बुधवार, 9 जून 2010

माइक्रो- वेव- पोप- कोर्न क्यों नहीं खायेंगे आप ?

माइक्रो- वेव पोप- कोर्न :ओल्गा नैदेंको ,पी एच डी ,सीनीयर साइंटिस्ट फॉर दी एन्वायरन्मेंट वर्किंग ग्रुप (प्रिवेंसन ,हेल्थ मैगजीन ,अप्रैल अंक ,पृष्ठ ६८ ).
पोप कोर्न बेग के अस्तर में (लाइनिंग )में कई रसायनों के संग पर -फ्ल्युँरो -ओक्तेनोइक एसिड भी मौजूद रहता है .इस थैली को माइक्रोवेव में नियत समय के लिए रखने पर यह वाष्पीकृत हो जाता है .वेपोरईज़हो जाता है .एक अध्धययन में यह उन यौगिकों में शरीक रहा है जो बांझपन (इन्फर्तिलिती )से सम्बद्ध रहा है .वजह बना है बांझपन की यह यौगिक समूह .यूनिवर्सिटी कोलिज लास लेंज़िलीज़ मेंसंपन्न एक हालिया अध्धययन भी इसी तरफ इशारा कर रहा है .
एनीमल टेस्टिंग में ये तमाम रसायनसमूह लीवर(यकृत या जिगर ) ,तेस्तिक्युलर(अंड- कोशीय- कैंसर ) ,पेन -किर्येतिक(अग्नाशय कैंसर ) की वजह बनते देखा गया है ।
यह रसायन बरसों हमारे शरीर तंत्र में पड़ा रहता है .जमा होता रहता है ,मनुष्यों में इसका स्तर उस हद तक बढ़ सकता है जहां पहुँच कर लेब एनिमल्स को कैंसर हो जाता है ।यही दुश्चिंता का वायस है आम औ ख़ास के लिए .साइंसदानों के लिए खासकर .
कढाई में बंशी द्वारा रेत में गर्माया भुना हुआ पोप कोर्न ही भला है .भड़भूजे से मक्का के दाने भुन्वाइये .ढूंढना पड़ेगा भड- भुजे को .

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