अपने आई पोड पर रोजाना सिर्फ एक घंटा अपना पसंदीदा लाउड म्युज़िक सुनने के खामियाजे आपके कान को भुगतने पड़ सकतें हैं .श्रवण शक्ति को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है ,यही सन्देश है एक नवीनतर अध्धय्यन का जो यूरोपीय साइंस -दानों ने संपन्न किया है ।
दरअसल हेड फोन्स पर तेज़ संगीत बाहरी कान की कोशाओं (सेल्स ,कोशिकाओं )को नष्ट कर सकता है ,असर ग्रस्त करता है .आउटर ईयर सेल्स को ।
अध्धय्यन में भागीदार सभी सब्ज्जेक्ट्स का पहले ऑडियो -टेस्ट किया गया .श्रवण शक्ति का जायजा लिया गया .अब सभी भागीदारों को ६ सत्रों में एक घंटा तक दो अलग अलग हेड फोन्स पर पहले से सेट किये गए वोल्युम्स पर पोप या फिर रोक संगीत सुनवाया गया ।
प्रत्येक सत्र (सेसन )के बाद सभी प्रतिभागी औरत और मर्दों का शोर्ट साउंड और उसके बाद अलग अलग फ्रीक्युवेंसीज़ की साउंड्स के प्रति रेस्पोंस दर्ज़ किया गया .१९ -२८ साला कुल २१ प्रतिभागी थे .पता लगाया गया इन टोंस को कितनी साफ़ सफाई के साथ सुन पाए .कंट्रोल ग्रुप के १४ सब्जेक्ट्स को तुलना के लिए अध्धय्यन में शामिल किया गया ।
पता चला कान के लिए भारी पड़ता है आई -पोड या फिर एम् पी थ्री प्लेयर्स पर सुना गया तेज़ संगीत।
तो ज़नाब स्वस्थ चित्त के साथ प्रकृति से जुड़िये सुबह की सैर के लिए .आई -पोड ठीक नहीं है आपकी सेहत के लिए श्रवण शक्ति के लिए ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-even एन आवर ऑफ़ लिसनिंग तू आई -पोड केंन डेमेज हीयरिंग (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २४ ,२०१० ,लेट सिटी एडिसन ,पृष्ठ १६ ).
शुक्रवार, 25 जून 2010
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1 टिप्पणी:
चस्का जिस भी चीज़ का हो भारी ही पडता है़ मगर हम लोग फिर भी नहीं सुधरते। अच्छी जानकारी है धन्यवाद।
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