग्न है "प्रोजेक्ट परिधि "में शामिल होने के लिए आम जन खासकर स्कूल के बच्चों को बुलाया है .जंतर मंतर नै दिल्ली के प्रागण में।
'स्पेस 'के मुखिया सी .बी देवगन मानतें हैं विज्ञान ने हमें आच्छादित किया हुआ है ,आसपास की घटनाओं के प्रेक्षण में उसका प्रगटीकरण हो रहा है .विज्ञान का मतलब है करना और सीखना .सीखना और करना ,दोहराना ।
आज के दिन प्रोजेक्ट परिधि में शामिल सभी प्रेक्षक उन सभी स्थानों पर 'एंगिल ऑफ़ दी सन्स शेडो 'मापेंगे जो एक ही देशांतर पर पडतें हैं ।
देशांतर रेखाएं पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिण ध्रुवों को मिलानें वाली काल्पनिक रेखाओं को कहा जाता है .
इत्तेफाकन भारत में दिल्ली, भोपाल ,बेंगलुरु और कजाखिस्तान में अल्मा अटा एक ही देशान्तर पर हैं ।
अब यदि पृथ्वी गोल न होकर चपटी होती तब एक ही देशांतर रेखा पर पड़ने वाले तमाम स्थानों के लिए "सूरज का छाया कौड़ "एगिल ऑफ़ दी सन्स शेडो यकसां (समान ) ,एक जैसा रहता ।
But since the Earth is curved ,the shadow angle would vary according to the distance of the spot from the equator ।
यानी उस स्थान की भूमध्य रेखा से दूरी के अनुरूप ही यह कौड़तबदील होता है क्योंकि पृथ्वी घुमावदार है कर्वेचर लिए है .अलग अलग दूरियों के लिए इसका माप अलग अलग रहता है ।
जुदा स्थानों के लिए छाया कौड़ का अंतर ही परिधि मापन का आधार बनता है ।
But since the Earth is curved ,the shadow angle would vary according to the distance of the spot from the equator ।
यह प्रयोग भारत के अन्य स्थानों पर भी किया जाएगा सार्क के देश भी इसमें शिरकत करेंगे ,अल्मा अटा में भी यह एक्सपेरिमेंट संपन्न होगा ।
आखिरी गणना का आधार जुटाए गए आंकड़े ही बनेंगें .

Remember this :Kicking the butt boosts memory

Remember this :Kicking the butt boosts memory

STOP IT NOW :Smokers lose 1/3 of their every day memory
एक ब्रितानी अध्ययन के मुताबिक़ धूम्रपान करने वाले रोजाना की अपनी याददाश्त का एक तिहाई हिस्सा खो देते हैं .
अलबत्ता इस अध्ययन से प्राप्त एक अच्छी खबर यह है कि इस लत को छोड़ देने पर धीरे धीरे खोई हुई याददाश्त लौटने लगती है .आखिरकार याददाश्त का स्तर वही हासिल हो जाता है जो एक गैर धूम्रपानी का होता है .नुकसान की भरपाई हो रहती है ।
नोर्थाम्ब्रिया विश्वविद्यालय के रिसर्चरों का यह एक महत्वपूर्ण अन्वेषण समझा जा रहा है .अध्ययन के लिए ७० से भी ज्यादा लोगों को नियुक्त किया गया जिनकी उम्र १८-२५ साल तक थी .इन्होनें यूनिवर्सिटी कैम्पस के एक टूर में शिरकत की थी .
प्रतिभागियों को कुछ बातें याद करने स्मृति में लाने के लिए कहा गया जिनमें अलग अलग समयों पर संपन्न कुछ कामों के अलावा छात्र परिषद् में सुनवाए गए कुछ म्यूजिकल एक्ट्स भी शामिल थे .रियल वर्ल्ड मेमोरी टेस्ट्स भी इन कामों में शामिल किये गए थे ।
स्मोकर्स का प्रदर्शन बहुत कम दर्जे का रहा .केवल ५९%बातें ही ये लोग अपनी स्मृति में वापस ला सके .बेशक जिन लोगों ने धूम्रपान को अलविदा कह दिया था उनका प्रदर्शन सुधर कर ७४ %बातें याददाश्त में लौटा के ले आने का रहा .
जिन लोगों ने कभी धूम्रपान किया ही नहीं था उनका प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा .८१ %टास्क्स ये दोबारा याद कर सके ।
विश्वविद्यालय के 'ड्रग एंड एल्कोहल रिसर्च ग्रुप के मुखिया डॉ .टॉम हेफर्नन अध्ययन के नतीजों को धूम्रपान छुड़ाई अभियानों के लिए बहुत एहम मानते हैं ।
रोज़ मर्रा के बोध सम्बन्धी ज्ञान ,संज्ञानात्मक कार्यों पर धूम्रपान का क्या असर पड़ता है कैसे स्मोकिंग "पर्सपेक्टिव मेमोरी "को असर ग्रस्त करती है इसकी जानकारी दुनिया भर में लाखों लाख लोगों तक पहुंचे यह बहुत ज़रूरी है ।
पहली मर्तबा इस बात की पड़ताल की गई है ,धूम्रपान छोड़ना याददाश्त को कैसे और कितना प्रभावित करता है .करता भी है या नहीं ।
बेशक धूम्रपान छोड़ने का शरीर पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ता है .यह जानकारी पहले भी थी लेकिन बोध सम्बन्धी सीख भी बढती है यह एक नया खुलासा हुआ है .

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

जान लेवा हो सकती हैं ट्रेफिक फ्युम्स .

Pollution linked to higher heart attack रिस्क
ट्रेफिक फ्युम्स भी जान लेवा हो सकतीं हैं .भारतीय मूल के एक साइंसदान के मुताबिक़ ट्रेफिक प्रभावन (ट्रेफिक एक्सपोज़र ,ट्रेफिक फ्युम्स से गुजरने )के छ :घंटा बाद तक दिल के दौरे का ख़तरा बढा रहता है दीगर है के इसके बाद यह घटकर सामान्य स्तर पर आ जाता है ।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के रचियता कृष्णन भास्करन रहें हैं जिनके अनुसार ट्रेफिक से पैदा मझोले दर्जे का वायु प्रदुषण भी दिल के दौरे का अतिरिक्त जोखिम बढा देता है ।
रिसर्चरों का यह अन्वेषण तकरीबन ८०,००० दिल के दौरों के मामलों और सम्बद्ध ट्रेफिक एक्सपोज़र के विश्लेषण अध्ययन पर आधारित रहा है ।
साफ़ पता चला बढ़ता वायु प्रदूषण ,हवा में मौजूद प्रदूषकों से प्रभावन के छ :घंटा बाद तक दिल के खतरनाक जानलेवा दौरों का जोखिम बना रहता है ।
भले इस अवधि के बाद इस जोखिम का वजन अपेक्षा से कमतर ही रह जाता है .अखबार डेली मेल ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है ।
अध्ययन में रिसर्चरों ने २००३ -२००६ तक की अवधि के ७९,२८ ८ दिल के दौरों के मामलों को खंगाला है इस बात क़ा हिसाब किताब रखते हुए ,हरेक घंटा के हिसाब से कौन कितने घंटा कुल ट्रेफिक फ्युम्स से असरग्रस्त हुआ था .

दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .

दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .

Girls face bias in heart surgery too
वाह! रे !भारतीय रीति-रिवाज़ और संस्कृति .THE TIMES OF इंडिया की यह सुर्खी आगे कुछ लिखने की गुंजाइश भी नहीं छोडती .फिर भी इस खबर के मुताबिक़ एक बात साफ़ है जान लेवा मेडिकल कंडीशंस ,प्राण पखेरू ले उड़ने वाली बीमारियों के मामले में भी भारतीय समाज लड़कियों के साथ दुभांत करता है ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में संपन्न एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ लड़कों को यहाँ इन जीवन रक्षक मामलों में भी हार्ट सर्जरी कराने के ज्यादा मौके मिलतें हैं .
मेडिकल जर्नल 'हार्ट 'में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार ऐसे ४०५ माँ -बाप से जिनके बच्चों की उम्र १२ साल तक थी तथा जिन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ELECTIVE PEDIATRIC CARDIAC सर्जरी करवाने की सलाह दी गई थी , लड़कियों के मामले में कुल ४४%लड़कियों को यह सर्जरी मुहैया करवाई गई जबकी ७० %लड़कों को इसका लाभ मिला ।
१३४ में से कुल ५९ लड़कियों के माँ -बाप इस शल्य के लिए आगे आये जबकी २७१ में से १८९ लड़कों के माँ -बाप ने पहल की ।
प्रत्येक ७० लड़कों के पीछे सिर्फ २२ लड़कियों को ही 'जन्म जात हृद -विकारों 'की सर्जरी करवाने का मौक़ा मेरे हिन्दुस्तान में मिल रहा है ।जबकी यही उपयुक्त समय होता है इन जन्म जात विकारों से निजात का ।

महारोग मोटापा तेरे रूप अनेक .

मोटापा रोग में शरीर पर दो तरह से चर्बी चढ़ती है .एक चमड़ी के नीचे (सब -क्युतेनियस-फैट )और दूसरी पेट के नीचे (विसरल फैट )।टांगों ,हाथों ,गर्दन के पीछे सब -क्युतेनियस तथा पेट के अन्दर विसरल फैट पनपती रहती है .
आखिर चर्बी चढ़ती ही क्यों हैं ?
अब से कोई सौ बरस पहले आदमी बहुत कम खाता था .काम बहुत करता था .मीलों पैदल चलता था .यानी खाना कम ,उड़ाना ज्यादा होता था केलोरी का ।
हारमोनों की वजह बहुत कम बनता था मोटापा ।
बेंक में पैसा जमा न करो जो बकाया है उसे उड़ाते रहो .यही फलसफा था .और जीवन दर्शन यह था -
रूखी सूखी खाय के ,ठंडा पानी पीव ,
देख पराई चूपड़ी मत ललचावे जीव ।
इसीलिए यह महा -रोग मोटापा न के बराबर ही था ।
वेस्ट लाइन और मोटापा :
मर्दों के लिए ३६ इंच से ऊपर का कमर का माप (वेस्ट लाइन )और औरतों के लिए ३२ इंच से ऊपर खतरे की घंटी माना जाता है ।
बॉडी मॉस इंडेक्स और मोटापा :
आदमी का वजन किलोग्राम में लिख कर इसे ऊंचाई के वर्ग से भाग कर दिया जाए .हाँ ऊंचाई यानी हाईट वर्ग मीटर (मीटर स्क्वायार्ड )में लिखी जाए .इस प्रकार प्राप्त अंक "बॉडी मॉस इंडेक्स "संक्षेप में बी एम् आई कहलाता है ।
इसका २४.९ या फिर पच्चीस तक रहनाकिसी भी बालिग या व्यस्क के लिए सामान्य है ।
२५ -३० तक क्लास ए ओबेसिटी में आयेगा ।
३०-३५ तक क्लास बी ओबेसिटी के तहत आयेगा ।
३५ -४० तक मोर्बिद ओबेसिटी (रुग्ड़ता )के तहत आता है ।
बतलादें आपको डायबिटीज़ की तरह ही सब रोगों की माँ है मोटापा ।
ब्लड प्रेशर (हाइपर टेंशन ,स्ट्रोक यानी ब्रेन -अटेक ,कार्डिएक प्रोब्लम्स ,हार्ट अटेक ,कैंसर आदि का सबब बनते देर नहीं लगती )।
खतरनाक है हर हाल मोटापा .ओवरवेट होना ।
कद काठी के अनुरूप आदर्श भार से यदि आपका वजन १२० फीसद ज्यादा रहता है तब आप ओवरवेट कहलायेंगें ।
(सन्दर्भ :डॉ .संदीप अग्रवाल ,मोटापा माहिर ,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ,नै दिल्ली से आकाश वाणी की बातचीत पर आधारित )।

दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .

दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .

Girls face bias in heart surgery too
वाह! रे !भारतीय रीति-रिवाज़ और संस्कृति .THE TIMES OF इंडिया की यह सुर्खी आगे कुछ लिखने की गुंजाइश भी नहीं छोडती .फिर भी इस खबर के मुताबिक़ एक बात साफ़ है जान लेवा मेडिकल कंडीशंस ,प्राण पखेरू ले उड़ने वाली बीमारियों के मामले में भी भारतीय समाज लड़कियों के साथ दुभांत करता है ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में संपन्न एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ लड़कों को यहाँ इन जीवन रक्षक मामलों में भी हार्ट सर्जरी कराने के ज्यादा मौके मिलतें हैं .
मेडिकल जर्नल 'हार्ट 'में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार ऐसे ४०५ माँ -बाप से जिनके बच्चों की उम्र १२ साल तक थी तथा जिन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ELECTIVE PEDIATRIC CARDIAC सर्जरी करवाने की सलाह दी गई थी , लड़कियों के मामले में कुल ४४%लड़कियों को यह सर्जरी मुहैया करवाई गई जबकी ७० %लड़कों को इसका लाभ मिला ।
१३४ में से कुल ५९ लड़कियों के माँ -बाप इस शल्य के लिए आगे आये जबकी २७१ में से १८९ लड़कों के माँ -बाप ने पहल की ।
प्रत्येक ७० लड़कों के पीछे सिर्फ २२ लड़कियों को ही 'जन्म जात हृद -विकारों 'की सर्जरी करवाने का मौक़ा मेरे हिन्दुस्तान में मिल रहा है ।जबकी यही उपयुक्त समय होता है इन जन्म जात विकारों से निजात का .


छोटे से दरगाह का इमाम भी राजनीति करने लगा .

एक छोटे से दरगाह का इमाम भी कोंग्रेस की क्षुद्र राजनीति करने लगा है जबकि उसका काम इबादत करना है .वह मोदी के अनशन मंच पर सम्मान व्यक्त करने गए थे .उतरकर मंच से कोंग्रेसी झांसे में आके राजनीति करने लगे ।
इमाम साहब हमारी परम्परा में शाल ही ओढाई पहराई चढ़ाई जाती ,जाने वाले पर चद्दर डालतें हैं सम्मान की ,मन्नत पूरी होने पर अजमेर जाके चादर चढातें हैं .कृपया आप समझाएं इस्लाम की टोपी का अपमान मोदी के टोपी न पहनने से कैसे हो गया ?क्या हमारी परम्परा में टोपी पहराई जाती है ?.यहाँ माथे पर तिलक और अंगवस्त्र का ही रिवाज़ है .?
(१)क्या इसलिए कि मोदी ने राजनीति का ढोंग नहीं किया कोंग्रेसियों की तरह इसलिए ?
(२)चेहरा और मौक़ा देख के रंग नहीं बदला सांसदी इसलिए .सांसदी रंग की तमाम छटाएं और शेड्स तो गिरगिट के पास भी नहीं हैं ।
और इमाम साहब पूरे अदब के साथ आखिर में आपसे एक सवाल -आपको जनेऊ भेंट किया जाता ,आप पहन लेते ?

महारोग मोटापा तेरे रूप अनेक .

मोटापा रोग में शरीर पर दो तरह से चर्बी चढ़ती है .एक चमड़ी के नीचे (सब -क्युतेनियस-फैट )और दूसरी पेट के नीचे (विसरल फैट )।टांगों ,हाथों ,गर्दन के पीछे सब -क्युतेनियस तथा पेट के अन्दर विसरल फैट पनपती रहती है .
आखिर चर्बी चढ़ती ही क्यों हैं ?
अब से कोई सौ बरस पहले आदमी बहुत कम खाता था .काम बहुत करता था .मीलों पैदल चलता था .यानी खाना कम ,उड़ाना ज्यादा होता था केलोरी का ।
हारमोनों की वजह बहुत कम बनता था मोटापा ।
बेंक में पैसा जमा न करो जो बकाया है उसे उड़ाते रहो .यही फलसफा था .और जीवन दर्शन यह था -
रूखी सूखी खाय के ,ठंडा पानी पीव ,
देख पराई चूपड़ी मत ललचावे जीव ।
इसीलिए यह महा -रोग मोटापा न के बराबर ही था ।
वेस्ट लाइन और मोटापा :
मर्दों के लिए ३६ इंच से ऊपर का कमर का माप (वेस्ट लाइन )और औरतों के लिए ३२ इंच से ऊपर खतरे की घंटी माना जाता है ।
बॉडी मॉस इंडेक्स और मोटापा :
आदमी का वजन किलोग्राम में लिख कर इसे ऊंचाई के वर्ग से भाग कर दिया जाए .हाँ ऊंचाई यानी हाईट वर्ग मीटर (मीटर स्क्वायार्ड )में लिखी जाए .इस प्रकार प्राप्त अंक "बॉडी मॉस इंडेक्स "संक्षेप में बी एम् आई कहलाता है ।
इसका २४.९ या फिर पच्चीस तक रहनाकिसी भी बालिग या व्यस्क के लिए सामान्य है ।
२५ -३० तक क्लास ए ओबेसिटी में आयेगा ।
३०-३५ तक क्लास बी ओबेसिटी के तहत आयेगा ।
३५ -४० तक मोर्बिद ओबेसिटी (रुग्ड़ता )के तहत आता है ।
बतलादें आपको डायबिटीज़ की तरह ही सब रोगों की माँ है मोटापा ।
ब्लड प्रेशर (हाइपर टेंशन ,स्ट्रोक यानी ब्रेन -अटेक ,कार्डिएक प्रोब्लम्स ,हार्ट अटेक ,कैंसर आदि का सबब बनते देर नहीं लगती )।
खतरनाक है हर हाल मोटापा .ओवरवेट होना ।
कद काठी के अनुरूप आदर्श भार से यदि आपका वजन १२० फीसद ज्यादा रहता है तब आप ओवरवेट कहलायेंगें ।
(सन्दर्भ :डॉ .संदीप अग्रवाल ,मोटापा माहिर ,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ,नै दिल्ली से आकाश वाणी की बातचीत पर आधारित )।

दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .

Girls face bias in heart surgery too
वाह! रे !भारतीय रीति-रिवाज़ और संस्कृति .THE TIMES OF इंडिया की यह सुर्खी आगे कुछ लिखने की गुंजाइश भी नहीं छोडती .फिर भी इस खबर के मुताबिक़ एक बात साफ़ है जान लेवा मेडिकल कंडीशंस ,प्राण पखेरू ले उड़ने वाली बीमारियों के मामले में भी भारतीय समाज लड़कियों के साथ दुभांत करता है ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में संपन्न एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ लड़कों को यहाँ इन जीवन रक्षक मामलों में भी हार्ट सर्जरी कराने के ज्यादा मौके मिलतें हैं .
मेडिकल जर्नल 'हार्ट 'में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार ऐसे ४०५ माँ -बाप से जिनके बच्चों की उम्र १२ साल तक थी तथा जिन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ELECTIVE PEDIATRIC CARDIAC सर्जरी करवाने की सलाह दी गई थी , लड़कियों के मामले में कुल ४४%लड़कियों को यह सर्जरी मुहैया करवाई गई जबकी ७० %लड़कों को इसका लाभ मिला ।
१३४ में से कुल ५९ लड़कियों के माँ -बाप इस शल्य के लिए आगे आये जबकी २७१ में से १८९ लड़कों के माँ -बाप ने पहल की ।
प्रत्येक ७० लड़कों के पीछे सिर्फ २२ लड़कियों को ही 'जन्म जात हृद -विकारों 'की सर्जरी करवाने का मौक़ा मेरे हिन्दुस्तान में मिल रहा है .जबकी यही उपयुक्त समय होता है इन जन्म जात विकारों से निजात का .

बुधवार, 21 सितंबर 2011

छोटे से दरगाह का इमाम भी राजनीति करने लगा .

एक छोटे से दरगाह का इमाम भी कोंग्रेस की क्षुद्र राजनीति करने लगा है जबकि उसका काम इबादत करना है .वह मोदी के अनशन मंच पर सम्मान व्यक्त करने गए थे .उतरकर मंच से कोंग्रेसी झांसे में आके राजनीति करने लगे ।
इमाम साहब हमारी परम्परा में शाल ही ओढाई पहराई चढ़ाई जाती ,जाने वाले पर चद्दर डालतें हैं सम्मान की ,मन्नत पूरी होने पर अजमेर जाके चादर चढातें हैं .कृपया आप समझाएं इस्लाम की टोपी का अपमान मोदी के टोपी न पहनने से कैसे हो गया ?क्या हमारी परम्परा में टोपी पहराई जाती है ?.यहाँ माथे पर तिलक और अंगवस्त्र का ही रिवाज़ है .?
(१)क्या इसलिए कि मोदी ने राजनीति का ढोंग नहीं किया कोंग्रेसियों की तरह इसलिए ?
(२)चेहरा और मौक़ा देख के रंग नहीं बदला सांसदी इसलिए .सांसदी रंग की तमाम छटाएं और शेड्स तो गिरगिट के पास भी नहीं हैं ।
और इमाम साहब पूरे अदब के साथ आखिर में आपसे एक सवाल -आपको जनेऊ भेंट किया जाता ,आप पहन लेते ?

महारोग मोटापा तेरे रूप अनेक .

मोटापा रोग में शरीर पर दो तरह से चर्बी चढ़ती है .एक चमड़ी के नीचे (सब -क्युतेनियस-फैट )और दूसरी पेट के नीचे (विसरल फैट )।टांगों ,हाथों ,गर्दन के पीछे सब -क्युतेनियस तथा पेट के अन्दर विसरल फैट पनपती रहती है .
आखिर चर्बी चढ़ती ही क्यों हैं ?
अब से कोई सौ बरस पहले आदमी बहुत कम खाता था .काम बहुत करता था .मीलों पैदल चलता था .यानी खाना कम ,उड़ाना ज्यादा होता था केलोरी का ।
हारमोनों की वजह बहुत कम बनता था मोटापा ।
बेंक में पैसा जमा न करो जो बकाया है उसे उड़ाते रहो .यही फलसफा था .और जीवन दर्शन यह था -
रूखी सूखी खाय के ,ठंडा पानी पीव ,
देख पराई चूपड़ी मत ललचावे जीव ।
इसीलिए यह महा -रोग मोटापा न के बराबर ही था ।
वेस्ट लाइन और मोटापा :
मर्दों के लिए ३६ इंच से ऊपर का कमर का माप (वेस्ट लाइन )और औरतों के लिए ३२ इंच से ऊपर खतरे की घंटी माना जाता है ।
बॉडी मॉस इंडेक्स और मोटापा :
आदमी का वजन किलोग्राम में लिख कर इसे ऊंचाई के वर्ग से भाग कर दिया जाए .हाँ ऊंचाई यानी हाईट वर्ग मीटर (मीटर स्क्वायार्ड )में लिखी जाए .इस प्रकार प्राप्त अंक "बॉडी मॉस इंडेक्स "संक्षेप में बी एम् आई कहलाता है ।
इसका २४.९ या फिर पच्चीस तक रहनाकिसी भी बालिग या व्यस्क के लिए सामान्य है ।
२५ -३० तक क्लास ए ओबेसिटी में आयेगा ।
३०-३५ तक क्लास बी ओबेसिटी के तहत आयेगा ।
३५ -४० तक मोर्बिद ओबेसिटी (रुग्ड़ता )के तहत आता है ।
बतलादें आपको डायबिटीज़ की तरह ही सब रोगों की माँ है मोटापा ।
ब्लड प्रेशर (हाइपर टेंशन ,स्ट्रोक यानी ब्रेन -अटेक ,कार्डिएक प्रोब्लम्स ,हार्ट अटेक ,कैंसर आदि का सबब बनते देर नहीं लगती )।
खतरनाक है हर हाल मोटापा .ओवरवेट होना ।
कद काठी के अनुरूप आदर्श भार से यदि आपका वजन १२० फीसद ज्यादा रहता है तब आप ओवरवेट कहलायेंगें ।
(सन्दर्भ :डॉ .संदीप अग्रवाल ,मोटापा माहिर ,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ,नै दिल्ली से आकाश वाणी की बातचीत पर आधारित )।

सोमवार, 19 सितंबर 2011

मौलाना साहब की टोपी मोदी के सिर .

मौलाना साहब की टोपी मोदी के सिर .

एक मौलाना साहब पहुंचे मोदी के उपवास स्थल .पहनानी चाही नरेंद्र दामोदर मोदी साहब को अपनी टोपी .मोदी साहब ने आदर जतलाए हुए हाथ जोड़ दिए .कहा आपका सिर बुलंद रहे हौसले बुलंद रहे . मौलाना साहब ने मोदी साहब को यह सुनकर अपनी शाल ओढा दी ।
कोंग्रेसी भड़क गए कहने लगे मोदी धर्मांध हैं ,मोदी और इनका गुजरात साम्प्रदायिकता फैलातें हैं ,एक मुसलमान की टोपी का अपमान कर दिया .अगरचे मोदी साहब टोपी पहन लेते तो यही राशिद अल्वी ,रसीद एहमद सरीखे कहते -मौलाना साहब की टोपी छीन ली .एक मुसलमान का अपमान कर दिया .कोंग्रेस का इतना पतन सारी बातें राष्ट्र विरोधी करें .राष्ट्र नीति की जगह वोट नीति .यही है भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस का आज का सेक्युलर चेहरा .धर्म -निरपेक्ष मुखौटा ।
मोदी ,मौलाना ,मुसलमान की टोपी ,कोंग्रेसी सेक्युलर .

रविवार, 18 सितंबर 2011

राजनीतिक ठहरे हुए सरोवर में उपवास का कंकड़ .

राजनीतिक ठहरे हुए सरोवर में उपवास का कंकड़ फैंककर गुजरात के मोदी ने हलचल मचा दी है .तरंगें वहां इतनी ज्यादा उठ रहीं हैं कि वाघेला और अनुकर्ता पार्टी कोंग्रेस की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है ।
कोंग्रेस अन्दर से घबराई हुई है कि अनशन तो हम भी कर रहें हैं पर चर्चा हमारी नहीं हो रही है .कोंग्रेस को सोचना चाहिए कि नक़ल करने वालों की बहुत इज्ज़त नहीं होती है ।
हर स्थिति को इन दिनों तोता पंडित वीरू भाई व्यंग्य की तरह चला कर व्यंग्य -बाण कोंग्रेस की तरफ छोड़ देतें हैं ।
हमारे पास वैश्या के तोतों की तरह वही फटी पुरानी जूती नहीं है .हम कोंग्रेस की इतनी इज्ज़त करतें हैं उसके लिए रोज़ एक नै जूती तैयार करतें हैं ,चाहें तो पानी की धार भी छोड़ सकतें हैं जो ज्यादा मार करती है ।
हमारे पास न्यू -मीडिया का उत्कर्ष है -ब्लॉग ,यानी न्यू -मीडिया की नित नै चिठ्ठी .क्वांटम ऑफ़ न्यू -मीडिया .जिसने लेखन के लिए एक उर्वरा भूमि तैयार की है .लेखन को सम्पादक की वीड से खर -पतवार से मुक्त किया है .

Stress, Dust of 9/11 Linked to Acid Reflux

ग्यारह सितम्बर २००१ के विश्व्यापार केंद्र विस्फोट की विनाश लीला जिन अभागों ने देखी थी और जो इस विस्फोट से पैदा धूल की चपेट में आये थे उनमें एक तरफ दमा की शिकायत ज्यादा देखी गई दूसरी तरफ दहशत से पैदा "पोस्ट ट्रौमेतिक स्ट्रेस "का सामना भी इन लोगों को बेहद ज्यादा करना पड़ा है बरक्स उन लोगों के जो विस्फोट स्थल या उसके आसपास (ग्राउंड जीरो ) उस वक्त कहीं नहीं थे ।
लेकिन अम्ल शूल (हार्ट बर्न ,तेज़ाब बनने की समस्या )से ये बाद वाले लोग भी अधिकाधिक ग्रस्त हैं .बच नहीं सकें हैं हार्ट बर्न से ये तमाम लोग भी ।
ग्राउंड जीरो के गिर्द ड्यूटी पर तैनात और उसके आसपास मौजूद रहे तकरीबन ३७,००० लोगों पर संपन्न एक आधिकारिक अध्ययन के नतीजे अब सामने आयें हैं ।
पता चला है :पता चला विस्फोट के तीन बरसों के अरसे में इनमे से पांचवे हिस्से को यानी २०%लोगों को जीवन में पहली बार अम्ल शूल (हार्ट बर्न )अपच (इनडायजेश्चन ),या फिर एसिड रिफ्लक्स का सामना करना पड़ा है ।
यहाँ तक हुआ है कि विस्फोट के पांच छ :बरस बाद भी इनमें से १३%लोगों में "गैस्ट्रोईसाफेजियल रिफ्लक्स डिजीज "
gastroesophageal reflux disease, or GERD.के लक्षण देखे गएँ हैं ।
लोगों की जान बचाने वाले ,रेस्क्यू ओपरेशन से जुड़े लोगों में से इन लक्षणों का प्रगटीकरण और दर और भी ज्यादा रही एक तिहाई में २००४ में शुरु होकरइनमे से एक चौथाई में उसके और भी तीन साल बाद तकलक्षणों का उग्र रूप (यानी २००७ तक) कायम देखा गया ।
इस स्थिति में अमाशय (उदर या पेट )में बनने वाले तेज़ाब ग्रास नाली तक रिसकर पहुँचने लगतें हैं .अलावा इसके दमे की शिकायत के साथ दवाब कारी स्थितियां मय पोस्ट ट्रौमेतिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के भी घेरे रहतीं हैं ।
इतना ही नहीं लगातार बने रहने वाले दवाब ने इनकी अंतड़ियों को भी असर ग्रस्त किया .लपेटे में लिया ।
रोल ऑफ़ सिरोंटोनिंन ?
केवल एन्ग्जायती (बे -चैनी,और अतिरिक्त रूप से बढे हुए औत्सुक्य स्तर )और डिप्रेशन (अवसाद) से ही रिश्ता नहीं है दिमागी जैव -रसायन 'सिरोंटोनिं 'का यह हमारे आंत्रक्षेत्र (गट या अंतड़ियों )की भी निगरानी और विनियमन करता है .पाचन तंत्र के प्रति हमारे रवैये की भी पड़ताल करता रहता है यह न्यूरो -ट्रांसमीटरपाचन क्षेत्र से होने वाली तमाम आवाजाही पर भी इसकी नजर होती है
वास्तव में उदरआंत्र क्षेत्र (गैस्ट्रोइन्तेस्तिनल ट्रेक्ट ) भी एक नर्वस सिस्टम (स्नायुविक तंत्र )से लैस रहता है .यह दिमागी स्नायुविक प्रणाली की तरह ही पेचीला होता है
यकीन मानिए जितनी नसें (नाड़ियाँ या नर्व्ज़)अंतड़ियों में होतीं हैं उतनी ही रीढ़ रज्जू (स्पाइनल कोलम )में होतीं हैं.
चौंक गए आप !दवाब के तहत किये गए व्यवहार के समय भी इतनी ही नर्व्ज़ हरकत में आतीं हैं
Stress-related behaviors may be involved as well, however. People who are stressed out are more apt to smoke, overeat, and drink alcohol, all of which can make acid reflux more likely by relaxing or putting pressure on the esophageal sphincter, which connects the stomach to the esophagus, Dr। Prather explains.
दवाब ग्रस्त व्यक्ति सिर्फ बे हिसाब धूम्रपान कर सकता है ,बे -हिसाब खा पी भी सकता है .बिंज ड्रिंकिंग करने की ओर प्रवृत्त भी होता है
और यही रुझान दवाब ग्रस्त व्यक्ति का एसिड रिफ्लेक्स के मौके बढा देता है ,ज्यादा से और ज्यादा अवसर पैदा कर देता है .ईसाफेगस (भोजन नाली )तक आमाशय से चलकर पहुँचने वाले तेजाबी रिसाव की यही वजह बनता है .
Stress isn’t the only culprit involved in post-9/11 acid reflux। The study authors suspect that the toxic Ground Zero dust may be responsible as well.
स्ट्रेस के अलावा ग्राउंड जीरो के आसपास विषाक्त धूल का प्रसार -फैलाव ,पसराव भी उत्तर /११ वेला (फिजा )में एसिड रिफ्लेक्स की वजह बनता गया .
इसमें एल्केलाइन सीमेंट का बहुलांश मिला है जो /११ के बहुत पहले से ही दमे को हवा देने में उस्ताद माना समझा गया है .सीमेंट फेक्ट्री में काम करने वाले कारिंदे इसी के चलते अपच के शिकार बनतें रहें हैं
As with PTSD, the likelihood of experiencing acid reflux symptoms was highest among the study participants with the most exposure to the dust। Thirty-one percent of the people who experienced “intense” dust exposure while working at the wreckage site reported symptoms by 2004, compared to 19% of the workers who had no exposure to the dust—a pattern that persisted three years later.