हाल ही में कुछ अंग्रेजी अखबारों ने पंजाब के दक्षिणी मालवा क्षेत्र में हवा और पानी (भूमि गत -जल )में पैठे युरेनियम के बारे में सरकारों को चेताया था ।
बिला शक इस क्या पंजाब के किसी भी इलाके में युरेनियम की खदानें नहीं हैं , लेकिन हो सकता है युरेनियम कोटा परमाणु बिजली संयंत्र से या फिर पाकिस्तान के खुसाब भारी पानी संयंत्र से हवा पे सवार हो यहाँ तक पहुँच रहा हो आशंका यह भी व्यक्त की गई ,अफगानिस्तान और ईराक में अमरीकी सेना द्वारा स्तेमाल टेंक तोड़क असलाह तथा गोली -बारूद से रिसकर यह यहाँ तक पहुंचा हो .।
जो हो पंजाब का भू -जल विषाक्त अंशों की मार झेल रहा है .आइन्दा आने वाली सन्ततियां भी इसका खामियाजा भुगतेंगी ।
बेशक दक्षिण -पश्चिम पंजाब के क्षेत्र में कहीं भी ऐसी चट्टानी परतें नहीं हैं जो उघडी नंगी हों लेकिन अरावली दिल्ली रिज़ तथा मालानी ग्रेनाइट्स के बारे में ठीक यही बात नहीं कही जा सकती .अलावा इसके 'भिवानी जिले के तोशाम क्षेत्र की चट्टाने 'र्ह्योलितेस (रियो -लाइट्स /रायो -लाइट्स ) 'उघाड़ी पड़ीं हैं .इनका चट्टानी अंश हवा के संग छीजता उड़ता है ।
दक्षिणी मालवा क्षेत्र से इनका रूख उत्तर पश्चिम की ओर तोशाम से हो जाता है .यही से ये पंजाब के मैदानोंमें सब -मर्ज़ हो जातीं हैं.खो जातीं हैं भू -समाधि ले लेतीं हैं ।
पाकिस्तान की किराना (किरण ) पहाड़ियों पर एक बार फिर से यह प्रकट हो जातीं हैं .ग्रेविटी डाटा इसकी पुष्टि करता है ।
मलना ग्रेनाइट्स और तोशाम इलाके में उघडे हुए चट्टानी भाग 'युरेनियम 'और थोरियम का ज़माव है ,उच्च सांद्रता है इन दोनों रेडिओ -एक्टिव एलिमेंट्स की .यहाँ युरेनियम कन्सेंत्रेसन प्रति दस लाख भागों के पीछे ८ -११.५ भाग पाया गया है जबकि इसकी नोर्मल वेल्यु ४.५ पी पी एम् होती है ,ग्रेनाईट चट्टानों में ।
बेहिसाब खनन हो रहा है इनका 'खनक 'क्षेत्र में .यह इलाका तोशाम के निकट की पहाड़ियों से मिला हुआ है ।
उत्खनन इसकी बड़ी वजह बना हुआ है .क्रशार्स से हवा में पहुँच रही है 'फाइन दस्त 'जो इन दोनों रेडियो तत्वों का मिश्र है ।
(देखें :-युरेनियम इन वाटर इज ए मैटर ऑफ़ कंसर्न /लेटर तू दी एडिटर ,दी ट्रिब्यून ,चंडीगढ़ ,जून २४ ,२०१० ,/प्रोफ़ेसर नरेश कोच्चर ,भू -गर्भ विभाग ,पंजाब विश्व -विद्यालय ,चंडीगढ़ .).
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