अल्सर हो या फिर ट्यूमर्स शरीर पर ओवर -लोड (शरीर से ज़्यादा काम लेने )का नतीज़ा है .आराम ना कर पाना ,ठीक से पूरा ना सो पाना (६-८ घंटा की अच्छी नींद ना ले पाना ),दवाब से लबालब जीवन शैली ,रिलेक्स्सेसन का अभाव देर से पचने वाले अस्वास्थाय्कर भोजन का सेवन इस ओवर -लोड की वजह बनतें हैं ।
कटाबोलीक (काताबोलिक)और अनाबोलिक दो तरह के काम अंजाम देती है हमारी काया ।
केताबोलिक फंक्संस आर कटा -बोलीक नेचर ऑफ़ दी बॉडी :चलना फिरना (मूवमेंट यानी गति ),सोचना (थोट),पाचन की क्रिया शरीर तंत्र के कटा -बोलीक काम हैं .तथा टूट -फूट की मुरम्मत (ऋ-पेयर ),बढवार(ग्रोथ )तथा एलिमिनेसन (यानी अवांछित विषाक्त पदार्थों की निकासी )अनाबोलिक फंक्संस हैं .पहला काम शरीर को एक्टिव बनाए रखता है ,एक्टिवेट करता है .दूसरा मेंटेनेंस का जिम्मा संभाले है ।
दोनों में एक संतुलन (होमेओस्तासिस )ज़रूरी है .चोबिसों घंटा काम काम काम इस संतुलन के टूटने की वजह बन सकता है .ऐसा नहीं है ,हमारा शरीर हमें आगाह नहीं करता ,बाकायदा सिग्नल्स देता है .हम अक्सर इनकी अनदेखी कर देतें हैं ।
अल्सर्स हैं क्या ?
शरीर में दीर्घावधि में जमा विषाक्त (अवांछित पदार्थ ,तोक्सींस )पदार्थ ,कोशाओं के टूटते रहने का नतीज़ा होता है घाव यानी अल्सर ।
ट्यूमर्स नष्ट हो चूकी कोशाओं का जमा होना है ताकि इनकी निकासी और ऋ -साइकिलिंग हो सके .दोनों ही कोशाओं के ज़रुरत से ज्यादा अप -विकास (डी -जेनरेसन )का ,ज़रूरी मुरम्मत ना हो पाने यानी कोशाओं की टूट फूट की भरपाई के लिए ऋ -जेनरेसन (पुनर -उत्पादन ना हो पाने )के अभाव का परिणाम हैं ।
खान -पान की सही आदतें ,सही स्वास्थ्य -वर्धक खुराख की शिनाख्त और चयन इन्हें मुल्तवी रखने में मददगार साबित हुआ है ।
कौन से खाद्य हैं ज़रूरी :(१ )ऊर्जा -प्रदाता ,एन -आरजाई -जर्ज़ (२)क्लीन -जर्ज़ (खाद्य रेशे -बहुल ,सोफ्ट कार्ब्स )तथा (३)बॉडी -बिल -दर्ज
गूदे दार सुपाच्य मीठे -ताज़े -मौसमी फल ऊर्जा देतें हैं ,एन -आर -जाई -जर्ज़ हैं .थोड़े से खट्टे -रसीले (साइट्रिक ,जलीय अंश से भरपूर )फल और तरकारियाँ बेहतरीन क्लीन -जर्ज़ हैं .नट्स और स्प्राउट्स (मेवे काष्ठ छिलके वाले ,अखरोट ,बादाम ,अंकुरित अनाज आदि बॉडी -बिल -दर्ज़ हैं .शरीर को पुष्ट रखतें हैं स्वास्थ्य -वर्धक खाद्य ।
ऐसा भोजन जो एक तो देर से पचे ऊपर से विषाक्त -पदार्थ छोड़ जाए अल -सर और ट्यूमर्स के खतरे के वजन को बढाता है ,दिन दूना ,रात चौ -गुना ।
मांस (गोस्त ),सिम्पिल सुगर ,परिष्कृत और संसाधित चीज़ें (डिब्बा बंद खाद्य )इसी वर्ग में आयेंगी ।
आइसो -टोपिक स्टडीज़ से सिद्ध हुआ है ,कोशाओं का मिजाज़ निरंतर बदल रहा है .ह्यूमेन सेल्स लगातार बदलतीं हैं ।
खान -पान इसमें सहायक की भूमिका में रहता है ।
'एज वी चेंज दी फूड्स वी पुट इनटू अवर बॉडी ,दी बॉडी गेट्स दीएनर्जी (फ्रॉम दी एन -एर -जाई -जर्ज़ ) तू क्लीन दी एक्युमालेतिद तोक्सिन (फ्रॉम क्लीन -जर्ज़ ),एंड ऋ-पेयर सेल्स देत हेव बीन देमेज्द (फ्रॉम बॉडी बिल -दर्ज़ ).दस वी केंन हेव ए ब्रांड न्यू हेल्दी बॉडी बा -ई ईटिंग दी राईट फूड्स ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-केंन ट्यूमर्स एंड अल -सर बी क्युओर्द विद दी राईट फ़ूड (प्रिवेंसन ,जून अंक पृष्ठ ४६ -४७ )
बुधवार, 16 जून 2010
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