शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

बाइबिल पाठ जो बिसरा दिया गया था ....

बाइज़ेन्ताइन ज्युऊज़ के दौर की रवायत और संस्कृति की याद ताज़ा कर दी है केम्ब्रिज विश्व -विद्यालय की एक ताज़ा तरीन शोध ने जिसने बाइबिल के एक भूले बिसरे चेप्टर का खुलासा किया है ।
पता चला है ज्युऊज़ , बाइबिल के यूनानी संस्करण में आस्था रखते थे .यह विश्वास परमपरा गत धारणा के प्रतिकूल है .कई सौ सालो तक पूजा स्थलों पर बाइबिल का यही यूनानी संस्करण लोगों को उपलब्ध कराया जाता रहा है .जहां तक याद पड़ता है यह परम्परा चलती आई है ।
मिश्र के एक प्राचीन पूजा स्थल से यूनानी संस्करण की एक पांडुलिपि का मिलना ,इस विचार कोएक पुख्ता आधार प्रदान करता है .इनमे से कुछ के तो कुछ ही अंश मिलें हैं ।

जैव -विविधता अंतर -राष्ट्रीय वर्ष से आगे .....

१.२५ मिलियन प्लांट्स नेम इन न्यू डाटा- बेस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर ३१ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
जैव विविधता के अंतर राष्ट्रीय वर्ष का अतिक्रमण करते हुए ब्रिटेन और अमरीका के वनस्पति विज्ञान के माहिरों ने पादपों की वानस्पतिक नामावली का ,लाइब्रेरी का औपचारिक तौर पर विमोचन करते हुए ,एक लाख पच्चीस हज़ार नए नाम ज़ारी किये हैं ।
निस्संदेह इसे प्रकृति के संरक्षण में जुटे माहिरों ,कृषि विज्ञानियों तथा ड्रग डिजाई -नर्स के नज़रिए से एक बड़ी उपलब्धि समझा जा सकता है ।
यह डाटा -बेस (आंकड़ा -आधार ,बुनियादी आंकडा विस्तार )डब्लू डब्लू डब्लू .दी प्लांट लिस्ट .ओर्ग पर उपलब्ध है ।
इसमेंबुनियादी खाद्य फसलों से लेकर ,गुलाब के फूलों तक ,मनोरम जंगली फर्न्स तक की वानस्पतिक नामावली हासिल है .प्रकाशित शोध कार्य का पूरा विवरण भी मौजूद है .

हेल्थ टिप्स :चुकंदर (बीट-रूट ) के औषधीय गुण ....

हमारे एक चिठ्ठाकार भाई 'जाकिर अली रजनीश जी 'ने एक सवाल हमारे चिठ्ठे पर पूछा है 'क्या फलों से चिकित्सा संभव है '।
हमारा ज़वाब है आनुषांगिक चिकित्सा के लिए फलों का सेवन अच्छा है ,लाभ कारी है कुछ रोगों की उग्रता को घटाने के लिए ।
कृपया 'भोजन द्वारा चिकित्सा '-डॉ .गणेश नारायण चौहान ,नारायण प्रकाशन ,१५ ,एस एस टावर ,धामानी स्ट्रीट ,चौड़ा रास्ता ,जयपुर -३०२-००३ से उपलब्ध पुस्तक का अनुशीलन करें .अपनी खुद की राय कायम करें ।
बतौर एक विज्ञान पत्रकार हमारा यही कहना है खुराक से जुडी है हमारे स्वास्थ्य की नवज .फल इसका अपवाद कैसे हो सकतें हैं ।
गुणकारी चुकंदर को ही लें :
(१)पथरी से राहत के लिए चुकंदर :
चुकंदर को पानी में उबाल कर इसका सूप पीने से पथरी में लाभ होता है .मात्र तीस मिली -लीटर (६ चाय के चम्मच के बराबर ) सूप दिन में चार बार लें ।
इससे गुर्दे की सूजन भी दूर होती है .ये पेशाब ज्यादा लाता है .मूत्रल है.डाय-युरेतिक्स का काम करता है .गुर्दे के रोगों में भी लाभदायक है ।
(२)सांस नाली को साफ़ रखता है :चुकंदर बलगम को निकालकर श्वसन मार्ग ,सांस -नली को साफ़ करता है ।
(३)बाल गिरना कम करता है :चुकंदर के ताज़े पत्ते मेहँदी के साथ पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का गिरना बंद हो जाता है .बाल तेज़ी से उगतें ,बढतें हैं ।
(४)गंजपन का समाधान :चुकंदर के पत्तों को पीसकर इसमें थोड़ी सी हल्दी मिलाकर लेप करने से बाल उग आतें हैं ।
(५ )एग्जिमा में लाभ :चुकंदर के पत्तों के रस में शहद मिलाकर लगाने से दाद (एग्जिमा )ठीक हो जाता है ।
(६)गोरा बनाने का देशी सौदा :
एक कप चुकंदर के रस में एक कप पके लाल टमाटर का रस तथा दो चमच कच्ची हल्दी का रस (या एक चम्मच हल्दी पाउडर )मिलाकर सुबह शाम १५ दिन सेवन करने से त्वचा का रंग गोरा होता है ।
(७)उच्च रक्त चाप (हाई -पर -टेंशन /हाई -ब्लड प्रेशर )में राहत के लिए :
एक कप चुकंदर एक कप लाल टमाटर तथा आधा कप पपीता का रस और आधा कप किन्नू (नारंगी )का रस मिलाकर नित्य दो मर्तबा पीने से उच्च रक्त चाप में आराम आता है ।
बत्लादें आपको चुकंदर खून की नालियों ब्लड वेसिल्स को चौड़ा करता है ,नाइट्रेट्स से भरपूर है .

एनास्थीज़िया इज क्लोज़र टू कोमा देन स्लीप.

एन्स्थीज़िया इज क्लोज़र टू कोमा देन स्लीप (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर १७ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
रिसर्चरों के मुताबिक़ एन्स्थीज़िया डीप स्लीप के उतना नज़दीक नहीं है जितना कोमा के है .यह एक प्रकार का दवा प्रेरित अस्थाई किस्म का कोमा ही है जिससे बेहोशी कीदवा(एनस्थेतिक) का असरख़त्म होने पर मरीज़ बाहर आजाता है . जनरल एन्स्थीज़िया को फार्मा -कोलोजिकल कोमा भी कहा जा सकता है ।
स्लीप ,कोमा और एन्स्थीज़िया की समानता ,असमानता काव्यापक और तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद रिसर्च्दानों ने यह नतीजे अपने तीन साला अध्ययन से निकालें हैं जो न्यू -इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ़ मेडिसन में प्रकाशित हुआ है ।
बेशक गहन निद्रा की प्रावस्थाओं और लाइतेस्ट एन्स्थीज़िया की कुछ प्रावस्थाओं में थोड़ा बहुत साम्य है .लेकिन यह समानता उतनी भी नहीं है ।
नींद की अपनी प्रावस्थायेंहोतीं हैं स्तेज़िज़ हैं .लाईट स्लीप ,इंटर -मिदीयेट स्लीप ,डीप स्लीप का यह ९० मिनिट का चक्र कई मर्तबा रिपीट होता है ।
लेकिन एन्स्थीज़िया के असर से मरीज़ को एक ख़ास प्रावस्था तक लाया जाता है और यह अवस्था सर्जरी के आखिर तक बरकरार रहती है ।
कोमा के ज्यादा नज़दीक पडती है यह प्रावस्था ।
दिमाग एक दम से शांत तथा इस प्रावस्था में न्युरोंस की गति -विधि एक दम से घट जाती है ।
"दी ब्रेन इज बिकमिंग वैरी वैरी क्वाईट .दी एक्टिविटी ऑफ़ दी न्युरोंस इज बींग डेम्प -इंद ड्रा -मेटिकाली."सैड ए लीड रिसर्चर -'देट इज आल्सो ट्र्यु इन कोमा ।'
बेशक दो व्यक्तियों की दिमागी नुकसानी ,दिमागी चोट यकसां नहीं होतीं हैं लेकिन एन्स्थीज़िया के असर से बाहर आने के अंदाज़ का जायजा लेकर कोमा से बाहर आने की स्तेज़िज़ पर भी कुछ रौशनी ज़रूर पड़ सकती है ।
बेशक एन्स्थीज़िया से मरीज़ बेहद जल्दी लौटा लिया जाता है लेकिन कुछ सर्किट मिकेनिज्म एन्स्थीज़िया और कोमा की यकसां हो सकतीं हैं .इससे मोनिटरिंग टूल्स औरबेहतर रोग निदान के ज़रिये यह जानना थोड़ा सुगम हो सकता है मरीज़ कोमा से कितना बाहर आ रहा है ,आ भी रहा है या नहीं .इससे कोमा रिकवरी के माहिरों को बड़ी मदद मिल सकती है .नै रन -नीतियां बन सकतीं हैं .ब्रेन सर्किट्स को समझ के इनमे कुछ में तरमीम भी की जा सकती है .जनरल एन्स्थीज़िया पर भी इस अध्ययन से नै रौशनी पड़ सकती है .

ता -उम्र एक्टिव लाइफ के लिए बल -वर्द्धक चुकंदर का ज्यूस .....

सुपर फ़ूड :बीट -रूट्स आर नॉन टू एन्हांस फिजिकल स्ट्रेंग्थ .से चीयर्स टू बीट -रूट ज्यूस !एक्सपर्ट्स सजेस्ट्स देट कन्ज्युमिंग दिस हम्बिल ज्यूस कुड हेल्प पीपुल एन्जॉय ए मोर एक्टिव लाइफ . (बोम्बे टाइम्स ,दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,वेरायटी ,पृष्ठ १९ )।
माहिरों के अनुसार दमखम (ताकत वर्द्धक )गुणों से भरपूर है चुकंदर (बीट -रूट ).एक नए अध्ययन के अनुसार हृद रोगों और फेफड़ों से ताल्लुक रखने वाली मेडिकल कंडीशंस से असर ग्रस्त बुजुर्गों को भी यह एक्टिव जीवन शैली बनाए रखने में मददगार हो सकता है ।
एक्सेटर यूनिवर्सिटी तथा पेनिन्सुला कोलिज ऑफ़ मेडिसन एंड डेन -टिस्त्री के रिसर्चरों के अनुसार कई आयु वर्ग के लोग चुकंदर के ज्यूस से बेहद का फायदा उठा सकतें हैं ,खिलाड़ी भी गैर -खिलाड़ी भी ।
आजमाइशों से पता चला है टेस्ट्स सब्जेक्ट्स को हलके फुल्के व्यायाम के दरमियान मसलन हलके कदमो से चलना ,तेज़ कदमी करने में कमतर ऑक्सीजन कि ज़रुरत पड़ी .यानी चलना कमतर ओकिस्जन की खपत के साथ भी मुमकिन हुआ.बुढ़ाते लोगों के लिए यह एक बड़ी खबर है जो हलके फुल्के काम में भी हार थक के बैठ जातें हैं .ऑक्सीजन की उतनी खपत ही नहीं कर पातें हैं ।
चुकंदर का रस खून की नालियों (ब्लड वेसिल्स )को खोल कर चौड़ा कर देता है .ऐसे में ब्लड प्रेशर स्वभावतया कम हो जाता है .खून की नालियों में खून का दौरा पूरा होने लगता है .अलावा इसके चुकंदर के स्तेमाल से पेशियों की ऑक्सीजन खपत किसी भी गतिविधि के दौरान कम हो जाती है .उसी काम को करने के लिए अब उतनी ऑक्सीजन नहीं चाहिए .इसका कुल प्रभाव हाई इन्तेंसिती और लो इन्तेंसिती एफर्ट्स पर बड़ा ही अनुकूल पड़ता है ।
चुकंदर के ज्यूस में पाया जाने वाला नाइट्रेट्स का बढा हुआ स्तर ,नाइट्रेट्स की प्रचुरता कार्य क्षमता और प्रदर्शन दोनों को बेहतर बनाती है ।युवा और स्वस्थ
खिलाड़ियों के बाद अब इसकी आज़माइश बुजुर्गों पर भी की जायेंगी .कोई वजह नहीं है समनुरूप नतीजे न निकलें .

कंप्यूटर मोदिलों कि सहायता से पृथ्वी पर मौजूद हर चीज़ का यथार्थ जैसा अनुरूपण ....

टेक प्रोजेक्ट टू सिम्युलेट 'एवरी -थिंग ओं अर्थ '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर ३० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
दी लिविंग अर्थ सिम्युलेटर प्रोद्योगिकी की सबसे अप्रतिम एवं महत्वकांक्षी भेंट हो सकती है .यह अब तक का सबसे कंप्यूटर प्रोजक्ट
साबित हो सकता है जिसकी मंशा व्हाट एवर इज अंडर दी सन उसका वास्तविक अनुरूपण ,हु -बा -हु अनुकृति तैयार करना है .जलवायु के भूमंडलीय ढाँचे ,ग्लोबल वेदर पैट्रन ,तमाम तरह की बीमारियों ,आर्थिक लेनदेन का कच्चा चिठ्ठा कंप्यूटर मोडल तैयार करेंगे इस प्रोजेक्ट के तहत . यह एक प्रकार का नोलिज एक्स्लारेटर होगा जिसमे उपलब्ध सभी अनुशासनों की जानकारी समाहित होगी .इससे तमाम सामाजिक नियमों की जो अभी तक अप्रकट बने हुएँ हैं जानकारी स्पष्ट होगी .

हेल्थ टिप्स .

दालों को उबालने पकाने से पहले आधा एक घंटा पानी में भिगोयें इसके बाद आग पर चढाने से पहले थोड़े से तेल में टॉस कर लें .आधा -एक चम्मच आयल काफी है .इससे डालें अपेक्षाकृत जल्दी पक्तिं हैं क्योंकि प्रोटिनें मुलायम पड़ जाती हैं ।
(२)अंडे को कांटे या फैत्नी से फैंटने से पहले यह सुनिश्चित कर लें ,बर्तन जिसमे अंडा फैंटा जा रहा है एक दम से साफ़ है उसमे ज़रा भी चिकनाई या ग्रीस का अंश न लगा हो .बेहतर हो स्तेमाल से पहले हर बर्तन को एक बार फिर साफ़ पानी से धौ लें ।
ईविन डी स्लाइतेस्त फ्लेक ऑफ़ ग्रीस कैन डी -फ्लेट व्हिप्द एग व्हाइट्स ,सो मेक स्युओर दी व्हिस्क एंड बाउल आर क्लीन एंड ड्राई .

गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

माहवारी की तकलीफों से राहत के लिए ...(ज़ारी ...)

सीवियर -ब्लीडिंग :लाखों -लाख औरतों को माहवारी के दरमियान सीवियर ब्लीडिंग होती है जिसे मेनोरेजिया कहा जाता है .आमतौर एक साइकिल (मासिक चक्र ) के दरमियान औसतन तीन से चार टेबिल स्पून रक्त बह जाता है .पांच से टेबिल स्पून से ज्यादा रक्त स्राव प्रति साइकिल हेवी ब्लीडिंग के तहत आता है ।
समाधान ?
(1) एक वांड जिसे 'नोवास्युर 'कहा जाता है गर्भाशय से गर्दन से बच्चेदानी (गर्भाशय ,यूट्रस )तक पहुंचाया जाता है .इससे लगातार एनर्जी (ऊर्जा का रिसाव )होता रहता है जो धीरे -धीरे गर्भाशय अस्तर (यूटेराइन लाइनिंग )का सफाया कर देता है .बस अतिरिक्त रक्त स्राव से सदैव के लिए मुक्ति मिल जाती है लेकिन यह माइनर शल्य चिकित्सा उनके लिए ही वांच्छित है जिन्हें अब और बच्चे नहीं चाहिए .इसके बाद गर्भ धारण करना खतरनाक सिद्ध हो सकता है .इसके बाद हर माह हलका रक्त स्राव ही योनी से होता है . ९५ फीसद मामलों में ७ साल के बाद माहवारी ही बंद हो जाती है ।
(२) दी ३६५ डे पिल :इन गोलियों को रोजाना पूरे साल लेना पड़ता है इनमे कोई प्लेसिबो (बिना औषधीय गुणों वाली ,कंटेनिंग नो फार्मासितिकल एजेंट )गोली नहीं होती है सभी एक्टिव पिल्स होतीं हैं जो माहवारी को निलंबित रखतीं हैं लेकिन यह उनके लिए नहीं है जिन्हेंब्ल्ड क्लोट्स का ख़तरा रहता है क्योंकि इनमे इस्ट्रोजन की लोडिंग रहती है .स्मोकर्स इसी वर्ग में आएँगी .जिनकी उम्र ३५ से ऊपर है तथा जिन्हें दिल की बीमारियों का ख़तरा है .जिन्हें मीग्रेंन आधे सिर के पूरे दर्द की शिकायत रहती है .आधा शीशी का दर्द रहता है ,उनके लिए भी नहीं हैं ये पिल्स .
हेवी फ्लो से बचाव के लिए परम्परागत पिल भी कामयाब रहती है लेकिन इसमें माहवारी ज़ारी रहती है .अलबत्ता इन पिल्स में प्रो -जेस्तीरोंन का नियत (एकसमान बना रहने वाला स्तर ) इंडो -मीत्रियम को थिनर लाइनिंग के लिए तैयार हर माह ,करता है .प्लेसिबो पिल्स के दौरान हलका रक्त स्राव होता है .यु शेड ए थिनर यूटेराइन लाइनिंग ओवर टाइम ।
कुछ ऐसी पिल्स भी हैं जिनके स्तेमाल से साल भर में चार पीरियड्स ही होतें हैं ।
(३)अंत :गर्भाश्यी युक्तियाँ (एन इंट्रा -यूटेराइन डिवाइस ):
इसमें गर्भाशय के अन्दर एक युक्ति फिट कर दी जाती है जिससे नियमित रोजाना प्रो -जेस्तींन स्राव होता है .यह यूटेराइन लाइनिंग को झीना करता चलता है .आखिर में खारिज करने ,शेड करने के लिए अस्तर बचता ही कहाँ है ?
एक तिहाई महिलाओं को इसे धारण करने के बाद पीरियड्स होते ही नहीं हैं ,एक तिहाई को एक दम से हलकी ब्लीडिंग होती है (लाइटर पीरियड्स होतें हैं ).जबकि शेष एक तिहाई को कभी कभार धब्बा सा आजाता है ।
अलबत्ता इसके पार्श्व प्रभावों के बतौर फिट करने के दौरान पीड़ा ,तीन सप्ताह तक एंठन और ब्लीडिंग भी हो सकती है .(ज़ारी ...)

माहवारी की पीड़ा कारण और निदान (ज़ारी ...)

एक बार गर्भाशय की स्क्वीज़िंग शुरू हो जाए ,तब दर्द की लहर के फ़ैल कर उग्र होने का इंतज़ार न कीजिये .दर्द के लिए कुसूरवार केमिकल 'प्रोस्ताग्लेंदिन्सके उत्पादन को जल्दी से जल्दी मुल्तवी करवाने के उपाय पहले से कीजिये ।मसल कोंतरेक्शन की वजह यही प्रोस्टा -ग्लेन -डींस ही बनतें हैं .
दी फिक्सीज़ :नाप्रोक्सें ,एस्पिरीन ,तथा इबु -प्रोफेन में से जो भी और जिस मात्रा /डोज़ में आपको माफिक आतें हैं क्रेम्प्स के शुरू होने से घंटा भर पहले ही ले लें .इंतज़ार न करें .दर्द की लहर एक बार फ़ैल गई तो दिमाग की तरफ से इसे मोड़ना मुश्किल हो जाएगा ।
कुछ महिलाओं को डबल डोज़ लेनी पड़ती है ताकि दवा का एक न्यूनतम स्तर रक्त में बना रहे .इसकी अधिकतम सुरक्षित सीमा दिनभर की खुराक २४०० मिलिग्रेम है .लेकिन आप कमसे कम वह मात्रा भर लें जो आपके लिए असरकारी सिद्ध हो .माहवारी की शुरुआत में ८०० मिलिग्रेम हर ६ घंटा के बाद ,बाद में ६०० मिलिग्रेम हरेक ६ घंटों के बाद ले सकतें हैं .दिल के रोगों का जोखिम मौजूद रहने पर अपने डॉक्टर से मशविरा करें ।
याद रहे :नॉन -स्टी-रोइडल - एंटी -इन -फ्लेमेत्री ड्रग्स दीर्घावधि में उदर-आंत्र(गैस्ट्रो -इन -टेस्तिनल ट्राबुल्स) सम्बन्धी मुश्किल की वजह बनती हैं .बन सकतीं हैं ।
समाधान :ओमेगा -३ फैट्स (मच्छी से आसानी से प्राप्य ) प्रोस्टा -ग्लेन -डींस के पैदा होने को बाधित कर सकता है .ओमेगा -३ फैट्स का इंटेक जिन महिलाओं का कम रहता है उन्हें माहवारी के दौरान ज्यादा कष्ट होता है .रिसर्च ने इस तरफ इशारा किया है ।
लेकिन कुछ माहिर ओमेगा -३ के इंटेक को बढ़ाना ज़रूरी नहीं मानते ।
(२)हीट:आजमाई हुआ देशी नुश्खा है गर्म पानी से भरी बोतल से सिंकाई या फिर हीटिंग पैड्स का स्तेमाल .(ज़ारी .......)

दि सेन्स अबाउट साइंस केम्पेन ....(एस ए एस )?

सेलेब्रिटी हेल्थ टिप्स डी -बन्क्द। साइंस एक्टिविस्ट्स 'ड्रो 'अप लिस्ट ऑफ़ टॉप फोनी फेड्स एन -डोरस्द बाई स्टार्स .(डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,टाइम्स ट्रेंड्स ,मुंबई ,दिसंबर ३० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
एक विज्ञापन आपने अकसर देखा होगा 'ठंडा यानी .....जी करता है प्यास लगे 'ज़नाबे याला प्यास कभी भी किसी कोला से बुझती नहीं है भड़कती है .प्यास बुझती है शीतल जल से .ये और ऐसे कितने ही और भ्रम है ,मिथ हैं जिन्हें नाम चीन लोग अपना समर्थन और नाम दे रहें हैं ।
एस ए एस (सेन्स अबाउट साइंस )ने बीड़ा उठाया है रहन सहन और खानपान सम्बन्धी ऐसी ही कुछ भ्रांतियों को तोड़ा जाए .इस अभियान के तहत इस संस्था ने साल २०१० की सबसे भ्रामक चीज़ों की एक सूची तैयार की है ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए .भ्रमों के जाले से निकलकर लोग बाहर आयें ।
एक झांकी देखिये :अलेक्स रिड ने 'सन टेब्लोइड 'को अप्रेल में क्या बतलाया था ?बड़े मुकाबलों में शिरकत करने से पहले वह अपने स्पर्म्स (शुक्राणुओं यानी स्पर-मेटा -जो -आ ) एक बार उनके अंड-कोष में बन चुके होतें हैं , दोबारा ज़ज्ब कर लेतें हैं ।
प्रजनन रिसर्च के माहिर जानतें हैं अंड कोष में एक बार बनने के बाद स्पर्म को अंड कोष द्वारा ज़ज्ब नहीं किया जा सकता .लेकिन ये केज फाइटर बा -कायदा ऐसा दावा करते रहें हैं ।
नाम चीन फ़ुटबाल खिलाड़ी डेविड बेखेम तथा प्रिंस विलियम्स की मंगेतर केट मिडिल्टन 'होलोग्रेम जडित सिलिकोन ब्रेसलेट्स 'पहने रहतीं हैं ।
निर्माता कम्पनी दावा करती है 'कलाई या बाजू पर पहने जाने वाला यह दिखाऊ जेवर एनर्जी लेविल और आपकी फिटनेस (तंदरुस्ती )में इजाफा करता है ।
महज़ खाम -खयाली है यह भ्रम है यथार्थ नहीं ।
कुछ मशहूर हूर और हूरे मेपिल सिरप ,लेमन तथा पेपर(लाल हरी या काली मिर्च ,बेल पेपर में से ) पर दो हफ्ता निर्वाह करतें हैं .(पोषक तत्वों की निहायत कमी हो जायेगी ,करके मत देख लेना ).

हेल्थ टिप्स :यकीन मानिए ....

नथिंग इज केमिकल फ्री :
यकीन मानिए कोई भी खाद्य रसायन रहित नहीं होता है .सभी केमिकल कंपाउंड्स का जोड़ तोड़ हैं .एवरी थिंग इज मेड ऑफ़ केमिकल्स ,इट्स जस्ट ए केस ऑफ़ व्हिच वंस ।
मार्किटिंग फंडा है डितोक्स:इसके लिए किसी महंगे नुश्खे किसी बहु -विज्ञापित ,अतिरिक्त तौर पर हाइप कीगई 'डी -टोक्स डाइट 'की ज़रुरत नहीं है .कुदरती ताकत है आपके रोग प्रति -रोधी तंत्र में विषाक्त पदार्थों को निकाल बाहर करने की .आखिर आप वमन करतें हैं .विजातीय पदार्थों को छींक के ज़रिये खारिज करता है इम्यून सिस्टम .और फिर टोकसिफाई ही क्यों करतें हैं शरीर को .किया है बरसों में तो किसी ख़ास खुराक से कैसे डी -टोक्सिफाई हो जाएगा .बस टोक्सिफाई करना बंद करदें .बाकी काम खुद बा खुद हो जाएगा ।
देयर इज नो नीड टू बूस्ट :बॉडी -ली फंक्शन्स अकर विद -आउट बूस्टिंग ।
फिर भी न जाने क्यों फंसते हैं नाम चीन लोग 'ड्यू -बियस डाईटओं 'के कुचक में .......?
(१)कुछ नाम चीन हस्तियाँ 'मेपिल सिरप ',लेमन (नीम्बू )तथा मात्र"पेपर 'पर गुज़र बसर करतीं हैं .वह भी एक दिन नहीं दो नहीं पूरे एक पखवाड़े तक .आप नाम ले सकतें हैं नओमी कैम्पबेल का ,अश्तों कुत्चेर तथा डेमी मूर का ।
(२)एनर्जी और फिटनेस को बनाए रखने के लिए कुछ लोग 'होलोग्रेम एम्बीडिद सिलिकोन ब्रेसलेट 'पहने रहतें हैं .दविड़ बेककहम ,केट मिद्द्लेटों से क्षमा याचना सहित ।
एक शख्शियत अपने खाने की तमाम चीज़ों पर चारकोल छिड़क कर खाती है .नाम है 'सरह हार्डिंग '।
कागे फिघ्टर अलेक्स रिद 'रिएब्सोर्ब्स ' हिज़ स्पर्म्स .

यदि आप ''मिडास टच जीन ' लिए हैं ....?

'मिडास टच जीन 'बिहाइंड ब्रिलिएंट बिजनिसमेंन (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर ,३० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
केलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी के रिसर्च -दानों ने पता लगाया है .आप धीरू भाई अम्बानी होंगें या नहीं यह एक मिडास जीन टच पर निर्भर करता है ।
दी मिडास टच ?
आपकी आर्थिक कामयाबी को चार चाँद लग जाते हैं जिस चीज़ में आप हाथ डालतें हैं वहां से सोना बरसता है यदि आप एक मिडास टच जीन के स्वामी है ।
यूनानी दंत कथा के अनुसार राजा मिडास को यह वरदान प्राप्त था वह जिस भी चीज़ को छू लेते थे वह सोना बन जाती है .यहीं से यह मिथक चल निकला 'दी मिडास टच '।
अब साइंसदान कह रहें हैं बिजनेस में आपकी कामयाबी ,बे -मिसाल आर्थिक लाभ के पीछे भी एक जीवन इकाई (जीन या क्वांटम ऑफ़ लाइफ )का हाथ होता है .इसे 'दी मिडास टच जीन 'कहा जा रहा है .कुछ लोगों को यह जीवन खंड विरासत में मिलता है .अनिल और मुकेश अम्बानी इसकी मिसाल हो सकतें हैं .

दिमागी शक्लोसूरत (ब्रेन शेप ) तय करती हैं आपके राजनीतिक रुझान को ....

'ब्रैंस शेप डीटर -मीन्स पोलिटिकल व्यूज़ '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर ३० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
आप वाम -मार्गी (लेफ्टिए ,रक्त -रंगी ) होंगे या दक्षिण -पंथी या फिर मध्य -मार्गी इसका राज आपके दिमाग की
विशिष्ट आकृति में छिपा रहता है ।
यह अन्वेषण हाल फिलाल यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन के रिसर्च -दानों ने प्रस्तुत किया है .सब कुछ आपके दिमाग की भौतिक बनावट में मौजूद है .

हेल्थ टिप्स .

कोफी की ताजगी (फ्रेशनेस ) को बरकरार रखने ,बनाए रखने के लिए इसे फ्रीज़र में रखिये ।
माइक्रो -वेव फ्रेंडली बर्तनों के लिए चौड़े और गोल घेरे वाले पात्रों का स्तेमाल करें .राउंड डिशिज़ स्प्रेड हीट फास्टर एंड आर दस बेटर फॉर माइक्रोवेव ।
हिचकियों से बचाव के लिए ?
(१)क्युओर फॉर हिक -कप्स ?
पेपर बैग(कागज़ के लिफ़ाफ़े ) को गुब्बारे की तरह फुलाइये .ब्रीद इनटू ए पेपर बैग .हिचकियाँ रुक जायेंगी .दरअसल ऐसा करने से हमारे रक्त में कार्बन -डाय -आक -साइड की मात्रा बढ़ जाती है ऐसे में हमारा शरीर इससे पार पाने में लग जाता है .हिचकी पर से ध्यान हठ जाता है ।
(२)मुह और नाक कसके बंद कर लीजिये जैसा पानी में कूदते वक्त कई लोग करते हैं .ऐसा करने से आपके खून में कारबन -डाय -आक -साइड का लेवल बढ़ जाता है .शरीर इस नै स्थिति का मुकाबला करने में जुट जाता है और बस हिचकी से निजात मिल जाती है ।
(३)मुह के अन्दर का ऊपरी भाग तालू या सोफ्ट पैलट कहलाता है इसे आहिस्ता आहिस्ता रूई के फाये से खुजलाने से हिचकियाँ थम जातीं हैं ।
(४)अपनी ज़बान (टंग ,जीभ ) बाहर निकाकर इसे यकायक तेज़ी से खींचिए .पुल योर टंग आउट ,स्टिकिंग आउट योर टंग एंड येंकिंग ऑन इट मे स्टॉप हिक -कप्स ।
(५)एक ग्लास पानी पीलीजिये .नर्व्ज़ के शमन के साथ ही हिक -कप्स का सिलसिला टूट जाएगा .पानी के गरारे (गार्गिल )करने से भी यही लाभ मिलेगा ।
(६)एक चम्मच चीनी की फंकी मार लीजिये .हिचकियाँ बंद हो जायेंगी .इट ओवर लोड्स दी नर्व एन्दिंग्स इन दी माउथ विद ए स्वीट सेंसेसन एंड दस ब्रिंग्स दी हिक -कप्स टू ए हाल्ट ।
(७)अपने दोनों कान में ऊंगलियों की डाट लगा लें (इसका मतलब यह नहीं है पूरा जोर लगा दें ऐसा करने में ,बी जेंटिल विद योर ईयर्स ),हिचकियाँ बंद हो जायेंगी ।
आखिर कैसे होता है यह करिश्मा ?
दी ब्रांच ऑफ़ दी वेगस नर्व आल्सो रीचीज़ इनटू दी ओडित्री सिस्टम ,एंड बाई स्टी -म्युलेतिंग दी नर्व एन्दिंग्स देयर दी वेगस नर्व गोज़ इनटू एक्शन ।
वेगस नर्व :आइदर ऑफ़ दी टेंथ पेयर ऑफ़ क्रेनियल नर्व्ज़ देट केरी सेंसरी एंड मोटर न्युरोंस सर्विंग दी हार्ट ,लंग्स ,स्टमक ,इन्तेस्ताइन्स एंड वेरिअस अदर ओर्गेंस .दे सप्लाई मोटर नर्व फाइबर्स टू दी मसल्स ऑफ़ स्वेलोइंग .इट्स सेंसरी ब्रान्चिज़ केरी इम्पल्सिज़ फ्रॉम दी विसरा एंड दी सेंसेशन ऑफ़ टेस्ट फ्रॉम दी माउथ .

बुधवार, 29 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स .

आजमाए हुए नुश्खे चमड़ी की फर्म्नेस के लिए :
(१)लाल चन्दन का पाउडर ,चिकनी मिटटी और दही समान मात्रा में मिलाकर चेहरा क्लीनसिंग मिल्क से साफ़ करने के बाद चेहरे पर उबटन के रूप में लगाएं .बीस मिनिट बाद चेहरा धौ लें .नियमित सेवन से चमड़ी के दाग धब्बे जाते रहेंगें ।
(२)सेब को कद्दू कस करके (ग्रेट करके )निचोड़ लें इस ज्यूस में आधा चम्मच नीम्बू निचोड़ कर चेहरे को साफ़ करने के बाद लगाएं .२० मिनिट बाद चेहरा धौ लें .दाग धब्बे नियमित सेवन से कम होंगें ।
गोरा बनाने वाला देशी सौदा :
(१)चिरोंजी बारीक पीसकर इसमें दूध मिलाकर चेहरा साफ़ करने के बाद चेहरे पर कोटन के फाये से धीरे -धीरे मलें चेहरे पर निखार आयेगा .देर सवेर गोरापन आयेगा ।
(२)दूध में व्हाईट ब्रेड के किनारे अलग करके स्लाइस का बीच वाला हिस्सा अच्छी तरह मिलाकर चेहरे पर लगाएं .२० -२५ मिनिट बाद चेहरा धौ लें .नियमित ऐसा करने से चमड़ी का रंग निखर आयेगा ।
एग व्हाईट और बादाम या फिर जैतून (ओलिव आयल )अच्छी तरह मिला लें .इसे चेहरे पर लगाएं आधा घंटा बाद चेहरा धौ लें .चेहरा एक दम से साफ़ नजर आयेगा .हाथ पैरों पर भी आजमायें .नर्म मुलायम साफ़ चमड़ी देखते ही बनेगी ।
सौजन्य :श्री मति वीणा शर्मा ,सौंदर्य विशेषज्ञा ,लक्ष्मी बाई नगर ,नै -दिल्ली११०-०२३

माहवारी से सम्बंधित आम समस्याएं और समाधान ....

पहली किश्त :
तकरीबन ९५ फीसद महिलायें माहवारी सम्बन्धी समस्याओंसे जूझतीं हैं ।
(१)हेवी ब्लीडिंग (बेहद का रक्त स्राव ,सामान्य से ज्यादा .तीन से चार टेबिल स्पून तक प्रति माहवारी सामान्य ,पांच टेबिल स्पून से ज्यादा हेवी ब्लीडिंग के अंतर्गत आता है ।).
(२)एक दम से अशक्त करने वाली पीड़ा ,एब्डोमिनल क्रेम्प्स आदि यानी पेडू में असहनीय पीड़ा आदि ।
(३)कब्जी ,दस्त लगना यानी डायरिया आदि .बेकाबू पूर्व मासिक पीड़ा (प्री -मेंस -ट्र्युअल सिंड्रोम यानी पी एम् एस ).आम मुश्किलातें हैं जिनसे महिलायें हर माह जूझतीं हैं ।
बेशक "नोवास्युअर "मुकम्मिल समाधान है लेकिन यह उनके लिए जिन्होनें अपना परिवार मुकम्मिल कर लिया है .संतान की और चाह शेष नहीं रह गई है ।
नोवास्युअर :एक छोटी सी सर्जरी या शल्य कर्म है जिसके तहत 'गर्भाशय का अस्तर 'यूटेराइन लाइनिंग 'मुक्काम्मिल तौर पर हठा दी जाती है .इसकी विस्तार से चर्चा ,गुणदोष पर आगे मशविरा होगा .पहले मूलभूत मुश्किलातों को लेतें हैं ।
(१)किलर क्रेम्प्स :माहवारी के दरमियान ऐंठन (डिस्मेनोरिया ) गर्भाशय की असामान्य स्क्वीज़िंग /दबकर तंग होते चले जाना यहाँ तक ,कई मर्तबा गर्भाशय (यूट्रस )तक पहुँचने वाली धमनियां ही अवरुद्ध होने लगती हैं इस पीड़ा की वजह बनती है .यही है एब्डोमिनल क्रेम्प्स .(ज़ारी ....).

खर्राटे के समाधान के लिए ...

डिवाइस ज़ेप्स टंग टू ब्लोक स्नोरिंग ,स्लीप अपनेया(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २९ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
साइंसदान इन दिनों एक ऐसी प्राविधि की आज़माइश कर लेना चाहतें हैं जो देखने में एक पेस मेकर जैसी ही होगी लेकिन इसका काम ज़बान को स्तिम्युलस(उत्तेजन ) देना होगा एक मामूली सी करेंट देते रहकर ।
बत्लादें आपको हमारी कंठ पेशियों के साथ साथ हमारी जबान (टंग )भी नींद के दरमियान शिथिल पड़ जाती है .स्लीप एप्नी (ओब्स्त्रक्तिव स्लीप एप्नी )की एक वजह टंग और थ्रोट मसल्स का नींद के दौरान रिलेक्स होना भी बनता है ।
यदि ऐसा नींद के दौरान पांच बार से ज्यादा होता है सांस लेने में हर ३० सेकिंड के लिए रुकावट आती है तब यह स्लीप एप्नी के अंतर्गत ही आयेगा .कुछ लोगों के साथ तो यह एक घंटा में तीस बार भी हो जाता है .ऐसे में मरीज़ तो मरीज़ उसका साथी भी गहरी नींद नहीं ले पाता.खुद मरीज़ के लिए यह हार्ट अटेक की वजह भी बन सकता है ।अगले दिन कार दुर्घटना की भी .
इस प्रायोगिक इम्प्लांट का मकसद 'हाइपोग्लोसल नर्व 'को उत्तेजन प्रदान करना है ।
हाइपोग्लोसल नर्व इज दी १२ थ क्रेनियल नर्व व्हिच सप्लाईज दी मसल्स ऑफ़ दी टंग एंड इज देयर फॉर रेस्पोंसिबिल फॉर दी मूवमेंट्स ऑफ़ टाकिंग एंड स्वेलोइंग ।इसके लिए नींद के दरमियान ज़बान को हल्का करेंट लगातार दिया जाता है ताकि यह टोंड रहे फ्लोपी न हो जाए .जैसे की यह जागते वक्त रहती है दिन में सोते वक्त भी वैसी ही बनी रहे .नतीजे अभी प्रतीक्षित हैं .

बचपन में शहरी प्रदूषण की मार आगे चलकर मोटापे और डायबिटीज़ की भी वजह बन सकती है ....

पोल्युसन कुड कोज ओबेसिटी एंड डायबिटीज़ (साईं -टेक ,मुंबई मिरर दिसंबर २९ ,२०१० ,पृष्ठ २२ )।
अमरीका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में हाल ही में संपन्न एक रिसर्च के मुताबिक़ बचपन में शहरी प्रदूषण की मार आगे चलकर युवाओं में ओबेसिटी और डायबिटीज़ की भी वजह बन सकती है ।
वाहनों खासकर कारों के इग्जास्त से निकलने वाला माइक्रो -स्कोपिक पोल्युतेंट्स तथा जीवअवशेषी ईंधनों (अमरीका में इसे गैस कहतें हैं ) से निकलने वाला शहरी प्रदूषक तत्व युवाओं में वेट गेन की एक वजह बनता चला जाता है ।
साथ ही जीवन शैली रोग सेकेंडरी डायबिटीज़(टाइप-टू -डायबिटीज़ ) के खतरे का वजन भी बढ़ जाता है ।
ये नतीजे चूहों पर की गई उन आजमाइशों पर आधारित हैं जिन्हें शहरी प्रदूषण के तुल्य प्र -दूषित माहौल में रखा गया था बेबी माउस के एक समूह को सूक्ष्म प्रदूषकों से सनी हवा में तथा दूसरे को साफ़ सुथरी फिल्टर्ड हवा में रखा गया .इनकी उम्र का सौपान वही था जो हम मनुष्यों में घुटनों चलने वाले शिशुओं और युवावस्था की देहलीज़ पर खड़े किशोर -किशोरियों का होता है ।
सभी एनिमल्स का वजन जिन्हें हाई फैट डाईट दी गई इस दरमियान बढा लेकिन जिन्हें पूरे दस सप्ताह तक रोजाना ६ घंटा प्रदूषित माहौल में रखा गया उनमे ब्लड सुगर का स्तर भी बढा हुआ दर्ज़ हुआ .इंसुलिन रेजिस्टेंस भी इनमे बढा हुआ ही दर्ज़ हुआ .एब्दोमन के अलावा इनके अंदरूनी अंगों पर भी ज्यादा चर्बी चढ़ गई ।
विशेष :माइस ऑन ए हाई फैट डाईट हु लिव्ड इन दी एयर बोर्न टोक्सिंस डिड नोट गेन एनी मोर वेट देन देयर काउंटर पार्ट्स ऑन ए हाई फैट डाईट ,हु वर ब्रीडिंग फ्रेश एयर ।
बट माइस एक्सपोज्ड टू पोल्युतेंट्स व्हाइल ऑन ए नोरमल डाईट डिड हेव इनक्रीजिंग लेविल्स ऑफ़ बॉडी फैट,सजेस्तिंग देट एक्सपोज़र टू पोल्युतेंट्स वाज़ एनफ टू ट्रिगर वेट गेन ।
'आर्तिरियो -स्केलारोसिस थ्रोम्योसिस एंड वैस्क्युलर बायलोजी' में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है .

ए डी एच डी रूल बुक फॉर पेरेंट्स .(ज़ारी ....)

अटेंशन डेफि -सिट हाईपरएकटिव -ईटी डिस -ऑर्डर के लक्षण दिखलाई देने पर बच्चा कुछ भी अच्छा करे उसकी दिल खोल कर प्रशंशा करें .उसे उसकी क्षमता और हुनर से वाकिफ करवातें रहें .प्रेरक शक्ति को जगाने बनाये रखने के लिए प्रोत्साहन बेहद ज़रूरी है ।
फटकारना ,लताड़ना ,ताना मारना ,झिडकी देना ए डी एच डी के लक्षणों को और भी उग्र कर देगा .ऐसे में अवांच्छित ट्रेट्स का ही पल्लवन होगा .काम का कुछ नहीं निकलेगा .अपना आत्मविश्वाश और स्नेह बच्चे पर उड़ेलते रहिये .उसे उसकी असफलताओं ,ना -कामयाबियों का एहसास न होने दें ।
ऐसी स्थितियों से बचिए जहां बच्चा एक जगह खाली बैठा बैठा शून्य में ताक़ रहा है ।
सकारात्मक रहिये बच्चे के साथ .सेट क्लीयर रूल्स एंड बी कंसिस्टेंट एंड पोजिटिव .सुबह सवेरे का व्यायाम ,पी टी /योग आसन /प्राणायाम /कोई भी भौतिक गतिविधि जो मुमकिन है स्नायु तंत्र को शांत करती है ।
यूज़ कम्प्यूटर्स ,पाम टोप्स एंड ओर्गेनाइज़र्स ।
परंपरा गत ढाँचे से बाहर निकल कर बच्चे को सिखाइए पढ़ाइये .ट्राई न्यू वेज़ ऑफ़ स्टडीइंग विद मल्टी -सेंसरी एप्रोचिज़ -रीड चेप्टर्स एलाउड (जोर जोर से बोल बोल कर वाचन और पाठ को पढ़िए ),नोट्स बनाइये .मुख्य बातों को टेप रिकोर्ड कीजिये .बार बार दोहराइए ।
बिलकुल शांत जगह पर बैठ कर होम वर्क कीजिये .किसी प्रकार की कोई खलल इस समय नहीं होनी चाहिए ।
टी वी पर खुद भी अंकुश रखिये .सीमित समय के लिए ही देखा जाए ।
प्रार्थना का अपना महत्व है .प्रे -इंग आल्सो हेज़ ए कामिंग इफेक्ट लाइक योग आस्नाज़ एंड प्राणायाम ऑन दी नर्वस सिस्टम ।
विशेष :ज्वाइन ए सपोर्ट ग्रुप ऑर टाक टू अदर पेरेंट्स विद सिमिलर प्रोब्लम्स .फेमिली एंड स्पेसल कोंसेलिंग फोकसिज़ ऑन कंट्रोलिंग दी एन्वाय्रंमेंट्स टू इनक्रीज ऑर दिक्रीज़स्ति -म्युलेसन एंड वर्क ऑन कोपिंग मिकेनिज्म .'अन्फोर्च्युनेतली ए डी एच डी इज नोट कन्सिदर्द ए लर्निंग डिस -एबिलिटी ,बिकोज़ इट कैन बी कंट्रोल्ड बाई मेडिकेसन ' सेज डॉ .दादाचंजी.हाव -एवर २५%ऑफ़ विक्टिम्स डू नोट रेस्पोंद टू मेडिकेसन .

हेल्थ टिप्स .

मिर्च (हरी हो या लाल )का दंठाल तोड़ कर रखिये .भंडारण अवधि (शेल्फ लाइफ )बढ़ जायेगी .ज्यादा देर तक ताज़ा रहेगी मिर्च .अलावा इसके इन्हें फ्रिज में रखते वक्त पोलिथीन का स्तेमाल न करें ।
पत्तेदार सब्जियां बनाते वक्त एक चुटकी शक्कर (एड ए पिंच ऑफ़ सुगर ) पकाने के दरमियान इसमें मिला दीजिये .तरकारी का ब्राईट ग्रीन कलर ,मनभावन रंग आपको ललचाएगा ।

मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स .

फ़र्म स्किन के लिए :
(१)चेहरे को आइस क्यूब से साफ़ करें .इसके बाद पके हुए पपीते का मसला हुआ गूदा (स्मेश्द पल्प )चेहरे पर आहिस्ता आहिस्ता लगाकर चेहरा २० -२५ मिनिट बाद धौ लें .झाइयां कम होंगी .स्किन कसावदार दिखेगी ।
(२)अनार के ज्यूस में मसूड़ की पिसी हुई दाल जिसे रात को भिगोया जा चुका है तथा दही मिलाकर उबटन तैयार करें .इसे चेहरे पर लगायें .आधा घंटा बाद चेहरा धौ लें ।
(३)रात को बादाम भिगों दें .सुबह इन्हें पीसलें .पके हुए केले को मसल कर इसमें बादाम पिसा हुआ मिलाकर चेहरे पर लगायें .बाद इसके कोई २० मिनिट बाद चेहरा धौ लें ।
(४)संतरे के ज्यूस में जौं का आटा मिलाकर उबटन तैयार करें .इसे चेहरे पर लगाकर चेहरा आधा घंटा बाद धौ लें .झुर्रियां कम होंगी नियमित स्तेमाल से .

सब कुछ होपलेस नहीं है .आस बाकी है 'ए डी एच डी ' से ग्रस्त नौनिहालों के मामले में ...(ज़ारी ...)

'देखिये उस तरफ उजाला है जिस जगह रौशनी नहीं जाती 'बड़ी मौजू हैं दुष्यंत कुमारजी कि ये पंक्तियाँ 'अटेंशन देफिशित हाई -पर -एक -टीवीटी डिस -ऑर्डर के मामलों में ।
समय पर ज़रूरी चिकित्सा रोग निदान और सही पारिवारिक माहौल कमोबेश बच्चे को ए डी एच डी की गिरिफ्त से निकाल सकता है .दीचाइल्ड कैन परफोर्म एंड लिव विद इट ।
माहिरों के अनुसार माँ -बाप और टीचर्स के सहयोग के अलावा खासकर उन बच्चों के मामले में जो आक्रामक नहीं है और जिनका ताल्लुक स्टेबिल और सपोर्टिव होम एन्वायरन्मेंट से है ,उन्हें साइको -स्तिम्युलेंट ड्रग थिरेपी माफिक आती है .७५ फीसदऐसे ही मामलों में यह कारगर साबित होती है ।
साइको -स्तीम्युलेंत ड्रग में मिथाइल- फेनिदेत खासी सुरक्षित और असरकारी मानी जाती है .यह दवा 'इन्स्पिराल्सिर 'और 'अद्द्विसे' (एडवाइज )का मिश्र है ।
बेशक इसके पार्श्व प्रभावों में नींद में खलल ,अनिद्रा ,भूख का कम हो जाना अवसाद और सिर दर्द भी शामिल हैं ,उदर- शूल और हाई -ब्लड प्रेशर भी ,लेकिन दवा बंद करने पर यह पार्श्व प्रभाव भी नदारद हो जातें हैं ।
कुछ बच्चों में अवांच्छित प्रभाव न के बराबर ही सामने आतें हैं ,बस भूख थोड़ा सा कम लगती है .अलबत्ता इसका दीर्घावधि सेवन बच्चे की बढ़वार को असरग्रस्त कर सकता है इसीलिए डॉक्टर्स उसके वेट पर नजर रखते हैं ।
हर बच्चे के लिए खुराख अलग होती है दवा की ,इसे अन्य दवाओं के साथ भी समायोजित किया जा सकता है .अलबत्ता बच्चे का ध्यान टिकने लगता है वह परीक्षाओं के दौर से कामयाबी के साथ बाहर आता है 'एस एस सी 'और 'एच एस सी ' में अच्छे ग्रेड के साथ उत्तीर्ण होता है .बेशक दवा पर निर्भरता और दवा के फायदे के स्पष्ट लाभ को बच्चा समझने बूझने लगता है .सलाह मशविरे की ज़रुरत फिर भी बनी रहती है .अब उसका ध्यान टिकता है .फोकस होता है दो घंटा तक .लेकिन दवा की अपनी सीमाएं हैं और भी बहुत कुछ चाहिए दवा के अलावा .(ज़ारी ....)

क्रोनिक पैन से बाचाव के लिए 'बोटोक्स स्पाइनल जेब्स.

बोटोक्स स्पाइनल जेब्स कुड बी एन इफेक्टिव पैन किलर (साईं -टेक ,मुंबई मिरर दिसंबर २८ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )/'स्पाइनल बोटोक्स 'जेब्स मे रिलीव पैन (डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २८,२०१० ,पृष्ठ १५ )।

विज्ञान पत्रिका एन्स्थीज़िया एंड एनल -जेसिया में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार 'बोतुलिनाम न्यूरो -तोक्सिन

-टाइप-ए 'जिसे आमतौर पर बोटोक्स के नाम से जाना जाता है इन्फ्लेमेशन से paidaa दर्द में बेहतरीन दर्द निवारक का काम करता है ।

चूहों की स्पाइनल केनाल में इसे सुईं के ज़रिये पहुंचाने के बाद यह नतीजे निकाले गएँ हैं .'स्पाइनल बोटोक्स 'का एंटिनो -सिसप्तिव प्रभाव बेमिसाल है ।

सिओल नेशनल यूनिवर्सिटी के वों -हो -ली के नेत्रित्व में यह अध्ययन संपन्न हुआ है .जिन चूहों को यह 'बोटोक्स स्पाइनल ज़ेब्स' दिए गए उनमे कई ऐसे जैवरसायन जो दिमाग के जिस हिस्से में बनतें हैं वहां से न्यूरो -ट्रांस -मीटर का काम करतें हैं कमतर पाए गए जिनका सम्बन्ध दर्द सम्बन्धी स्थितयों से होता है .इस अन्वेषण से क्रोनिक पैन के बेहतर प्रबंधन में आइन्दा के लिए मदद मिल सकती है .नए इलाज़ हाथ लग सकतें हैं .भविष्य में लाइलाज दर्द के अभिशाप से मुक्ति भी mil सकती है .

एक्स्ट्रा टमी बल्ज़ के समाधान के लिए 'डाईट ड्रग '.

दिस जेब कैन हेल्प यु ड्रॉप २ साइज़ीज़इन जस्ट ६ मंथ्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २८ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
रिसर्चरों ने एक ऐसी डाईट ड्रग कि दिशा में कदम बढा दिया है जो ६ माह में ही ड्रेस साइज़ २ अंकोंसे कम कर सकती है .तीन सालों में यह उपलब्ध करवा दीजाएगी .
आजमाइशों में इसके अच्छे नतीजे औरत और मर्दों में समान रूप से निकलें हैं .जा लोग सालों से वजन कम करने के लिए प्रयास रत थे ६ माह के भीतर ही इनका वजन स्टोन एंड ए हाफ कम हो गया ।
आपको बतलादें ,ब्रितानी माप जोख प्रणाली में स्टोन भार को अभिव्यक्त करने की एक इकाई है .स्टोन इज ए ब्रिटिश यूनिट फॉर मेज़रिंग वेट .ए स्टोन मेज़र्स १४ पोंड्स (६.३५ किलोग्रेम ).स्टोन एंड ए हाफ वुड अमाउंट टू२१ पोंड्स ।
लिराग्लू -टाइड नाम है इस डाईट ड्रग का .

तीमारदारों की अग्नि -परिक्षा लेती हैं कुछ बीमारियाँ ...

कुछ बीमारियाँ तीमारदारों परिवार के दूसरे सदस्यों की भी पूरी अग्नि -परीक्षा लेतीं हैं .अल्ज़ाइमर्स के अलावा पार्किन्संज़ को भी इसी श्रेणी में रखा जाएगा .क्या किया जाए मरीज़ के साथ सहानुभूति के अलावा तालमेल बिठाने के लिए .खुद अपनी संभाल के लिए क्या किया जाए .तीमारदारों के लिए भी डी -वास -टेटिंग हो जातीं हैं यह बीमारियाँ .मेरा खुदका भी ऐसे मरीजों से कई मर्तबा पाला पड़ा है .इनके तीमारदारों की पीड़ा को मैंने करीब से देखा है ।
सबसे पहले इन बीमारियों के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है .इसके दुष्प्रभावों का भी इल्म होना चाहिए .तीमारदार के लिए धेर्य बनाए रखना मरीज़ के साथ ज़रूरी है .कभी भी अपना आपा खोकर मरीज़ पर अपना गुस्सा न निकालें .अवसाद ग्रस्त हो सकता है मरीज़ ।आप खुद भी अवसाद ग्रस्त हो सकता है तीमारदार .
मरीज़ का संभाषण असर ग्रस्त होता है इन बीमारियों में भूल कर भी उसका मज़ाक न बनाएं .जो है उसे स्वीकार करें .मान कर चलें ऐसा ऐसा होगा .अल्ज़ाइमर्स का मरीज़ तो शोर्ट टर्म मेमोरी के अलावा आगे चलकर लॉन्ग टर्म मेमोरी लोस की चपेट में भी आजाता है .तीमारदार को ही पहचानना भूल जाता है .प्रेसिडेंट रीगन को बीमारी के आखिरी चरण में यह भी इल्म नहीं रहा था सिरहाने बैठी जो महिला उनकी सेवा कर रही थी वह और कोई न होकर खुद उनकी बीवी नेन्सी रीगन है .अल्ज़ाइमर्स की तरफ अमरीका का विशेष ध्यान इसी एपिसोड के बाद गया है ।
पार्किन्संज़ के मरीज़ का बेड रिदिन होके रह जाना रोग को और भी तेज़ी से बढा सकता है ,जहां तक संभव हो मरीज़ को उत्साहित करें ,उठने बैठने में उसकी मदद करके उसे स्व -निर्भर होने की कोशिश ज़रूर करने दें ।
२४/७ मरीज़ का संग साथ तीमारदार के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं .तीमारदार के लिए ज़रूरी है अपने लिए भी बीच बीच में थोड़ा वक्त निकाले .अपनी अभिरुचि का कोई काम ज़रूर करे .जो भी मुमकिन हो किया जाए .अपनी होबी को ज़िंदा रखा जाए .दोनों के सहजीवन के लिए यह ज़रूरी है .इससे दोनों को लाभ होगा .मरीज़ को भी तीमारदार को भी ।
तीमारदारों के लिए भी एक सपोर्ट ग्रुप होना चाहिए जहां वह अपने अनुभवों को परस्पर बाँट सकें .

क्या वजह बनती है 'पार्किन्संज़ डीज़ीज़' की?

काज ऑफ़ पार्किन्संज़ डीज़ीज़ ?
दिमाग में एक जैवरसायन होता है डोपामिन .दिमाग में संचार (कम्युनिकेशन )का काम ,एक न्यूरोन से दूसरे तक सूचना पहुंचाने का काम यही रसायन करता है इसीलिए इसे न्यूरो -ट्रांस -मीटर भी कहा जाता है .अब यदि दिमाग में यह जैव -रसायन बन्ना मुल्तवी हो जाए तब नर्व सेल्स के बीच संचार का पुल भी टूट जाता है .दिमाग की एक एकल कोशिका को ही नर्व सेल या न्यूरोन कहा जाता है .डिज़ इज ए क्वांटम ऑफ़ ब्रेन .नर्व टू नर्व संचार सेतु ढह जाने का मतलब बोध सम्बन्धी कोगनिटिव तथा बॉडी -ली मूवमेंट्स का बाधित हो जाना है ।
बेशक माहिरों को अभी यह इल्म नहीं है ,इन नर्व सेल्स के डेमेज होने ,क्षति ग्रस्त होने की वजह क्या है .क्यों कुछ लोग पार्किन्संज़ सिंड्रोम की चपेट में आ जातें हैं .लेकिन यह कोई संक्रमण शील या छूत की बीमारी नहीं है ।
लक्षण क्या है पार्किन्संज़ के ?
पार्किन्संज़ डीज़ीज़ अफेक्ट्स बॉडी -ली कंट्रोल रिज़ल्टिंग इन मूवमेंट डिफी -कल -टीज़ ,मस्क्युलर स्टिफनेस ,एंड ट्रेमर्स .अदर सिम्टम्स इनक्लूड ऑटो -नोमिक डिस -फंक्शन ,कोग्नीतिव एंड न्यूरो -बिहेवियरल प्रोब्लेम्स एंड सेंसरी एंड स्लीप डिफी -कल्तीज़मरीज़ का गेट(ठवन )बिगड़ जाता है ।
इस बीमारी को पार्किन्सोनिज्म (अकैनेटिक रिजिड सिंड्रोम )भी कहा जाता है .इट्स क्लिनिकल पिक्चर इज करेक्तराइज़्द बाई ट्रेमर ,रिजिडिटी ,स्लोनेस ऑफ़ मूवमेंट एंड पोश्च्युरल इन्स्तेबिलिती .अकसर एक हाथ में कंप देखा जा सकता है .धीरे धीरे यह इसी साइड की टांग तक तथा फिरयह कंप (ट्रेमर ) दूसरे लिम्ब्स तक भी आजाता है .आराम की स्थिति में यह हाथों तक आजाता है ऐसे में चाय का प्याला पानी का ग्लास भी पकडे रहना मरीज़ के लिए मुश्किल हो जाता है .मरीज़ का चेहरा सपाट एक्सप्रेशन लेस ,भावशून्य ,आवाज़ में उतार चढ़ाव से रहित ,अन्मोद्यु -लेतिद स्पीच .दी पेशेंट हेज़ ए शफलिंग वाक् .,एन इनक्रीजिंग टेंडेंसी टू स्टूप .

हेल्थ टिप्स .

गुणकारी अंगूर :
फेफड़ों में ज़मा म्यूकस को बाहर निकालने के लिए अंगूर का ज्यूस थोड़ा शहद मिलाकर लें .ग्रेप्स क्लीयर म्यूकस फ्रॉम दी लंग्स .स्क्वीज़ दी ज्यूस एंड एड ए बीत ऑफ़ हनी तू इट ।
स्ट्रेस में राहत के लिए तुलसी के पत्ते :तनाव किसी भी प्रकार की दवाब कारी स्थिति में तुलसी के पत्तों का सेवन लाभप्रद रहता है .१२ पत्ते सुबह और इतने ही शाम को तुलसी के चबाइए .तुलसी लीव्ज़ हेव बीन फ़ाउंड बेनिफिशियल इंदी ट्रीटमेंट ऑफ़ स्ट्रेस .च्यु १२ लीव्ज़ ट्वाईस ए डे टू प्रीवेंट स्ट्रेस ।
बासिल (बेज़ल )इज एन अरोमेतिक एनुवल प्लांट नेटिव टू ट्रोपिकल एशिया विद ए स्ट्रोंग पंजेंट ,स्वीट स्मेल .इट इज यूज्ड एज ए फ्लेव्रिंग एजेंट इन कूकिंग एंड इज आल्सो कन्सिदर्द सेक्रेड बाई हिदूज़ ।
तुलसी का पौधा भारत में पवित्र मानी जाने वाली बूटी है जिसका प्रयोग खाने में होता है .

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

जानिये ,पहचानिए 'ए डी एच डी 'के लक्षणों को ..(गत पोस्ट से आगे ...)

दो प्रकार का है अटेन्सन डेफि -सिट डिस -ऑर्डर.एक वह जिसमे हाई -पर -एक -टीवीटी का प्राबल्य होता है दूसरी किस्म में इन -अटेंतिव -नेस का प्रभुत्व रहता है ।
ए डी एच डी की दूसरी किस्म में (जिसे ज्यादा मान्यता प्राप्त है ) बालक एब्सेंट -माइंड -ईद दिखेगा .दिवास्वप्न देखता हुआ लगेगा .कक्षा या किसी और सभा से उत्सव से इसका ध्यान हठते देर नहीं लगती .परिवेश से इसका संपर्क टूटता सा लगता है ।ये लक्षण इतने शटल (सूक्षम)
रहतें हैं ,आसानी से पकड में नहीं आते ।
ग्रुप में जब वह है तब उसकी हरकतों पर ध्यान दीजिये .ओब्ज़र्व कीजिये उसे .क्या वह स्कूल में ,खेल के मैदान में औरों के काम में बाधा डाल रहा है ?औरों का खेल बिगाड़ रहा है ? kyaa uske vyvhaar ko durust karne ke liye doosron ko dakhal denaa pd jaataa hai ?
oopar batlaai harkaton ke alaavaa dekhiye usme nimn lakshan to mauzood nahin hai .
(1)Fails to pay close attention to details .
(2)Has difficulty sustaining attentin at work and play .
(3)Flits from one thing to another .
(4)Changes TV channels constantly .
(5)Does not seem to listen while spoken to .
(6)Forgets instructions .
(7)Presents messy school work ,with careless mistakes .Is easily distracted .
(8) Fails to finish tasks ,specially those which require mental effort.

(9)Often looses things .(continued .....)
Sorry the translitteration has failed .
क्या उसका मन विचार के संग विचार की तेज़ी से ही डोल रहा है ?अभी यह अभी वह .बैठा बैठा हाथ पैर चलाता रहता है या फिर इधर उधर हरकतें करता रहता है .क्लास में अपनी सीट से उठके चल देता है .टिक के बैठना उसके स्वभाव में है ही नहीं .इधर उधर दौड़ना ,चढ़ना उसकी आदत में शुमार हो रहा है .क्या ऐसा लगता है निरंतर उसे कोई मोटर चला रही है ?बेहद बात करता है वह ?क्या वह नाराजगी के लहजे में जोर जोर से किसी की देर तक आलोचना करता रहता है .अपना पक्ष अपनी बात मनवाने सही सिद्ध करने बतलाने की जिद पे अड़ा रहता है .कभी संतुष्ट नहीं होता ?बेढंगी और बेहूदा हरकतें करता रहता है बिना रुके .आस पास अव्यवस्था और गंदगी के प्रति लापरवाह बना रहता है .अव्यवस्था फैलाए रहता है .असमन्वित रहता है हर काम में ?एक जगह टिकना उसके बूते की बात नहीं .ही हेट्स टू बी कन -फाइंड.हर चीज़ को हाथ लगाता है .इज सोसली आउट ऑफ़ ट्यून ,एक्ट्स एंड बिहेव्ज़ इन -अप्रो -प्रियेतली .खाने और सोने का वक्त उसे ध्यान नहीं रहता है .आपको थका कर चूर कर देता है .निवृत होने का कोई समय नहीं है उसका .हेज़ इर्रातिक टॉयलेट हेबिट्स .वेक्स अप एत नाईट.खतरे का उसे बोध ही नहीं होता . सवाल करने पर बिना सोचे समझे सवाल खत्म होने से पहले ही ज़वाब दे देता है .बोल पड़ता है ?अपनी पारी का इंतज़ार नहीं कर सकता .लाइन में नहीं खड़ा हो सकता .आगे पीछे वालों को धक्का देगा .किसी काम में कोई संकोच नहीं करता .कोई संयम या रोक नहीं लगाता खुद पे ।
संशय आने पर बाल रोग विशेषज्ञ से मिलने में आप संकोच न करें .क्लिनिकल है ए डी एच डी का निदान .कोई ब्लड टेस्ट नहीं .कोई ब्रेन स्केन नहीं .'लो आई क्यू ' भी इसकी वजह हो सकता है .एपिलेप्सी ,पूअर विज़न ,लर्निंग डिस -एबिलितीज़ भी इन -अतेंतिव्नेस और हाई -पर -एक -टीवीटी की वजह हो सकतें हैं .संकोच कैसा ?ज़रूरी नहीं है 'ए डी एह डी 'हो ही .

क्या है 'अटेंशन डेफिसिट हाई -पर -एक -टीवीटी डिस -ऑर्डर ?

व्हाट इज 'ए डी एच डी 'यानी अटेन्सन डेफि -सिट हाई -पर -एक -टीवीटी डिस -ऑर्डर ?
कुछ बच्चों (३-७ साला ) का ध्यान कहीं भी देर तक नहीं टिक पाता,पूअर या फिर शोर्ट अटेन्सन स्पेन के अलावा हाई -पर -एक्टिविटी (ज़रुरत से ज्यादा उछल कूद अतिरिक्त हलचल ,कूदा फांदी ,बे -खौफ ),उम्र के प्रति कूल अतिरिक्त आवेग -पूर्ण व्यवहार देखने को मिलता है इन बच्चों में .बेशक इस उम्र (३-७ साला )बच्चे बेहद नोइज़ी ,उत्साही तथा अतिरिक्त ऊर्जा से भरे रहतें हैं जो आगे चलकर इस स्थिति से बाहर आजातें हैं .लेकिन हर किसी के साथ ऐसा नहीं भी होता है । इसलिए इस डिस -ऑर्डर की रेट ऑफ़ अक्रेंस को लेकर एक राय नहीं है ,माहिरों में .
भारतीय मनोचिकित्सक सोसायटी के मुताबिक़ १०-१५ % स्कूल जाने वाले बच्चे ए डी एच डी से ग्रस्त रहतें हैं .लडकों में यह डिस -ऑर्डर ३-४ गुना ज्यादा दिखलाई देता है .शायद लडकियाँ बिना शिनाख्त के रह जातीं हैं उन्हें अन -अटेंतिव मान समझ लिया जाता है .(थेंक्स टू मेल चाइल्ड ओरियेंतिद सोसायटी )।
इस विकार के ज्यादातर लक्षण हालाकि चार साल से पहले पहले ,अकसर सात साल तक प्रकट हो जातें हैं लेकिन मिडिल स्कूल तक आते आते ही यह मुखरित हो पातें हैं तब जब अकादमिक उपलब्धियां तथा सामाजिक उठ बैठ में ये बाधा प्रस्तुत करने लगते हैं .इससे पहले सब कुछ को बाल सुलभ मानचेष्टाएँ लिया जाता है ।
अलावा इसके अकेले नहीं आते ये लक्षण ,सीखने -समझने (लर्निंग डिस -एबिलितीज़ ),अकादमिक समस्याएँ ,व्यवहार सम्बन्धी विकार इसके संग दिखलाई देने लगतें हैं .मंद बुद्धिता (सोसल रिटार्डेशन) भी इसका एक आयाम होता है ।
कुछ बच्चों में यह टेम्पर टेंत्रम्स ,
अवसाद ,आत्मसम्मान की कमी तो कुछ में अतिरिक्त आक्रामकता के रूप में सामने आता है .परिवारों से यह विरासत में भी मिलता है .परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता दिखलाई दे सकता है ।
एस्मा ,ब्रेन डेमेज ,स्पाइनल कोर्ड या फिर हेड इंजरी इसकी वजह बन सकतें हैं .गर्भस्थ के लिए उसकी माँ भी इसका सबब बन सकती है यदि वह गर्भ काल में सिगरेट -शराब या फिर नशीली दवाओं का सेवन करती है .०-२ साला शिशुओं की माँ को भी ऐसी हरकतों से बाज़ आना चाहिए .खामियाज़ा बे -कसूर नौनिहाल को उठाना पड़ सकता है ।
पूर्व में इस विकार को ए डी डी (अटेन्सन डेफि -सिट डिस -ऑर्डर ) कहा जाता था .जबकि ऐसे सभी बच्चों का आम लक्षण हाई -पर -एक -टीवीटी रहा आया है .इसीलिए इसे संशोधित करके नया नामकरण किया गया 'ए डी एच डी '।
सन्दर्भ -सामिग्री :-दी यंग एंड दी रेस्ट -लेस /पेरेंटिंग /हेल्थ एंड न्यूट्रीशन /अगस्त २०१० पृष्ठ ९२ -९५ ).

हेल्थ टिप्स :गुणकारी करेला (बिटर गोर्ड ).

दमा से राहत के लिए :
(१)रोजाना करेले की सब्जी खाने से एस्मा /दमा /सांस उखड़ने की तकलीफ में राहत मिलती है ।
भूख वर्धक एवं पाचक होता है करेला :
(२) करेले की सब्जी के नियमित सेवन से शरीर को पर्याप्त मात्रा में फास्फोरस मिलता है .शरीर में फुर्ती रहती है .भूख खुलके लगती है ।
(3)यकृत में लाभ :३-८ साला बच्चों को आधा चम्मच करेला का रस नित्य देने से यकृत ठीक रहता है .पेट साफ़ रहता है ।
मधुमेह के रोगियों के लिए करेला :
(४)मधुमेह के रोगियों के लिए करेला बहुत गुणकारी है .यह अग्नाशय (पैनक्रियाज़ की बीटा सेल्स )को उत्तेजित करके इंसुलिन स्राव को बढाता है ।
तीन चम्मच (१५ ग्रेम ) करेला का रस १०० ग्रेम पानी में मिलाकर दिन में तीन बार तीन माह तक लेने से मधुमेह में फर्क पड़ता है .ब्लड सुगर का विनियमन होता है ।
(५)एक करेला एक टमाटर तथा एक खीरा का रस मिलाकर सुबह शाम पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है ।
(६)मधुमेह में करेला का सेवन खाली पेट करें .करेले के सेवन से रक्त भी साफ़ होता है ।
आधाकाप करेला का रस लें इसमें आधा नीम्बू निचोड़ें आधा चम्मच राई पाउडर मिलाएं स्वाद के अनुसार नमक तथा एक चौथाई कप पानी मिलाकर नित्य दो बार पीयें .मधुमेह में लाभ होगा ।
(7)मोटापे से बचाव :आधा कप करेले का रस में एक नीम्बू निचोड़ कर पीने से मोटापा कम करने में मदद मिलती है .

स्ट्राबरी के जीनोम का खुलासा हुआ...

साइंटिस्ट डिकोड स्ट्राबरी जीनोम (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २७ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
साइंसदानों के एक अंतर -राष्ट्रीय संगठन ने 'वाइल्ड स्ट्राबरी 'के जीनोम की pउरी सिक्वेंसिंग कर ली है .इससे स्ट्राबरी और स्ट्राबरी परिवार के अन्य फलों की सुधरी हुई सुस्वादु किस्म तैयार कर लेने का रास्ता साफ़ हो गया है .अबस्ट्राबरी की बीमारी रोधी किस्म भी तैयार की जा सकेगी ।
नेचर जेनेटिक्स ने इस रिसर्च को प्रकाशित किया है ।
इस खोज से उत्पादक और उपभोक्ता दोनों फायदे में रहेंगे .लाल नरम गूदे वाला सर्दियों का यह तोहफा अब ज्यादा वेरायटीज़ और स्वाद लिए आएगा .एंटी -ओक्सिदेंट्स का एक अच्छा स्रोत है स्ट्राबरी .

तेज़ धार वाले चाकू होतें हैं 'सी अर्चिंस '.

सी अर्चिंस फॉर एवर शार्प नाईव्ज़ :(टाइम्स ट्रेंड्स ,दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २७ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
चूना -पत्थर जिससे सीमेंट बनता है ओशन फ्लोर में कुदरती तौर पर पाया जाता .सी अर्चिंस अपने नुकीले ,सदैव ही धारदार बने रहने वाले दांतों से इस लाइमस्टोन में सूराख कर अपने छिपने के घरौंदे बनाकर मज़े से रहतें हैं ।
साइंसदानों ने 'केलिफोर्निया पपील सी अर्चिन 'के धारदार दांतों का विश्लेषण किया है ।
यह पेचीला परतों -दार केल्साईट क्रिस्टलों से बने हैं .इन परतों को एक कुदरती सीमेंट (सुपर हार्ड नेचुरल सीमेंट ) बांधे रहता है ।
इसे समझकर प्रोद्योगिकिविदों को धारदार एवरलास्टिंग ब्लेडिद टूल्स तैयार करने में मदद मिलेगी .कल कि प्रोद्योगिकी को एक नै परवाज़ मिलेगी .

हेल्थ टिप्स :हेल्दी स्किन के लिए ....

जवान और स्वस्थ साफ़ सुथरी चमड़ी के लिए कोकोनट वाटर (नारियल पानी )चेहरे पर लगाइए .धूल -गर्दोगुबार हठेगी ,अतिरिक्त चमड़ी से रिसते तेल से छुटकारा मिलेगा ।
वांट हेल्दी स्किन ?एप्लाई कोकोनट वाटर ऑन योर फेस.इट विल गेट रीड ऑफ़ डर्ट एंड आयल ।
हृद विकारों को कम करने के लिए ?
ख़ुशी से भरी हुई उन्मुक्त हंसी हार्ट डिस -ऑर्डर्स,दिल की तकलीफों को ५०%घटा देती है .यह नतीजा एक ताजातरीन अध्ययन से निकला है .खिलखिलाकर हंसिये दिल से ऊपर ऊपर से खोखली हंसी नहीं ऊर्जा से भरी भरी हार्टीलाफ .आफ्टर आल 'लाफ्टर इज डी बेस्ट मेडिसन .

रविवार, 26 दिसंबर 2010

बेहद कि ठण्ड की पीछे विश्वव्यापी तापन का ही हाथ है .....

वार्मिंग बिहाइंड बाइटिंग विंटर्स .बाइटिंग कोल्ड वेदर हेज़ रीक्द हेवोक इन योरोप इन रीसेंट ईयर्स एंड २०१० टू हेज़ सीन दी कोंतिनेंट ग्रा -इंद टू ए हाल्टड्यू तू हेवी स्नो फाल . (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया /टाइम्स ट्रेंड्स /दिसंबर २३ ,२०१० ,पृष्ठ २१ ,मुंबई एडिशन )।
सहज बुद्धि से किसी को भी यह बातगले से नीचे नहीं उतरेगी ,लेकिन सच यही है गत एक दशक में जिस प्रकार योरोप के अनेक हिस्सों को बेहद की ठण्ड का सिलसिला ज़कड़े रहा है उसके पीछे विश्वव्यापी तापन (ग्लोबल वार्मिंग का ही हाथ है )।
आर्कटिक की सतह से विलुप्त होती हिम चादर (आर्क -टिक्स रिसीडिंग सर्फेस आइस) जो यही सिलसिला रहा तो शती के अंत तक ग्रीष्म के दरमियान पूरी तरह भी विलुप्त हो सकती है इसका प्रमाण है ।
एक अध्ययन के अनुसार योरोप और उत्तरी एशिया में ठण्ड का यही आलम ज़ारी रह सकता है .२००५ -०६ की तबाही (इन्क्लेमेंट वेदर ,बाईट -इंगलि कोल्ड वेदर से पैदा विनाश लीला ) योरोप देख चुका है .साउथ स्पेन ,पूरबी योरोप और रूस तो एक तरह से ज़मही गया था ।
यही सिलसिला आगे भी ज़ारी रहा २००९ -१० ब्रिटेन में इससे पहले के १४ सालों में सबसे ठंडा रहा .पूरे महाद्वीप की परिवहन व्यवस्था चरमरा गई .यह साल भी गुल खिला गया है ।
ऊपर से देखने में यह जो कुछ हो रहा है प्रकट रूप दिख रहा है ,मानक जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के विपरीत ही प्रतीत होता है .भावी घटनाओं का परिद्र्शय यही है शती के अंत तक विश्वव्यापी तापमान (पृथ्वी के औसत तापमान )में ६ सेल्सियस की वृद्धि हो जायेगी ।
ऊपर से देखने में हड्डियों में कंप पैदा करने वाली ठण्ड,वास्तव में ठण्ड का सिलसिला इस परिदृश्य के विपरीत दिखलाई देता है ।
'सच एसर्संस ,काउंटर साइंटिस्ट्स ,मिस्तेकिन्ली कंफ्लेट दी लॉन्ग टर्म पैट्रंस ऑफ़ क्लाइमेट विद दी शोर्ट टर्म वेग्रीज़ ऑफ़ वेदर ,एंड इग्नोर रीजनल वेरियेसंस इन क्लाइमेट चेंज इम्पेक्ट्स ।
नवीन शोध दर्शाती है योरोप की विंटर ब्लूज़ के लिए ग्लोबल वार्मिंग ही उत्तरदाई है ।
आर्कटिक क्षेत्र का बढ़ता तापमान ,इन तापमानों में भूमंडलीय औसत से २-३ गुना ज्यादा वृद्ध दर्ज़ हुई है .गत तीन दशकों में हिम चादर २० फीसद झीनी हो गई है ।
ऐसे में सन की रेदियेतिव फ़ोर्स को डार्क ब्ल्यू सी ज़ज्ब करता रहा है .अन्तरिक्ष में लौट जाना था यह विकिरण हिम चादर से टकरा कर लेकिन ऐसा हुआ नहीं .विश्वव्यापी तापन को इसी वजह से पंख लगे .रिफ्लेक्टिव आइस और स्नो के अभाव में ही तो ऐसा हुआ है .

क्या है 'वेब रेज '?

वेब रेज ?
कई मर्तबा इंटरनेट यूज़र का गुस्सा बेजान कंप्यूटरपर ही निकल जाता है .वजह दिनानुदिन बढ़ते वेब पेज ,विज्ञापन ,अवांच्छित और सूचनाओं के चलते उसे कई बार अपने काम की चीज़ तक पहुँचते पहुँचते वक्त लग जाता है .कई बार डायल अप कनेक्शन ही स्लो होता है ,सर्वर व्यस्त होता है ,कई लिंक्स गायब मिलतें हैं .सन्दर्भ सामिग्री तलाशते वक्त बेहद के अनेकानेक परिणामों का मिलना इसकी वजह बनतें हैं ।
वेब डिजाइन कीबुनावट ही कई बार घटिया होती है ।
अब इसके लिए असल दोषी कौन है ?सर्च इंजिन डिजाइन -अर्स ?वेब सर्फर्स ?यूज़र का अधैर्य ?
अलबत्ता ब्रिटेन में एक वेब रेज का मामला भी दर्ज़ हो चुका है .मामला २००५ का .इसमें पौल गिब्बोंस तथा जॉन जोंस में पहले तो चैट रूम में बेहिसाब बहस हुई ,जो गाली गलौन्ज़ तक पहुंची .बाद इसके गिब्बों ७० मील दूर जॉन के घर आ धमका .उस पर हिंसक हमला बोल दिया ।
बेहतर है अपनी पहचान को सरे आम न किया जाए .

दुध -मुहे शिशु समझ लेतें हैं औरों का नज़रिया ....

'७ मंथ्स -ओल्ड्स कैन अंडर -स्टेंड्स अदर्स व्यूज़ '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २६ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
दूध पीते सात माह के शिशु भी किसी समस्या को दूसरे के नज़रिए से समझने देख लेने का माद्दा रखतें हैं ।
चीज़ों को एक अलग परिप्रेक्ष्य में भी बूझ लेते हैं ये नन्ने ।
यह मेंटल लीप जिसे 'थियेरी ऑफ़ माइंड 'भी कहा जाता है इसकी उम्र पहले चार साल के आसपास बतलाई गई थी .लेकिन एक अन्य अध्ययन से पता चला है १५ माह की आयु में ही शिशु दूसरे के नज़रिए से वाकिफ हो जातें हैं .दूसरे के परिवेश को उसी के परिप्रेक्ष्य से जान लेने की क्षमता रखतें हैं ।
दूसरे की मन की स्थिति को जान लेने का सोसल इंटरेक्शन में एक ख़ास अर्थ होता है ,महत्त्व भी .विकास की एक कड़ी भी है यह क्षमता .ऐसे मेंशिशुओं में विकास सम्बन्धी कमियों और विकारों को समय रहते जाना जा सकता है ।
हंगरी के 'एकादेमी ऑफ़ साइंसिज़ इंस्टिट्यूट फॉर साइकोलोजी 'के रिसर्चर्स इसी दिशा में काम कर रहें हैं .ऐसे 'टास्क 'विकसित किये जा रहें हैं जो ऑटिज्मजैसे कम्युनिकेशन सम्बन्धी विकारों की शिनाख्त और इलाज में अच्छीकारगर भूमिका निभा सकतें हैं .यह एक नया सन्दर्भ है जो अभी तक अछूता रहा आया है .

व्हाई इज ए लेफ्ट हेन्डिद बेट्समेन काल्ड ए 'साउथ पो '?

साउथ पो ?इटइज ए स्लेंग ।
ए बेसबाल पिचर हु थ्रोज़ दी बाल विद दी लेफ्ट हेंड इज काल्ड ए साउथ पो ।
फ्रॉम दी प्रेक्टिस इन बेसबाल ऑफ़ अरेंजिंग दी डायमंड विद दी बट्टर फेसिंग ईस्ट टू एवोइड दी आफ्टर नून सन .ए लेफ्ट हेन्डिद पिचर फेसिंग वेस्ट वुड देयरफोर विल हेव हिज़ पिचिंग आर्म टू -वर्ड्स दी साउथ ऑफ़ दी डायमंड ।
ओरिजिनली यूज्ड ऑफ़ लेफ्ट हेन्डिद बेसबाल प्लेयर्स ,फ्रॉम दी पिचर्स ओरिएन्तेशन ऑन दी माउंड(सिंस बेसबाल डायमंड्स आर ट्रेदिश्नाली ओरियेंतिद टू दी सेम पॉइंट्स ऑफ़ दी कम्पास ).दी टर्म नाव फाइंड्स प्लेस इन किरकिट आल्सो फॉर लेफ्तीज़ .

व्हाट इज ए ड्रा -मेडी?

व्हाट इज ए ड्रा -मेडी ?
ए ड्रा -मेडी इज ए टेलीविज़न प्रोग्रेम देत इज इन्टेंदिद टू बी बोथ ह्यूमरस एंड सीरियस .यानी एक ऐसा टेलीविज़न कार्य -क्रम जो एक साथ विनोदी (व्यंग्य -विनोद से भरपूर ),हास्य पूर्ण भी हो गंभीरता का पुट भी लिए हो ।
यह दो साहित्यिक विधाओं त्रासदी(ट्रेजेडी ) और ड्रामा(कोमेडी ) का मेल मिलाप है ।
दोनों का संतुलन लेकर आगे चलता है यह मनोरंजन प्रधान टेलिविज़न कार्य -क्रम ,थियेटर या फिल्म .बेशक इसे 'कोमेडी -ड्रामा '/सीरियो -कोमेडी भी कहा जाता है ।
इसकी शुरुआअत संभवतया चार्ली चैपलिन की ड्रा -मेडी 'डी किड 'से हुई .

व्हाट इज ब्लेक एनर्जी (डार्क एनर्जी )?

रेडिओ -खगोल विज्ञान में ब्लेक एनर्जी एक अवधारणा है .समझा जाता है यह सारी कायनात ,पूरे अन्तरिक्ष में व्याप्त है .यही ब्लेक एनर्जी सृष्टि के तेज़ से तेजतर विस्तार -फैलाव (एवर इनक्रीजिंग एक्सपेंशन रेट्स )के लिए जिम्मेवार बतलाई जाती है .एक तरह का एंटी -गुरुत्व समझा गया है ब्लेक एनर्जी को ।ए सोर्ट ऑफ़ एंटी ग्रेविटी व्हिच इज पूशिंग दी एक्सपेंशन ऑफ़ दी यूनिवर्स टू एवर इनक्रीजिंग स्पीड सिंस दी बिग बैंग .
कुल मॉस -एनर्जी का ७३ फीसद अंश यही ब्लेक एनर्जी है .सृष्टि के चक्रीय (पुनरावृत्त होने वाला मोडिल )मोडिल को समझने के लिए ब्लेक एनर्जी की अवधारणा ज़रूरी है ।
अपनी प्रकृति में ब्लेक एनर्जी समांगी है ,होमो -जीनियस है ,बेहद डेंस नहीं है ।
डार्क मैटर :इट इज आल्सो मैटर पोस्च्युलेतिद टू एग्जिस्ट इन दीयूनिवर्स बिकोज़ ऑफ़ ओब्ज़र्व्द ग्रेविटेशनल इफेक्ट्स .

हैंगोवर से बचाव के लिए .....

डीलिंग विद ए बेड हैंग -ओवर ?ट्राई हनी ऑन टोस्ट !ड्रिंक ए ग्लास ऑफ़ मिल्क .टेक वाटर बिफोर गोइंग टू बेड(यु /मुंबई मिरर ,सन्डे ,दिसंबर २६ ,२०१० ,पृष्ठ २७ )।
बेशक दारु पीने के बाद व्यक्ति सुरूर में आ जाता है .आनंद कि अनुभूति होती है .बेफिक्री भी .कुछ लोग मौज मौज में बेहिसाब पी जातें हैं (वीक एंड बिंज ड्रिंकिंग कर लेतें हैं )नतीज़ा होता है ,सिर दर्द और नौज़िया ,मिचली ।
क्यों होता है यह हैंग ओवर ?
दरअसल हमारा शरीर तंत्र एल्कोहल को टोक्सिक उत्पाद एसिटल -डिहाइड में तब्दील कर देता है .शहद और गोल्डन सिरप में फ्रक्टोज की लोडिंग(प्राचुर्य ) एसिटल -डिहाइड को सरल और हानि -रहित उप -उत्पादों में तब्दील कर देता है ।
अलावा इसके शहद सोडियम और पोटाशियम लवणों की खान हैं जो एल्कोहल से पैदा टोक्सिंस से पार पाने में शरीर की मदद करतें हैं ।
सोने से पहले एक ग्लास दूध का सेवन एल्कोहल की ज़ज्बी को कम करके एसिटल -डिहाइड की उग्रता को घटाता है .खूब पानी पीना भी काम आता है ।
सुबह उठकर हनी ऑन टोस्ट का तो ज़वाब ही नहीं .हैंग ओवर से जूझने के लिए कार्बो -हाई -ड्रेट्स रिच ब्रेकफास्ट ज़रूरी है .शहद सर्वोत्तम है .

हेल्थ टिप्स .

मेलन ज्यूस (बितर गोड ज्यूस ) के फायदे :
(१)करेला का ज्यूस (अर्क ) एल्कोहल के यकृत पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करता है .यकृत कि सफाई ,रिपेयर (कोशा के str पर होने वाली टूट फूट ,मरम्मत और भरपाई में तेज़ी लाता है .
हेंगर का समाधान प्रस्तुत करता है ।
आँख की बरौनियों स्मूथ बनाए रखने के लिए :
(1) To keep your eyelashes smooth ,brush them with petroleum jelly before going to bed at night .

शनिवार, 25 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स :गुणकारी बथुआ .

गुणकारी बथुआ :
(१)यकृत को बढ़ने (लीवर एनलार्जमेंट )से बचाता है बथुआ .इसकी तासीर ठंडी और तर होती है .आमाशय को ताकत देता है और पथरी के बनने को रोकता है बथुवा ।
(२)काया को निरोगी बनाता है बथुआ .इसके स्वादिष्ट रायता तथा साग का नित्य सेवन करें .जहां तक हो मसालों का कमसे कम प्रयोग करें .नमक यदि डालना ही है तो सैंधा नमक ही काम में लें ।
(३)घुटने में दर्द है तो ज्यादा पानी में बथुआ उबालकर इसे छान लें .इसके पानी से दर्द वाले घुटने की सिंकाई करें .बथुए का साग अधिकाधिक खाएं.इस प्रकार चंद हफ़्तों में ही घुटने के दर्द से राहत मिलेगी ।
(४)चेहरे की झुर्रियों को कम करने के लिए बथुए के पानी से (बथुआ उबालकर पानी छानने के बाद )चेहरा धौएँ,चेहरा चिकना और सुथरा दिखेगा ,धीरे -धीरे नित्य सेवन से झुर्रियां भी कम होंगी .

अब तो अपना जन्म दिन मनाने में भी डर लगता है .

आज ईसा मसीह का जन्म दिन है .देश के दो राज्यों में रेड अलर्ट है .अपने अटल बिहारी जी का भी जन्म दिन है ,नौशाद साहिब का भी है ।
अब यहाँ ईसा का क्या लोग अपना जन्म दिन मनाने से भी डरतें हैं .इस देश की सरकारों ने लोगों को कायर बना दिया है ।
आतंक वाद को एक लक्ष्य भेदी मिसाइल की तरह पेश किया जा रहा है ।
क्या आतंक - वाद सचमुच में एक मिसाइल है जो लक्ष्य को न बींध पाने पर बूम्रांग कि तरह प्रक्षेपण स्थल पर लौट आएगी .यह सवाल उस प्रधान मंत्री से पूछा जा सकता है जो सदैव ही शवासन की मूद्रा में दिखलाई देता है ।
यदि आपके पास इंटेलिजेंस इनपुट है तो आउट पुट जीरो क्यों रहता है .भले आउट पुट इनपुट से कम रहता है ,आउट पुट होना तो चाहिए .यहाँ तो एक समुन्दर की तरह इठलाते शहर को ही पंगु बनाने की कोशिश है .नाम है जिसका मुंबई (शिव सेना के सौजन्य से )।
सरकारों को आतंक का हौवा नहीं खडा करना चाहिए ,इसे नेस्तनाबूद करना चाहिए .लोग हिन्दुस्तान के कायर नहीं है .सरकारें उन्हें कायर बनाने की पूरी कोशिश कर रहीं हैं .

आरक्षण कि आग .....

जिस देश का लोकतंत्र ही पटरी से उतर गया हो उस देश में रेलगाडियां निर्बाध चलें भी तो कैसें ?
यहाँ कोई भी 'बैंसला 'आकर रेलों को रोक देता है ।
ज़ाहिर है आरक्षण अपने मकसद में असफल रहा .हिन्दुस्तान में अभी भी कई राज्यों में सिर पर मैला(मानव मलको ) ढ़ोया जाता है ।
आरक्षण बारहा कई राज्यों में अपेक्स कोर्ट द्वारा ज़ारी ५० % का भी अतिक्रमण कर चुका है .इस देश में अब दो ही किस्म के लोग रह गए हैं :
(१)आरक्षित ।
(२)विकलांग ।
संसद क़ानून बना कर यह नियम पारित कर सकती है ,जो राष्ट्रीय संपत्ति को नुक्सान पहुंचाएगा ,व्यक्ति ,संघ और ऐसा करने वाले को समर्थन देगा ,उसे संरक्षण देगा ,ब्याज समेत हर्जाना वही भरेगा .फिर देखें किस बैंसला में कितना दम है ।
देश का दुर्भाग्य संसद चलती ही नहीं है .खुद पटरी से उतरी हुई है .ऐसे में रेलगाड़ियाँ चलें तो कैसे ?बैंसला छुट्टा घूम रहें हैं आवारा अशुओं की मानिंद .

डार्क मैटर के अन्वेषण के लिए दक्षिणी ध्रुव के नीचे वेधशाला .....

एन्टार्क्टिक आइस्क्यूब टू एड डार्क मैटर हंट :(दीटाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २५ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
एक दशक की कड़ी और थकाऊ कोशिशों के बाद साइंसदान एन्टार्क्टिक के टुन्ड्रा में एक न्यूट्रिनो वेधशाला बनाने में कामयाब रहे हैं .इससे डार्क मैटर के अन्वेषण में ,अव -परमाणु -विक कणों के अध्ययन और शिनाख्त ,द्रव्य की मूलभूत कणिकाओं के मिजाज़ को समझने में मदद मिलेगी ।
एक घन -किलो -मीटर भुजा वाली (ए क्यूब विद ईच साइड वन किलोमीटर) एक आइस क्यूब के अन्दरअवस्थित है यह ओब्ज़र -वेटरी(वेधशाला )।
अमरीकी 'अमुन्न्द्सें -स्कॉट -साउथ पोल स्टेशन के नज़दीक १४०० मीटर की गहराई पर है यह वेधशाला .कण भौतिकी रिसर्च ,डार्क मैटर की टोह के लिए यह एक शानदार उपलब्धि है ।
समझा जाता है डार्क मैटर का बहुलांश न्युत्रिनोज़ का ही बना है .यह (न्यूट्रिनो )एक 'उदासीन 'आवेशहीन कण है .पदार्थ के साथ इसका इंटरेक्शन न के बराबर ही कहा जायेगा .पृथ्वी के सीने को चीर कर यह आरपार चला जाता है .द्रव्य के कणों का नोटिस ही नहीं लेता .इट इज एनी ऑफ़ दी थ्री स्टेबिल एलीमेंट्री पार्टिकिल ऑफ़ दी लेपटोंन फेमिली ,विद ए जीरो रेस्ट मॉस एंड नो चार्ज .इट मस्ट हेव सम मॉस ड्यू टू इट्स मोशन.हाउ मच इज देट इज नोट नॉन एज यट.डार्क मैटर इज सपोज्ड टू बी मेड अप ऑफ़ न्युत्रिनोज़ .

पार्टनर का शिकायती लहज़ा एंजाइना के खतरे को ...

योर पार्टनर्स नेगिंग कैन लीड टू एंजाइना (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २५ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
आपके पार्टनर का चौबीसों घंटों का शिकायती लहज़ा ,आपके प्रति आलोचनात्मक स्थाई तेवर ,किसी भी काम के लिए दवाब बनाए रहना ,किसी काम के लिए लगाता बार बार कहते फटकारते रहना एंजाइना के खतरे को बढा देता है ।
अपने अध्ययन में कोपेनहैगन विश्वविद्यालय के साइंसदानों ने डेनमार्क के ४५०० लोगों को शरीक किया इसमें औरत और मर्द दोंनो थे ।
अध्ययन कि शुरुआत में (सन २००० )ये तमाम सहभागी ह्रदय रोगों से ग्रस्त नहीं थे .एक वर्ग चालीस साला तथा दूसरा पचास साला लोगों का था .६ सालों तक इन पर निगाह रखी गई .सेहत का जायजा लिया जाता रहा ।
पता चला साथी कि झिडकियां सहते चले आरहे लोगों के लिए एंजाइना के खतरे का वजन चार गुना बढ़ गया है .बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों के इस्युज़ ने ऐसे खतरे के वजन क दो गुना बढा दिया था ।
एंजाइना कोरोनरी हार्ट डिजीज की ही एक सौगात है जिसमे हृदय को पूरी रक्तापूर्ति न होकर आंशिक तौर पर ही हो पाती है .नतीजा होता है सीने में दर्द जो अकसर स्टर्नम से उठता है .कई मर्तबा बाजू से होकर ऊंगलियों तक आजाता है .कभी रेडियेट न होकर जबड़े ,कमर ,स्टमक तक ही सीमित (लोकेलाइज़ )रहता है .कुछ को सीने में दवाब तो कुछ को लगता है कहीं धुयें में फंस गएँ हैं ।
मेनी डिस -क्राइबस दी फीलिंग एज सीवीयर टाईट -नेस ,अदर्स से इट मोर रिज़ेम्बिल्स ए डल एक ,दी जर्नल ऑफ़ एपी -डेमिया -लाजी एंड कम्युनिटी हेल्थ रिपोर्ट्स .कोंस्तेंत नेगिंग बाई ए पार्टनर कैन बी ए पोटेंट ट्रिगर .

शहद बचाए हैंग ओवर से ....

हनी ऑन ए टोस्ट कैन क्योर हैंग ओवर (डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसमबर २५ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
रोयल सोसायटी ऑफ़ केमिस्ट्री के रिसर्चरों की माने तो शहद हैंग ओवर से बाहर आने में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें मौजूद 'फ्रक्टोज ' एल्कोहल के अणुओं को निरापद (गैर -हानिकारक ,सुरक्षित )अणुओं में तोड़कर हैंग ओवर के शरीर पर पड़ने वाले विषाक्त तत्वों से निजात दिलवा सकता है .गोल्डन सिरप भी फ्रक्टोज का भण्डार लिए होता है ।
रात के हैंग ओवर से बाहर आने का आसान तरीका है कार्बो -हाई -ड्रेट्स बहुल नाश्ता .उसमे भी अव्वल है टोस्ट को हनी से तर कर लिया जाए .इससे नाश्ते में सोडियम और पोटेशियमजैसे तत्व भी शरीक हो जातें हैं जो शरीर को एल्कोहल के दुश्प्रभावोव से तालमेल बिठाने में सहायक सिद्ध होतें हैं ।
बिंज ड्रिंकर्स कृपया इस हेल्थ टिप को नोट करें .

क्रिसमस के मौके पर 'नेनो कार्ड '.

ए रियली रियली स्माल क्रिसमस ग्रीटिंग .नेनो -टेक्नो -लोजिस्ट हेव किर्येतिद दी वर्ल्ड्स स्मालेस्ट क्रिसमस कार्ड -ए व्हूपिंग ८,२७६ सच कार्ड्स कैन फिट दी सर्फेस ऑफ़ ए पोस्टेज स्टाम्प (साईं -टेक /मुंबई मिरर /दिसंबर २५ ,२०१० ,पृष्ठ २८ )।
नेनो -साइंस के माहिरों ने दुनिया का सबसे नन्ना बधाइपत्र 'क्रिसमस कार्ड '

taiyaar कर लिया है .एक पोस्टेज स्टाम्प पर ऐसे ८ ,२७६ ग्रीटिंग कार्ड्स अलग अलग लेकिन सटाकर बिछाए जा सकतें हैं ।
इस पर २०० बाई २९० माइक्रो -मीटर्स आकार का क्रिसमस ट्री mukhrit है jise एक nanne se kaanch के tukde पर ukeraa gyaa है .beshak इस कार्ड का dizaain taiyaar karne me jyaadaa vakt lgaa लेकिन iske prodakshan me maatr ३० minit lge .iski aasaani se pratiyaan banaa li jaatin हैं ।
कार्ड ki chaudaai kul २०० माइक्रो -मीटर्स aur lambaai maatr २९० माइक्रो -मीटर्स है ।
maaikromeetar एक meetar का daslaakhvaan bhaag jitnaa hotaa है .hamaare एक baal ki motaai /chaudaai maatr १०० माइक्रो -मीटर्स bhar hoti है ।
isme(नेनो कार्ड me ) rang bharne के liye 'plasmon resonance 'prakriyaa apnaai gai है ।
The colors were produced by a process known as plasmon resonance in a patterned aluminium film made in the university 's James Watt Nanofabrication centre .

यु आर व्हाट योर डैडी एट -बिफोर यु वर इविन बोर्न .

स्टडी शोज़ देट ए फादर्स ईटिंग हेबिट्स कैन इन्फ़्ल्युएन्स दी जेनेटिक मेक -अप ऑफ़ दी ओफ्स्प्रिंग .(साईं -टेक /मुंबई मिरर ,दिसंबर २५ ,२०१० ,पृष्ठ २८ )।
बाप के माहौल (पर्यावरण ,खासकर उसके खान -पान) का असर स्तनपाइयों (मेमेलियंस) के मामले में उसकी संतानों तक जाता है .खानदानी अंश (जीवन इकाइयां ,जीवन खंड या जींस )भी असर ग्रस्त होतें हैं ।
डायबीटीज़ और हृद रोगों में संतानों के माँ -बाप का उनके जन्म से पूर्व का पर्यावरण भूमिका अदा करता है .आपके जन्म के पहले आपके माँ -बाप की जीवन शैलियाँ(खान -पानी ,रहनी सहनी ) आपके लिए रोग प्रवणता (आईंदा होने वाले रोगों के जोखिम के वजन ) की भी प्रागुक्ति ,भविष्य वाणी है .रिस्क फेक्टर्स फॉर सर्टेन डिजीज कैन बी प्री -डिक -टिड.मासाच्युसेट्स मेडिकल स्कूल और टेक्सास विश्विद्यालय ,ऑस्टिन कैम्पस के रिसर्चरों ने अपने इस अध्ययन में नर चूहों के दो समूहों को अलग अलग खुराक मुहैया करवाई ।
पहले समूह को एक मानक खुराक (स्टें -दर्ड डाइट)तथा दूसरे वर्ग को लो प्रोटीन खुराक दी गई .लेकिन (टू कंट्रोल फॉर मेटर -नल इन्फ़्ल्युएन्सिज़) सभी मादा माइस को एक जैसी खुराक ही दी गई ।
पता चला लो प्रोटीन वर्ग में लिपिड्स और कोलेस्ट्रोल का संशाधन करने वाली जींस की भरमार है ।स्टें -दर्ड डाइट लेने वाले समूह में ऐसे जींस की संख्या सामान्य पाई गई .
विज्ञान पत्रिका सेल में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है .ऐसे ही नहीं कहा गया है :यु बिकम व्हाट यु ईट .नाव दी सेइंग गोज़ -यु आर व्हाट योर डैडी एट बिफोर यु वर इविन बोर्न .

हेल्थ टिप्स :आपके खान- पान से भी जुडी है कील मुंहासों की नवज.

खाद्य रेशों तथा कम चिकनाई वाली खुराक कील मुंहासों से बचे रहने का आसान उपाय है .मोटे अनाजों ,दलिया ,ओट्स ,गेंहू ज्वार ,बाजरा ,इसबगोल ,राई दांतों में फंसने वाली हरी सब्जियां ,फल ,भरपूर खाद्य रेशे मुहैया करवा सकतें हैं .गाज़र ,ब्रोक्क्ली का ज़वाब नहीं ।
ए सिम्पिल मेथड टू कीप एकने आउट इज तू फुल योर प्लेट विद हाई -फाइबर ,लो -फैट फूड्स ।
सीढियां हैं तो लिफ्ट का चस्का छोडिये :
असमय मृत्यु के खतरे के वजन को १५ फीसद तक कम करती है सीढियां काम में लेने की आदत .दम ख़म है ,कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है (आर्थराइतिस ओस्टियो /र्ह्युमेतिक )तो ऐसा ज़रूर करिए .

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स :जामुन एक फायदे अनेक ....(ज़ारी ....)

मुंहासों से राहत के लिए जामुन कि गुठली पानी में डालकर अच्छी तरह साफ़ कर लें .पीसकर चेहरे पर लेप करें .आधा घंटा बाद चेहरा ठन्डे पानी से धौ लें ।
मधु -मेह में ब्लड सुगर के विनियमन के लिए जामुन :
(१)१५० ग्रेम जामुन नित्य खाने से रक्त में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित और विनियमित किया जा सकता है .इसे आनुषांगिक चिकित्सा के रूप में ही आज कल आजमायें .अपनी एंटी - डाय -बेटिक दवाएं - ज़ारी रखें ।
(२)सूखी हुई जामुन की गिरी पीसें फिर भूनें ,इसमें से एक चम्मच चूर्ण को दो कप पानी के साथ उबाल लें .पानी आधा रह जाने पर इसमें आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें .शहद का ब्लड सुगर (शक्कर )पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

हेल्थ टिप्स :जामुन एक फायदे अनेक ...

पेशाब से ताल्लुक रखने वाली पथरी से राहत के लिए :
(१)पका हुआ जामुन खाने से पथरी गलकर निकल जाती है ।
दो चमच्च जामुन की सुखाई हुई गुठली का चूर्ण आधाकप दही तथा आधा कप पानी में मिलाकर लस्सी बना लें .इसका सेवन दिन में तीन बार करें .एक माह के बाद जामुन में मौजूद तत्व पेशाब के मार्ग या पेशाब की थैली में होने वाली पथरी को गलाकर बाहर कर देता है ।

हेल्थ टिप्स :जामुन एक फायदे अनेक ...

पेशाब से ताल्लुक रखने वाली पथरी से राहत के लिए :

(१)पका हुआ जामुन खाने से पथरी गलकर निकल जाती है ।

दो चमच्च जामुन की सुखाई हुई गुठली का चूर्ण आधाकप दही तथा आधा कप पानी में मिलाकर लस्सी बना लें
.दिन में तीन बार एक माह तक सेवन करें .पेशाब कि पथरी में आराम आयेगा .

हेल्थ टिप्स :जामुन एक फायदे अनेक ...

पेशाब से ताल्लुक रखने वाली पथरी से राहत के लिए :

(१)पका हुआ जामुन खाने से पथरी गलकर निकल जाती है .
जामुन क़ी गुठली का चूर्ण दो चम्मच ,आधा कप दही और आधा कप पानी में मिलाकर लस्सी बनालें .दिन में तीन बार पीने से एक माह के बाद मूत्राशय या मूत्रमार्ग /किडनी की पथरी निकल जायेगी .जामुन की गुठली में मौजूद कई तत्व ऐसे हैं जो पेशाब में हो जाने वाली पथरी को गलाकर पेशाब के रास्ते से ही बाहर कर देतें हैं .

प्रचंड आवेग से ताल्लुक रखने वाली जीवन इकाई का पता मिलगया है ...

साइंटिस्ट डिस्कवर जीन देट ट्रिगर्स वायोलेंट एंगर (दीटाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,२४ ,२०१० ,पृष्ठ १९)।
रिसर्च्दानों ने एक ऐसे जेनेटिक म्यूटेशन (जीवन इकाइयों में होने वाला उत्परिवर्तन,आनुवंशिक संरचना में जीवन
इकाई के स्तर पर होने वाला बदलाव ) का पता लगाया है जो शराब खोरी के बाद व्यक्ति को हद के बाहर क्रोधोंमाद में ले आता है ।
अपने अध्ययन में रिसर्च दानों ने कुछ ऐसे स्वयंसेवियों के डी एन ए के पूरे सिक्वेंस का पता लगाया जो एक दम से आवेग पूर्ण व्यवहार करने लगते थे .अब इतने ही गैर आवेगशील (नॉन -इम्पल्सिव )लोगों के डी एन ए कि सिक्वेंसिंग कि गई ।
पता चला एक अकेले डी एन ए में होने वाला बदलाव एच टी आर २ बी नामक जीवन इकाई (जीन ) को ब्लोक कर देता है .यही सिंगिल डी एन ए चेंज इम्पल्सिव बिहेवियर की वजह बन जाता है .यह जीन सिरोटोनिन के उत्पादन तथा डिटेक्शन इन दी ब्रेन को असर ग्रस्त करता है ।
ध्यान रहे एक ऐसा न्यूरो -ट्रांसमीटर (दिमागी जैव रसायन )है सिरो -टोनिन
जो hamaare vyvhaar ko prabhaavit kartaa hai .ek dam se aaveg me aa jaanaa bhi isi vyavhaar ke tahat aataa hai .
Serotonin is a neurotransmitter known to influence many behaviours ,including impulsivity.The journal Nature has published this report .

प्लेसिबो (छदम दवा ,मीठी गोली जिसमे कोई औषधि नहीं ..)तब भी फायदा करती है जब .....

प्लेसिबो हेल्प्स इविन व्हेन यु नो ऑफ़ इट(डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २४ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
प्लेसिब इफेक्ट (ऑफ़ दी ड्रग व्हिच दज नोट कन्टेन एनी फार्मासितिलकल प्रोडक्ट ) का एक बिलकुल अभिनव आयाम एक प्रयोग में सामने आया है .दवा के नाम पर दी जाने वाली यह गोली तब भी असर करती है जब मरीज़ को पता होता है उसे दवा नहीं प्लेसिबो दी जा रही है ।
इर्रितेबिल बोवेल सिंड्रोम से ग्रस्त मरीजों को जब यह पहले से पता था ,वह दवा नहीं दिन में दो मर्तबा ,छद्म दवा (प्लेसिबो )ले रहें हैं तब भी ६० फीसद मरीजों के लक्षणों कीउग्रता में कमी आई .फायदा हुआ .जबकि उन मरीजों को जिन्हें कोई भी नै दवा नहीं दी गई उनमे से कुल ३५%को ही फायदा हुआ ।
पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ़ साइंस जर्नल 'पी एल ओ एस वन 'में इस अध्ययन के नतीजे अभी हाल ही में प्रकाशित हुएँ हैं ।
क्या है प्लेसिबो ?
ए मेडिसन देट इज इन -इफेक्टिव बट मे हेल्प टू रिलीव ए कंडीशन बिकोज़ दी पेशेंट हेज़ फेथ इन इट्स पावर इज काल्ड प्लेसिबो .न्यू ड्रग्स आर टेस्तिद अगेंस्ट प्लेसिबोज़ इन क्लिनिकल ट्रा -यल्स:दी ड्रग्स इफेक्ट इज कम्पेयर्द विद दी प्लेसिबो रेस्पोंस ,व्हिच अकर्स इवेन इन दी एब्सेंस ऑफ़ एनी फार्माकोलोजिकाली एक्टिव सब्सटेंस इन दी प्लेसिबो .

दांत किरकिराने कि वजह बन रहा है आयरलैंड का आर्थिक संकट ...

'मनी वोज बिहाइंड टीथ -ग्राइंडिंग ?(डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २४ ,२०० ,पृष्ठ १९ )।
दांत किरकिराना (टीथ -ग्राइंडिंग ):ब्रूक्सिस्म भी कहा जाता है टीथ -ग्राइंडिंग को .कुछ लोग सोते हुए अपने अनजाने ही अपने दांत पीसते ,किरकिराते हैं .इससे दांत जल्दी घिस -जातें हैं .दवाबकारी हालातों में भी कुछ लोगों को ग्रीटिंग करते देखा जा सकता है .दी अन -कान्शश हेबिट ऑफ़ ग्राइंडिंग ऑर ग्रीटिंग दी टीथ ड्यूरिंग स्लीप और इन स्त्रेस्फुल सिच्युएशन्स कैन लीड टू एक्सेसिव वीयर ऑफ़ दी टीथ ।
अब पता चला है मंदी का दौर भी इस दांतों की ताकलीफ में इजाफा कर रहा है.कर्ज़ के बोझ तले दबे कुचले आयरलैंड के लोग दांतों के डॉक्टरों के पास ये शिकायत लेकर अधिकाधिक तादाद में पहुँच रहें हैं .आर्थिक संकट से रिसता तनाव इसकी बड़ी वजह बन रहा है ।
अलावा इसकेअधाधुंध स्मोकिंग ,एन्ग्जाय्ती ,एल्कोहल यूज़ ,स्ट्रेस के अलावा बेहिसाब कोफी पीने की आदत भी ब्रूक्सिस्म (टीथ ग्राइंडिंग )की वजह बनती है .आयरिश दन्त्य चिकित्सा संघ का यही कहना है .

क्रिसमस के मौके पर इन्हें भी जानिये .....

क्रिसमस :हाउज़ एंड व्हाईज़ .मूविंग बियोंड सांटा एंड गिफ्ट स्टोकिंग्स ,हेयर आर सम मोर क्रिसमस ट्रेदीसंस फोलोड इन फेस्टिव स्पिरिट .पीस एंड जोय ए स्पेशल क्रिसमस फीचर (मुंबई मिरर ,दिसंबर २४ ,२०१० ,पृष्ठ १७)।
व्हाई इज देयर ए स्माल एवर ग्रीन ट्री इन योर लिविंग रूम ?
ईसवीं सन ७०० में इस परम्परा की नींव जर्मनी ने रखी .सन १८०० के आते आते इस परम्परा ने यहाँ व्यापक रूप से जड़ें ज़मा लीं .यहाँ से पहले इंग्लैण्ड और बाद में यह रिवाज़ अमरीका तक आ पहुंचा .पेंसिल्वानियाई जर्मन आप्रवासियों के संग यह रिवाज़ अमरीका तक आ पहुँचा ।
व्हाई आर पोइन्सेत्तिअस यूस्ड एज क्रिसमस डेकोर ?
पहले आप को बत्लादें यह पोइं -सेत्तिअस क्या है ?
पोइन्सेत्तिअ इज ए श्रब विद ब्राईट रेड ब्रक्ट्स रिज़ेम्ब्लिंग पेटल्स ,पोप्युलर एज ए हाउस प्लांट .पोइन्सेत्तिअ एक उष्ण -कटी -बंधी पादप (पौधा )है इसकी सुर्ख लाल गुलाबी पत्तियां पुष्प दल सी आभा लिए होती हैं .तने के उसी स्थान से फूटतीं हैं यह पत्तियाँ जहां से पुष्प अंकुरित होतें हैं .पत्तियाँ पुष्पदल (फूलों कि पंखुड़ियों सी खिलतीं हैं .).इसे घर के अन्दर गमलों में भी उगाया जाता है ।
ईसवीं सन १८२८ में इसका सम्बन्ध भी क्रिसमस से जुड़ गया .जोएल रोबर्ट्स पोइंसेत्त पहले अमरीकी राजदूत थे जिनकी नियुक्ति मेक्सिको में हुई थी .पोइन्सेत्तिअ मेक्सिको से ही आयात किया गया .आउट डोर प्लांट्स के रूप में यह झाडी १०फ़ीत (तकरीबन ३ मीटर ऊंचाई )तक बढ़ आती है .सर्दियों में बिखेरती है यह अपने फूलों कीछटा. इसीलिए इसे विंटर फ्लावरिंग लैगी श्रबभी कहा जाता है .लेकिन गमले में आकर यह बोंजाई बन जाता है ऊंचाई घटके रह जाती एक मीटर .नन्ने पुष्पों का एक तरफ पूरा गुलदस्ता होता है इसका पीत वर्णीपुष्प जिसके नीचे लाल पंखुड़ियां तने से निकलती पात्तियों के रूप में सुशोभित होतीं हैं ।
इसकी पत्तियों और तने से एक सफ़ेद गाढा द्रव निकलता है ,लेटेक्स .पशुओं को यह जलन और दाह पैदा कर सकता है .मनुष्यों को भी जो ज्यादा सेंसिटिव हैं इससे एलर्जी हो सकती है .लेकिन यह उतना ज़हरीला पौधा नहीं है जितना बतलाया जाता रहा है ।
व्हाट एग्ज़ेक्त्ली आर डी १२ डेज़ ऑफ़ क्रिसमस ?
२५ दिसंबर को ईसामसीह के जन्मदिवस से आरम्भ करके ६ जनवरी को एपिफन्य दिवस तक की १२ दिनों कीअवधि
विशेष महत्त्व रखती है ।
कैथोलिक परम्परा में जनवरी ६ christ 's baptism ,christ का बपतिस्मा होता है .इट में मार्क दी डे देत दी वाइज़ मेन विज़ितिद दी बेबी जीजस विद गिफ्ट्स । यह चर्च विशेष पर निर्भर करता है .
क्रैस्ट्स बेप्तिज्म क्या है ?
बैप्तिज्म ?
बप्तिस्मा ईसाई चर्च का विधिवत सदस्य बनने का संस्कार है जिसमे सदस्य बनने वाले व्यक्ति का जल से अभिषेक और अकसर नामकरण भी किया जाता है .इसे बप -तिसमा करना भी कहतें हैं ।
इन बारह दिनों में र्रोजाना तोहफे बांटने का चलन था .अमरीका में यह रिवाज़ पनप नहीं सका .शायद लोगों में उतना धेर्य ही नहीं था .लेकिन गीत में आज भी इस रिवाज़ का ज़िक्र है ।
दी सोंग हाउ -एवर दिमोंस्त्रेट्स देत सम पीपुल वंस स्त्रेच्द आउट देयर गिफ्ट्स ओवर दी फुल १२ डेज़ ।
२५ दिसंबर से पहले और बाद की अवधि को आम भाषा में क्रिसमस कह दिया जाता है .अकसर पूछा
जाता है इस बरस क्रिसमस कहाँ मना रहे हो ?ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है २५ दिसंबर जिसे बड़ा दिन भी कह दिया जाता है .(यह वर्ष का सबसे बड़ा दिन नहीं होता है ,दिन की अवधि यहाँ से पहले ही घटनी शुरू हो चुकी होती है .).

हेल्थ टिप्स :दांतों की मजबूती साफ़ सफाई के लिए ...

मंच ऑन के -रट स्टिक्स फॉर हेल्दियर टीथ ।
कुदरती खाद्य रेशों से भरपूर होती है देशी (मौसमी )और विलायती गाज़र (ओरेंज कलर ).यह एक कुदरती टूथ ब्रश है दांतून सरीखा .दांतों की सफेदी के लिए (आँखों की बीनाई ,तेज़ नजर के लिए )नियमित गाज़र खाईये ।
होंठों की नरमी के लिए ?
रात को बिस्तर में घुसने से पहले कोई भी लिप क्रीम होंठों पर लगाकर सोयें .क्रीम का रिच क्रीमी टेक्सचर होंठों को सोफ्ट और सपिल बनाए रहेगा .

गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स :बालों के लिए नरिश्मेंट पैक .......

शिकाकाई और रीठा बराबर मात्रा में लेकर रात को भिगो दें .सुबह उठकर इसका पेस्ट बनाएं .इसमें एक ताज़ा आंवला या दो ग्रेट कर दें .अंडा मिलाकर इसे फिर से मिलालें .तैयार पेस्ट बालों की जड़ों तक अच्छी प्रकार लगाकर २० -२५ मिनिट तक यूं ही छोड़ दें .अब सिर पानी से धौ डालें ।
रीठा में शैम्पू के सभी आवश्यक तत्व मौजूद रहतें हैं इसलिए बालों को शैम्पू करने कि ज़रुरत नहीं है .रीठा ,शिकाकाई ,आंवले का योग अंडे की गंध भी ले उड़ता है .कुदरती नरिशिंग पैक है यह बालों के लिए .खूबसूरत घने रेशमी बालों के लिए इसे भी आजमायें .

माई नेम इज दिग्गी -खान,मेरे पास है आतंक वाद का कोपी राईट .......

'माई नेम इज खान 'को भूल जाइए .मेरा नाम है दिग्विजय खान .मेरे और सिर्फ मेरे पास है आतंकवाद का ट्रेड मार्क ,कोपी राईट .मैं बतलाता हूँ कौन लोग हैं आतंकवादी ।
(१)सारा भारत धर्मी समाज आतंक वादी है .बहु संख्यक आतंकवाद के यही हैं जनक .सिर्फ चार लोग हैं जो आतंकवादी नहीं हैं .आप भी नोट करें ।
(१)राष्ट्र माता श्री मति सोनिया गांधी ।
(२)राजकुमार राहुल गांधी ।
(३)श्री मनमोहन सिंह ।
(४)गुरु अर्जुन सिंह तेंदू पत्ता वाले ।
भारत भूमि पर ही पैदा हुआ है बहु -संख्यक आतंक वाद .इसकी कोख से ही पैदा हुआ है अल्प -संख्यक आतंक वाद .असली ख़तरा मेजोरिटी टेरर-इज्म से है .माइनोरिटी तो माइनोरिटी में है .क्या कर लेगी ।
बराक ओबामा हवा में तीर चला रहें हैं .आतंकवाद का खात्मा करना है तो भारत पधारें .दिग्गी राजा बतलायेंगे .आतंकवाद से कैसे निजात पाई जाए ।
कोरी बकवास है इस्लामी आतंकवाद .भारत और केवल भारत ही दोनों किस्म के आतंकवाद का उद्गम स्थल है .आप हमें सिर्फ वोट दो हम आपको आतंक वाद से छुटकारा दिलवाएंगे ।
आतंकवाद वही जो दिग्गी खान समझाएं .इन्हें रोक कर दिखाए कोई अमरीकी हवाई अड्डे पर .है कोई माई का लाल ?किसने पीया है अपनी माँ का दूध ?कौन है अपने बाप का बेटा .पकडे भारत के असली दिग्गी खान को ।
पता :दिग्गी खान उर्फ़ राजा राघो -गढ़ ,भारत ,इंडिया .

हेल्थ टिप्स :त्वचा पर ब्राउन स्पोट्स /फ्रेकल्स चकत्ते होने पर ...

ए लोट ऑफ़ पीपुल विद रेड हेयर्स हेव फ्रेकल्स .त्वचा पर छोटे छोटे भूरे दाग या चकत्ते होने पर .धीरे -धीरे नीम्बू काटकर रगड़ें .नीम्बू के टुकड़ों में पिसीहुई फिटकरी भरके रगड़ें .जहां जहां चकत्ते हों वहां वहां ऐसा ही करें .चमड़ी पर निखार आयेगा .चकत्ते हलके होंगे ।
गुणकारी नीम्बू एक फायदे अनेक :-
(१)कुछ लोगों के हाथ बहुत सख्त होतें हैं .इन्हें थोड़ा मुलायम बनाने के लिए नीम्बू के रस में थोड़ी सी चीनी मिलाकर हाथों पर धीरे धीरे तब तक रगड़ें जब तक चीनी घुल न जाए .बाद इसके थोड़ा ठहर कर हाथों को गुनगुने पानी से धौलें .धीरे धीरे कुछ दिनों में हाथ मुलायम हो जायेंगे ।
(२)नीम्बू रक्त को भी शुद्ध करता है .त्वचा कि कान्तिके लिए नीम्बू का सेवन करें ।
(३)नहाने के पानी में थोड़ा सा नीम्बू का रस और नमक मिलाकर स्नान करने से शरीर सुन्दर बनता है .बॉडी ओडर में भी राहत मिलती है ।
(४)हाथों की खूबसूरती के लिए पके हुए टमाटर का रस ,नीम्बू का रस तथा ग्लीसरीन बराबर मात्रा में मिलाकर हाथों पर मालिश करें .सूख जाने पर हाथ सुन्दर दिखेंगे ।
(५)कील मुंहासे से बचाव के लिए नहाने से पहले नीम्बू की फांक चेहरे पर धीरे धीरे मलें .सूखने के बाद स्नान कर लें .हर घंटे के बाद चेहरे पर नीम्बू की फांक मलें .सूखने पर चेहरा धौ डालें ।
(६)सफ़ेद तिलों पर (सेसमी )पर नीम्बू निचोड़ कर पीस लें .चेहरे पर मलें .दो घंटे बाद चेहरा धौ लें .चेहरे की त्वचा मुलायम हो जायेगी .मुंहासे भी जायेंगे ।
(७)आधा चम्मच नीम्बू का रस आधा चम्मच हल्दी और एक चौथाई नमक तथा एक चम्मच पानी मिलाकर थोड़ा सा गुनगुना करके चेहरे पर मलें .सूखने के बाद चेहरा धौ लें .हर चौथे दिन ऐसा करें .मुंहासों के निशाँ मिट जातें हैं ।
(८)एक चम्मच नीम्बू के रस में चार चम्मच ग्लीसरीन मिलाकर चेहरे पर लगाएं .एक घंटा बाद चेहरा धौ लें ।
नाखूनों की मजबूती के लिए ?
कुछ लोगों के नाखून जल्दी जल्दी टूट जातें हैं .नाखूनों पर नीम्बू रगड़ें धीरे धीरे नित्य प्रति .सूखने के बाद धौ डालें .नाखून मजबूत बनेंगे ।
(९)मुल्तानी मिटटी भीगी हुई ,नीम्बू का रस और दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएं .सूखने पर चेहरा धौ डालें .चेहरा साफ़ सुथरा दिखेगा .

इनके पास है ट्रेड मार्क आतंकवाद का ,इनसे पूछो क्या है आतंकवाद ....

सारी दुनिया ये फतह कर चुके इसलिए नाम है इनका दिग्विजय सिंह .आतंकवाद क्या है ?इससे कैसे लड़ना है ?इसका ट्रेड मार्क और कोपी- राईट सिर्फ दिग्विजय -सिंह -जी के पास है ।
ओबामा हो या कोई और आतंकवाद के खिलाफ कोई भी कारवाई करने से पहले दिग्गी राजा से संपर्क करें ।
सारी दुनिया सैंकड़ों सालों से आतंकवाद को एक परिणाम मानती आई है एक विचारधारा का .जो इस्लाम को नहीं मानता वह काफिर है .उसे नेस्तनाबूद करना है .अल्लाह की हदबंदी करती है यह विचार धारा .इसके लिए जड़ और चेतन में कोई भेद नहीं है इसी लिए यह गौतम बुद्ध के खामोश खड़े नाम चीन बुतों को भी गिरा देती है .मूर्तियों को भंग कर देती है यह विचार धारा ।
लेकिन राघो गढ़ के राजा इसे सरासर गलत बतलातें हैं .आतंकवाद वही है जो 'दिग्विजय सिंह 'बतलाएं .बकौल इनके यह दो किस्म का है ।
(१)अल्प -संख्यक आतंकवाद ।
(२)बहु -संख्यक आतंकवाद ।
इसमें भी बहुसंख्यक आतंकवाद ज्यादा खतरनाक है .इसका उद्गम स्थल भारत और इसका पल्लवन करने वाले तमाम भारत धर्मी लोग हैं .अपवाद है इस बहु -संख्यक आतंक वाद के -
(१)राष्ट्र माता सोनिया गांधी ।
(२)प्रिंस राहुल .
(३)शव -आसन की मुद्रा में स्थाई भाव लिए अपने श्री मन मोहन सिंह।
(४)स्वयं दिग्गी राजा और उनके गुरु अर्जुन सिंह ।
अल्प -संख्यक आतंकवाद इसी का ऑफ shoot है .इसका हौवा खड़ा करना फ़िज़ूल है .ख़तरा बहु संख्यक आतंकवाद से है .
इसके समूल खात्मे के लिए कृपया दिग्गी राजा से संपर्क करें .याद रखें आतंक वाद के बीज भारत मेंhi हैं .यहीं पर आतंकवाद की दोनों किस्में पनपी हैं .जिसे सारी दुनिया इस्लामी -आतंकवाद कह रही है वह मुगालते में हैं .ज्ञान चक्षु पूरी तरह खुले हुएँ हैं ,दिग्विजय सिंह जी के .

रोयल सोसायटी के जर्नल में ८ साला छात्रों ने प्रकाशित किया एक अध्ययन .....

यु के साइंस जर्नल पब्लिशिज़ स्टडी बाई ८ -ईयर ओल्ड स्ट्यु -देंट्स (डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,२३,२०१० ,पृष्ठ २१ )। रोयल सोसायटी इंग्लैण्ड के एक नामचीन जर्नल में एक 'इंग्लिश एलीमेंट्री
स्कूल 'के 8 साला छात्रों द्वारा संपन्न अध्ययन को जगह mili है ।
इन नौनिहालों ने बम्बल -बीज(ए लार्ज बी कवर्ड विद स्माल हेयर्स देत मेक्स ए लौड़ नोइज़ एज इट फ्लाईज़ ।) फील्ड वर्क प्रोजेक्ट के तहत चर्च यार्ड में जाकर इन मख्खियों के रंगों और पैट्रंस कि शिनाख्त करने के तरीके कीपड़ताल की है .साइंस प्रोजेक्ट में इस स्टडी को सम्मानीय जगह दी गई है ।
इन्सेक्ट कलर एंड पैट्रन विज़न में इस स्टडी को 'जेनविन एडवांस 'बतलाया गया है .हालाकि प्रयोगों के पीछे सान्ख्कीय विश्लेषण (स्तेतिस्तिकल एनेलेसिस )नहीं है ,लेकिन माहिरों के बीच इस काम ने अपनी अलग जगह बनाई है ।
बधाई .

इनवीट्रो फर्टिलाई -जेशन की कामयाबी के लिए .....

दुनिया भर में हर पांचवां दम्पति संतान हीन है ऐसे में इन -वीट्रो -फर्टिलाई -जेशन आम हो चला है .लेकिन इसकी कामयाबी के भी कुछ गुर रिसर्च -दानों के हाथ लगें हैं ।जो अकसर खासी कम रही है .
'वन एम्ब्रियो बेटर देन टू इन आइवीएफ़ ':डी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २३ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
एक नै शोध के मुताबिक़ आइवीएफ़ ट्रीटमेंट ले रहीं उन औरतों के मामले में कामयाबी की दर ज्यादा रहती है जो एक मर्तबा में एक ही एम्ब्रियो इम्प्लांट करवातीं हैं .एक साथ दो एम्ब्रियो इम्प्लांट करवाने से फोर्स्ड एबोरशन/मिस्केरिज के मौके ज्यादा हो जातें हैं .बेहतर है यही काम दो राउंड में किया जाए एक बार के आइवीएफ़ प्रोसीज़र में एक ही एम्ब्रियो गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाए ।
ये नतीजे 'एबरदीन विश्विद्यालय 'के रिसर्चरों ने हालिया शोध से निकालें हैं .

स्मार्टर किड्स के लिए गर्भावस्था में 'आयरन और फोलिक एसिड '....

मोम्स हु टेक्स आयरन हेव स्मार्टर किड्स (दिसंबर २३ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
अमरीकी रिसर्च्दानो के अध्ययन के अनुसार ग्रामीण नेपाल में संपन्न एक अध्ययन के अनुसार जिन भावी माताओं ने गर्भावस्था के दौरान डॉक्टरी सलाह के अनुरूप आयरन तथा फोलिक एसिड सम्पूरकों का स्तेमाल किया उनके बच्चे अपेक्षय्ता ज्यादा चुस्त दुरुस्त ,व्यवस्थित ,अंग संचालन में प्रवीण ,बेटर मोटर स्किल्स लिए देखे गए बरक्स उन शिशुओं के जिनकी माताओं ने गर्भ काल (जेस्तेशन पीरियड )में इन सम्पूरकों का स्तेमाल नहीं किया था ।
केन्द्रीय स्नायु तंत्र के समुचित विकास के लिए लौह तत्व ज़रूरी
हैं ,इंटर नेशनल हेल्थ के माहिर जोहन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के पारुल च्रिस्तियन ऐसा मानतें हैं .सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम के विकाश के लिए लौह तत्व अपरिहार्य हैं .

हेल्थ टिप्स :कीप ए रनिंग नोज़ एट बे.....

कीप ए रनिंग नोज़ एट बे ?

यदि नाक लगातार बह रही है ,नेज़ल दिस -चार्ज

हो रहा है ,आंवले के रस में थोड़ा सा कागजी नीम्बू और शहद मिलाकर नित्य प्रात्य लें .आराम आयेगा .आंवले का मतलब इन्डियन गूजबेरी तथा कागजी नीम्बू का मतलब लाइम से है ।

(२)सलाद के पत्ते (लेट्युस में )सर्व करने से पहले कभी भी नमक न मिलाएं ,सख्त हो जायेंगे पत्ते ,मुह में डालते ही घुलेंगे नहीं .वैसे भी सलाद में नमक ऊपर से छिड़कना ठीक नहीं .चीनी कि तरह नमक का भी कम प्रयोग करें .

बुधवार, 22 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स :तीस के पार चेहरे कि झुर्रियों से बचाव के लिए ...

तीस के पार चेहरे कि झुर्रियों से बचाव के लिए ?
सुहागा गर्म तवे पर सेंकें .इसमें बिना पानी का थोड़ा सा दही और नारियल तेल मिलाकर चेहरे पर लगाएं .एक घंटे तक इसे लगा रहने दें .इसके बाद चेहरा धौ डालें .इसका नियमित स्तेमाल फेस पैक के रूप में करें ।
(२)ड्राई स्किन से बचाव के लिए ?
नारियल का तेल ,थोड़ा सा कच्चा दूध ,एक विटामिन ए का केप्स्युल और थोड़ा सा शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं और १५ मिनिट के बाद चेहरा ठन्डे पानी से धौ लें .चमड़ी नम रहेगी ।
(३)आलू छील कर ग्रेट कर लें (कद्दू कस कर लें ) इसमें थोड़ा सा दही अच्छी तरह से मिला लें .चेहरे पर लगाएं .कुछ समय के बाद चेहरा धौ लें ठन्डे पानी से .इसके नियमित स्तेमाल से चमड़ी पे महीना दो में निखार आयेगा ।
(४)शहद और थोड़ा दही मिलाकर चेहरे पर लगायें .थोड़ी देर बाद चेहरा धौ डालें .ड्राई नेस में फर्क आयेगा ।
सौजन्य :श्रीमती वीणा शर्मा ,सौन्दर्य विशेषज्ञा ,लक्ष्मी बाई नगर ,नै -दिल्ली -११० -०२३ .

आदिम जीवन स्वरूपों की शुरुआत अबसे कोई तीन अरब बरस पहले हुई ....

लाइफ ऑन अर्थ बिगेन ३ बिलियन ईयर्स एगो .'ग्रेट सर्ज 'केम आफ्टर प्रिमिटिव फोर्म्स दिविलाप्द वे टू हार्नेस सनलाईट.दीकलेक्टिव जीनोम ऑफ़ आल लाइफ एक्स्पान -डिड मेसिवली बिटवीन ३.३ एंड २.८ बिलियन ईयर्स एगो .ड्यूरिंग दिस टाइम ,२७%ऑफ़ आल प्रिज़ेन्तली -एग्जिस्टिंग जीन फेमिलीज़ केम इनटू बींग ,ए स्टडी सेज .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।

अब से कोई तीन अरब बरस पहले जब जीवन के प्रारम्भिक (आदिम स्वरूपों )ने सूरज की अनंत ऊर्जा का दोहन करना सीख लिया था तेज़ी से जीवन स्वरूप विकसे .यह निष्कर्ष मासाच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी (एम् आई टी )के साइंसदानों ने एक ऐसा जीनोम फोसिल तैयार कर लेने के बाद निकालें हैं जिसमे आज मौजूद तकरीबन १००० प्रमुख जीवन- इकाइयों का गणितीय प्रारूप सार रूप में मौजूद है .सूदूर अतीत से आदिनांक विकास के किन चरणों से होकर ये जीवन खंड यहाँ तक पहुंचे है इसका भी जायज़ा लिया गया है ।

पता चला है अबसे कोई २.८ से ३.३ अरब बरस पहले तमाम जीवन स्वरूपों के सांझा जीनोम का विस्तार हुआ .आज मौजूद तकरीबन २७ फीसद जीन परिवार इस काल खंड में अपना अस्तित्व मुखरित कर चुके थे ।

एक जैव रासायनिक प्रक्रिया (मोद्रन इलेक्त्रों ट्रांसपोर्ट )ने इसे हवा दी .इसी प्रक्रिया के तहत कोशाओं की झिल्लियों के बीच इलेक्त्रोंन गति करतें हैं ।

दिस इज ए" की बायलोजिकल फंक्शन ",इन्वोल्विंग दी मूवमेंट ऑफ़ इलेक्त्रोंस विद इन दी मेम्ब्रेंस ऑफ़ सेल्स .पादप और कुछ माइक्रोब्स भी इसी के तहत प्रकाश संश्लेषण के ज़रिये सूरज से ऊर्जा लेतें हैं ,ऑक्सीजन लेतें हैं .(ऑक्सीजन पर आधारित हैं ये जीवन स्वरूप )।

इसकेबाद (तकरीबन पचास करोड़ साल बाद )ग्रेट ओक्सिदेशन इवेंट की शुरुआत हुई . इसी दरमियान ऑक्सीजन पर आधारित जीवन पनपा .पृथ्वी के ज्ञात इतिहास में यही वह दौर था जब जब विशालकाय जीवन स्वरूप अस्तित्व में आये .इसी के साथ आदिम स्वरूप /माइक्रोबियल लाइफ फोर्म्स (नॉन -ऑक्सीजन लाइफ फोर्म्स ) विलुप्त हो गए .इनका स्थान ऑक्सीजन आधारित स्मार्ट जीवन स्वरूप लेते चले गए ।
अब जैव मंडल (बायो -स्फीयर ) को एक अपेक्षतया बड़ा एनर्जी बजट मयस्सर था .इसी के चलते लार्जर तथा ज्यादा पेचीला (मोर कोम्प्लेक्स इको -सिस्टम्स )पैदा होते चले गए .फिलवक्त जीवित प्रजातियों के सांझा डी एन ए में अर्वाचीन घटनाएं दर्ज़ हैं .यही इस शोध की खूबसूरती भी है हासिल भी है .

हेल्थ टिप्स .

(१)मधुमेह के लक्षणों मेंज्यादा प्यास लगना भी एक लक्षण है .ऐसे में पानी में नींबू मिलाकर पीने से राहत मिलती है .नित्य प्रातः नीम्बू पानी का सेवन लाभप्रद रहेगा ।
सौन्दर्य प्रशाधन के रूप में इन्हें भी आजमायें :
(१)ताज़ा मटर के दानो में नीम्बू निचोड़ लें आधा चम्मच .इन्हें पीसकर हाथ पैरों और चेहरे पर लगायें .नहा लें कुछ देर बाद ,चमड़ी में निखार आयेगा ।
(२)चार चममच जौ/चने का आटालें .इसमें आठ चम्मच कच्चा दूध ,आधा चम्मच हल्दी ,दो चम्मच नीम्बू का रस मिलाकर उबटन बना लें .इसे सारे शरीर पर लगाएं .१५ -३० मिनिट बाद स्नान कर लें .बदन पर /काया पर निखार आयेगा ।
(३)आधा कप मसूढकी धुली हुई दाल(लाल दाल )रात को इतने ही दूध में भिगो दें .सुबह इसे पीसकर पेस्ट तैयार कर लें .इसे हाथ पैरों चेहरे पर लगायें .स्नान कर लें थोड़ी देर बाद .त्वचा खिल उठेगी .

कौन से किशोर डिस -लेक्ज़िया से बाहर आ सकतें हैं ?

ब्रेन स्केन प्री -दिक्ट्स व्हिच दिस्लेक्सिक्स विल रीड लेटर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २२ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
डिस्लेक्सिया इज ए दिव्लाप -मेंटल डिस -ऑर्डर सलेक्तिवली अफेक्तिंग ए चाइल्ड्स एबिलिटी टू लर्न रीड एंड राईट .दी कंडीशन अफेक्ट्स बोइज मोर ओफतिन देन गर्ल्स एंड कैन क्रियेट सीरियस एज्युकेशनल प्रोब्लम्स .इट इज सम -टाइम्स काल्ड स्पेसिफिक डिस्लेक्सिया ,दिव्लेप्मेंतल रीडिंग डिस -ऑर्डर ऑर दिव्लेप्मेंतल वर्ड ब्लाइंड -नेस टू दिस्तिन्गुइश इट फ्रॉम एक्वायर्ड दिफिकल्तीज़ विद रीडिंग एंड राइटिंग ।
डिस -लेक्सिया का शाब्दिक अर्थ है इन -एबिलिटी टू रीड एंड राईट ,यानी पढने ,हिज्जे करने ,स्पेलिंग बांचने कीअसमर्थता .इसे शब्दों के उच्चारण करने में या वर्तनी स्पष्ट करने में होने वाली कठिनाई ,अपठन भी कहा जाता है .इसमें किशोर किशोरियों की वाचन एवं वर्तनी निर्देशन सम्बन्धी क्षमता असरग्रस्त हो जाती है ।
साइंसदानों ने अब ब्रेन स्केन की मदद से यह पता लगाने की क्षमता हासिल कर ली है आइन्दा तीन सालों में कौन से किशोर इस असमर्थता से बाहर निकल आयेंगें .इसके लिए अति -परिष्कृत ब्रेन स्केन्स ईजाद किये गये हैं .इससे इस विकार के बेहतर प्रबंधन और इलाज़ में भी मदद मिल सकेगी ।
एक ख़ास पैट्रन(ब्रेन स्केन्स का ) इसकी शिनाख्त का आधार तैयार कर रहा है जो कुछ डिस्लेक्सिया से असर ग्रस्त किशोर वृन्द में दर्ज़ किया गया है ।
इन ब्रेन स्केन की मदद से ९०%तक सही प्रागुक्ति (भविष्य -वाणी )की जा सकी है .वक्त रहते अब ऐसे बालकों की शिनाख्त की जा सकेगी जिनके आगे चलकर रोग मुक्त होने की संभावना बलवती है .स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसन के रिसर्चर इस शोध से जुड़ें हैं ।

कैसे असर ग्रस्त करता है मलेरिया का परजीवी दिमागी केपिलारीज़ को ...

मलेरिया इन्फेक्तिद सेल्स स्तिफन्द ,ब्लोक ब्लड फ्लो टू ब्रेन(मुंबई मिरर ,दिसंबर २२ ,२०१० ,साइंस -टेक ,पृष्ठ २४ )।
पहली मर्तबा साइंसदानों ने मलेरिया परजीवी की हमारे शरीर में घुसपैंठ का पूरा खाका प्रस्तुत किया है .इसके लिए अभिनव पीढ़ी के कम्प्यूटरों के नवीनतम मोडिलों के अलावा लैब आजमाइशों का भी सहारा लिया गया है ।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के अलावा मास्साच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी के रिसर्च्दानों ने इस काम को आगे बढाया है ।
एक मर्तबा मलेरिया परजीवी से संक्रमित होने के बाद रेड ब्लड सेल्स अपनी लोच खोकर सामान्य से ५० गुना ज्यादा कठोर पड़ जाती है .नतीजा यह होता है यह दिमागी केप्लारीज़ को ही अवरुद्ध कर देतीं हैं ऐसे में दिमाग के साथ साथ कई क्रिटिकल ओर्गेन्सको रक्तापूर्ति
में बाधा आने लगती है ।
रिसर्च्दानों का सारा काम मलेरिया परजीवी 'प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम 'पर केन्द्रित रहा है .यही ब्रेन की केपिलारीज़ को अवरुद्ध कर देता है .बस एक संक्रमित मच्छर के आपको काटने की देर है .बस यह लाल रुधिर कणिकाओं पर धावा बोल देता है .हेल्दी ब्लड सेल्स के बरक्स इनकी इलास्टिसिटी ५० गुना कम हो जाती है .रिजिड (इम्मोबाइल ) होके रह जाती हैं यह ब्लड सेल्स और बस दिमागी केश -नलिकाओं (केपिलारीज़ ऑफ़ दी ब्रेन ) में ही यह फसके रह जाती हैं .सेरिब्रल मलेरिया में ऐसा ही होता है ।
नतीज़ा होता है ब्लोकेड.इस अध्धययन के नतीजे 'प्रोसीडिंग्स ऑफ़ दी नेशनल अकादेमी ऑफ़ साइंसिज़ में प्रकाशित हुएँ हैं .

हेल्थ टिप्स .

ब्लीडिंग गम्स में राहत के लिए ?
नारियल तेल से धीरे- धीरे मसूड़ों की मालिश करें ,मिल्किंग एक्शन में ,जैसे दूध काढा जाता है मवेशी का .ऊपर वाले मसूड़ों में अगूंठे और तर्जनी की मदद से ऊपर से नीचे की ओरतथा नीचे वाले मसूढ़ों के लिए नीचे से ऊपर की ओर ।
(२)सरसों तेल का स्तेमाल भी नियमित इसी प्रकार मसूढ़ों की मजबूती ओर मुख स्वास्थ्य के लिए कर सकतें हैं .ध्यान रहे तेल में नमक नहीं मिलाना है .सोडियम क्लोराइड के क्रिस्टल्स मसूढ़ों को छील कर रख देंगे .मुख स्वास्थ्य से जुडी है आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य की नवज .पायरिया (ब्लीडिंग गम्स ) की अनदेखी नहीं करें .क्वालिफाइड (एम् डी एस /बी डी एस ,दांतों के माहिर के पास पहुंचे ).साल में एक बार दांतों की मँजाई (स्केलिंग ) भी ज़रूरी है ।
बच्चा चाहने वाली महिलायें एक साल पहले से इसकी तैयारी के लिए सबसे पहले दांतों के माहिर से अच्छे मुख स्वास्थ्य के लिए जांच करवाएं .माँ केमुख - स्वास्थ्य(ओरल हाइजीन ) से जुडी है गर्भस्थ के स्वास्थ्य की नव्ज़।
अति सर्वत्र वर्ज्यते :
बेतहाशा ,बेहिसाब संतरे खाने से जोड़ों का दर्द भड़क सकता है .डोंट बिंज ऑन ओरेंज़िज़ .इफ क्न्ज्युम्द इन एक्सेस ,दे कैन लीड टू जोइंट पैन.

मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स :दिल कि सेहत के लिए

दिल की सेहत के लिए ?
दो चम्मच सूखा आंवला चूर्ण (पाउडर ) रात को सोते वक्त एक कप दूध के साथ नियमित लें .दिल के आरोग्य के लिए अच्च्छा है ।
(२)आवलें का मुरब्बा दूध के साथ कमसे कम एक साल तक लें (चासनी निचोड़ कर लें तो और भी अच्छा रहेगा दिल कि सलामती के लिए )।
(३)आवला चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर एक मिश्र तैयार करलें .रोजाना सुबह दो चम्मच ठन्डे पानी के साथ नियमित लें .शरीर में सोडियम कि मात्रा को कम करके ब्लड प्रेशर (रक्त चाप )का नियमन करेगा ।आवश्यक खाद्य रेशे मुहैया करवाता है आंवला चूर्ण.
. (४)अलसी के बीज थोड़ा सा गर्म तवे पर भून लें .खाना खाने के बाद नियमित मुख प्रक्षालक (सौंफ ,इलायची ,की तरह )स्तेमाल करें .अलसी के बीज पीस कर पाउडर बना लें .इसे दाल आदि में स्तेमाल करें .चटनी भी बना सकतें हैं इससे .कोलेस्ट्रोल का विनियमन करता है फ्लेक्स सीड्स (अलसी के बीज ).

हेल्थ टिप्स :दाग दगीली अन -इविन स्किन से छुटकारे के लिए ?

दाग दगीली अन -इविन स्किन से छुटकारे के लिए ?
(१)आधा -कप कच्चा दूध लेकर इसमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर नियमित लगाए .कुछ समय बाद चेहरा ठन्डे पानी से धौ डालें ।
कील मुहांसों से राहत के लिए ?
(१)नीम के पत्ते ,मैथी के पत्ते ,पुदीने के पत्ते तथा सूखे हुए संतरे का चूर्ण मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें .इसे भीगी हुई मुल्तानी मिटटी में मिला लें .चेहरे पर रोज़ लगायें .बाकी को संभाल कर फ्रिज में रख लें आइन्दा स्तेमाल के लिए .कुछ समय बाद चेहरा ठन्डे पानी से धौ डालें .रोजाना ऐसा करें .चेहरे पर पसीना आने पर चेहरा हर बार ठन्डे पानी से धोएं.आठ दस ग्लास पानी रोज़ पीयें .ग्रीन वेजितेबिल्स दिन में कई मर्तबा लें .

दस मिनिट में गर्भ -निरोधी बे -दाग सर्जरी मौतरमाओं के लिए

एस्सुरे नाम है इस सर्जरी का जिसके तहत एक हिस्टेरो- स्कोप कि मदद से दो नन्नी सी कोइल्स (स्टंट्स सरीखी )योनी मार्ग से दोनों अंड -वाहिनी नालियों (फेलोपियन ट्यूब्स ) तक जिनसे होकर ह्यूमेन एग (डिम्ब )अंडाशय (ओवरी )से निकल कर गर्भाशय तक पहुंचता है ,पहुंचा दी जाती हैं .तीन माह कि अवधि में ही इनके गिर्द ऊतक आजातें हैं और फालोपियन ट्यूब्स अवरुद्ध हो जातीं हैं .अब गर्भ धारण करने का कोई ख़तरा नहीं कोई वजह शेष नहीं बचती है ।
यकीन मानिए यह सारा खेल (सर्जिकल प्रोसीज़र )दस मिनिट का है .'वाक् -इन -वाक् आउट' यह सर्जरी पीड़ा हीन है .सर्जरी के बाद कोई दाग नहीं .कोई अता पता नहीं कहाँ कब क्या हुआ .गृहस्थी से निवृत हुईं आप .किसी को कानों कान खबर नहीं .लंच ब्रेक में सारा काम संपन्न .हुन मौजां ही मौजां ...
कई संस्कृतियों में गर्भ निरोधी उपायों को अपनाने की मनाही है .ऐसे में औरत बेबस हो जाती है .उसी बेबसी का इलाज़ है यह 'टेन मिनिट सीक्रेट स्टर -लाइ -जेशन फॉर वोमेन 'जो ब्रिटेन में दिनानुदिन लोकप्रिय हो रहा है .इसे फर्टिलिटी क्लिनिक गुप्त रखती हैं ।
हिस -टेरो -स्कोप एक प्रकार का इंडो -स्कोप ही होता है जिसकी मदद से गर्भाशय के अन्दर पहुंचा जा सकता है .विज्युए लाइ -जेशन ऑफ़ दी इंटीरियर ऑफ़ दी यूट्रस यूजिंग ए हिस -टेरो -स्कोप इज काल्ड हिस -टेरो -स्कोपी .
सन्दर्भ -सामिग्री :-सीक्रेट १० -मिनिट स्टर -लाइ -जेशन फॉर वोमेन (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २१ ,२०१० ,पृष्ठ १७ ).

ऑस्ट्रेलियाई अब दुधारू पशु ऑन लाइन खरीद रहें हैं ....

औस्सीज़ बाई काउज़ विद ए माउस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,पृष्ठ १७ )।
समुद्र तट से खासा दूर गरम निर्जन बियाबान में भटकता रहता था दुधारू पशुओं को लिए पशु फ़ार्म का मालिक और चरवाहा ऑस्ट्रेलिया के जनविहीन क्षेत्र में .खरीद फरोख्त एक मुश्किल काम रहा आया है मवेशियों की ,फिर चाहे वह भेड़-बकरी हो या गाय .गरम निर्जन प्रदेश में आबादी से दूर हज़ारों मील के सफ़र के बाद सौदा पटता था ।
अब ट्रेक्टर कैब से एक माउस की दूरी पर रहती है ऐसी खरीद फरोख्त .थेंक्स टू ऑन लाइन ट्रेडिंग .जिस काम में पहले तीन चार दिन लग जाते थे अब वह चंद घंटों में हो जाता है .किसान खेत में काम करते करते दुधारू पशुओं पर बोली लगा सकता है .ऑस्ट्रेलिया में लाइव स्टोक सेल साइट्स बहुतायत में हैं .अब उसे घर बैठे -बैठे दुधारू पशु नसीब हो जाता है ।
हमारे यहाँ भी ऐसा हो तो बाट बने .

लडकों के लिए और भी अच्छा है स्तन पान ,तीव्रमती बनाता है ....

ब्रेस्ट फीडिंग 'कुड मेक बोइज मोर इंटेलिजेंट '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई २१ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
डॉक्टर्स कहते आयें हैं 'जच्चा -बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है स्तन पान '.अब एक ताज़ा अध्धययन इसे बालकों में बुद्धि तत्व में इजाफा करने वाला भी बतला रहा है .खासकर मेल चाइल्ड इससे बुद्धि तत्व के मामले में ज्यादा लाभान्वित होता है ।
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्विद्यालय के नेत्रित्व में अंतर -राष्ट्रीय माहिरों की एक टीम ने पता लगाया है जिन बच्चों को कमसे कम ६ माह तक स्तन पान करवाया जाता है वह दस साला होने तक पढ़ाई लिखाई में अपनी छाप छोड़ने लगतें हैं .ग्रेड के मामले में लडके बाज़ी मार लेतें हैं .इनका बुद्धि कोशांक (आई क्यू बेहतर पाया जाता है )।
रिसर्चरों के मुताबिक़ ब्रेस्ट -मिल्क में कुछ ऐसे तत्व हो सकतें हैं जो मष्तिष्क के विकाश में सहायक सिद्ध होतें हैं .लडकों को इसका लाभ ज्यादा इसलिए मिलता है क्योंकि इनमे फिमेल हारमोन कम रहतें हैं जो दिमाग की हिफाज़त करतें हैं .यही वजह है माँ की सीख पर बच्चे (लडके खासकर )ज्यादा ध्यान देतें हैं स्तन पान इसमें मददगार सिद्ध होता है ।
प्रभावशाली तरीके से कराया गया स्तनपान कमसे कम एक छमाई की अवधि तक लड़कों की अकादमिक उपलब्धियों को बढा सकता है .औसतन ये लडके अच्छा करने लगतें हैं अकादमिक क्षेत्र में .बच्चो के आदर्श विक्ष मान पर स्तनपान का सकारात्मक असर दिखलाई देता है बा -शर्ते स्तन पान की अवधि कमसे कम ६ माह या और भी ज्यादा रखी जाए .

हेल्थ टिप्स .

पैरों की संभाल के लिए ?
(१)सर्दियों में सूखी ठंडी हवा से अकसर पाँव फट जातें हैं ऐसे में कैसे पांवोंको कोमल और मुलायम बनाए रखा जाए .पालक को उबालने के बाद इसके पानी को अलग कर लीजिये .इसमें पांव डुबोकर रखिये ,जब तक पानी स्पर्श योग्य गर्म है तब तक पाँव डिप किये रहिये .बाद इसके पाँव पौछ कर कोई भी क्रीम या वेसलीन लगाकर मौजे पहन लीजिये .पहने रखिये ।
(२)पानी में थोड़े से नीम के पत्ते लेकर उबालिए जब पानी में पत्तों का रंग आजाये उसे आंच से हठा लीजिये .इसमें एक चम्मच नमक थोड़ा सा शैम्पू मिलालें .इसपानी में जब तक पानी गुनगुना बना रहे पाँव डुबोये रखें .बाद इसके पाँव पौंछ कर मौजे पहन लें ।
(३)रात को सोने से पहले नमक दाल कर थोड़ा पानी उबाललें .सोने से पहले इस पानी में थोड़ी देर पाँव डुबोकर रखें .पानी ठंडा होने पर पाँव पौंछ कर मौजे पहन लें .कोई भी चिकनाई लगाएं तो और भी अच्छा .सोने पे सुहागा .मौजे पहन कर ही सोयें ।
(४)डेड स्किन से राहत के लिए दो चम्मच हाइड्रोजन परोक्साइड में एक चम्मच अमोनिया सोल्यूशन मिलालें .कांच की एक प्याली (डिश)में इसे रखें .ब्लीचिंग ब्रश से डेड स्किन पर लगाकर छोड़ दें. कुछ देर बाद पाँव धौ डालें पानी से .क्रीम लगा लें .सन बर्न से भी इसमें राहत मिलेगी .

हेल्थ टिप्स .

कील मुहांसों से बचाव के लिए ?
(१)मसूड़ की(गुलाबी दाल )थोड़ी सी दाल रात को पानी में भिगोदें .सुबह इसे पीसकर (ग्राउंड कर के )एक पेस्ट बनालें .चेहरे पर इसे लगाके छोड़ दें .१०-१५ मिनिट बाद ठन्डे पानी से धौ डालें ।
(२)कृत्रिम रसायनों से युक्त (सिंथेटिक केमिकल्स से सने )सौन्दर्य -वर्धक प्रशाधनों का स्तेमाल न करें .सौन्दर्य बढाने वाली ऐसी सामिग्री के प्रयोग से भी बचे रहें जिसमे वानस्पतिक तेलों का स्तेमाल किया गया हो ।
डें -ड्राफ़(बालों में होने वाली रूसी ,फ्यास )से बचाव के लिए ?
(१)बराबर -बराबर मात्रा में जैतून (ओलिव आयल )और नारियल तेल (कोकोनट आयल ) लेकर इसमें आधा चम्मच नींबू का रस मिलालें .इसे थोड़ा गुनगुना कर लें .ऊंगलियों के पौरों से आहिस्ता आहिस्ता सिर में बालों को हठा हठा के जड़ तक पहुंचाएं ,लगाएं .समय दें इसक्रिया को.सिर धोने की जल्दबाजी न करें ।
(२)नारियल के तेल में थोड़ा सा नीम्बू का रस मिलाकर गुनगुना कर लें .ऊंगलियों के पौरों से आहिस्ता आहिस्ता सारी केश राशि में पहुंचाएं .जल्द बाज़ी ठीक नहीं ।
(३)राई बारीक वाली और मैथी दाना रात को पानी में भिगों दें .सुबह इन्हें पीसकर एक पेस्ट बनालें .बालों की जड़ों में लगाएं .थोड़ी देर बाद सिर धौ डालें .रूसी से धीरे -धीरे छुटकारा मिलेगा ।
कसरत से एक घंटा पहले और बाद में भी फ्लुइड की भरपाई के लिए दो कप पानी पियें .सिस्टम चार्ज रहेगा .फ्लुइड रिप्लेसमेंट बराबर होगा .वर्क आउट में भी जी लगेगा .

सोमवार, 20 दिसंबर 2010

हेल्थ टिप्स .

मुलायम और घनी केश राशी के लिए खासकर वो लोग जो बालों को रंगना नहीं चाहते ,डाई से छिटक -तें हैं क्या करें ?
चुकंदर को पानी में उबालें ,थोड़ा चाय पत्ती वाला पानी भी इसमें उबालकर मिलाएं ,आधा से एक चमच्च कोफी पाउडर भी मिला लें .इसमें रात भर मेहँदी भीगी रहने दें .मेहँदी बालों में लगाने से पहले एक अंडा फोड़ कर अच्छे से फैंट लें इसे भी मेहँदी पेस्ट में मिलालें .लगायें धीरे -धीरे और दो घंटा ऐसे ही छोड़ दें .ठन्डे पानी से धौडालें.बालों को सुखाने के बाद तेल लगाएं और अगले दिन चाहें तो शैम्पू करलें .अन्यथा ऐसे ही रहने दें । तेल जो आप लगातें हैं वही भला ।
सौजन्य :श्री मति वीना शर्मा ,सौन्दर्य विशेषज्ञा ,नै -दिल्ली .

हेल्थ टिप्स .

त्वचाकी फर्म -नेस ,झुर्री हठाने और हेल्दी त्वचा के लिए ?
(१)दो चमच्च एग व्हाईट को फैंट कर उसमे आधा चम्मच बादाम तेल मिलाकर चेहरे पर लगा कर छोड़ दें .मलना नहीं है .कुछ समय बाद (१५ -२० मिनिट )चेहरा ठन्डे पानी से धौ डालें .इसे नियमित अपनाएँ .त्वचा धीरे -धीरे फर्म ,झुर्री -मुक्त होती चली जायेगी ।
(२)दही, बेसन का पेस्ट बनाकर इसमें आधा चमच्च ओलिव आयल (जैतून का तेल )मिलाकर चेहरे पर लगाए .ऐसे ही छोड़ दें .१५ मिनिट बाद चेहरा धौ डालें .चमड़ी साफ़ दिखेगी .कसाव आयेगा .झुर्रियां गायब हो जायेंगी ।
सौजन्य :श्री मति वीणा शर्मा ,सौन्दर्य विशेषज्ञा ,नै -दिल्ली -११०-०२३ .

निजी सम्बन्धों की अति -निकटता से घबरातें हैं 'सेक्स एडिक्ट्स '.

फीयर फेक्टर :सेक्स एडिक्ट्स आफ -रेड ऑफ़ इंटी -मेसी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
आम नागरिकों की तुलना में 'सेक्स एडिक्ट 'बेहद घबरातें हैं निजी सम्बन्धों की अति निकटता से .छिटक -तें हैं रूमानी ,अति -भावुकता पूर्ण सम्बन्ध बनाने से .आत्मविश्वाश हीनता ,असुरक्षा की भावना इन्हें घेरे रहती है .यह निष्कर्ष न्यूज़ीलैंड के मस्से विश्वविद्यालय के साइकोलजी ओनर्स छात्र करें फैस्लांदर ने एक प्रेक्तिसिंग क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट के सुपर्विज़ंन मेंएक ऑनलाइन सर्वे से निकाले हैं .सर्वे में ६२१ लोगों से उनके यौन जीवन के बारे में पूछताछ की गई .इनमे से ४०७ ने अपनी शिनाख्त सेक्स एडिक्ट के रूप में की ।
कम्पल्सिव सेक्स्युअल बिहेवियर से ग्रस्त ये तमाम लोग बहुत ज्यादा रूमानियत से ,किसी के बहुत करीब जाने में अपने को आत्मविश्वाश से हीन पातें हैं .भावुकता पूर्ण प्रेम -उद्दीपक संबंधों से खौफ खातें हैं .बच के निकलतें हैं किसी के बहुत करीब जाने से .अति -रागात्मक होने को टाले रहतें हैं ।
इस सेक्स एडिक्शन रिसर्चर के मुताबिक़,यह एक कोम्प्लेक्स कंडीशन है इस पर डिप्रेशन की तरह काम करने की ज़रुरत है .ग्रे -एरिया है ये ।
१९८० इज़ के दशक में पहली मर्तबा इसविशिष्ट शब्द का स्तेमाल किया गया .बेशक इसकी व्याख्या के लिए विशेष शब्दावली और भी हैं .सेक्स्युअल कम्पल्सिविती ,'एक्सेसिव सेक्स्युअल डिजायर डिस -ऑर्डर',हाई -पर -सेक्स्युँलिती ,आउट ऑफ़ कंट्रोल सेक्स्युअल बिहेवियर (ओ ओ एस सी एच ) इसी क्रममें आएँगी ।
इसका कोई असरकारी इलाज़ भी नहीं है .इसे व्यापक तौर पर गलत समझा गया है .अभिशाप की तरह इसे मान लिया गया है .क्यों होती है ऐसी हालत इसका कोई अता पता फिलवक्त किसी को भी नहीं .अन्वेषणों की ज़रुरत है .

व्हाट इज 'स्कारलेट डे' ?

क्या है स्कारलेट डे ?
केम्ब्रिज विश्विद्यालय स्कारलेट डेज़ का आयोजन करता है .इन उत्सवी दिनों में जिन्हें विश्व -विद्यालय प्रशाशन तय करता है परम्परागत आकादमिक काला गाउन न पहनकर स्कारलेट डे का उत्सवी अकादमिक ड्रेस में शुमार गाउन पहना जाता है जिसमे स्कारलेट (सिन्दूरी रंग )के कई भाग(एलिमेंट्स ) होतें हैं ।इसीलिए इसे स्कारलेट -दिवस (आनादोत्सव )कहा जाता है .
गाउन के अलावा हुड भी स्कारलेट रंग का होता है .इस दिन सभी डॉक्टर्स यही फेस्टल ड्रेस(उत्सवी पोशाक ) पहनतें हैं .अलावा इसके विश्विद्यालय के सदस्यों को इस दिन उन विश्व -विद्यालयों की अकादमिक पोशाक पहनने की छूट होती है जहां से उन्होंने डिग्री प्राप्त की थी ।
विश्विद्यालय क्रिसमस डे ,ईस्टर डे ,व्हित -सन्डे,ट्रिनिटी सन्डे ,आल सेंट्स डे ,जनरल एडमिशन के दौरान हर दिन को 'स्कारलेट डे 'के रूप में ओब्ज़र्व करता है .अलावा इसके वाइस चांसलर किसी भी दिन को अध्यादेश केद्वारा स्कारलेट डे घोषित कर सकता है .दी डे ऑफ़ दी कोलिज' स सैंट इस आल्सो ओब्ज़र्व्द एज स्कारलेट डे .

क्या है 'नीडो थिरेपी '/नेस्ट -थिरेपी ?

मानसिक चिकित्सा की एक आनुषांगिक चिकित्सा कहा जा सकता है नीड़ चिकित्सा /नेस्ट थिरेपी को .खासकर उन मानसिक रोगियों पर यह कामयाब पाई गई है जो परम्परा गत किमो -थिरेपी से लाभ न ले पा रहें हों .इलनेस के क्रोनिक हो जाने पर शिजोफ्रेनिया हो या बाई -पोलर -इलनेस कई मरीजों को मेंटल सर्विसिज़ प्रतिकूल लगने लगतीं हैं .दे दू नोट रेस्पोंड टू कन्वेंशनल ट्रीटमेंट ।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम के विकार हों या मामला क्रोनिक स्ट्रेस का हो ,डिस -थीमिया का हो या किसी अन्य गंभीर मानसिक बीमारी का हो एसर्तिव कम्युनिटी ट्रीटमेंट से लेकर कम्युनिटी मेंटल हेल्थ सर्विसिज़ में नीड़ चिकित्सा आजमाई गई है ।
आखिर है क्या 'नीड़ चिकित्सा '?
लातिन भाषा का एक शब्द है एनाइदीयुएस (निडुस ) जिसका अर्थ नेस्ट या नीड़ /घोंसला होता है .इसी शब्द से व्युत्पत्ति हुई है इस सहयोगात्मक चिकित्सा पद्धति की जिसमे सारा जोर मरीज़ के माहौल को बूझ कर उसे तब्दील कर मरीज़ के अनुकूल बनाने पर दिया जाता है .खुद मरीज़ का सहयोग इसमें ज़रूरी हो जाता है यदि वह इस हालत में है की सहयोग कर सके .यहाँ एन्वायरन्मेंट ही चिकित्सा का हिस्सा बन जाता है .ऐसे में मरीज़ और शेष समाज पर भी मानसिक विकार का न्यूनतम दुष्प्रभाव पड़ता है ।
यह एक स्वेच्छिक चिकित्सा है जो मरीज़ अपनाता है उसपर थोपी नहीं जाती है नीडो -थिरेपी ।
बेशक एक प्रकार की कोंसेलिंग ही है नीडो -थिरेपी लेकिन यहाँ जोर माहौल को तब्दील करने पर दिया जाता है न की मरीज़ की पर्सेनेलिती को बदलने पर ।
क्लिनिकल साइकोलोजिस्तों ,एक्युपेश्नल थिरेपिस्तों ,सोसल वर्कर्स ,मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से जुडी नर्सों ,कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स को नीडो -थिरेपी में दक्ष बनाया जा सकता .अलबत्ता कर्म के प्रति पूर्ण समर्थन चाहिए .अध्यवसाय और दृढ़ता चाहिए स्वास्थ्य कर्मी में .

क्या मायने हैं 'ड़ोक्युसोप' के ?

डॉक्युमेंट्री और सोप -ओपेरा का मिश्र रूप है 'ड़ोक्युसोप '.डॉक्युमेंट्री जैसा आप जानतें हैं किसी विषय विशेष का परिचय देने वाला फिल्म ,टेलीविज़न या रेडिओ -प्रोग्रेम होता है जिसे वृत्त -चित्र कह दिया जाता है ।
सोप -ओपेरा टीवी या रेडिओ पर धारावाहिक रूप में प्रसारित कहानी (किसी सामाजिक वर्ग के जीवन और समश्याओं पर आधारित ) होती है ।
जबकि ड़ोक्युसोप दोनों के ही तत्वों का समावेश करता है .लोगों कीअसली ज़िन्दगी का खुलासा उनके कामकाजी माहौल में घुसकर प्रस्तुत करता है .मनोरंजन प्रधान होता है ड़ोक्युसोप ।
सोप ओपेरा में अति -नाटकीयता के साथ ,संवेदनाओं को अति -घनीभूत करके दिखाया जाता है .इसमें तरह तरह के पात्रों का चरित्र चित्रण होता है .इसमें भावुकता पूर्ण उत्तेजना प्रधान कथा ,अति -नाटक और अति -कथा होती है .अवास्तविक तौर पर उत्तेजक और सनसनीखेज होता है सोप -ओपेरा .ऐसे में चैनलियों की पौ -बारह है .सास बहु के अजीबोगरीब किस्से ,विवाहेतर संबंधों की भरमार लिए हैं ये सोप -ओपेरा .सजी धजी औरतें मूसल लेकर लड़तीं हैं इनमे .

हेल्थ टिप्स .

(१)स्थिर और तदेव नियमित रूप से और क्रमश्या वजन को कम करने के लिए खुराक में खुराकी केल्सियम (जो आसानी से संतरे के प्राकृतिक ,नॉन -प्रोसेस्ड ,बिना शक्कर मिलाये ज्यूस और सीरियल्स ,अनाज ,अन्न ,व्हीट,राईस ,रई,गेहूं ,चावल ,जौ /बार्ले आदि से तैयार नाश्ते से मिल जाता है )अधिक से अधिक शामिल कीजिये ।
(२)इन सर्दियों में चमड़ी की दमक ,चमकीले पन के लिए तिल के तेल को गुनगुना करके (सेसमी वार्म आयल से ) से नियमित मालिश कीजिये ,हाथ ,पैरोंसारे बदन पर .फिर देखिये चेहरे की चमक .शाइनी स्किन ,रीझते रह जाइए ।

रविवार, 19 दिसंबर 2010

व्हाट इज हिस्ट्री स्निफ्फिंग ?

स्निफ्फिंग ?
ए प्रोग्रेम ऑन ए कंप्यूटर सिस्टम डिज़ा -इंद लेजितीमेटली /इल्लेजिमेटली टू कैप्चर डाटा बींग ट्रांज -मिटिद ऑनए नेटवर्क ।
हिस्ट्री स्निफ्फिंग ?
विजिटर्स किस किस वेब साईट पर गया है इसका पता लगा लेतीं हैं कुछ वेब -साइट्स .विजिटर्स की वेब -साईट हिस्ट्री की तांक- झाँक करने के लिए ही 'हिस्ट्री स्निफ्फिंग 'शब्द समुच्चय चलन में आया है ।
केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय ,सान -डिएगो कैम्पस,की एक स्टडी के तहत रिसर्च -दानों ने पता लगाया है ,कितनी ही वेबसाइट्स इन दिनों विजिटर्स की 'ब्राउजिंग हिस्ट्री 'की टोह लेती रहतीं हैं ।
ब्राउज़र्स कलर कोड्स प्रदर्शित करतें हैं .ये उन वेबसाइट्स की और इंगित करतें हैं जहां जहां विजिटर्स घूम आया है .उन वेब साइट्स का भी पता देतें हैं यह कलर कोड्स जहां जहां विजिटर अभी तक नहीं गया है ।
ब्राउज़ /ब्राउज़र ?
ब्राउज़र इज ए पीस ऑफ़ कंप्यूटर सोफ्टवेयर यूज्ड टू सर्च फॉर इन्फार्मेशन ऑन दी वर्ल्ड वाइड वेब ।
ब्राउज़ मीन्स टू स्केन कप्यूटर फाइल्स इन ए कंप्यूटर डाटाबेस ऑर ऑन दी इंटर -नेट .

गर्भाशय -मुख (सर्विक्स )का कैंसर :कारण और समाधान

भारत में सर्विक्स कैंसर के एक लाख छबीस हज़ार मामलें हर साल दर्ज़ होतें हैं .यह दुनियाभर में दर्ज़ मामलों का २६ % है ।
लक्षण ?
इर्रेग्युलर पीरियड्स ,दो पीरियड्स के बीच में असामान्य ब्लीडिंग (रक्त -स्राव ),मैथुन के बाद इर्रिटेशन (जलन और दर्द )इसके आम लक्षण हैं ।
शिनाख्त ?
पेपिलोमा जांच ?
गर्भाशय मुख से खुरचन लेकर ह्यूमेन पेपिलोमा वायरस जांच से इसका पुख्ता रोग निदान (शिनाख्त ) हो जाता है .तीस साल से ऊपर कि महिलाओं को इस जांच के लिए आगे आना चाहिए .जल्दी रोग शिनाख्त पुख्ता इलाज़ की पहली शर्त है ।
कारण ?
मल्टिपल -सेक्स्युअल पार्टनर्स ,बिना डॉक्टरी परामर्श के तरह तरह की गर्भ -निरोधी गोलियों का असुरक्षित सेक्स के बाद स्तेमाल ,शरीर के कुदरती हारमोन तंत्र के साथ छेड़छाड़ करता है .अलबत्ता हारमोन असंतुलन से पैदा रक्त स्राव दो माहवारी के बीच वैसे भी हो सकता है .लेकिन मैथुन में दर्द और बाद मैथुन सफ़ेद पानी के साथ रक्त स्राव सर्विक्स कैंसर की तरफ इशारा है .बार बार एबोरशन करवाना भी सर्विक्स कैंसर की वजह बन सकता है .संतानों के बीच कम अंतर ,प्रजनन -अंगों की साफ़ सफाई के प्रति ला -परवाही भी इसे हवा देतें हैं .औरत और मर्दों के लिए यह संभाल और एहतियात ज़रूरी है ।प्रजनन अंगों की मैथुन के बाद साफ़ सफाई .
किमो -थिरेपी ,रेडियेशन थिरेपी के संग साथ 'कैंसर -हीलर 'इम्म्युनो -थिरेपी भी आजमाई जा सकती है जो सामान्य कोशाओं को एक कवच पहना देती है .इम्म्युनो -थिरेपी 'कैंसर की मेटा -स्तेसिस'एक अंग से दूसरे अंग तक कैंसर के फैलाव को भी लगाम लगा देती है । जहां कहीं कैंसर कोशायें दिखलाई देती हैं ,पहले से बघनखे पहने कवच धारी नोर्मल सेल्स इन पर धावा बोल कर इन्हें नष्ट कर देतीं हैं .
चैनल 'केयर -वर्ल्ड 'कैंसर हीलर 'चिकित्सा को बारहा समझा रहा है .डॉ .क्रिश्नाज़ कैंसर हीलर थिरेपी इन दिनों बेहद लोक -प्रिय हो रही है .कैंसर हीलर .कोम /कैंसर हीलर .इन इम्म्युनो -थिरेपी के बारे में और जानकारी मुहैया करवाएगी .

व्हाट इज ए टाइम लूप ?

व्हाट इज ए टाइम लूप ?/टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,ओपन स्पेस ,दिसंबर १९ ,पृष्ठ २६ ।
एक ज्यामितीय आकृति (ज्योमेत्रिकल फिगर ) को लूप कहा जाता है .जिसके किसी भी बिंदु से चलकर वहीँ वापस आया जा सकता है ।
टाइम लूप को टेम्पोरल लूप भी कहा जाता है .यहाँ टेम्पोरल का अर्थ कनेक्तिद एंड लिमिटिड बाई टाइम है .विज्ञान गल्प में (साइंस फिक्शन ) में अकसर इसे आजमाया जाता है .इसमें समय का चक्का एक ख़ास अवधितक घूमता है और फिर आरंभिक बिंदु पर लौट आता है .यानी समय कि गति चक्रीय हो जाती है ।
ए टाइम लूप इज ए कोमन प्लाट डिवाइस इन साइंस फिक्शन इन व्हिच टाइम रन्स नॉर्मली फॉर ए सेट पीरियड ,युज्युअली ए डे और मे बी ए फ्यू आवर्स बट देन स्किप्स बेक टू दी स्टार्टिंग पॉइंट .व्हेन दी टाइम लूप रिसेट्स दी मेमोरीज़ ऑफ़ आल करेक्टर्स आर आल्सो रिसेट टू दी ओरिजिनल स्पेस .