इधर टेटू एक आर्ट एक क्रेज़ बन चला है इसएवज़ त्वचा के नीचे एक ख़ास उपकरण सेजो सुइयों के एक सेट से युक्त होता है गोदना गोदने के लिए एक डाई पहुंचाई जाती है ,इंजेक्ट की जाती है ।
यह रंजक पदार्थ (डाई )कोबाल्ट ,अल्म्युनियम या फिर सूट से तैयार कार्बन ब्लेक की बनी भी हो सकती है ,प्लास्टिक्स या वानस्पतिक रंजक पदार्थों की भी ।
सस्ती बाजारू ,मेले ठेलों में प्रयुक्त रंजक किसी अज्ञात स्रोत से भी ,टेटू -आर्टिस्ट की अपनी पसंद हो सकती है .इसकी कोई प्रामाणिकता नहीं भी हो सकती है .कोई मानक और सहज स्वीकृत स्वरूप इस डाई का हो यह कतईज़रूरी नहीं है ।
एलर्जिक रियेक्संस ,चमड़ी -शोथ (डर-माँ -टा-ई -टिस),तथा प्रकाश के प्रति गोदना किये हिस्से की चमड़ी का संवेद्य होना ऐसे में कोई अनहोनी नहीं मानी जायेगी ।
कायदे से टेटू नीदिल्स डिस-पोज़ेबिल (सिंगिल यूज़ )के लियें होनी चाहियें .इनका बारहा स्तेमाल 'एच आई वी एड्स से ज्यादा खतरनाक संक्रमण "ही -पे -टा -ईटीस -बी ",एच आई वी एड्स संक्रमण की वजह बन सकता है ।
लेकिन चमड़ी -कैंसर का कोई सीधा रिश्ता टेटू के संग हो यह ज़रूरी नहीं है ।
अलबत्ताकील- मुहांसे ,छोटी -फुंसी आदि को छिपाने के नीयत से किया गया "गोदना "कील -मुहांसों (मोल्स )में खतरनाक कैन्स -रस (कैंसर कारी )बदलाव ला सकता है .फेशन का भी एक सेहत सचेत अंदाज़ होना चाहिए .खूब -सूरत दिखिए अच्छे स्वास्थ्य के संग ।
सन्दर्भ -सामिग्री :प्रिवेंसन ,जून अंक ,पृष्ठ २६ .
मंगलवार, 15 जून 2010
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