इक्कीसवीं शती की स्वास्थ्य सेवायें :पहली किस्त ।
प्राई -मेरी एंजियो -प्लास्टी वह सर्जिकल प्रोसीजर है (इन्वेज़िव सर्जरी है )जिसके तहत ह्रदय को रक्त ले जाने वालीकिसी अवरुद्ध धमनी को एक बेलून की सहायता से खोला जाता है .(यह वैसे ही है जैसे घर की किसी बंद नाली को खोलना .).अलबत्ता इस एवज एक मिटेलिकअति महीन ट्यूब ग्रोइन या फिर आर्म से प्रभावित धमनी तक पहुंचाई जाती है ।
इस प्रोसीजर को प्राई -मेरी एंजियो -प्लास्टी तभी कहा जाता है जब इसे फस्ट लाइन ऑफ़ ट्रीटमेंट के रूप में अपनाया जाए ,क्लोट -बस्टिंग मेडिकेसंस का सहारा ना लिया जाए .(खून का थक्का घुलाने हठाने वाली दवाओं का सहारा ना लिया जाए ।).
बेशक क्लोट बस्टिंग मेडिकेसंस अपेक्षाकृत सस्तें हैं ,कम खर्चीले हैं (५००० -५०,००० हज़ार रुपैया खर्च आता है ),लेकिन ये दवाएं हार्ट एतेक के २-३ घंटे के भीतर भीतर मिल जानी चाहियें .इनमे थोड़ा सा ब्लीडिंग कोम्प्लिकेसंस का भी पेंच है ,ब्रेन -हेम्रिज़ का ख़तरा भी थोड़ा सा ज्यादा बना रहता है ।
अलावा इसके ८० फीसद मामलों में अव्र्रुद्ध धमनी में ब्लोकेद के स्थान पर 'रेज़िद्युअल नेरोइंग '(धमनी पूरी तरह खुल नहीं पाती )।,
रह जाती है .
अस्पताल में तीन चार दिन रुकना भी पड़ता है .ऐसे में कम खर्ची वाला फोर्मुला लागू नहीं होता .पहले एंजियो -ग्रेफ़ी और फिर एंजियो -प्लास्टी की भी आइन्दा ज़रुरत पद सकती है ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें