लिविंग विद एपिलेप्सी :
मज़े से और औरों की तरह ही जिन्दगी को जीसकता है व्यक्ति एपिलेप्सी के साथ ,एक दम से सामान्य .कितने ही खिलाड़ियों ,राजनेताओं ,लेखकों ,उद्यमियों ,डॉक्टर्स ,कला क्षेत्र के लोगों ने अपने अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ है इस बीमारी के साथ ।
एपिलेप्सी आपको न तो सांस्कृतिक गति -विधियों में हिस्सेदार से रोकती है न ही डेटिंग से ,न कोई कामकाज,कामधंधा अपनी मर्जी का करने से ।
बस अपने डॉ के दिए निर्देशों ,हिदायतों पर चलते रहना है बताई गई सावधानियों पर मौके के अनुरूप काम करना है ,अपनी हिफाज़त करनी है .किशोर -किशोरियां एपिलेप्सी के रहते भी तैराकी कर सकतें हैं लेकिन अकेले नहीं ,कम्पनी में ,और यार दोस्तों को भी पता होना चाहिए आपकी एपिलेप्सी के बारे में जैसे घर के सभी लोगों को किसी एक की डायबिटीज़ के मामले में पता होता है .
जब तक एपिलेप्सी दवा दारु से मेडिकल कंट्रोल में है ,आप ड्राइविंग भी कर सकतें हैं .गर्ज़ ये की कुछ सावधानी बरतते हुए व्यक्ति वह सभी काम कर सकता है गतिविधियों का लुत्फ़ उठा सकता जो बाकी लोग करतें हैं .
अलबत्ता आपके परिवेश में जब भी जो भी व्यक्ति हों उन्हें आपकी एपिलेप्सी के बारे में तथा सीज़र्स के समय क्या करना चाहिए आपको क्या माफिक आता है उसकी खबर और प्रशिक्षण दोनों होना चाहिए फिर आप निश्चिन्त होके रहिये ,करिए जो भी इरादे हैं लक्ष्य हैं हासिल करने को ।
दोस्तों के लिए कुछ बातें ज़रूरी हैं दौरे (सीज़र के दौरान ):
(१)शांत रहें ,घबराएं नहीं ।
(२)मदद ज़रूर कीजिये लेकिन जोर ज़बरिया व्यक्ति को एक करवट लिटाने की कोशिश न करिए .बेशक सोफ्ट सर्फेस पर ही उसे लेटने में मदद दीजिये और सिरहाने उस समय जो कुछ भी आपके पास है कपड़ा लत्ता वही लगा दीजिये ताकि सिर थोड़ा सा ऊंचा रहे धड से ।
(३)व्यक्ति के चश्मे हटा लीजिये,यदि गला लिबास से कसा दिख रहा है तो कपडे गर्दन के गिर्द जो भी हैं उन्हें थोड़ा ढीला कर दीजिये ।
(४)पकडिये ,रोकिये मत व्यक्ति को .डोंट रेस्ट्रेंन ऑर होल्ड दी पर्सन .
(५)आसपास कोई धार -दार नुकीली चीज़ें कोई हैं तो उन्हें हटा लीजिये ।
(६)व्यक्ति के साथ बने रहिये .अपने आपको आश्वशत कीजिये कोई न कोई उसका दोस्त हमदर्द उसके साथ बना रहे (७)सीजर से निकल आने पर व्यक्ति को आश्वश्त करिए .शांत चित्त से उसे तसल्ली दीजिये ।बताइये की सब ठीक है ,कुछ नहीं हुआ है उलट पुलट ।
(८)गौर से सब कुछ अपने जेहन में रखिये क्या हुआ था ,सीज़र से पहले ,इसके दरमियान तथा इसके बाद अब क्या हो रहा है व्यक्ति को .
(९)सीज़र के समय व्यक्ति के मुह में कोई भी चीज़ न रखिये (मैंने देखा है कई लोग चम्मच फंसा देते हैं इस आशंका से की कहीं मरीज़ अपनी जीभ न काट ले ,दांतों के बीच आने पर .(रिफ्लेक्स एक्शन खुद बचाता है मरीज़ को .कई लोग चप्पल जूते सूंघा देते हैं ,बिलकुल वाहियात बात है यह जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है ।).
बेशक यदि मरीज़ गिरके घायल हो गया है या फिर उसे कोई और भी मेडिकल कन्डीशन है डायबिटीज़ है या फिर सीज़र थमने का नाम ही नहीं ले रहें हैं तब आपातकालीन सेवायें जो भी उपलब्ध हों उनका लाभ दीजिये मरीज़ को ,संपर्क कीजिये इमरजेंसी /हेल्प लाइन से ।
एपिलेप्सी भयावह लग सकती है लेकिन इसका प्रबंधन आसान है मुश्किल नहीं है .बस अपने ट्रीटमेंट प्लान पे कायम रहिये .आठ घंटे की नींद लीजिये .खान- पान सही रखिये .थोड़ा कसरत कुसरत,व्यायाम ,टहल कदमी भी कीजिये अपने आपको बे -डौल न होने दीजिये ,फिर जिंदगी खुशनुमा ही खुशनुमा है .
(ज़ारी...)।
विशेष :इस ब्लॉग पर सेहत से सम्बन्धी जो भी लिखा जा रहा है उसका मकसद रोगों और स्वस्थ जीवन शैली की अपनी माँ -तृ -भाषा में जानकारी मुहैया करवाना है .इसका थिरापेतिक अर्थ न लगाया जाए .हम सिर्फ जानकारी आपके साथ सांझा कर रहें हैं .इलाज़ और रोग निदान के लिए आपका चिकित्सक ही विधाई भूमिका निभाएगा ,उसी पे भरोसा रखियेगा ।
वीरुभाई .
बुधवार, 27 अप्रैल 2011
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