आदमी की भूमंडलीय तापन के खिलाफ मुहीम में दोस्त बन आ खड़ी हुई है 'स्पर्म व्हेल 'विज्ञानियों के अनुसार दक्षिणी सागर में इनकी मौजूदगी वायुमंडल से उतनी ही ग्रीन हाउस गैस कार्बन -डाय
-ओक्स्साइड ज़ज्ब कर लेती है जितना साल भर में ४०,००० कारें उत्सर्जन करतीं हैं ।
ब्रिटिश जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ़ दी रोयल सोसायटी बी में प्रकाशित एक विज्ञान पत्र (रिसर्च पेपर)छपा है जिसके अनुसार दक्षिण सागर में मौजूद तकरीबन १२,००० स्पर्म व्हेल साल भर में ५०,०००तन आयरन बिष्टा (फिश द्रोपिंग )के रूप में सागर में छोड़ देतीं हैं .यह फाइटो-प्लांक -टन के लिए बेहतरीन खाद्य साबित होता है .इस सामुद्रिक वनस्पति का सैलाब समुन्दर के गिर्द पनपता है और वायुमंडल से बेशुमार कार्बन -डाय -ओक्स्साइड चूस लेता है .ऑस्ट्रेलियाई विज्ञानियों ने लगाया है यह अनुमान ।
'फीकल -फरती -लाइ -जेशन 'के चलते व्हेल्स हर साल जीव -अवशेषी ईंधनों काबिना जला भाग , कार्बन -डाय -ओक्स्साइड वायुमंडल से निकाल बाहर करने में एहम भूमिका निभा रहीं हैं ।
आदिनांक यही समझा जाता था ,यह लार्ज -मेरीन एनीमल (स्पर्म व्हेल )हमारी तरह वायुमंडल में कार्बन -डाय -ओक्स्साइड छोड़ता है .लेकिन यह तस्वीर का बस एक पहलु था पूरी तस्वीर नहीं जो अब सामने आई है .जितना ग्रीन हाउस गैस यह सांस के ज़रिये छोडती हैं उससे दोगुना समुन्दर से निकाल बाहर करने में विधाई भूमिका निभातीं हैं ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-स्पर्म व्हेल पूप हेल्प्स करब वार्मिंग इफेक्ट्स :स्टडी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून १७ ,२०१० )
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