बुधवार, 9 जून 2010

कृत्रिम हारमोनों से पैदा दूध कितना सुरक्षित ?

डैरी और फ़ार्म मालिक दुधारू पशुओं (मवेशियों ) को दूध की मात्रा बढाने के लिए 'ऋ -कोम्बिनेंत -बोवाइन -ग्रोथ हारमोन 'से उपचारित करतें हैं .लेकिन यह ग्रोथ हारमोन मवेशियों के थनों में लगने वाले संक्रमण (अडर-इन्फेक्सन )को भी बढा देतें हैं .यहाँ तक ,दूध में 'पस '(मवाद ,पस सेल्स )भी समाविष्ट हो सकता है .इसके अलावा दूध में एक और हारमोन 'इंसुलिन लाइक ग्रोथ फेक्टर 'भी ज्यादा हो जाता है ।
दूध में इस हारमोन(आई जी ऍफ़ -१ ) का अतिरिक्त स्तर मनुष्यों में स्तन ,प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि ,प्रोस्टेट ग्लेंद इन मेल्स )'कोलन कैंसर 'बड़ी आंतके कैंसर की वजह बन सकता है ।
ऐसा समझा जाता था पाचन मार्ग में पहुँच कर दूध में मौजूद यह आई जी ऍफ़ -१ अहानिकर अवयवों में खंडित हो जाएगा .लेकिन कई अध्धययन बतलातें हैं ,दूध में मौजूद 'केसिंन 'ऐसा नहीं होने देता .और यह ज्यों का त्यों बना रहता है .अलबत्ता १०० फीसद सबूत इस बात का किसी के पास नहीं है ,इससे कैंसर के मामले बढ़ रहें हैं .लेकिन तकरीबन सभी 'उद्योगिक देशों 'में केसिंन प्रति -बंधित है ।प्रति -बंधित है आर्टिफिशियल हारमोनों से तैयार किया गया दूध .
यहाँ मेरे भारत देश में खुला खेल फरुख्खाबादी है ।
बेहतर है 'ओरगेनिक -मिल्क 'का ही सेवन ।
सबसे सस्ता विकल्प यही हो सकता है ,आप 'ओरगेनिक -मिल्क 'ही बरतें .

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