हम जानतें हैं पृथ्वी के चुम्ब -कत्व की वजह वह संवहनी धाराएं हैं 'कन्वेक्सन करेंट्स हैं ,जो पृथ्वी की 'इनर कोर 'में प्रवाहित होती रहतीं हैं .अलावा इसके पृथ्वी एक लट्टू की तरह अपने अक्ष पर नर्तन भी करती रहती है .पृथ्वी की पपड़ी (कठोर परत ,क्रस्ट )और इसकी इनर कोर के अलगाव की कल्पना तो की जा सकती है .,लेकिन केवल इन अर्थों में ,कभी इनका को -रोटेसन थम भी सकता है .इस विक्षोभ के असर से संवहनी धाराएं प्रभावित हो जायेंगी ,पृथ्वी का चुम्ब -कीयक्षेत्र नष्ट हो सकता है .इसके बाद अपनी दिशा भी बदल सकता है .कन्वेक्सन करेंट्स का विक्षोभ समाप्त हो एक बार फिर आडर कायम हो सकता है .आखिर भू -गर्भीय कालिक पैमाने पर ऐसा अतीत में अनेक बार हो चुका है .हो सकता है ,नर्तन भी कभी थमा हो .?सवाल मौजू हो सकता है .यहाँ पर यह सवाल 'को -रोटेसन 'में होने वाले विक्षोभ के सन्दर्भ में ही चर्चित है ,अन्य -था नहीं. नर्तन थमने की भौतिक अर्थों में कोई संभावना नहीं है ।
अलबत्ता पृथ्वी की जोर दार टक्कर ,भीम काय कोमेट्स (धूम केतुओं ),लघु ग्रहों ,से होने की संभावना बारहा व्यक्त की गई है .चर्चा 'न्यूक्लीयर विंटर' की भी कम नहीं हुई है ,इन सब के असर से सागरों में होने वाली उथल पुथल से विशाल जल -राशि के अक्षांशों के पार जाने से पृथ्वीकी क्रस्ट का 'मोमेंट ऑफ़ इनर -शिया 'तब्दील हो सकता है ,जो को -रोटेसन में ब्रेक लगा सकता है .,(को -रोटेसन ऑफ़ दी कोर एंड क्रस्ट ).सुदूर भू -गर्भिक काल में ऐसा हो भी सकता ही ।
सन्दर्भ -सामिग्री -केंन दी अर्थस कोर एवर स्टॉप रोटेटिंग ?(प्रोफ़ेसर यश पाल ,दिस यूनिवर्स ,साइंस एंड टेक्नोलोजी ,दी त्रिबुन ,न्यू डेल्ही ,जून १८ ,२०१० )पृष्ठ १४ .
रविवार, 20 जून 2010
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