ई सी टी यानी इलेक्ट्रो -कन -वल्शन थिरेपी :अवसाद के वे मरीज़ जिनमे आत्म ह्त्या की प्रवृत्ति मुखरित रहती है और जो अन्य किसी इलाज़ से अच्छे नहीं होते अवसाद भी अति गंभीर रूख लिए रहता है उनके लिए यह चिकित्सा कारगर रहती है ,उनके लिए भी जिनमे साईं -कोटिक फीचर्स मुखरित होने लगतें हैं यथा हेलुसिनेशन और दिल्युज़न .
(२)ट्रांस -क्रेनियल -स्तिम्यु -लेशन (टी सी एस ):इस चिकित्सा प्रणालीके अंतर -गत उच्च आवृत्ति (हाई- फ्रीक्वेंसी )चुम्बकीय स्पंदों (मेग्नेटिक पल्सिज़ )का स्तेमाल किया जाता है जो दिमाग के असर ग्रस्त हिस्सों को निशाना बनातीं हैं .ई सी टी के बाद इसे ही सेकिण्ड लाइन ऑफ़ ट्रीट -मेंट समझा माना जाता है .
(३)लाईट थिरेपी: का स्तेमाल शरत ऋतु में खासा असर- कारी माना जाता है ,यह नोर्मल स्लीप साइकिल की पुनर -प्राप्ति में मददगार सिद्ध हुई हैउन अवसाद ग्रस्त लोगोंके लिए जो ठीक से सो नहीं पातें हैं.बेशक यह अपने आप में मेजर डिप्रेशन का असरकारी इलाज़ नहीं है ,सिर्फ इक आनुषांगिक चिकित्सा है .औक्सिलारी थिरेपी ही है ।
(ज़ारी...).
सोमवार, 18 अप्रैल 2011
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