शनिवार, 26 जून 2010

सेक्स द्युरेसन :मिथ, यथार्थ और फेंतेसीज़ ....

किसी नाम चीन कवि-लेखक की यह पंक्ति गौरतलब है :"क्या तुम चाहती हो ,मैं ,पड़ा रहूँ ,तमाम रात ,तुम्हारी जांघ की दराज़ में ".समझा जा सकता है ज़नाब का मंतव्य ।?
'टेन मिनिट्स ऑफ़ सेक्स इज आई -डियल'(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २६ ,२०१० केपिटल एडिसन ,पृष्ठ २६ ).की यह खबर खासा ध्यान खींचती है .आप भी बांचिये ज़नाबे -आला ।
सोसायटी फॉर सेक्स थिरेपी एंड रिसर्च ने अपने ५० सदस्यों पर संपन्न एक अध्धय्यन -सर्वे में बतलाया है 'मैथुन -रत 'रहने का आदर्श समय(काल खंड यानी द्युरेसन ।).दस मिनिट है यह अवधि .
यह परामर्श दाता संस्था इलाज़ भी मुहैया करवाती है 'यौन समस्याओं 'का ।
सर्वे के मुताबिक़ 'एक से दो मिनिट टिके रहना ,बहुत कम ,३-७ मिनिट की अवधि मान्य(स्वीकार्य ) तथा १३ मिनिट से ऊपर कुछ भी बहुत ज्यादा है ।
७-१३ मिनिट की अवधि वांछित है ।
फंतासी है तमाम रात किसी की जांघकी दराज़ में तमाम रात पड़े रहना ,सोचना .दिल के बहलाने को ग़ालिब ख़याल अच्छा है ।
बकौल सेक्स थिरेपिस्ट १० मिनिट मैथुन -रत बने रहना काफी है ,संतोषप्रद है ।
उक्त नतीजे 'जर्नल ऑफ़ सेक्स्युअल मेडिसन 'में प्रकाशित हुए हैं .

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