अब डॉक्टरों की मदद के लिए ऐसे मेडिकल असिस्टेंस आ गए हैं जो बाल -रोगों (पिदियात्रिक एल्मेंट्स )के लक्षणों की जानकारी रखतें हैं .हमारी आपकी भाषा समझतें हैं ,मरीज़ की केस हिस्टरी तैयार कर सकतें हैं .आइन्दा आने के लिए आपको डॉ का अपोइन्त्मेन्त दे सकतें हैं ।
गर्ज़ यह ,ये प्रिल्मिनारी डायग्नोसिस (आरंभिक रोग निदान का जायजा ले सकें हैं )।
कंप्यूटर साइंसदान एरिक होर्विट्स (माइक्रो -सोफ्ट रिसर्च लेबोरेटरी )कहतें हैं :मशीनों से संवाद सहज संभव है ,हमारे आज के नौनिहाल और आइन्दा आने वाली संतानें इसे एक स्वाभाविक बात मानेगें समझेंगें ।
कंप्यूटर साइंसदान आखिर "कृत्रिम बुद्धि "आर्टिफिशियल -इंटेलिजेंस 'पर लगातार काम को आगे और आगे बढा रहें हैं .परवान चढ़ेगी उनकी यह कोशिश और कशिश .इसीलिए इनदिनों ऐसी मशीने दिखलाई दे सकतीं हैं जो हमारे साथ बातचीत कर समझ सकतीं हैं .सुन समझकर यह तर्क भी कर सकतीं हैं ।
मानव -मशीन संवाद एक नै परवाज़ ले रहा है .कुछ नए 'जोब्स 'पैदा होंगें .कुछ लोगों की जो नाकारा हैं ,छटनी भी हो सकती है .कुल मिलाकर रोज़गार के अवसर कम नहीं होंगें ।
कंप्यूटर सुन समझने लगें हैं 'कृत्रिम -बुद्धि 'क्षेत्र का यह एक विकाश -मान आयाम है ।
गत तीन बरसों में हीऐसे अमरीकी डॉक्टर्स की संख्या तीन गुना बढ़ गई है ,जो स्पीच सोफ्ट वेयर का स्तेमाल मरीजों की विजिट्स और इलाज़ आदि का पूरा ब्योरा रखने के लिए कर रहें हैं .मानव -मानवी का चेहरा लिए अब एक मशीन बा -कायदा आप से संवाद करती है .मरीज़ का हालचाल पूछती है .लक्षणों की बाबत जान कारी दर्ज़ करती है ,जानती भी है ,सिम्त्म्स को ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-टेक्नोलोजी :कम्प्यूटर्स असिस्ट्स डॉक्टर्स ,लिसिन तू पेशेंट्स एल्मेंट्स (दी इंडियन एक्सप्रेस ,जून २८ ,लेट सिटी एडिसन ,पृष्ठ ११ ,इंटर -नेशनल .)
सोमवार, 28 जून 2010
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1 टिप्पणी:
बहुत अच्छी जानकारी धन्यवाद्
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