ब्रितानी भौतिकी -विदों ने डार्क मैटर तथा डार्क एनर्जी के अस्तित्व पर शंका जतलाई है ।
समझा जाता है यह गोचर सृष्टि ,प्रेक्षनीय -सृष्टि कुल चार फीसद गोचर पदार्थ से बनी है .शेष अगम -अगोचर बना रहा है .यही डार्क मैटर ,डार्क एनर्जी है ,जो अपने होने का एहसास अपने प्रबल गुरुत्व से करवाती है .अन -ओब्ज़र्वेबिल यूनिवर्स यही है .डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की हिस्सेदारी ९६ फीसद है .रहस्य -पूर्ण बना रहा है सृष्टि का यह अंश यानी बहुलांश .स्टेंडर्ड-मोडिल की यही अवधारणा चली आई है ।
दुरहम यूनिवर्सिटी के साइंस -दानों ने इसी -मानक निदर्श (स्टेंडर्ड मोडिल )के आकलन में भारी त्रुटी होने की बात अपने हालिया अध्धय्यन में प्रकट की है .इसका मतलब यह हुआ 'डार्क -साइड 'ऑफ़ कोस्मोज़ डोंट एग्जिस्ट ।
जो कुछ पहचाने जाने के योग्य है उसी से यह कायनात बनी है .समस्त तारा मंडल ,ग्रह,उपग्रह ,लघु -ग्रह ,अंतर -तारकीय धूळ और गैस ।
अब यदि डार्क मैटर के अस्तित्व को ,डार्क एनर्जी के होने को नकार दिया जाए तब यह भी माना समझा जाएगा ,सृष्टि का विस्तार ज़रूर हो रहा है लेकिन उतना तेज़ नहीं जितना समझा ,बूझा गया है ।
सन्दर्भ -सामिग्री ;-'डार्क मैटर एंड एनर्जी मे नॉट एग्जिस्ट '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून १६ ,२०१० )पृष्ठ १९ ,केपिटल एडिसन .
बुधवार, 16 जून 2010
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