मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

अल्ज़ाइमर्स रोग में जटिलताएं .

अल्ज़ाइमर्स रोग में जटिलताएं :
अल्ज़ाइमर्स रोग का मरीज़ अपने लक्षणों की उग्रता के चलते रोग बढ़ने पर और भी लाचार हो जाता है क्योंकि वह अपने शरीर की सुध ही नहीं ले पाता मसलन उसके दांत में दर्द है वह यह बात कह बता नहीं पायेगा जबकि दांत का दर्द एक रेडियेटिंग पैन होता है जो खासी तकलीफ देता है .किसी भी बात को साफ़ साफ़ न कह पाना बता पाना ,याददाश्त का क्षय तथा अन्य मानसिक क्षमताओं का क्षय इस असमर्थता की वजह बनतें हैं .
किसी भी अन्य काया रोगों से पैदा दुःख दर्द लक्षणों के बारे में वह कुछ नहीं बता पायेगा न घर के सदस्यों को न डॉ को .नुश्खे में लिखी दवाओं पर कायम रहना उन्हें नियम निष्ठ होकर लेना मुमकिन ही नहीं रह जाता है ऐसे में ।
न तो उसे दवाओं के पार्श्व प्रभाव पता चलतें हैं न वह इनके बारे में कुछ बता पाता है .
जैसे जैसे रोग आगे और आगे बढ़ता है दिमाग में होने वाले बदलाव कायिक प्रकार्यों यथा निगलना ,चलने में संतुलन बनाए रखना ,टोइलेट की सुध (टट्टी पेशाब की हाज़त की सुध )आदि नहीं रहती .न नियंत्रण रहता है इन नित्य -प्रति की क्रियाओं पर ।
ऐसे में खाना या कोई भी तरल पदार्थ मरीज़ वायु मार्ग और फेफड़ों तक गटक सकता है .इन्हेल करसकता है .नतीजा हो सकता है फेफड़ों का संक्रमण ,न्युमोनिया .पेशाब के लिए उसे केथिटरडालना पड़ता है जिससे मूत्र मार्ग के संक्रमण का ख़तरा और संक्रमण पैदा हो ही जाता है .ऐसे में एक संक्रमण दूसरे रोग संक्रमण की वजह बनता है ।
मरीज़ घर में ही चलते फिरते गिर सकता है .हड्डी टूटने का ख़तरा बना रहता है ऐसे में .बुढापे में वैसे ही अस्थि भंग का ख़तरा ज्यादा होजाता है .लोस ऑफ़ बोन मॉस जिसकी स्वाभाविक वजह बनता है .गिरने से मरीज़ को हेड इंजरी होने पर दिमाग में भी रक्त स्राव हो सकता है .जान भी जा सकती है ऐसे में ।
(ज़ारी...).

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