बुधवार, 27 अप्रैल 2011

कब माना जाए किसी को एपिलेप्सी ही है सीज़र्स के आधार पर ?

एपिलेप्सी नर्वस सिस्टम की इक कंडीशन है जिससे २५ लाख अमरीकी ग्रस्त है ,हर बरस इक लाख अस्सी हजारं से ज्यादा लोगों को एपिलेप्सी का रोग निदान (डायग्नोसिस )किया जाता है .
किसी को एपिलेप्टिक फिट (सीज़र )पड़ते देख आप को धक्का लगसकता है ,डर भी सकतें हैं आप ,असरग्रस्त व्यक्ति बेहोश भी हो सकता हैअकसर हो भी जाता है ,यह भी हो सकता है वह नीम होश रहे लेकिन यह न जान सके उसके आस पास हो क्या रहा है ,आप उसे अपने शरीर के कई अंगों को बेतहाशा पटकते झटकते देख सकतें हैं लेकिन इस सब पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रहता है ,इन -वोलंटरी मूवमेंट होतें हैं ये सब .एकदम से अजीब एहसास भी होसकता है सीज़र ग्रस्त व्यक्ति को ,अनजाना डर भी .कई अजीबोगरीब स्पर्श भी .अन्य अनुभूतियाँ भी जिन्हें वह व्यक्त नहीं कर सकता ।समझ नहीं पाता .
सीज़र के बाद व्यक्ति एक दम से कमज़ोर ,अशक्त ,भ्रमित बना रह सकता है ।
सीज़र की वजह क्या रहती है ?
आकस्मिक रूप से दिमाग में प्रसारित विद्युत् संकेत(इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स ) मिस फायर करने लगतें हैं .विद्युत् विसर्जन होने लगता है यकायक दिमाग में .इसी के साथ दिमाग में चलने वाली सामान्य प्रक्रियाएं विच्छिन्न हो जातीं हैं .नतीज़न नर्व सेल्स में चलने वाला संचार टूट जाता है अस्थाई तौर पर .न्यूरोन -से न्यूरोन का संवाद थम जाता है .ओवर एक्टिव इलेक्ट्रिकल दिश्चार्जिज़ ही इस संचार पुल के टूटने की वजह बनतें हैं .एक तरह का यह दिमागी इलेक्ट्रिकल ब्रेकडाउन होता है अस्थाई तौर पर ।
कितने ही लोग बचपन या फिर किशोरावस्था में एपिलेप्सी की चपेट में आजातें हैं ,कुछ को बाद के बरसों में एपिलेप्सी हो जाती है ,कोई उम्र नहीं होती कोई वक्त नहीं होता किसको कब एपिलेप्सी पहली बार हो जाए .बुढापे में भी हो सकती है ।
(ज़ारी...).

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