यदि आपके फेमिली डॉ को लगता है ,आपके बच्चे को सेरिब्रल पाल्ज़ी हो सकता है तब वह कुछ परीक्षण के लिए कहेगा ताकि अन्य मेडिकल कंडीशंस को बरतरफ किया जा सके रुल आउट किया जा सके और सेरिब्रल पाल्ज़ी के रोग निदान की और बढा जा सके .ये परीक्षण इस प्रकार हो सकतें हैं :
(१)ब्रेन स्केन्स :इन स्केनों से ब्रेन इमेजिंग टेकनीकों से दिमाग के क्षति ग्रस्त हिस्सों और यदि कहीं कोई विकासात्मक विकार है ,गड़बड़ी रह गई तो उसका भी पता चल जाता है .इनमे शरीक रहतें हैं -
(अ)मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एम् आर आई )दिमाग का :इसमें रेडियो -वेव्ज़ तथा चुम्बकीय क्षेत्रों (मेग्नेटिक फील्ड्स )की मदद से दिमाग की त्रि -आयामीय तथा क्रोस सेक्शनल (अनु -प्रस्थ काट वाली छवियाँ )अंकित की जाती हैं .इमेजिज़ उतारी जातीं हैं .परत-दर -परत दिमाग को खंगाल लिया जाता है .कोई दर्द नहीं होता है इस परीक्षण के दरमियान अलबत्ता शोर से व्यक्ति तंग आसकता है क्योंकि कोई इक घंटा तक चल सकता है यह परीक्षण .बच्चे को माइल्ड सीदेतिव भी दिया जासकता है .यह एक पसंदीदा तरजीह प्राप्त परीक्षण है जिसे प्रिफरेंस दिया जाता है .
सीदेटिव है क्या ?
सीदेतिव इज ए ड्रग देत हेज़ ए कामिंग इफेक्ट .इट रिलीव्ज़ एन्ग्जायती एंड टेंशन यानी बे -चैनी को तनाव को कम करने वाला कोई भी रासायनिक एजेंट (अभिकर्मक जो चित्त को शांत रखे ,घबराहट न होने दे ).दीज़ आर लोवर दोज़िज़ ऑफ़ हिप्नोटिक ड्रग्स देन डोज़ नीडिद फॉर स्लीप .दे प्रो -ड्यूज ए रेस्ट्फुल स्टेट ऑफ़ माइंड ।
(आ )क्रेनियल अल्ट्रा -साउंड :कपाल /खोपड़ी के अन्दर जो एक हड्डियों का बना मज़बूत संदूक है हमारा दिमाग हिफाज़त से रखा रहता है इसी का अल्ट्रा साउंड ब्रेन की छवियाँ दे देता है .इसमें उच्च आवृत्ति की ध्वनी तरंगों (अल्ट्रा -सोनिक -फ्रिक्युवेंसीज़ )का स्तेमाल किया जाता है .बेशक इसमें व्यापक ब्योरा इमेजिज़ का नहीं होता है लेकिन यह सस्ता और जल्दी से होने वाला परीक्षण है .और आरंभिक जायजा तो दिमाग का यह दे ही देता है ।
दी अल्ट्रा -साउंड डिवाइस इज प्लेस्ड ओवर दी सोफ्ट स्पोट (फोंतानेल )ऑन दी टॉप ऑफ़ ए बे-बीज हेड .
(इ)कम्प्युट -राइज्द(कम्प्यु -टिड)टोमो -ग्रेफ़ी :यह एक विशेषीकृत एक्स -रे -टेक्नोलोजी ही है जिसमे एक्स रेज़ एक साथ दिमाग का भेदन कई दिशाओं से करतीं हैं .कंप्यूटर इनका संशाधन करता चलता है तथा नतीजे एक स्क्रीन पर दिखला देता है .इस प्रकार दिमाग का क्रोस -सेक्शनल व्यू प्रस्तुत हो जाता है ।
स्केनिंग में कुल २० मिनिट लगतें हैं तथा कोई पीड़ा नहीं होती है इस परीक्षण में .अलबत्ता मरीज़ को हिलना मना है इसलिए बच्चे को अकसर हल्का सीदेतिव दे दिया जाता है ।
(ई )इलेक्ट्रो -एन -सी -फेलोग्रेफी (इलेक्ट्रो -एन -सी फेलो -ग्रेम ,ई ई जी ):यह एपिलेप्सी को रुल आउट करने के लिए किया जाता है क्योंकि बच्चे को सीज़रभी होने पर सेरिब्रल पाल्ज़ी के मामले में एपिलेप्सी भी साथ में हो सकती है .इसमें बच्चे को गंजा करके उसके स्केल्प(खोपड़ी की चमड़ी ,वल्क में ) में नन्ने नन्ने अनेक इलेक्ट्रोड्स फिट कर दिए जातें हैं .बस बच्चे के दिमाग की विद्युत् एक्टिविटी दर्ज़ हो जाती है .इस रिकार्ड को ही एन -सी -फेलो -ग्राम कहा जाता है .जो एन -सी -फेलो -ग्रेफ़ी का नतीजा होता है .दिमाग का विद्युत् आरेख है ई ई जी .ब्रेन वेव्ज़ के पैट्रंस से एपिलेप्सी होने पर उसका पता चल जाता है .ब्रेन वेव्ज़ का नोर्मल पैट्रन बदल जाता है एपिलेप्सी होने पर ।
(उ )लेब टेस्ट्स :ब्लड क्लोतिंग डिस -ऑर्डर्स को रुल आउट करने के लिए ख़ास रक्त परीक्षण भी किये जातें हैं क्योंकि खून में थक्का बनने की प्रवृत्ति स्ट्रोक (ब्रेन अटेक)की वजह बन सकती है तथा स्ट्रोक के लक्षण ,साइंस और सिम्पटम्स कई सेरिब्रल पाल्ज़ी जैसे ही होतें हैं .इसलिए इसे रुल आउट करना ज़रूरी होता है ।
जेनेटिक तथा मेटा -बोलिक(अपचयन /चय -अपचय )प्रोब्लम्स के लिए भी स्क्रीनिंग की जासकती है इन परीक्षणों के द्वारा .
(ऊ )एडिशनल टेस्टिंग :
विज़न इम-पेयर्मेंट(नजर का कमज़ोर पड़ना ),श्रवण ह्रास ,संभाषण सम्बन्धी समस्याएँ (स्पीच डिलेज़ एंड इम -पेयार्मेंट्स ),बौद्धिक अवमंदन ,बौद्धिक क्षमताओं में कमी ,विकास सम्बन्धी अनेक अन्य चीज़ों (डेव -लप -मेंटल डिलेज़ )आदि की भी जाँच की जाती हैं जो सहज ही सेरिब्रल पाल्ज़ी के साथ चली आ सकतीं हैं ।
(ज़ारी ...).
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011
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