हमारे शरीर का प्रकृति प्रदत्त रोग निरोधी तंत्र तरह - तरह की इम्म्युंन सेल्स से लैस है .बी -कोशायें ही शरीर पर बेक्टीरिया या फिर वायरस का हमला होने पर (एक एंटीजन )एक एंटी- बॉडी एंटीजन के सन्गत बनाने लगता है .फ्लू का हमला होने पर भी ऐसे ही प्रति -पिंड बनतें हैं .चाहें कैसा भी आम या ख़ास किस्म का फ्लू हो सभी के संगत प्रति -पिंड बनतें हैं जो हर प्रकार के फ्लू की काट में कारगर हैं (इसीलियें फ्लू को सेल्फ लिमिटिंग डिजीज भी कह दिया जाता है )।
इन्हीं प्रति -पिंडों को बूस्ट कर ,संपुष्ट कर ज्यादा असर कारी बनाने का मतलब एक असर -कारी टीका कहलायेगा ।
विस्कोंसिन तथा सीट्तले(सिएटल )विश्व -विद्यालय के साइंस दानों ने इन इम्म्युंन सिस्टम्स प्रोटीनों की आज़माइश माइस पर की है .फ्लू की लीथल डोज़ की काट में इन प्रोटीनों को कारगर पाया गया है .इसका मतलब यह हुआ ,इन्हीं प्रोटीनों का और भी ज्यादा सुधरा रूप लैब में गढ़ा जा सकता है .जो हर किस्म के फ्लू (एंडेमिक,या पैन -डेमिक )की काट कर सकता है .शरीर में ही छिपा है फ्लू का इलाज़ ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-'बॉडी मेक्स एंटी -बॉडीज देत केंन फाईट आल फ्लू वायरस -इज '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून ,३० ,२०१० )
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1 टिप्पणी:
सुन्दर लेखन।
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