मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

एपिलेप्सी :एक जानकारी

एपिलेप्सी :एपिलेप्सी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना ही इसके खिलाफ एक ताकत हासिल करना है .नोलिज़ इज पावर .इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप सालों साल से इसकी चपेट में हैं या अभी हाल फिलाल में ही डायग्नोज़ हुआ है ,निदान हुआ है इस रोग का ,जितना आप इसके बारे में जानिएगा उतना ही ताल मेल बिठा पायेंगें रोज़ मर्रा के काम आराम से कर पायेंगें रह पायेंगें ,लय -ताल बनाए रखकर जी पायेंगें इस रोग के साथ ।
इसीलिए शुरुआत बुनियादी बातों से ही करेंगें :
व्हाट इज एपिलेप्सी (अपस्मार क्या है ?मिर्गी का दौरा नहीं है ये, न ही हिस्टीरिया है )?
यह एक न्युरोलोजिकल कंडीशन है जिसकी वजह से दिमाग में आकस्मिक तौर पर विद्युत् विसर्जन होने लगता है , बर्स्ट्स ऑफ़ इलेक्ट्रिकल एनर्जी टेक्स प्लेस इन दी ब्रेन ,ठीक वैसी ही विद्युत् विसर्जन की घटना हैयह जैसी बादलों के बीच आप देखतें सुनतें हैं ।
दिमाग के ठीक से सामान्य काम काज करते रहने के लिए एक संतुलन ज़रूरी होता है -एक्सिटेशन (उत्तेजन )यानी इन्क्रीज्द एक्टिविटी में तथा मर्यादा में (प्रतिबंधित सीमित और नियंत्रित सक्रियता और इनहिबिशन में ),जब यह संतुलन टूटता है ,मरीज़ को दौरा पड़ जाता है वह सीश्जर की चपेट में आजाता है ।
कौन से चिकित्सक के पास जाइयेगा एपिलेप्सी के इलाज़ के लिए ?
ये डॉ .न्यूरोलोजिस्ट (स्नायु रोग विज्ञान के माहिर ),पीडियाट्रिक न्यूरोलोजिस्ट ,पीडि-आट -रिशियंस (शिशु या बाल रोग विज्ञानी )यानी बालकों के रोगों के माहिर ,या फिर आपके पारिवारिक काया -चिकित्सक (फेमिली फिजिशियन )भी हो सकतें हैं ।
न्यूरोलोजिस्ट :दिमागी रोगों ,स्पाइनल कोर्ड (रीढ़ रज्जू ),नाड़ियों (नर्व्ज़)और पेशियों के रोगों का माहिर होता है न्यूरोलोजिस्ट यानी स्नायु -रोग -विज्ञानी ।
वह स्नायु -रोग -विज्ञानी जिसे एपिलेप्सी के इलाज़ में महारथ हासिल होती है वह "एपी-लेपटो -लोजिस्ट "कहलाता है .
क्यों हो जाता है "एपिलेप्सी रोग "?क्या कारण रहतें हैं इस रोग के ?
यह एक जन्म -विकार का भी नतीजा हो सकता है .दिमागी चोट (हेड इंजरी ),दिमागी ट्यूमर (मलिग्नेंट )या फिर कोई दिमाग में कोई रोग संक्रमण (इन्फेक्शन इन दी ब्रेन )भी इसकी वजह बन सकता है ।
वंशानुगत (खानदानी विरासत में मिला )एक रोग भी हो सकती है एपिलेप्सी .लेकिन सच यह भी है तकरीबन आधे मरीजों में इसकी वजह का पता ही नहीं चल पाता है ।
छूतहा (कंटा -जियस )रोग नहीं है एपिलेप्सी ।
पहली मर्तबा , कभी भी ,किसी को भी, हो सकता है यह रोग ,बुढापे में भी हो सकता है यह रोग ।
सीश्जर (सीज़र ,दौरा )क्या है ?
यह हमारे इन्द्रिय बोध में आने वाला एक बदलाव है .सीज़र इज ए चेंज इन सेंसेशन .यह हमारी चेतना ,जागरूकता ,व्यवहार सभी को असरग्रस्त करता है जिसकी वजह दिमाग में विद्युत् विक्षोभ (इलेक्ट्रिकल डिस तर्बेंस )बनतें हैं .
एक आम लक्षण है एपिलेप्सी का सीज़र जिसके अनेक रूप हो सकतें हैं .एक अकेली ऊंगली की झं -झनाहट,तिन्ग्लिंग से लेकर नीम -होशी, बे -होशी तक (जन्रेलाइज़्द सीज़र ,ग्रांड मॉल सीज़र ).हाथ पैर के अन्य पेशीय अकड़ाव से लेकर जर्क्स तक तमाम तरह के लक्षण देखे जा सकतें हैं सीज़र्स में .
ग्रांड मॉल (सीश्जर ):ग्रांड मॉल इज ए सीरियस फॉर्म ऑफ़ एपिलेप्सी इन व्हिच दे -यर इज लोस ऑफ़ कों -शश नेस एंड सीवीयर कन्वाल्संस ।
पेटिट मॉल :इज ए फॉर्म ऑफ़ एपिलेप्सी मार्कड बाई एपिसोड्स ऑफ़ ब्रीफ लोस ऑफ़ कों -शश -नेस विदाउट कन्वाल्संस और फालिंग .फ्रेंच भाषा में इसका मतलब "स्माल इलनेस "होता है .यानी छोटी मोटी बीमारी ./बीमारी का ऐसा रूप जो गंभीर न हो ।
(ज़ारी ...).

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