मंगलवार, 29 मार्च 2011

फॉर शोट्स एनफ तू वार्ड ऑफ़ रेबीज़ .

फॉर शोट्स एनफ टू वार्ड ऑफ़ रेबीज़ :हेल्थ .कॉम ,मार्च २८ ,२०११ ।
शिशु रोग के माहिरों के सबसे बड़े संगठन ने अब रेबीज़ वायरस से संक्रमित होने के बाद इलाज़ के बतौर ज्यादातर मामलों में चार टीके ही देना पर्याप्त बतलाया है अलबत्ता जिन बच्चों की रोग प्रति रक्षा प्रणाली कमज़ोर है उन्हें पांच टीके ही पूर्वत लगते रहने चाहिए २८ दिनों में ।बाकी को दो हफ्ते में चार बल्कि तीन टीके भी पर्याप्त रहेंगें .
२०,००० -४०,००० अमरीकियों को एनीमल बाईट के बाद ये टीके हर साल लगवाने पडतें हैं .कुलमिलाकर टीका समय से लगजाने के कारण २-३ अमरीकी ही रेबीज़ वायरस से हर साल संक्रमित हो पातें हैं ।
ऐसा होने पर इक तरफ पार्श्व प्रभावों अवांछित साइड इफेक्ट्स यथा हाइव्ज़ और स्वेलिंग से निजात मिलेगी दूसरी तरफ वेक्सीन की २००९ की तरह कमी भी नहीं महसूस होगी . राज्य का स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल मिलाकर १७ मिलियन(सालाना ) डॉलर कम खर्च आयेगा .
रेबीज़ का विषाणु दिमागी सूजन (ब्रेन स्वेलिंग )की वजह बनता है जो अकसर घातक साबित होती है .लेकिन प्रचलित वेक्सीन जो अब सेल कल्चर के ज़रिये "वीकिंडरेबीज़ वायरस "से बनाई जारही है इक दम से सुरक्षित है अमरीका में ८०%मामलों में "बैट-बाईट "/छोटी चूहे चुहियों की साइज़ की चमका -दड के काटने के बाद लोगों को टीके लगवाने पडतें हैं ज्यादातर मामलों में तब जब यह माउस के आकार का प्राणी घर में घुस आता है और इसे निकालने की कोशिश की जाती है .
इसके नन्ने नुकीले दांत इक "स्तेपिल वुंड" छोड़ जातें हैं जिनका पता भी बा -मुश्किल ही चलता है .इसलिए ख़ास कर बच्चों के लिए इनसे दूरी ही भली ।
वाइल्ड एनिमल्स की खूबसूरती की सराहना कीजिये लेकिन एक सुरक्षित दूरी बनाए रहिये यही हिदायत बच्चों को दी जानी चाहिए जिनकी छोटी कद काठी उनके लिए ज्यादा बड़े खतरे पैदा कर देती है ,चम् -का -दड गले या चेहरे पर कब काट जाती है खबर ही नहीं रहती बच्चों को ।
अलबत्ता १९५० के बाद से पालतू कुत्तों को ही नहीं कई अमरीकी राज्यों में बिल्लियों को भी रेबीज़ बचावी टीके लगने लगें हैं .भारत में रेबीज़ की वजह बन्दर भी बनतें हैं जिनका प्रकोप शहरों में बरपा रहता है .साउथ ब्लोक में भी .,फाइल्स देख जातें हैं आकर बन्दर .
एक साधाराण उपाय है जख्म को फ़ौरन कुछ न मिले तो कपडे धोने साबुन से ही धौ लिया जाए .खूब रगड़ रगड़ के .
टीके ज़रूर लगवाये जाएँ क्योंकि एनीमल पर हमेशा नजर बनाए रहना मुमकिन ही नहीं होता .कुत्तों की बिल्लियों की बंदरों की भेड़ियों की लार में रहता है रेबीज़ का विषाणु जो काटे जाने के बाद सर्क्युलेशन में शामिल हो जाता है .

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