गत पोस्ट से आगे ....
ग्रीक भाषा में एकशब्द होता है हिस्टेरा जिसका इक अर्थ यूट्रस भी होता है .प्राचीन चिकित्सक औरतों के अनेक रोगों ,रोगात्मक स्थितियों ,रुग्ण -ताओं का सम्बन्ध "स्तार्व्द तथा मिसप्लेस्ड "वोम्ब (गर्भाशय ,बच्चेदानी )से जोड़ते रहें हैं ।
हिप्पोक्रेट्स ने ही यूटेराइन थिअरी (हिस्टीरिया के गर्भाशय सम्बन्धी सिद्धांत )का विकास किया था .इलाज़ के तौर पर उसने शादी करने की सिफारिश की थी .ताकि "ड्राई "तथा वां -डरिंग यूट्रस शांत हो सके .
फिर दौर आया -ऊपरी हवा का ."देन केम दी सेंट्स ,दी शमंस ,एंड दी डेमन्स पज़ेस्द ".पीर फकीरों आध्यात्मिक गुरुओं के करिश्मो का ,भविष्य कथनों का ,प्रेत बाधाओं के मरीज़ को अवश करने का ।
सत्रहवीं शती में हिस्टीरिया ज्वर के बाद दूसरा व्यापक और आम रोग था ।
उन्नीसवीं शती में फ्रांस के स्नायुविक रोगों के माहिर जें मार्टिन चरकात तथा पिएर्रे जनेत ने हिस्टीरिया के प्रति समकालीन रुख को एक नै दिशा दी ।
चरकात के शिष्य सिगमंड फ्रायड ने हिस्टीरिया को दिनानुदिन लोकप्रिय किया ,नै मनो वैज्ञानिक ज़मीन मुहैया करवाई .सम्मोहन का ज़िक्र किया इसके सन्दर्भों में और चिकित्सा में भी ।
फ्रायड ने ही हिस्टीरिया के मरीजों की नीम होशी या बेहोशी में चले जाने दौरे पड़ने की व्याख्या की .आपने ही सबसे पहले "कन्वर्शन "शब्द का स्तेमाल किया .और बतलाया -अचेतन की अ -विभेदित कशमकश (अन -कों -शश -कों -फ्लिक्त, अन -रिज़ोल्व्द मुद्दे बहरूपिया बन आतें हैं भौतिक लेकिन प्रतीकातमक लक्षणों के रूप में ।
फ्रायड के शब्दों में काया और काया के काल्पनिक लक्षण मन को अभिनीत करते हैं ।
"हिज़ फंडा -मेंटल इन -साईट -देट दी बॉडी माईट बी प्ले -इंग आउट दी ड्रामाज़ ऑफ़ दी माइंड -हेज़ यट टू बी सप -लान -टिड ."
(ज़ारी...).
मंगलवार, 26 अप्रैल 2011
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