व्हाट इज ए व्हाईट होल ?
समय की धार यूनी -डायरेक्शनल है .समय सदैव ही आगे और आगे की ओर ही बढ़ता है .पीछे के नहीं .
ऐसे में सोचने वाली बात यह है एक ऐसे ब्लेक होल की अवधारणा आई कहाँ से जो समय के सन्दर्भ में पीछे की और यात्रा करे ,आगे की और नहीं ?काल का रथ हांक कर पीछी की ओर ले जाए .
दरअसल ब्लेक होल की स्वर्ज़-चाइल्ड्स -ज्यामिति ही कुछ ऐसी है ,इसके निगेटिव और पोजिटिव दोनों हीवर्ग मूल हल (स्क्वायर रूट सोल्यूशन )उपलब्ध हैं ।
यहीं से व्हाईट होल की अवधारणा सामने आई है ।
कह सकतें हैं व्हाईट होल एक ऐसा ब्लेक होल है जिसमे समय का प्रवाह पीछे की ओर ले जा रहा है ,ए व्हाईट होल इज ए ब्लेक होल देटरन्स बेक्वार्ड्स इन टाइम .यानी जिसे ब्लेक होल लील गया था वह लौटाया जा रहा है ."ज्यों की त्यों धर दीन्ही चदरिया "
सरल भाषा में कह सकतें हैं अन्तरिक्ष की काल कोठारियों ,अन्तरिक्ष के अंध कूपों का विलोम है "व्हाईट होल "।
जहां ब्लेक होल उस सब को अपने प्रबल गुरुत्व से अपने अन्दर खींच कर हज़म कर जाता है .,जो उसके घटना क्षितिज में आजाता है .वैसे ही एक व्हाईट होल इसके विपरीत ऊर्जा ओर पदार्थ मुक्त करता है .विसर्जित करता है ,उगलता है स्पिट करता है ।
ए व्हाईट होल एक्ट्स एज एन अट्रेक्टर ,द्रोइंग इन मैटर देट क्रोसिज़ दी होराइज़न .
रविवार, 27 मार्च 2011
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