हिस्टीरिया क्या कहतें हैं नवीन न्युरोलोजिकल अध्ययन ?
हिस्त्रेइकल पेरेलेसिसी से ग्रस्त मरीजों पर गत दशक में कई ब्रेन इमेजिंग अध्ययन हुए हैं .पता चला इन मरीजों की नाड़ियाँ (नर्व्ज़)और पेशियाँ (मसल्स )हर मायने में स्वस्थ हैं .लकवा ग्रस्त मरीज़ की नाड़ियों और पेशियों से मेल नहीं खातीं हैं ।
इनकी समस्या संरचनात्मक (स्ट्रक्चरल )न होकर फंक्शनल यानी प्रकार्यात्मक है .दिमाग के उच्चतर क्षेत्रों में ज़रूर ऐसा कुछ अ -शुभ और बुरा घटित हुआ है जिसका सम्बन्ध गति (मूवमेंट )और गति करने की इच्छा से है ।
दी डम्ब एक्ट्रेस इन दिस डांस आर फाइन (गुड परफोरमर्स ),इट इज दी ब्रिएलेंट बट कोम्प्लेक्स डायरेक्टर देत हेज़ ए प्रोब्लम .
हम जानतें हैं गति तो एक परिणाम है ,अनेक चरणों वाली एक प्रक्रिया का ,पहल (इनिशियेशन ,मुझे चलना है ,गति करनी है ),आयोजन (प्लानिंग ,मुस्तैदी चलने की )जिसमे पेशियाँ समन्वित एक्शन के लिए तैयार होतीं हैं ,और अंत में इस पहल को अंजाम तक लेजाना ।
सिद्धांत -तय फालिज या लकवा (पेरेलेसिस )इन चरणों में से किसी एक चरण के ठीक से काम न करपाने का नतीजा होती है हो सकती है ।
साइंसदानों ने १९९७ में एक ऐसी महिला के दिमाग का विश्लेषण किया जिसके शरीर का बायाँ हिस्सा लकवा ग्रस्त हुआ था ,सबसे पहले विविध परीक्षणों द्वारा जो खासे खर्चीले भी थे यह सुनिश्चित किया गया कि कहीं कोई आई -देंटी -फाई -एबिल ओरगेनिक लीश्जन तो नहीं है ।
जिस समय यह औरत अपने लकवा ग्रस्त अंग को हिलाने डुलाने की कोशिश करती है ,उसका प्राई -इमारी मोटर कोर्टेक्स (दिमाग का एक हिस्सा जिसका गति करने से सम्बन्ध रहता है )सक्रिय नहीं हुआ ,जिसे आम तौर पर सक्रिय होना चाहिए था ,लेकिन इसके स्थान पर उसका "राईट एन्टीरियर-सिंगुलेट कोर्टेक्स सक्रिय हो गया है .यह दिमाग का वह हिस्सा है जिसका सम्बन्ध एक्शन और इमोशन दोनों से रहता है ।
तर्क को आगे बढाते हुए साइंसदानों ने कहा-दिमाग के संवेगात्मक हिस्से गति का शमन करने (सप्रेशन ऑफ़ मोशन )के लिए जिम्मेवार थे .,उसकी लकवा ग्रस्त टांग की .
मरीज़ में इच्छा थी टांग को हिलाने की गति देने की लेकिन इसी इच्छा ने प्रेरित किया प्राई -मितिव ओर्बितल फ्रन्टल एरिया को साथ ही एन्टीरियर सिंग्युलेट को भी एक्टिवेट कर दिया -उन अनुदेशों को रद्द करने के लिए ,आदेश दे दिया यानी टांग को न हिलाया जाए .नतीज़न उसके चाहने के बावजूद टांग टस से मस्स न हुई ज़रा भी न हिली ।
बाद के अध्ययनों ने इस धारणा को बल दिया ,दिमाग के कुछ हिस्से जो गति से ताल्लुक रखतें हैं उन मरीजों में पूरी तरह एक्टिवेट ही नहीं हो पातें है जो कन्वर्शन दिस -ऑर्डर से ग्रस्त रहतें हैं .यही हिस्से दिमागी सर्किट के उन हिस्सों को बाधित करतें हैं रोकतें हैं जो दिमाग के सामान्य काम काज के लिए ज़रूरी होतें हैं खासकर जो गति ,स्पर्शइन्द्रिय बोध और दृष्टि (विजन )से ताल्लुक रखतें हैं .
यही इमेजिंग टूल्स एक दिन रोग नैदानिक सिद्ध होंगी ।
"कन्वर्शन डिस -ऑर्डर हेज़ लॉन्ग बीन ए ट्रबुल -इंग -बुलींग डायग्नोसिस बिकाओज़ इट हिन्जिज़ ऑन निगेटिव प्रूफ :इफ नथिंग एल्स इज रोंग विद यु ,मे बी यु हेव गोट इट ."यानी जब आपमें कोई आंगिक गडबडी नहीं है तब रोग के (हिस्टीरिया )के लक्षण हो सकतें हैं .सब हाल चाल ठीक ठाक है लेकिन .....हिस्टीरिया के लक्षण मौजूद हैं .
(ज़ारी ...)
मंगलवार, 26 अप्रैल 2011
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