'अंन आवर ऑफ़ टीवी अप्सहार्ट दिज़िज़िज़ रिस्क बाई ७ %' (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २५ ,२०१० )।
सिर्फ एक घंटा टीवी पर वर्ल्ड कप देखने -सुनने से हर घंटा आपके लिए दिल की बीमारियों के खतरे का वजन ७%बढ़ जाता है .यह खुलासा उस अध्धययन से हुआ है जिसमे ब्रितानी रिसर्चरों ने पता लगाया ,यदि औसतन चार घंटा टीवी के सामने बैठे रहने वाले लोग इसे घटाकर एक घंटा रोज़ पर ले आयें तब ८ फीसद लोगों को दिल की बीमारियों के कारण मरने से बचाया जा सकता है .इस खतरे के वजन में बैठे ठाले वक्त गुज़ारने ,कसरत ना करने ,मोटापे ,गलत खुराख ,धूम्र -पान आदि से पैदा खतरे के वजन को शामिल नहीं किया गया है ।
टीवी और दिल की बीमारियों का अपना निजीं रिश्ता है ।
मतलब यह है ,केवल टीवी देखना भी खतरे की घंटी के प्रति बराबर आगाह कारता है .वजह यह नहीं ,आप बैठे बैठे टीवी देखतें रहतें हैं ,वजह टीवी देखना अपने आपमें कम नहीं है ।
नोरफोल्कमें प्रौढावस्था में पहुंचे,स्वस्थ ,सेहत मंद तकरीबन १३,००० औरत मर्दोंपर यह रिसर्च मेडिकल रिसर्च कोंसिल ने संपन्न की है ।
इस दस साला अध्धययन के वक्फे में १३१९७ लोगों में से ३७३ लोग मर गए .दूसरे शब्दों में हर पैन्तीस्वां व्यक्ति इस दौरान काल कवलित हो गया ।
इनमे सेकेवल ३० लोगों को बचाया जा सकता था यदि औसतन सभी प्रतिभागी ४ की जगह सिर्फ १ घंटा टीवी देखते .यानी ३४३ फिर भी मारे जाते ।
वास्तव में हमारा शरीर देर तक बैठेरहने के हिसाब से परमात्मा ने बनाया ही नहीं हैं ,इसीलियें तो दो पैर भी दियें हैं ,हम चलें फिरें.ऐसे में देर तक बैठे बैठे वर्ल्ड कप का पूरा पूरा हिसाब टीवी के आगे रखना हमारे लिए दिल के खतरे के वजन को लगातार बढाता रहता है ।
हमारी जीवन शैली ही हमारे स्वास्थ्य की कुंजी है ,जो सिर्फ हमारे पास है किसी और के नहीं .हो सकता है ,कंप्यूटर के आगे ,कार की स्टीयरिंग पर देर तक बैठे रहने के भी ऐसे ही नतीजे निकलें .अध्धय्यन अभी इस दिशा में होने बाकी हैं ।
फिलवक्त तो मनोरंजन का सहज सुलभ सबसे अधिक देखे जाने
वाला साधन टीवी ही बन रहा है . हम चाहें तो अपना व्यवहार अपने प्रति बदल भी सकतें हैं . अपना 'बैठे ठाले 'रूटीन बदलकर ।
दस से बढ़कर १३ फीसद हो जाएगा चार घंटा रोज़ टीवी देखने से दिल के लिए ख़तरा .दस फीसद यदि पहले से रहा अया है तो .बस आधा घंटा तेज़ कदमी कीजिये रोजाना ,टीवी देखने के समय में कटौती कीजिये ,हो सके तो दूर रहिये दिल के लिए पैदा हो रहा ख़तरा कम होता चला जाएगा ।
इंटर नेशनल जर्नल ऑफ़ 'एपी -देमियो -लोजी 'में इस अध्धय्यन के नतीजे छपें हैं .
शुक्रवार, 25 जून 2010
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