बुधवार, 16 जून 2010

थके -मांदे उन्नींदे रहतें हैं लेकिन खबर नहीं रहती ...

नींद ना ले पाने से हम थके -मांदे रहे आतें हैं ,लेकिन हमें खबर नहीं रहती .आखिर क्यों ऐसा होता है .बेशक हमारी बॉडी हमें आगाह करती है ,बतलाती है 'उनींदे हैं हम ,सिग्नल देती है लेकिन हम नजर अंदाज़ कर देतें हैं .'और बस कम नींद ले पाना हमारी आदत बन जाती है .साफ़ नुक्सानात है इसके .मधुमेह ,हृद रोगों के खतरे का वजन बढ़ता रहता है लगातार ,दिन रात .
एक अध्धय्यन क मुताबिक़ जो लोग बा -मुश्किल दिन भर में ५-६ घंटा या और भी कम सो पातें हैं ,शोर्ट स्लीपर्स हैं ,उनके लिए जीवन शैली रोग ( सेकेंडरी दाया -बितीज़ )का ख़तरा २८ फीसदज्यादा हो जाता है ।
जिची मेडिकल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसन ,तोचिगी ,जापान क रिसर्चरों क मुताबिक़ ऐसे में उम्र -दराज़ हाई -पर -टेंसिव लोगों में 'स्ट्रोक 'और 'साइलेंट स्ट्रोक 'का जोखिम bad

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