एक अध्धय्यन में उन लोगों की ब्रेन इमेजिंग की गई जो पिछली रात बिलकुल नहीं सो पाए थे .डिस्टर्बिंग इमेज़िज़ ,देने वाली ख़बरें )देखने पर इनके दिमाग के एक हिस्से 'अम्य्ग्दाला 'में ६० फीसद ज्यादा एक्टिविटी (क्रिया शीलता )देखने को मिली .'एम्य्ग -डाला 'भय और बैचैनी (चिंता ,औत्स्सुक्य ,एन्ग्जायती )का संशाधन करता है .ठीक से गत रात सोने वालों के बरक्स इन एक दम से उनींदे अलसाए लोगों का दिमाग का यह हिस्सा दिमाग के उस हिस्से से कम सम्प्रेषण कर पाया जो उचित भावात्मक संवेगों ,एप्रो -प्रियेत इमोशनल रेस्पोंसिस के लिए उत्तर दाई रहता है ,निर्धारण करता है संवेगों का दृश्य के अनुरूप ।
पम्पेर्स नाप्पिएस स्लीप रिपोर्ट के अनुसार ७० फीसद माताओं ने यह खुलकर तस्दीक किया है माना है ,ठीक से ना सो पाना उन्हें चिड-चिडा बनाए रहता है ,दिनचर्या के साथ ताल मेल बिठाने में दिक्कत आती है .नौनिहालों को भी पूरी तवज्जो कहाँ दे पातीं हैं हम लोग ।
आपके मूड का सीधा सम्बन्ध दिमागी जैव -रसायनों (कुछ न्यूरो -ट्रेन्स -मीटर्स )से रहता है .नींद पूरी ना ले पाने से इनके बीच संतुलन टूट जाता है .मूड खराब हो जाता है .यही कहना मानना है ,इन्डियन स्लीप असोशिएसन ,न्यू दिल्ली के संस्थापक अध्यक्ष डॉ .जी सी सूरी का .ग्लूमी बने रहतें हैं हम ,नकारात्मक बातें थका मांदा दिमाग संजोता रहता है ,सकारात्मक की और उतनी तवज्जो नहीं दे सकता .
शनिवार, 19 जून 2010
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