सोमवार, 21 जून 2010

आसमान से टपकती आफतें .(ज़ारी ...)

क्या कहतें हैं खगोल विज्ञानी :-
हमारा सूर्य जो पृथ्वी पर तमाम जीवन का स्रोत रहा है अब तक अपना आधा ईंधन हाई -द्रोजन के रूप में जला हीलियम में तब्दील कर चुका है .पांच अरब वर्षों में यह ज्योति बुझ जायेगी .यही इसकी जीवन अवधि है .तब तक यह अपना सारा ईंधन जला चुका होगा .इसके बाद यह लगातार फैलता फूलता पृथ्वी और अपने तमाम ग्रहों ,बेटे पोतों को लील जाएगा .लाल दानाव के रूप में इस की जीवन लीला समाप्त हो जायेगी ।
लेकिन हमारा जैव मंडल तो इससे बहुत पहले ही निष्प्राण हो सकता है .५० करोड़ सालों में ही इसके ईंधन उड़ाने की रफ़्तार एक दम से बढ़ जायेगी तब प्रस्तुत होगा विश्व -व्यापी तापन "ग्लोबल वार्मिंग '"का "टर्बो -चार्ज्ड "संस्करण ।
आप जानतें हैं ,एक टर्बो -चार्ज्ड इंजिन एक टर्बाइन की मदद से वायु और पेट्रोल को अति उच्च दाब पर ले आता है .इस प्रकार के इंजिन से लैस वाहान अति शक्ति -शाली होता है ।
लेकिन कुछ विज्ञानी 'टाईटन "को इससे पहले ही अपना उपनिवेश बना पृथ्वी से कूच कर जाना चाहतें हैं .नाइट्रोजन से भरपूर है इसका परिमंडल ,बस इसके केम्पस में ओक्सिजन पहुंचाने की देर है और बस एक और रैन -बसेरा ,एक आवास तैयार ।
अलावा इसके कुछ रोकिट विज्ञानी एक लघु -गृह (एस्टेरोइड )को ही घसीट कर धीरे धीरे पृथ्वी के नज़दीक ले आना चाहतें हैं .पृथ्वी की और आते यह किश्तों में खासी ऊर्जा पृथ्वी को देता रहेगा जो धीरे धीरे हमारी पृथ्वी को सूरज से एक सुरक्षित दूरी पर लेजा कक्षा में छोड़ देगा ।
सन्दर्भ सामिग्री :-एंड ऑफ़ वर्ल्ड एज वी नो ईट (साइंस एंड टेक्नोलोजी ,दी त्र्रिब्युन ,जून १८ ,२०१० )

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