ज़रूरी नहीं है आइना आपको आपके सही आकार कदकाठी में दिखलाए .लेकिन इसमें कसूर आईने का नहीं है .वास्तव में हमारा दिमाग ही आईने में हमारी असली से हठकर तस्वीर ,कदकाठी प्रस्तुत करता है .जो असली से दो तिहाई चोडी और एक तिहाई छोटी (शोर्टर ,गिठ्ठी ) होती है ।
यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन के रिसर्चरों ने 'हाल ऑफ़ मिरर्स 'अन्वेषण के तहत लोगों के हाथों पर प्रयोग किये .स्वयंसेवियों को अपना हाथ एक बोर्ड के नीचे रखने को कहा गया .इसके बाद उनसे पोरों न्क्ल्स (पोरों )और ऊंगलियों के सिरों का जायजा लेने के लिए कहा गया ।
उनके अनुमान के अनुसार उनका हाथ असलियत से दो तिहाई ज्यादा चोदा सिद्ध हुआ .जबकि एक तिहाई छोटा (शोर्टर )रह गया न्युरोलोजिस्तों (स्नायुविक विज्ञानियों )के अनुसार पेंच दिमाग के अन्दर ही है .उस प्रक्रिया में छिपा है जिसके तहत दिमाग चमड़ी के अलग अलग क्षेत्रों से सूचना ग्रहण करता है ।
गडबडी इसी सूचना के संसाधन में है .हमें अपनी काया उसके हिस्सों का ठीक ठीक अंदाजा ही नहीं है .मुगालता ही रहता है इस बारे में .तभी तो हाथ की चौड़ाई वास्तविकता से ज्यादा और ऊंगलियों की कम आंकी गई ।
रिसर्च का मकसद यह जान लेना रहा ,दिमाग को कैसे पता चलता है शरीर का कौन सा अंग कहाँ है .,वह भी तब जबकि आँखें भी बंद रहतीं हैं .स्पेस में तब भी आप उनकी स्थिति जान लेतें हैं .यही दिमागी क्षमता 'पोजीशन सेन्स 'कही जाती है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-दू आई लुक फेट हनी ?नोह ,इट्स जस्ट ए दिस्तोर्तिद इमेज (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून १६ ,२०१० ).
गुरुवार, 17 जून 2010
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