दी फार्मर वोंट ईट 'फ्रूट्स एंड वेगीज़ ग्रोन यूजिंग फर्टी-लाइ-जार्स एंड पेस्ट -ईसाइद्स' क्यों ?
सुबोध अभी ,ओनर ऑफ़ सिल्वान हाईट्स-वैदिक एंड बायो -दाई -नेमिक फ़ार्म ,पोंटा साहिब ,हिमाचल प्रदेश (देखें हेल्थ मैगजीन 'प्रिवेंसन /अप्रैल अंक '/पृष्ठ ६७ .
आखिर समस्या है क्या ?क्यों नहीं खायेगा किसान अपनी ही उगाई फल और तरकारियाँ ?वजह है वह कृमि-कीट पतंग एवं नाशी -जीव-नाशी यानी जंतु -नाशी पेस्टी-साइड्स ,.रासायनिक ऊर्वरक .इनका दीर्घावधि प्रभाव उत्पादक (प्रोड्यूसर किसान )और उपभोक्ता (कंज्यूमर्स )के लियेसमानरूप से घातक रहता है ।
पेस्टी -साइड्स कैंसर पैदा करने वाले तत्वों (कार्सिनोजंस )से भरपूर हैं .सर्व ज्ञात है यह तथ्य ।
ल्यूकेमिया ,मल्टिपल -मायलोमा तथा प्रोस्टेट कैंसर का सीधा रिश्ता इनसे जोड़ा गया है .लिंक्स हैं इसके ।
खुद किसान इनका छिडकाव करता ,इनके बहु विध स्तेमाल के दरमियान ही 'दिज़िनेस ,चक्कर आना 'एब्डोमिनल पैन ,नौज़िया(मितली की शिकायत )करता है .खुजली से 'इचिनेस 'से आजिज़ आजाता है ।
उत्तम खेती उत्तम बीज की सीमाएं एक बार फिर हमें परम्परा बद्धओरगेनिक -फार्मिंग की ओरलौट चलने को कह रहीं हैं .इसी में बचाव है .सेहत की नव्ज़'ओरगेनिक -उत्पादों 'से जुड़ रही है .केमिकली ग्रोन फ्रूट्स ओर वेजितेबिल्स ,ओरगेनिक -फार्मिंग महज नारा नहीं हैं .स्वस्थ रहने की आश्वस्ति है .आज बेशक आप ओरगेनिक उत्पादों पर ज्यादा खर्च करें .कल स्वास्थ्य पर होने वाली खर्ची कम रहेगी .
मंगलवार, 8 जून 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें