शनिवार, 30 अप्रैल 2011

ब्लोगिये का मायावी संसार .

शीर्षक ब्लोगियों या फिर ब्लोगिया- गरों का मायावी संसार भी हो सकता था ,चिठ्ठाकारी का मायावी संसार भी,चिठ्ठा -कारी भी लेकिन ज्यादा केची "ब्लोगिये का मायावी "संसार ही लगा ।
आखिर ब्लोगिया जो भी लिखता है मालिकाना भाव से लिखता है .भाई मामूली बात थोड़ी है ,ब्लॉग -स्वामी है वह .जो मर्जी लिखे और फिर ब्लॉग यानी चिठ्ठा किसी पार्टी के मुख- पत्र की तरह ही तो है .
कह सकतें हैं चिठ्ठा यानी ब्लॉग एक ऐसा अखबार है "ब्लोगिया "जिसका ,प्रूफ रीडर भी है ,सम्पादक भी है ,मालिक भी ,प्रिंटर और पब्लिशर भी (प्रकाशक और मुद्रक भी ).चिठ्ठे को "खेद के साथ वापस "करने वाला माई का लाल न पैदा हुआ न होगा .
चिठ्ठों का मायावी संसार दिमागी कोशिकाओं (न्युरोंस )की तरह हैं जो एक जगह से दूसरी जगह जम्प करतें हैं और फिर भी सन्देश प्रसारित हो जाता है ।सारी दुनिया फेसबुक की तरह घूम आतें हैं .तमाम तरह के शाश्त्रों ,काम -कलाओं (परफोर्मिंग आर्ट्स )का ज्ञान -संसार यहाँ मौजूद है .लोग स्यापा करने का ढंग भी सिखातें हैं अपने ब्लॉग पर .ब्लोगिया -गिरी एक विकासमान विधा है .यहाँ किसी का प्रवेश वर्जित नहीं है .न कोई नियम ,न नियामक (रेग्युलेटर ,विनियामक )।
सो जय राम जी की और राम राम भाई ।

चिठ्ठों की विषय -वस्तु में भी विविधता देखी जा सकती है .प्रयोग -व्यवहार -और प्रगति वादों का मिश्रण होता है चिठ्ठा ,चिठ्ठे ।
कोई साहिब अपने चिठ्ठे पे फिल्म संगीत सुनवा -रहें हैं तो कोई नाम -चीन ,नामवरों ,लेखक लेखिकाओं के काम को रौशनी में ला रहें हैं ,मानो अभी तक वह "काले -पानी "में था .कुछ भजन कीर्तन कर रहें हैं ,संकलन भी भजनों का .हो सकता है कल को कोई स्टाम्प कलेक्शन भी दिखलाए ।
चिठ्ठे की विशेषता यह है किसी भी रचना से खींच -खांच कर आप कहानी ,लघु -कथा ,कविता ,अ-कविता ,ग़ज़ल और नज्म होने की शर्त पूरी करवा करके उस पर बाकायदा मान्यता प्राप्त रचना का लेबल चिपका सकतें हैं .कोई आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है .एक चिठ्ठा- कार दूसरे से उसी तरह डरता है ,उसकी खिदमद ,खुशामद करता है जैसे पति बिगडैल पत्नी की .कई चिठ्ठा पीड़ित भी आपको इन ब्लोगियों के बीच मिल जायेंगें .जो बाकी ब्लोगियों के प्रति सौतिया भाव बनाए रहतें हैं .
(ज़ारी...)

2 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

इसके पहले की पोस्ट में चिट्ठाड शब्द आपकी मौलिक देंन तो नहीं है ?

virendra sharma ने कहा…

All art is imitation but that imitation shuld look orijinal .Bhai sahib apne paas sabhi kuchh arjit hai ,arjit vyavhaar ,arjit vidyaa ,mujhe teknoloji se bahut dar lagtaa hai meraa to Blog bhi ek yuvak ne hi banaayaa thaa .uspar counter kisi aur ne lgaayaa thaa .Apne pas sab kuchh aanuvanshik hai ,Genetic hai .
veerubhai .