बच्चों और बालिगों को सेरिबल पाल्जी के लिए कमोबेश एक दीर्घावधि इलाज़ की ज़रूरत पडती है जिसे माहिरों की एक टीम करती है .इस टीम में सम्मिलित रह सकतें हैं :
(१)बाल -रोगों या फिर मनो -रोगों (दोनों के भी हो सकतें हैं ज़रुरत के अनुरूप )के माहिर ।इलाज़ की पूरी आयोजना (ट्रीट मेंट -प्लान )और चिकित्सा देखभाल की निगरानी करना इनका मुख्य काम होता है .
(२)पीडि -याट -रिक न्यूरो -लोजिस्ट (बच्चों को होने वाले नर्वस सिस्टम ,स्पाइनल कोलम और नर्व्ज़ के रोगों के माहिर ).आप बच्चों के तमाम स्नायु -तंत्र से सम्बंधित विकारों के रोग निदान में भी महारथ हासिल किये रहतें हैं .
(३)ओर्थो -पीडिस्ट(अस्थि /हड्डी के रोगों ,पेशीय रोगोंके माहिर ):पेशी और अश्थी विकारों की निगरानी करतें हैं आप ।
(४)अक्युपेश्नल थिरेपिस्ट :रोज़ मर्रा के कामों ,हुनर आदि के विकास के माहिर होतें हैं आप .सेरिब्रल पाल्जी विकार से ग्रस्त व्यक्ति यह सब नहीं कर पाता है .उसे बाकायदा प्रशिक्षित किया जाता है .अडेप्तिव प्रोडक्ट्स को स्तेमाल करना भी इन्हें सिखलाया जाता है इन माहिरों के द्वारा ।
(५)डेव -लप -मेंटल थिरेपिस्ट :आयु के अनुरूप विकार ग्रस्त बच्चे को व्यवहार करना सिखलातें हैं ये माहिर डेव- लप -मेंटल चिकित्सा के तहत .सोसल स्किल्स(समाज में उठ बैठ ,इन्टेरेक्त करना आदि ) तथा इंटर -पर्सनल स्किल्स (कम्युनिकेशन स्किल्स आदि )भी सिखलातें हैं .
(६)मेंटल हेल्थ प्रो -व्हाई -डर:मनो -विज्ञानी ,मनो -रोगों के माहिर आदि इसी वर्ग में आयेंगें ।
(७ )सोसल वर्कर :सेवाओं तक पहुँचने में ये असर ग्रस्त व्यक्ति के परिवार की मदद करतें हैं .आयोजना में भी एक से दूसरी जगह जाने में इनका मार्ग दर्शन मिलता है ।
(८)स्पेशल एज्युकेशन टीचर :आजकल इनका बड़ा महत्व है बेशक भारत जैसे गरीब देश में अभी इन तक पहुँच और उपलब्धता दोनों ही सीमित हैं .सीखने समझने में रह गई कमियों को समझकर यह हर बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुरूप सक्षम बनातें हैं ,उचित शैक्षिक संशाधन बच्चे की आवश्यकताओं को पहचानकर मुहैया करवाना ।
मेडिकेसंस :पेशियों की जकड़न(स्टिफनेस)को कम करने के लिए कुछ दवाएं कामकर पाने की कूवत (क्षमता )को सुधारने ,दर्द कम करने तथा स्पाज़ -टिसिती से पैदा जटिलता के प्रबंधन के लिए दी जातीं हैं .
अलबत्ता ड्रग ट्रीट -मेंट के अवांच्छित प्रभाव और असर ग्रस्त व्यक्ति के लिए उसकी उपयोगिता और औचित्य के बारे में परिवार के दूसरे सदस्यों को डॉ से खुलकर पूछना चाहिए .नोलिज इज पावर .देखना यह होता है दवा के अवांछित असर ज्यादा हैं या फायदे ।
दवा का (मेडिकेशन )का चयन इस तथ्य पर आधारित रहता है ,विकार कुछ चुनिन्दा पेशियों (आइसो -लेतिद मसल्स )पर असर डाले हुए है या फिर पूरे शरीर पर .
ड्रग ट्रीटमेंट में क्या- क्या शामिल रहता है इसकी चर्चा अगली पोस्ट में करेंगें ।
(ज़ारी ...).
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011
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