बुधवार, 9 जून 2010

क्यों नहीं खानी चाहिए 'क्युओर्द एंड स्मोक्ड फिश '?

दी फिश्रीज़ एक्सपर्ट्स वोंट ईट 'स्मोक्ड एंड क्युओर्द फिश .....'वाही ?
डॉ .सी .मोहनाकुमारण ना -यर,प्रोफ़ेसर (एक्वा कल्चर )एंड डीन,फेकल्टी ऑफ़ फिश्रीज़ ,केरल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ,कोलिज ऑफ़ फिश्रीज़ ,कोच्ची (प्रिवेसन ,हेल्थ मैगजीन ,अप्रैल अंक ,पृष्ठ ६६)।
ट्यूना लोएँस को संसाधित करने के लिए पहले इसे नमक के पानी से संसिक्त कर सुखाया जाता है ,स्मोकिंग किल्न में (धुयें से भट्टी में ,ऐसा ही ईंट के भट्टोंमें ईंट को पकाने के लिए किया जाता है .).ऐसा करने से गोश्तमें अन -उत्क्रम्नीय परिवर्तन (इर्र-रिवार्सिबिल चेंज़िज़ )पैदा हो जातें हैं .कारण बनतें हैं संयोजी के रूप में ब्राइन में मौजूद सोडियम तथा संसाधन में प्रयुक्त पोटेसियम जैसे एडिटिव्स .बेशक इनका स्तेमाल बोतुलिज्म -तोक्सिन (एक घातक विष )और स्मोक से ज़मा होने वाले कार्बन -मोनो -ओक्स्साइड के ज़माव को रोकने के लिए ही किया जाता है लेकिन फिर भीकिल्न के उच्च ताप मान पर गोश्त के आजाने ,कुक्ड होने से ,जो सेकेंडरी और तर्शियरी
एमिंस पैदा हो जातें हैं वह सोडियम नाइट्रेट से संयुक्त हो नाइ -तरो -समिंस बना डालतें हैं .कैंसर पैदा करने वाले 'कार्सिनोजंस 'के रूप में जाना जाता है ,नाइ -तारो -समिंस को ।
साल्ट एक्सपोज़र के अलावा (नमक असर ग्रस्त ता )स्मोकिंग (धुयें से गोश्त को सुखाने की प्रक्रिया )पोली -साईं -किलिक -एरोमेटिक -हाई -द्रौ -कार्बंस यौगिक बना देती है .इनके से कई कैंसर पैदा करने के लिए शक के घेरे में लिए जा चुके हैं ।
in सभी ज्ञात विषों का स्तर 'न्यूनतम निर्धारित और स्वीकृत मात्रा से ज्यादा बना रहता है .अत्रेक्तिव प्रोडक्ट की गुलाबी रंगत को क्या चातियेगा ?

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