गुरुवार, 10 जून 2010

कर भला ,,हो भला ,अंत भले का भला. ....

"डू गुड ,फील गुड ......लिव लोंगर "
नेकी कर दरिया में डाल /कर भला ,हो भला ,अंत भले का भला -बड़े ही सारगर्भित आप्त वचन हैं ,लोकोक्तियाँ हैं ,मुहावरे हैं .दुनिया में आया है तो फूल खिलाये जा ,आंसू किसी के लेके ,खुशियाँ लुटाये जा .....
विज्ञान भी इन पर अपनी मोहर लगाता रहा है ।
दो अध्धय्यनों के नतीजे कुछ इसी तरह आशान्वित करतें हैं .लोंगेविती (जीवन -प्रत्याशा ,ज़िंदा रहने के वक्फे )को बढ़ातेंप्रतीत होतें हैं ।
एक्स्पेक्ट दी बेस्ट (एंड बी प्रिपार्ड फॉर दा वर्स्ट ?):यानी उम्मीद का दामन कसकर पकडे रहिये ,अच्छे से अच्छा होने के प्रति आश्वस्त रहिये ,बुरा कुछ हो ही नहीं सकता ,सदैव ही पाजिटिव रहना है ।
तकरीबन एक लाख अमरीकी महिलाओं पर संपन्न एक अध्धययन में सवाल ज़वाब किये गए .इनमे से जो आशावादी थीं उनके अध्धयन के पहले आठ वर्षों में मर जाने की संभावना १४ फीसद घट गई ,बरक्स उनके जिनका जीवन और जगत के प्रति दृष्टि कोण नकारात्माक (निराशावादी )था ।
'ओप्तिमिस्ट्स आर मास्टर कोपर्स '-डॉ हिलेरी तिंदले।
आशावादी लोगों के पास जीवन और जगत की परिश्तिथियों के अनुरूप खुद को ढालने ,ताल मेल बनाए रखने के बेहतर सामाजिक संपर्क और साधन रहतें हैं .स्ट्रेस मेनेजमेंट इनके लिए सहज बना रहता है ।
केयर फॉर ए लव्ड वन :
सेवा ही सच्चा और सबसे श्रेष्ठ परोपकार है .सेवा का बदला कोई चुकता नहीं कर सकता .उधार चुकता कर सकता है .धन से सेवा फिर भी दोयम दर्जे पर है .तमाम बोध कथाएं इधर ही संकेत करतीं रहीं हैं .अब साइंसदान भी इसकी पुष्टि कर रहें हैं ।
एक सात साला अध्धययन में पाया गया वह पुरुष और महिलाएं जो अपने बीमार जीवन साथी -साथिन की सेवा-टहल दिलोजान से कर रहे थे सात साला अध्धय्यन के अंत में उनकी खुद की मृत्यु की संभावना ३६ %कम हो गई ।
साथी की सेवा टहल करते रहने से 'कडल-हारमोन /बोन्डिंग हारमोन 'ओक्सिटोसिंन का स्राव स्ट्रेस -हारमोन 'कोरिसोल 'के असर को बे -असर करता बनाता रहता है .यही 'ओक्सिटोसिंन "प्रसूता को प्रसव के लिए तैयार करता है ,पीड़ा हारी है .दुघ्ध ग्रन्थिउओन को भी यही सक्रीय करता है ।कारण है लगाव ,सेवा भाव .
सन्दर्भ- सामिग्री:रीडर्स -डायजेस्ट /अप्रैल अंक /पृष्ठ १५१

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