के -यरिंग फॉर दी के -यर गिवर :
तीमार- दार के तन और मन दोनों पे भारी पड़ता है अल्ज़ाइमर्स के रोगी को संभाले रखना ,सभी कुछ उसी पर केन्द्रित रखना ,घर का टाइम टेबिल सोने जागने के घंटे .यहाँ तक की वह अपने अपोइन्ट -मेंट्स भी पूरे नहीं कर पाता,अपने चिकित्सक के पास भी शेड्यूल के मुताबिक़ नियमित नहीं पहुँच पाता ।
ऐसे में उसे खुद ही खुद का ध्यान रखना पड़ता है .अपने शौक का कोई एक काम करने का वक्त निकालना और भी ज़रूरी है .शिशु के साथ भी आखिर माँ समय निकालती ही है ।
यह रोगी और तीमारदार दोनों के सहजीवन सह्वर्धन (सिम्बियोतिक लिविंग )के लिए बहुत ज़रूरी है -तीमारदार ठीक रहे .कहीं उसीकी मानसिक क्षमताएं न चुकने लगें ।
सबसे ज्यादा ज़रूरी है रोग के बारे में तीमारदार का अधिक से अधिक जान लेना ।
सवाल ज़वाब करते रहना पूरी टीम से जो भी मरीज़ की चिकित्सा से जुडी है ।
यार दोस्तों को जहां और जब भी ज़रूरी हो मदद के लिए बुलाने में संकोच न करना ।
खुद के लिए रोजाना अल्प विराम -इक छोटा सा ब्रेक लेना नियम में शामिल करना ।
अपने दोस्तों के साथ थोड़ा ही सही कुछ वक्त बिताने का अवकाश निकालना ।
अपने खान- पान व्यायाम का ख़याल रखना .डॉ की विज़िट को न भूलना न मिस करना ।
कोंसेलिंग ,सपोर्ट ग्रुप से मदद और सहयोग लेना .
(ज़ारी...)
बुधवार, 20 अप्रैल 2011
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