हमारे माप जोख कर सकने की अपनी सीमा है .जिससे कम या ज्यादा का माप हम नहीं ले सकें हैं .डेनिश (डेनमार्क )और नोर्वे में एक शब्द चलन में है "एटीटीई एन जिसका अर्थ है 'एतटींन '१८ .टेन तू दी पावरमाइनस एततीन को कहा जाता है "अत्ता "यानी 'एटीटीए 'यानी वन बिलियंथ ऑफ़ ए बिलियंथ ऑफ़ एनी थिंग .दूसरे शब्दों में वन क्विन्त्तिलियंथ ऑफ़ समथिंग ।
अभी तक नापा गया यह सबसे छोटा समय का टुकड़ा (काल खंड ,समय अंतराल )बतला रहें हैं ,अब जर्मनी के साइंसदान ।
कुछ प्रकाश संवेदी (फोटो -सेंसिटिव -पदार्थ )हैं .यदि इन पर कुछ ख़ास किस्म काप्रकाश ,पदार्थ की प्रकृति के हिसाब से ख़ास ऊर्जा वाला ,सुनिश्चित फ्रिक्वेंसीज़ का प्रकाश डाला जाए तब इनकी सतह के इलेक्त्रोंन धातु (पदार्थ धातु के रूप में ही यहाँ लिया जाता है ) से बाहर आ जातें हैं .इसे प्रकाश विद्युत् प्रभाव कहा जाता है .इसी प्रभाव की खोज के लिए आइन्स्टाइन महोदय को नोबेल प्राइज़ से नवाज़ा गया था ।
अब तक यही समझा जाता था :धातु के प्रकाश से आलोकित होने और इलेक्त्रोंन के धातु की सतह से बाहर आने में एक तात्कालिकता है ,तुरंत -प्रभाव के ,बिना समय अंतराल ,टाइम डिले के ऐसा होता है .लेकिन ऐसा है नहीं ।
इलेक्त्रोंन बाहरी, भीतरी कक्षा के,अलग अलग लेकिन एक ख़ास ऊर्जा से परमाणु से बंधे रहतें हैं .आवश्यक ऊर्जा मिलने पर यह उत्तेजित अवस्था में आ जातें हैं .अलग अलग ओर्बिताल्स के इलेक्त्रोंन हालाकि उत्तेजित एक साथ होतें हैं ,लेकिन इनके परमाणु से बाहर आने ,धातु की सतह से उड़ान भरने में २० अत्ता सेकिंड्स का टाइम -डिले है .समय -अंतराल है .यही सूक्ष्म समय -काल खंड जर्मनी के साइंसदानों ने मापा है .यही अब तक मापा जा सका 'शोर्तेस्त -टाइम -गैप 'बतलाया गया है ।
वन अत्ता सेकिंड इज वन बिलियंथ ऑफ़ ए बिलियंथ ऑफ़ ए सेकिंड .इस राशि को बीस से जरब (गुना )कर दीजिये इतना ही समय लगता है इलेक्त्रों को धातु की सतह से उड़ने में .
शनिवार, 26 जून 2010
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