(गत पोस्ट से आगे ...)
अल्जाइ -मर्स की शिनाख्त के लिए मरीज़ को पहले एक पेट स्केंन सेंटर पर पहुंचकर रेडियो -एक्टिव डाई का इंजेक्सन लगवाना होगा .डाई के दिमाग तक पहुँचने के बाद ही स्केनलिया जाएगा .बेशक खासा महंगा है यह परिक्षण लेकिन एक बार प्रारम्भिक चरण में ब्रेन -स्लाइस से चस्पा प्लाक अल -जाई -मर्स की पुष्टि कर देगा ..फिर यह भी जाना जा सकेगा कौन सी दवा कितना असर करती है .अभी तलक सिर्फ दावेथे .हर दवा कम्पनी अपनी दवा को असरकारी बतलाती थी लेकिन रोग निदान के अभाव में सब कुछ अन -अनुमेय ही था ।
डॉ स्कोव -रोंसकी ने अपने परिक्षण के लिए उन मरीजों को चुना जो डेथ बेड पर थे .इन्हें मरना ही था .आरंभिक परिक्षण स्वयं उन की टीम ने किये .इसके बाद के आंकड़े एक कम्पनी ने स्टडी के अंत तक विश्लेषित किये .अध्धय्यन १४ मई को संपन्न हुआ .डॉ स्कोव -रोंसकी पहले ६ मरीजों के नतीजों से प्रभावित हैं ।
आगामी ११ जुलाई को होनोलूलू में 'अल -जाई -मर्स असोशिएसन की बैठक में अध्धय्यन के विसलेसन के बाद ही अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था हरकत में आएगी ।
अभी तक रोग निदान मरीज़ की मृत्यु के बाद ही हो पाता था .मरीज़ के दिमाग के स्लाइसिज़ से प्लाक चस्पा होना ही रोग का पक्का निदान (डायग्नोसिस )समझी जाती थी ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-पोस्ट जुलाई ११ ,यु केंन फोरगेट अबाउट अल -जाई -मर्स (दी हिन्दुस्तान टाइम्सएचटी एज ,जून २६ ,केपिटल एडिसन ,पृष्ठ ०६)
रविवार, 27 जून 2010
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