क्यों नहीं पहुंचेगा जापानी एटमी बिजली संयंत्रों से निकला रेडियो -विकिरण भारत की सरजमीं पर ?
पहुँच भी गया तो क्या करलेगा ?जैसे किताब से दूरी बढ़ने के बाद लेम्प से उस पर गिरने वाली रौशनी कम होती चली जाती है किताब और लेम्प के बीच की दूरी बढ़ने के साथ वैसे ही यह रेडियों विकिरण जापान से ६००० किलोमीटर की दूरी पर स्थित भारत तक आते आते अपना मारक असर पूरी तरह खो चुका होगा ।
अलावा इसके भारत पश्चिमी दिशा में पड़ता है ..जबकि जापान में बहने वाली हवाओं (पवनों )का रुख उत्तर -उत्तरपूर्व दिशा में रहता है .आइसलैंड तक इस विकिरण के पहुँचने की वजह यही रही है .इसलिए वहां कुछ रेडियो -विकिरण पहुँच सका .
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