मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

हिस्टीरिया (ज़ारी ...)

इज हिस्टीरिया रीयल ब्रेन इमेज़िज़ सेज यस .(गत पोस्टों से आगे ....)।
योरोपीय डॉ बरसों बरस ऐसा मानते रहे -किसी कायिक परेशानी से पैदा होता है -हिस्टीरिया .वजहें हो सकतीं हैं :
(१) अन -हेपी यूट्रस (बॉडी फ्लुइड्स न मिलने से जो सूखा होकर शरीर में इधर उधर भटकने लगता है )।
(२)नर्व्ज़ देट वर टू थिन.
(३)ब्लेक बाइल फ्रॉम दी लीवर (यकृत का काला रंग का पित्त बनाना ).
दौरों (सीज़र्स )के मूल में कुछ बुनियादी गड़बड़ शरीर में ही रहती है .बेतरह चिल्ला ने चिल्लाते रहने (दौरों का ही एक रूप है यह भी ),अ -व्याख्येय दर्द तथा पीड़ा का एहसास (स्ट्रेंज एक्स एंड पैंस)।
फ्रायड इस क्रम को उलट देते हैं उनके अनुसार चित्त और मन के उलझे सवालातों ,विरोधाभासों ,मुसीबतों को शरीर अभियक्त करता है अभिनीत करता है कुछ कायिक बहरूपिये लक्षणों के रूप में ।
बेशक स्नायुविक विज्ञान (न्यूरो -साइंस )तथा साइंसदान ऐसा कोई विभाजन "फिजिकल ब्रेन "एंड माइंड में मानने को तैयार नहीं हैं ।
दिमागी प्रकार्य को आज विच्छिन्न होते (डिस -रप्त )होते रिकार्ड किया जा सकता है इमेजिंग अधुनातन तरकीबों द्वारा ।
हिस्त्रेइक दिमाग में क्या कुछ चल रहा है यह अब जानने बूझने के उपाय आगएं हैं .यानी मन का भौतिक खाका खींचा जा सकता है ।
बेशक अभी अनेक सवाल अन -उत्तरित हैं ,सवाल ही ज्यादा हैं उनके ज़वाब कम हैं ,लेकिन नतीजे इशारा करने लगें हैं -संवेगों की दिमागी संरचना (दिमागी खाका ,रूप रेखा )आखिर किस प्रकार नोर्मल सेंसरी (बोध ,ज्ञानेन्द्रिय सम्बन्धी )तथा मोटर न्यूरल सर्किट्स (मूवमेंट से सम्बंधित )को संशोधित कर सकती है कैसे मन (दिमाग )शरीर को नचा सकता है उसकी फिरकनी बनाके घुमा सकता है ,चकमा दे सकता है ,मिमिक कर सकता है लक्षणों को ।
(ज़ारी...).

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