थोड़ा सा बीमार हुए नहीं ,हाय तोबा शुरू .ज़रा सा फ्लू और हाय मर गए ,करहाना शुरू .औरतें आजिज़ आजातीं हैं ,पुरुषों की इस आदत से .वैसे भी औरत में पुरुष की बरक्स दुःख दर्द ,गर्मी -सर्दी ,हारी -बीमारी सहने झेलने कीक्षमता पुरुषों से ज्यादा रहती है .इम्म्युंन सिस्टम रोग प्रति -रोधी तंत्र मजबूत होता है ।
इन्तार्फेरोंन -अल्फा युक्त एक लोज़ेन्ज़ अब ख़ास -कर केपुरुषों लिए उतारी गई है जो फ्लू के लक्षणों से पैदा बे -चैनी को कम करके पुरुषों को चीयर फुल रखती है .कामसे नदारद नहीं रहना पड़ेगा फ्लू केदौरान इसके रोजाना सेवन से .अलबत्ता फ्लू होने की दर कमनहीं होगी .१५ बरसों के शोध कार्य केबाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया,पर्थ कैम्पस के रिसर्चरों ने इसे तैयार किया है .यह पुरुषों के इम्म्युं सिस्तमको मुह मेघुलते ही बरगला देगी ,खबरदार कर्देगी ,वायरस के हमले केबारे में .वास्तव में इन्तार्फेरोंन - अल्फा एक बचावी प्रोटीन है जो वायरल हमला होने पर रोगप्रति -रोधी तंत्र के अनुदेश पर हमारा शरीर बनाने लगता है कुदरती तौर पर .अब से ५० बरस पहलेही लोज़ेन्ज़िज़ तैयार कर ली गईं थीं .तब इन्हें 'विषाणु -विज्ञान केमुकुट का सबसे कीमती हीरा कहा गया था .क्राउन -ज्वेल ऑफ़ वाय्रोलोजी कहा गया था ।
अब यही औरत की मदद पुरुषों किहारी बिमारी में घर सिर पर उठाने कीआदत से निजात दिलवाएगी ।
लेकिन क्यों यह सिर्फ पुरुषों के लिए ही असर कारी पाई गई है .सिर्फ अनुमेय ही है यह अजूबा .शायद इसकी वजह पुरुषोंके इम्म्युंन सिस्टम का औरतों से कमज़ोर रह जाना है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-नाव, ए लोज़ेन्ज़ तू ट्रीट मैंन फ्लू (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २९ ,२०१० )
मंगलवार, 29 जून 2010
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1 टिप्पणी:
आभार जानकारी का.
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