रेस्ट लेस लेग सिंड्रोम (आर एल एस )की मुख्य वजह माहिरों के हिसाब से हमारे दिमाग के उस हिस्से में लौह तत्व (आयरन )की कमी बनती है जो हमारे एक दम से सटीक अंग संचालन का विनियमन करता है .विच इज रेस्पोंसिबिल फॉर फाइन ट्यूनिंग आवर मोटर स्किल्स ।
अलबत्ता इसकी वजह एक जैव -रसायन (न्यूरो -ट्रांस -मीटर )डोपामिन का भी दिमाग में कमतर बनना रहता है ।
नै दिल्ली के मेक्स सुपर -स्पेशैयालिती अस्पताल के डॉ जे डी मुखर्जी के अनुसार आर एल एस के लक्षणों में क्रालिंग (शरीर में सुइंयाँ सी चुभने की अनुभूति होना ),झुन -झुनी (तिन्गलिंग)होना ,काल्व्स मसल्स में जलन बिजली की लहर सी दौड़ते महसूस होना ,जंघाओं और पैरों में भी इलेक्ट्रिक सेंसेसंस रहना इसके लक्षण हो सकतें हैं .इसी सिंड्रोम से बाहर आने के लिए मरीज़ के लिए ज़रूरी हो जाता है एक तलब के तहत पैरों को हिलाते रहना .बेशक इससे अस्थाई तौर पर थोड़ा आराम ज़रूर आता है ।
कई मर्तबा आर एल एस अन्य रोगों ,मेडिकल कंडीशंस की तरफ भी इशारा है .खानदानी भी हो सकता है आर एल एस ।
पेरी- फरल -न्यूरो -पैथी ,दाया बितीज़ ,पार्किन्संस -सिंड्रोम की गिरफ्त में आने का यह पूर्व संकेत ,चेतावनी भी हो सकता है ।
बेहतर यही है ,विशेषग्य के पास सलाह मश्बिरेज़रूरी इलाज़ के लिए जाया जाए .ज़रूरी होने पर इलाज़ लगकर कराया जाए ।
डॉ मुखर्जी के अनुसार ३० -४० फीसद मरीज़ बिना मेडिकल कंडीशंस वाले भी आतें हैं अस्पताल में .इन्हें सिम्पिल ड्रग थिरेपी मुहैया करवाई जाती है .प्रमी -पेक्सोल या फिर रोपिनिरोले भी दी जाती है .प्रभावी एवं सुरक्षित समझा गया है .इन दवाओं को .अलबत्ता डॉक्टरी परामर्श ज़रूरी है .
सोमवार, 14 जून 2010
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